एक रात ऐसी आए
बिस्तर के छोर सिमट जाएं
एक तरफ मेरी छड़ी पड़ी हो
दूसरी तरफ तुम्हारा व्हीलचेयर
उसके इर्द गिर्द हमारे कपड़े
एक रात ऐसी आए
मेरे बदन को पता हो तुम्हारे बदन का स्वाद
पसीने की बूंद समेटते हुए मेरे जीभ रुके नहीं
तुम लेटे रहो अपनी आंखे मींचे
एक रात ऐसी आए
जब हम एक दूसरे में समा जाएं
काल्पनिक नज़रों से बहुत दूर फैलते जाएं
एक बंद कमरे में
एक मीठी रोमानी खुशबू बनकर