सेक्स को लेके कॉन्फिडेंस कैसे आये : AOI का गाइड
अपने हौसला-ऐ-सेक्स को कैसे बढ़ाएं? पढ़िए!
हौसला -ए -सेक्स क्या है ? इसका कोई फिक्स्ड जवाब नहीं है। कोई यह तो नहीं बता सकता के असल में यह क्या है , लेकिन हम यह ज़रूर बता सकते हैं, कि हौसला -ए- सेक्स क्या नहीं है।
हौसला-ए-सेक्स का मतलब, सेक्स की मशीन बन जाना, कतई नहीं है। इसका मतलब है, खुद को, या किसी और को दुःख पहुचाये बिना ,सेक्स के मामले में अपने आप को समझना और यह जानना के आपको क्या जंचता है। इसका इस बात से कोई ताल्लुक नहीं, कि आप कितना सेक्स कर रहे हो। इसका मतलब तो इस बात से है, कि सेक्स के दौरान आप कैसे फील करते हो, सेक्स कैसे करते हो ।
हौसला - ए सेक्स की कोई सीधी या बंधी हुई परिभाषा नहीं है ( सेक्स के मामलों में तो कुछ भी फिक्स्ड नहीं होता ) l हर किसी का अलग अलग मामला होता है जो कि अक्सर इस बात पे निर्भर करता है, कि हमारे हालात क्या हैं और हमारी ज़िन्दगी और हमारे दिमाग में चल क्या रहा है। ये केवल परसनल मामला नहीं है नहीं है। इसका सम्बन्ध उस उंच नीच से भी है, जिसमें समाज हमको बाँधने की कोशिश करता है l साथ साथ आपकी सामाजिक पहचान को लेके, आप कैसे दिख रहे हैं, उसको लेके, समाज के जितने भेद भाव हैं, वो भी इस कॉन्फिडेंस पे असर करते हैं।
और सारे तगड़े हौसले वाले एक जैसे नहीं होते है - हौसला -ए-सेक्स रखने वाले सारे 'डूड ' या 'दबंग' टाइप्स नहीं होते। वो कैसे भी हो सकते है। मज़ाकिया , अजीब, शायराना , प्यारे , चुप चाप, मिलनसार या बिलकुल साधारण से भी । इसलिए इस चीज़ का कोई साँचा या फार्मूला नहीं है । लेकिन कुछ तरीके हैं जिससे सेक्स को ले के, आपका हौसला एकदम उड़ान भर सकता है।
1 ) अपनी शेखी, अपनी ‘हिस्ट्री’ ,अपने पास रखो।
अपने सेक्स के किस्सों को बढ़ा - चढ़ा के बताना , सारे पोसिशन्स बताना , दूसरो को पिछड़ा हुआ या पुराने ज़माने का बोलना - यह सब कर के लोगो को लगता है, वो बड़े कॉंफिडेंट लगेंगे। लेकिन इस टाइप की मर्दानगी का फार्मूला काफी पुराना हो चुका है। ऐसी बकवास बातें कर के, तुम कोई हौसला वाले नहीं बनते। बनते हो तो बस, बकवास बातें करने वाले। इस स्टाइल को तो अभी लात मारो , फ़ौरन। यह एक ऐसा जाल है जहा शर्मिन्दिगी और शर्म के अलावा कुछ नहीं है।
2 ) जैसा पोर्न में दिखता है, वैसा नहीं होता
असल ज़िन्दगी का सेक्स पोर्न वाले सेक्स से अलग होता है। पोर्न देखने में तो मज़ा आता है , और हो सकता है सेक्स की थोड़ी बहुत जानकारी भी वहां से मिल जाए। लेकिन पोर्न के भरोसे तो मत ही बैठो। असल ज़िन्दगी में सेक्स कोई एडिटेड वीडियो थोड़ी न है। यह तो एक लगातार चलने वाली कहानी है। इसमें कई सिलसिले होते है , और उन सिलसिलों के बीच में होती है आपकी डकार, हंसी, और बहुत सारे गीले मज़े। इन बातों का ध्यान रखो और अपना दिमाग खुला रखो। झूठे पैमानों से सेक्स को मत नापो, वर्ना हमेशा कन्फ्यूज्ड और निराश रहोगे। निराश रहोगे, तो झूठा हौसला दिखाओगे। झूठा हौसला दिखाने का तो यही मतलब हुआ, कि हौसला है ही नहीं।
3) हमारा बदन सिर्फ अच्छा दिखने के लिए नहीं है।
हम सारा टाइम बस यही चिंता करते रहते हैं कि हमारा बदन कैसा दिखता है। हमारा बदन, पोर्न में दिखने वाले , या एड्स में दिखने वाले या फिर कई फ़िल्टर डाल के इंस्टाग्राम तस्वीर में दिखने वाले वाले बदन जैसा, नहीं लगता। अगर हम ये सोचने लगें कि बदन सुख देने और सुख लेने के लिए है, और यह, कि हर इंसान का तरीका और सोच अलग है… ऐसा सोचोगे, तो अपने बदन और दूसरों के बदन के बारे में हमारी सोच बदलने लगेगी।
4 ) खुद से दोस्ती करोगे ?
आपका पहला सेक्स तो खुद के साथ ही होता है और यह उम्र भर चलता है। इस रिश्ते को प्यार दो , और खुद को जानो। शर्म को पीछे छोड़ो और अपनी कल्पना को उड़ान भरने दो। हस्तमैथुन करना , अपने बदन को समझना , यह समझना कि किस चीज़ से दिक्कत है , किस चीज़ से नहीं, यह सारे सेक्स को ले के कॉन्फिडेंट होने के तरीके हैं और अपने आप के साथ और कॉंफिडेंट होने के तरीके ।
5 ) अनुभव तुम्हारा गुरु है
ऐसा मत सोचो कि तुम्हें बिना किसी अनुभव के, सब कुछ पहले ही पता चल जाएगा। अपनी उलझनों और गलतियों के साथ साथ हमारे अनुभव हमें अपने आप के बारे में भी सिखाते हैं। अपने अनुभवों के बारे में सोच विचार करो। चाहे वो फ़्लर्ट का हो या सेक्सटिंग का हो या रोमांटिक रिश्तों का हो, या सम्भोग का हो।
क्या कर के अच्छा लगा और क्यों। क्या कर के अच्छा नहीं लगा और क्यों नहीं। अपनी गलतियों से सीखो, हसीन पलों से सीखो । और हमेशा दिल और दिमाग खुला रखो: ज़रूरी नहीं जो चीज़ आज सही लगे वो कल भी लगेगी। ये एक सफर है, मज़े लो।
6) शरम को डालो कूड़े में।
हमें बचपन से ही सेक्स से जुड़ी सोच के लिए शर्मिंदा किया जाता है। अपने बदन को लेकर शर्मिंदगी, अपनी चाहतों पे भी। इस शर्मिंदगी वाली सोच को बाय बाय करो! पर सम्भल के, सेक्स की अंधाधुंध वाह वाही करके भी कभी- कभी लोग, औरों को नीचा दिखाते हैं । यूं दिखाते हैं, जैसे कि लाइफ़ एक सेक्स पिकनिक है। वो ऐसे बनते हैं, जैसे आपको सेक्स की हर जानकारी पहले से होनी ही चाहिये, यही नार्मल है….ऐसे ख़्यालों से आपको लग सकता है कि आप में कोई कमी है। और इससे फ़िर वही शर्मिंदगी जाग सकती है।
बिना प्यार सेक्स बेकार लगता है? तो इसमें खुद पे शर्मिंदा होने की कोई बात नहीं । ऐसे पार्टनर को ढूंढो जो आपकी तरह सोचता हो। या आपके लिए सेक्स ऐसा है, कि जी ललचाए रहा न जाये? नई चीज़ें ट्राय करने का मन करता है? तो शौक से करिये। उसके साथ जिसे इसमें मज़ा आता हो। अलैंगिक फ़ील करते हैं? उसमें भी कुछ गलत नहीं। बस अपने दिल की सुनो। वो करो - या न करो- जो आपको रास आये l
7) जानकारी है तो जहान है।
पढ़ी-पढ़ाई ही सही, सेक्स के बारे में जानकारी मदद करती है। ये जानकारी सेक्शुअल हेल्थ मामलों से जुड़ी हो सकती है: आपके शरीर से, या सेफ़ सेक्स से , यौन संचारित रोगों से, या फ़िर इस जानकारी से, कि किस हालात में प्रेग्नेंसी हो सकती है l । सही जानकारी, सही सेक्स की एक बढ़िया शुरुआत हो सकती है। आप अपनी सेक्शुअल सफ़र की शुरुआत में नर्वस हो सकते हैं। पर इस बात की तस्सली होगी, कि आप बिना जानकारी के किसी की भी बातों में नहीं आने वाले।
सेक्शुअल आनंद के भी कई तरीकों को जानना फ़ायदेमंद होता है। फ़िर तो बस यह जानना है कि किस को क्या भाता है। ज़िंदगी का नाम ही है सीखते रहना | इसलिए जरूरी नहीं है, कि आपको सब चीज़ की जानकारी हो। दूसरों के अनुभव से सीखें, ना कि उन्हें अपना दुश्मन समझें। चाहे वो आपके सेक्शुअल पार्टनर्स हों या ऐसे दोस्त, जिससे आप सेक्स के बारे में बात करते हों।
8) थोड़ी मस्ती तो ज़रूरी है, मस्ती भी हो और मर्ज़ी भी
मज़ा करना सेक्सी हौसले को बनाये रखने का एक बड़ा हिस्सा होता है - सेक्स कोई स्पोर्ट्स डे की रेस नहीं, जिसमें आपको मैडल जीतने पे ध्यान देना है। बल्कि सेक्स का असली मज़ा, आपसपने की हर घड़ी के मज़े लेने से है। इस तरह, आप धीरे धीरे, आगे बढ़ते हैं, और इन नज़दीकियों का लुत्फ़ ले पाते हैं । आनंद पर ध्यान देने से, आपका हौसला- ए- सेक्स बढ़ता है। और सबसे ज़रूरी बात, ऐसा करने से, आपको हर कदम पे मर्ज़ी को समझने और ज़ाहिर करने में मदद मिलती है lये आप कभी बोल/सुन के करते हैं तो कभी, इशारों की भाषा को समझ के, और इशारों से समझा के l आपसी मर्ज़ी से मज़े के बारे में आप जितना समझेंगे, उसे जितना अपनाएंगे, उतना ही आपका आपसी विश्वास और हौसला बढ़ेगा।
9) बस अपनी ही परवाह करना, ये कोई कॉन्फिडेंस की पहचान नहीं है
‘पहले मैं’, यानी खुद की ज़रूरतों को सबसे आगे रखना - इसके बारे में बड़ी सारी ऑनलाइन बातें मौजूद हैं। अपने पार्टनर की ज़रूरतों का ख़्याल ना रख कर, खुद पर फ़ोकस करने को हौसला- ए -सेक्स नहीं कहते हैं। ध्यान रहे, सेक्स एक आपसी मामला है। आपके पार्टनर्स और आपको कहीं पे आ के मिलना है । ये नज़दीकियां तब बनती हैं, जब आप दिल खोल के, आपस में, अपने दिल की बात कह सकें। और बिना इनसिक्योरिटी के, दूसरे की बात भी सुन सकें l
और ध्यान रहे, मस्त सेक्स केवल खुद को किसी भी तरह की हानि से बचाना या सिर्फ़ अपना आनंद ले के अलग होना, नहीं होता है। सेक्स तो आपसी मज़े की बात है। थोड़ा प्यार दो, थोड़ा प्यार लो। तारीफ़ करने के मज़े लो, अपनी कामुकता ज़ाहिर करना सीखो, पार्टनर को भी एन्जॉय करना सीखो और अपने आप को भी।
10) पुरानी पर पक्की सोच
सच्चाई - खुद से ज़रूरी होती है, और जितना हो सके, दूसरों से भी ( इस बात का ध्यान रखते हुए कि ऐसा करना आप के लिए सेफ है) l
इज़्ज़त - इज़्ज़त पाने की चाह होना। इज़्ज़त पाने लायक काम करना l दूसरों को इज़्ज़त देना, उनकी प्राइवेसी को, उनकी पसंद को, उनकी शख़्सियत को।
नेकदिल, कोमल होना - सब के सब कहीं ना कहीं कमज़ोर होते हैं या असहाय फील करते हैं, आप अकेले नाज़ुक नहीं हैं।
तमीज़ - तमीज़ से पेश आएं और दूसरे से भी तमीज की उम्मीद रखें l तमीज़ से पेश आना आपके लिए भी अच्छा बर्ताव पाने के दरवाज़े खोलता है। प्लीज़ बोलना, थैंक यू बोलना, इजाज़त माँगना, डेट के बाद मेसेज करना, बिना बताए गायब होने के बजाय, साफ़ साफ़ बताना कि आपके दिल में कोई रोमांटिक फ़ीलिंग नहीं है - ये सब बताते हैं कि आप कॉंफिडेंट हैं। तमीज़दार रहो और तमीज़ की ही उम्मीद करो, या मांग करो ।
सबसे इम्पोर्टेन्ट - याद रखो कि सेक्स कोई कॉम्पिटिशन नहीं है। बराबरी सोच में होती है l ये कोई परीक्षा नहीं जिसमें सबको अव्वल आना है। सबका हौसला ए सेक्स अलग होता है। इसलिए अगर आपका, सामने वाले से थोड़ा कम है, निराश ना हों ।अपने सेक्सी हौसले को एन्जॉय करो। उसे अपनाकर, नई नई चीज़े ट्राई करो। और अगर आप में दुनियाभर का हौसला है, तो इसका मतलब ये नहीं कि आप कम हौसले वाले का मज़ाक उड़ाएं। उनसे प्यार से बात करो। अपना हौसला उनसे बांटों। और साथ में मज़े करो।
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