Agents of Ishq Loading...

‘केवल टैम्पोन ही नहीं, मेडिकल जाँच में इस्तेमाल होने वाला रुई का फ़ाहा भी मेरी योनि में डालने पर, मैं रो देती हूँ’

एक सुबह मैं सोकर उठी, तो मुझे योनि की बाहरी चमड़ी यानी वल्वा में दर्द हुआ। ऐसे में, मैं ही नहीं, डॉक्टर्स भी न जानते थे कि क्या करें।

अपनी बात शुरू करने से पहले मैं आपको बताना चाहूँगी कि मैं फ़्रांस में पैदा हुई और वहीं पली-बढ़ी, लेकिन मैं मूल रूप से भारतीय हूँ। मेरा नाम इश्ता है और ये मेरी कहानी है। 

इसकी शुरुआत 2016 में हुई। उस समय मैं 23 साल की थी और अपने परिवार का बिज़नेस कर रही थी। एक सुबह सोकर उठने पर मुझे योनि की ऊपरी चमड़ी के आसपास और योनि के भीतर तेज़ दर्द महसूस हुआ। वैसे तो दर्द का एहसास ज़्यादा देर तक नहीं रहा, लेकिन वक़्त के साथ यह और भी बदतर होता चला गया। जब मैं जागी तो मुझे ऐसा लगा मानो मेरे प्राइवेट पार्ट्स में आग लगी हो। दर्द शुरू होने के कुछ हफ़्तों बाद, मैं अपनी स्त्री-रोग विशेषज्ञ के पास गई। 

उस समय मैंने भेदक सेक्स नहीं किया था (और उस लिहाज़ से मैं अब भी वर्जिन ही कहलाऊँगी) और सेक्स का मेरा इकलौता अनुभव एक पार्टी के खेल के दौरान एक प्यारे से लड़के के साथ होंठों पर एक मासूम सा चुम्बन था। वैसे तो मैं एक्स्ट्रोवर्ट हूँ, लेकिन मैं बहुत शर्मीली भी हूँ। इश्कबाज़ी या किसी के साथ अंतरंग होने जैसा कुछ सोचकर मैं बहुत डर जाती हूँ। 

स्त्री-रोग विशेषज्ञ ने मेरे साथ काफ़ी रूखा बर्ताव किया। मैंने उन्हें स्पेकुलम (मेडिकल जाँच के लिए इस्तेमाल होनेवाला एक औज़ार) अंदर डालने से मना कर दिया, क्योंकि मैं बहुत दर्द में थी। इस वजह से वह कई बार मुझ पर चिल्लाईं। 

18 साल से ऊपर के किसी इन्सान के लिए अपनी स्त्री-रोग विशेषज्ञ के पास खुद जाना कोई बड़ी बात नहीं होती, इसलिए मैं उनके पास अकेली ही गई थी। 

जब मैंने उन्हें बताया कि मैंने भेदक सेक्स नहीं किया है और उस लिहाज़ से मैं कुँवारी हूँ, तो उन्होंने मुझ पर यक़ीन नहीं किया। वो चाहती थीं कि मैं क्लैमाइडिया जैसी यौन संपर्क से फ़ैलने वाली बीमारियों (एस.टी.डी.) की जाँच कराऊँ। ख़ैर, जाँच के लिए मैं लैब में पहुँची। वहाँ मौजूद नर्स काफ़ी रहमदिल थी, उसने स्पेकुलम का इस्तेमाल नहीं किया। उसने बस स्वैब (स्टिक पर लगे हुए रुई के फ़ाहे) को मेरी योनि के भीतर रगड़ा। 

लेकिन मेरी योनि के भीतर की चमड़ी के लिए, रुई के फ़ाहे के छूने भर का एहसास, इतना दर्द भरा था, कि मैं रो पड़ी। 

नर्स पशोपेश में तो थी, लेकिन पूरे मामले को समझ रही थी। उसने मुझे बताया कि मेरे जननांग लाल थे, जो काफ़ी असामान्य बात थी।  

जाँच के नतीजे आने पर, मुझे पता चला कि मुझे फंगल इंफेक्शन था। मेरी स्त्री-रोग विशेषज्ञ ने योनि में डालने के लिए मुझे कुछ गोलियाँ लिखीं। उन्हें डालने के बाद मैं बेड पर दर्द से तड़पती रहती और कम से कम आधे घंटे तक एकदम पस्त हो जाती। 

हर दो हफ़्ते में योनि में डाली जानेवाली गोलियाँ और एंटीबायोटिक्स मुझे लिख दी जाती थीं। अगले छह महीनों तक लगातार फंगस को रोकनेवाली और एंटीबॉयोटिक्स दवाएँ मुझे दी गईं, जबकि मुझे किसी भी तरह के इन्फेक्शन के कोई लक्षण नहीं थे । 

मैं छुट्टियों पर भारत आई थी। यहाँ की स्त्री-रोग विशेषज्ञ ने यह मान लिया कि मेरी शादी नहीं हुई है, इसलिए मैंने भेदक सेक्स तो किया नहीं होगा और उन्होंने मेरी जाँच करने की कोई कोशिश तक नहीं की। (ईमानदारी से कहूँ तो मुझे इस पर हँसी भी आई और यह मुझे बचकाना भी लगा, ये बात और है कि मैं सच में कुँवारी थी)।  

पेरिस वापस लौटने पर मुझे पता चला कि मुझे खून की गम्भीर कमी है। मेरे बाल बहुत ज़्यादा झड़ रहे थे और मुझे चौबीसों घण्टे थकान महसूस होती थी। फिर मैंने खून की जाँच कराई। मैंने कुछ और जाँचें भी करवाईं और मुझे एंडोमेट्रिओसिस निकला। मुझे ऐसी स्त्री-रोग विशेषज्ञों की सूची दी गई, जिन्हें एंडोमेट्रिओसिस के इलाज में महारत हासिल थी। एंडोमेट्रिओसिस एक ऐसी बीमारी होती है, जिसमें गर्भाशय की भीतरी परत पर और इसके बाहर टिशू बढ़ने लगते हैं। दर्दनाक पीरियड्स और पीरियड्स में खून का बहुत ज़्यादा बहना इसके लक्षण होते हैं। मैं एंडोमेट्रिओसिस में विशेषज्ञता प्राप्त कुछ स्त्री-रोग विशेषज्ञों से मिलने गई। होता यह था कि मैं जब उनसे पहली बार मिलती, तो वो मेरी कोई जाँच नहीं करतीं और अगली मुलाकात में जाँच करने की बात कहतीं। मैं इतनी डरी हुई थी और इतना ज़्यादा सदमे में थी कि मैं अगली मुलाकात से पहले डॉक्टर ही बदल देती। तब तक मुझे इतना तो समझ आ गया था कि मेरे दर्द का एंडोमेट्रिओसिस से कोई लेना-देना नहीं था। मैं जान गई थी कि अगर एंडोमेट्रिओसिस हो और योनि के आसपास ऊतक बढ़ गए हों, तो लिंग के योनि में जाने पर दर्द हो सकता है। जबकि मेरे मामले में मुझे योनि के भीतर नहीं, बल्कि इसके बाहरी हिस्सों के आसपास दर्द हो रहा था। मैं बताना चाहूँगी कि कुछ मामलों में एंडोमेट्रिओसिस की वजह से होनेवाली सूजन की वजह से भी योनि के बाहरी हिस्सों पर लगातार दर्द हो सकता है।  

2017 में, मैं एंडोमेट्रिओसिस में विशेषज्ञता प्राप्त एक और स्त्री-रोग विशेषज्ञ से मिलने गई। जब मैंने उन्हें योनि से जुड़ी बाहरी चमड़ी/ वल्वा के आसपास लगातार और लंबे समय से दर्द होने की बात बताई, तो उन्होंने थोड़ी बेरहमी से मुझसे पूछा कि बचपन में किसी ने मेरा यौन शोषण या मेरे साथ बलात्कार तो नहीं किया था। 

मैं रोने लगी और मैंने उन्हें बताया कि जब मैं 12 साल की थी, तो करीब चालीस साल के एक आदमी ने मेरा यौन शोषण किया था। काफी साल बीतने पर ही मैं किसी और को इसके बारे में बताने की स्थिति में पहुँच पाई थी। 

सच कहूँ तो कई सालों तक यह बात मेरे ध्यान से उतर गई। जब #मी टू मूवमेंट शुरू हुआ तब जाकर मुझे इसका ध्यान आया। 

फिर उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या मैंने “वुल्वोडिनिया” का नाम सुना है। इसलिए, उनसे मिलने से कुछ महीनों पहले मैंने गूगल पर इसे खोजा, लेकिन इंटरनेट पर इसके बारे में बहुत थोड़ी ही जानकारी मौजूद थी। उन्होंने मुझसे किसी थेरेपिस्ट/मानसिक सलाहकार  से मिलने और दर्द से छुटकारा पाने के लिए अपने सदमे पर काम करने को कहा।

उस रात, मैं एक दोस्त के साथ ड्रिंक कर रही थी। जब मैं पेशाब करने के लिए गई, तेज़ दर्द की वजह से कुछ मिनटों तक मैं हिल भी न सकी। तब मुझे लगा कि मेरे दर्द का मेरे सदमे से ज़रूर कोई रिश्ता था। लेकिन, मुझे यह भी लगा कि शायद यह सब मनगढ़ंत है और मैं सोचने लगी कि मेरा दर्द केवल मानसिक है, न कि शारीरिक। मुझे इसका अन्दाज़ा नहीं था कि कुछ महीनों बाद मैं एक ऐसी डॉक्टर से मिलूँगी, जो मेरी ज़िन्दगी को हमेशा के लिए बदल देगी।   

फिलहाल, मैं अपने दोस्त की गर्लफ्रेंड से बात कर रही थी, उसे भी एंडोमेट्रिओसिस था। उसने मुझे बताया कि पीरियड के दर्द के लिए वह एक अल्गोलॉजिस्ट/algologist  के पास जाती है। अल्गोलॉजिस्ट ऐसे डॉक्टर होते हैं, जो दर्द में विशेषज्ञ होते हैं। मुझे कोई उम्मीद नहीं थी कि अल्गोलॉजिस्ट के पास जाने से मुझे अपनी तकलीफ़ से आराम मिलेगा, लेकिन मेरी माँ ने ऐसे डॉक्टर से मिलने के लिए मुझ पर ज़ोर डाला। मैंने अल्गोलॉजिस्ट को लगभग रोते हुए अपने लक्षणों और अपने दर्द के बारे में बताया। उन्होंने बहुत सब्र और रहम के साथ मेरी बात सुनी और मुझे बताया कि मैं पागल नहीं थी।

मुझे ‘वुल्वोडिनिया’ ही निकला, यानी वल्वा में लम्बे समय से दर्द। उन्होंने मुझे बताया कि मेरा सदमा इसकी एक वजह है, लेकिन ‘वुल्वोडिनिया’ होने की कई और वजहें भी होती हैं। इसका इलाज आमतौर पर दो तरह से किया जाता है: मिर्गी की दवाओं से और डिप्रेशन की दवाओं से।

  वैसे तो वुल्वोडिनिया का डिप्रेशन या मिर्गी से कोई लेना-नहीं नहीं होता, लेकिन यह एक तरह का न्यूरोपैथिक/ तंत्रिकाओं में होनेवाला दर्द होता है, और इस तरह के दर्द में मिर्गी और डिप्रेशन की कुछ दवाएँ बहुत कारगर साबित होती हैं। मेरा दर्द मेरे मन का वहम है मेरे बार-बार ऐसा कहने की वजह से अल्गोलॉजिस्ट ने मुझे मिर्गी की दवाएँ दीं। उन्हें डर था कि डिप्रेशन की दवाएँ दिए जाने पर मेरा यह यक़ीन और भी पुख़्ता हो जाएगा कि मेरा दर्द मनगढ़ंत था।

यह जानकर मुझे बहुत तसल्ली मिली कि मैं जो महसूस कर रही थी, वो मेरे मन का वहम नहीं था। मेरे दर्द के पीछे एक वजह थी। इस दवा को लेना शुरू करते ही मेरा दर्द कम हो गया। दो सालों के भीतर ही मुझे दर्द से पूरी तरह छुटकारा मिल गया!

  वुल्वोडिनिया अक्सर पेरिनेम के सिकुड़ने से जुड़ा होता है। इसी वजह से मेरी अल्गोलॉजिस्ट ने मुझे पेल्विक हिस्से में दर्द की विशेषज्ञ एक फ़िजियोथेरेपिस्ट के पास पेरिनेम के व्यायाम के लिए भेजा। पेरिनेम जननांगों और गुदा के बीच की जगह को कहते हैं। मैं जिस पहली फ़िजियोथेरेपिस्ट से मिली थी, उसने हमारे पहले सेशन में ही मुझसे मेरे कपड़े उतारने को कहा। फिर उसने अपनी उँगली मेरी योनि में डालने की कोशिश की, लेकिन वह ऐसा कर नहीं पी थी। फिर उसने मुझे बताया कि मुझे वजायनिस्मस भी था। यह सुनकर मैंने हैरत से कहा, ‘यह क्या बला है?

वजायनिस्मस का मतलब है यौन सम्पर्क या दबाव की वजह से योनि में ऐंठन और सिकुड़न। ऐसा भेदक सेक्स के दौरान ख़ासकर होता है। साफ़-साफ़ कहूँ तो इससे योनि में कुछ भी अन्दर डालना मुश्किल हो जाता है, यहाँ तक कि उँगली, खिलौना या साधारण सा टेम्पोन भी। योनि में इस तरह की एंठनवाली सिकुड़न का नतीजा यह होता है कि सिकुड़ने की वजह से योनि कड़ी हो जाता है, ऐसे में लिंग का योनि में जाना कुछ हद तक या पूरी तरह से नामुमकिन हो जाता है।

जैसा कि आप समझ ही सकते हैं, इस एकदम नए मर्ज़ का नाम सुनकर मेरा मूड और भी ज़्यादा खराब हो गया। मैं सोचने लगी, ‘यह सब कब ख़त्म होगा? दर्द से राहत मिलने पर मुझे ऐसा लगने लगा था कि मैं ठीक हो रही हूँ, लेकिन इस नए मर्ज़ के पता चलने से मुझे ऐसा महसूस हुआ कि मैं काफी पीछे पहुँच गई हूँ। मेरा दर्द स्ट्रेस के मेरे स्तर के मुताबिक़ बदलता रहता था। कभी-कभी तो मैं ऑफ़िस में पूरे दिन काम कर पाती थी और कभी काम करते वक़्त मुझे घर पर बिस्तर पर लेटना पड़ता था। 

मेरी पहली फ़िजियोथेरेपिस्ट ने  पहले सेशन में ही मुझसे मेरे कपड़े उतारने को कहा था। यही नहीं उसने मुझे पहले से बताए बिना ही अपनी उँगली मेरी योनि के अंदर डाल दी थी, इसलिए मैंने किसी दूसरी फ़िजियोथेरेपिस्ट के पास जाने का फ़ैसला लिया। मैंने दूसरी फ़िजियोथेरेपिस्ट के साथ इस पर काम करना शुरू किया। वह बहुत अच्छी थी और मेरी मर्ज़ी और मंजूरी का ख़ास ख़याल रखती थी, लेकिन अफ़सोस कि उसे अपना काम बिल्कुल नहीं आता था। वह अपनी उँगली मेरी योनि में डालकर हर तरफ दबाने लगती थी। इससे मुझे सेशन के बाद इतना ज़्यादा दर्द होता कि हरेक सेशन से पहले मुझे बहुत स्ट्रॉंग पेन किलर लेना पड़ता था। यही नहीं, दर्द की वजह से मेरा पेरिनियम— योनि और गुदा के बीच की महीन चमड़ी —और भी ज़्यादा  सिकुड़ गया और मुझे पेशाब करने में तकलीफ़ होने लगी। यानी हम जो करना चाहते थे, यह उसका ठीक उल्टा था। कभी-कभी मैं 20 घण्टों तक पेशाब ही नहीं कर पाती थी।

कोविड की शुरुआत में मैंने अपनी नौकरी छोड़ दी क्योंकि मुझे उससे खुशी नहीं मिल रही थी। इससे मुझे दिन भर ऑफिस में बैठने से छुट्टी मिल गई और मेरा इलाज चल ही रहा था। नतीज़न मैं और तेज़ी से ठीक होने लगी। मैंने फ़िजियोथेरेपी बंद करने का फैसला किया।

मैंने 2019 में, फ़्रेंच में, और 2021 में, इंग्लिश में अपना ख़ुद का इंस्टाग्राम पेज बनाया, जहाँ मैं इन सभी गायनेकोलॉजिकल समस्याओं के बारे में बात करती हूँ।

पिछले साल फ़रवरी के आसपास मैंने अपने फ़ॉलोवर्स से मदद माँगी। मैं वजायनिस्मस से जूझ ही रही थी और मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। एक फ़िजियोथेरेपिस्ट ने मेरी इंस्टा स्टोरी पर प्रतिक्रिया दी और मुझसे कहा कि उन्हें मेरी मदद करने में खुशी होगी। उन्हें पेल्विक हिस्से के दर्द में विशेषज्ञता हासिल थी और वो पेरिस में रहती थीं। मैंने खुशी-खुशी उनकी इस पेशकश को मान लिया और ये तो चमत्कार ही हो गया कि उन्होंने मुझे ज़रा भी हताश नहीं किया। वो और उनके साथ काम करने वाली एक और फ़िजियोथेरेपिस्ट एक ही जगह पर काम करती हैं। वे दोनों पेल्विक हिस्से में दर्द के इलाज में माहिर हैं।

 उनमें बहुत हमदर्दी है। उन्हें इस क्षेत्र में काफ़ी अनुभव है, इसलिए वे हमेशा आपसे बात करने के लिए, आपकी कहानी, आपके सदमे और आप पर जो बीती है उसे सुनने के लिए वक़्त निकालती हैं। इसके साथ ही वुल्वोडिनिया और वजायनिस्मस के इलाज के लिए उनके पास आधुनिक मशीनें भी हैं। अफ़सोस की बात ये है कि वे मशीनें काफ़ी महँगी हैं और जितना मुझे याद है, फ़्रांस में केवल तीन हैल्थ प्रोफेशनल्स के पास ही वे मशीनें थीं।

पहली एक ख़ास प्रकाश का इस्तेमाल करके इलाज करनेवाली मशीन है, जिसमें एल ई डी/LED ट्यूबस हैं। इन ट्यूबस को ऊतकों की मरम्मत के लिए योनि में डाला जाता है। और दूसरी शॉकवेव मशीन है, जो माँसपेशियों को रिलैक्स करने में मदद करती है। हमने साँस लेने की एक्सर्साइज़ से शुरुआत की। मेरी फ़िजियोथेरेपिस्ट मेरे दर्द का ख़याल रखते हुए अपनी उँगली मेरी योनि में डालती और दबाव डालती। जैसे-जैसे मेरी योनि और चौड़ी होती गई, धीरे-धीरे उन्होंने ल्यूमिनोथेरेपी की मशीन का इस्तेमाल शुरू कर दिया। कभी-कभार हम योनि के डायलेटर का इस्तेमाल भी करते थे।

डायलेटर ट्यूब के आकार का होता है और अलग-अलग साइज़ में आता है। यह योनि को चौड़ा करने या उसके लचीलेपन को बढ़ाने में मदद करता है। वजायनिस्मस से छुटकारा पाने में भी यह बहुत कारगर साबित होता है।

मुझे फ़िजियोथेरेपी कराते हुए एक साल हो गया है, और जानते हैं क्या…अब मुझे वजायनिस्मस नहीं है। हालाँकि डायलेटर या प्रकाश का इस्तेमाल करके इलाज करनेवाली उस मशीन की कोई ट्यूब मेरी योनि में डाले जाने पर अभी भी मुझे दर्द महसूस होता है।

मेरी दोनों फ़िजियोथेरेपिस्ट का कहना है कि अभी भी लिंग को अन्दर लेने के लिए मैं तैयार नहीं हूँ। लेकिन जब कभी मुझे ऐसा कोई इंसान मिल जाएगा जिससे मुझे और जिसको मुझसे प्यार होगा, तो मैं भी दूसरे लोगों की तरह लिंग को अन्दर ले सकूँगी। उन्होंने मुझे अपने कुछ मरीज़ों की प्यारी-प्यारी कहानियों के बारे में भी बताया। जैसे कि एक लड़की तब तक भेदक सेक्स नहीं कर सकी, जब तक कि उसके प्रेमी ने उससे अपने प्यार का इज़हार नहीं किया।

मैं बताना चाहूँगी कि आपको ऐसा कोई मर्ज़ होने पर भी साथी मिल सकता है। बहुत से लोग आप जैसे हैं आपको वैसे ही प्यार करेंगे और अपनाएँगे। मुझे पीटीएसडी (पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसॉर्डर या सदमे के बाद का तनाव) भी था और ये सभी गायनेकोलॉजिकल समस्याएँ भी थीं, इसलिए मेरे मनोचिकित्सक ने ईएमडीआर (आई मूवमेंट डिसेन्सीटाइज़ेशन एण्ड रीप्रोसेसिंग- एक किस्म की मानसिक चिकित्सा जो आँखों को खास तरीके से घुमाने से, पुराने सदमे के आपको उबारती है) नाम की ख़ास थेरेपी के लिए मुझे दूसरे मनोचिकित्सक के पास भेज दिया। यह थेरेपी ख़ासतौर पर पीटीएसडी के लिए थी। इस थेरेपी के तहत डॉक्टर ने मुझसे किसी सदमे के बारे में सोचने के लिए कहा। फिर उन्होंने अपनी उँगली को दाएँ और बाएँ घुमाया और मुझे उँगली को देखना होता था। हमने लगभग 7 सेशन्स किए और ये सचमुच बहुत सही साबित हुए। आख़िरकार 28 साल की उम्र में मैंने औरतों और आदमियों के साथ डेट्स पर जाना शुरू किया।

मैं फिर से बताना चाहूँगी कि मैंने अपनी अब तक की 28 साल की ज़िन्दगी में एक ही लड़के को किस किया था! ताज्जुब की बात है कि ईएमडीआर के बाद, मैंने पाया कि मैं कम से कम एक बार किसी महिला के साथ इश्कबाज़ी करना चाहती थी। इससे पहले मैं हमेशा यही सोचती थी कि मैं केवल पुरुषों की तरफ आकर्षित होती हूँ, मेगन फ़ॉक्स को छोड़कर (लेकिन उसकी ओर तो हर कोई ही आकर्षित होता है, है कि नहीं?)। इत्तेफाक़ से, ऐसा सोचने के कुछ हफ़्तों बाद ही एक औरत के साथ मेरा पहला पहला यौन सम्बन्ध जैसा कुछ हुआ। मैं उससे एक पार्टी में मिली थी और उस पर पूरी तरह फ़िदा हो गई थी। इससे मुझे एहसास हुआ कि मैं औरतों और मर्दों दोनों की तरफ़ आकर्षित होती थी। वैसे तो मर्द ही मेरी पहली पसंद हैं शायद, फिर भी मैं ख़ुद को क्वीयर मानती हूँ।

28 से लेकर 31 साल तक, मैं कोई सीरियस रिश्ता नहीं ढूँढ रही थी। इस दौरान मैं कई डेट्स पर गई और मैंने कई बार यौन सम्बन्ध बनाए। जिन भी लोगों के साथ मैं डेट पर गई, उन्हें मैंने हमेशा अपने मर्ज़ के बारे में ईमानदारी (शायद कुछ ज़्यादा ही) से बता दिया। अधिकतर मामलों में उन्हें इससे कोई समस्या नहीं थी। कभी-कभार लोगों ने मुझे ब्लॉक किया और कुछ लोगों को लगा कि मैं अपने मर्ज़ के बारे में झूठ बोल रही थी। लेकिन, कुल मिलाकर मुझे बहुत खुले विचारों वाले और परवाह करनेवाले लोग मिले। अब आप सोच रहे होंगे कि अगर आपको ये मर्ज़ हो तो सेक्स कैसे किया जाए? 

सबसे पहले, मैं बताना चाहूँगी कि केवल योनि में लिंग के जाने को ही सेक्स नहीं माना जाना चाहिए। ओरल सेक्स भी सेक्स है। जो महिलाएँ दूसरी महिलाओं के साथ सेक्स करती हैं वे लिंग को योनि में नहीं डालतीं, फिर भी यह सेक्स ही होता है। 28 साल से लेकर 29 साल की उम्र तक मैं ओरल सेक्स ही करती रही। आज भी, उँगली डालने से मुझे दर्द होता है, इसलिए मैं किसी को मेरे साथ यह नहीं करने देती। फिर 2022 में, मैंने एक दोस्त से मिलना-जुलना शुरू कियाI डेढ़ साल तक वो मेरा फ़्रेंड़्स विद बेनिफ़िट्स रहा, यानी दोस्ती संग सेक्स। मैंने उसके साथ गुदा मैथुन किया और मुझे यह सचमुच बहुत पसन्द आया। लेकिन महज़ योनि में लिंग के न जाने की वजह से आप ऐसा करने के लिए मजबूर नहीं होने चाहिए। 2023 तक भी मैं एप्स पर मिले दूसरे लोगों के साथ ओरल सेक्स और अपने दोस्ती संग सेक्स वाले दोस्त के साथ गुदा सेक्स ही करती रही। 2023 के ख़त्म होते-होते, मैं अपने पार्टनर के अलावा दूसरे लोगों के साथ भी गुदा सेक्स करने लगी। 2023 के आख़िर में मुझे एहसास हुआ कि मैं एक सीरियस रिश्ता चाहती हूँ। मैं चाहती हूँ कि कोई मुझे और मैं किसी को प्यार करूँ। मैं ज़िन्दगी में कम से कम एक बार इस एहसास को महसूस करना चाहती हूँ और फ़िलहाल के लिए यही मेरा मूड है।

बहरहाल, जब तक मुझे ऐसा कोई इन्सान नहीं मिलता, जिसके साथ मैं सहज महसूस करूँ, मैं तीन हफ़्तों में एक बार फ़िजियोथेरेपी के सेशन्स लेती रहूँगी! उम्मीद है किस्मत मुझे किसी न किसी से मिलाएगी।  

इश्ता फ़्रांस में पैदा हुईं और वहीं पली-बढ़ीं, लेकिन वे मूल रूप से भारतीय हैं। फ़िलहाल वे अपना ख़ुद का ज्वेलरी का बिजनेस शुरू करने पर काम कर रही हैं। वे @pelvicpain.in और @douleursfeminines (फ्रेंच वर्जन) पर अपने बारे में बात करती हैं।

Score: 0/
Follow us: