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कार्ड पर यह लिखा है:
आदमी लोग क्यूँ कोमल होके अपने पार्ट्नर के साथ सेक्स के बारे में दिल के सच नहीं कहते हैं?
( आखिरी बार कब था कि आपसे किसी ने पूछा कि आपको क्या पसंद है ?
क्या यह उस पुराने जमाने की बात है जब नोकिआ फ़ोन के पीछे लोग पागल थे ?)
Misters.in के सुहास मिश्रा का कहना है की इसका संबध मर्दों के बारे में फिल्मी और घिसी पिटी सोच से है।
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कार्ड पर यह लिखा है:
सुहास मिश्रा , Misters.in:
"मर्द सेक्स के बारे में अपने पार्टनर से इसलिए बात नहीं करते क्यूंकि उनका व्यवहार बस रूढ़वादी सोच पे टिका होता है, जिसपे वो खुद सवाल ही नहीं उठाते ।"
उनको लगता है उनको दबंग बॉलीवुड-हॉलीवुड टाइप के हीरो की बराबरी करने की ज़रुरत है।
एकदम घिसी पिटी सोच जैसे
“मर्द हमेशा सेक्स करना चाहते हैं”
“मर्द हमेशा सेक्स के लिये तैयार बैठे रहते हैं”
लेकिन 2021 में हुए Misters.in के #LoveSexAndData कांफ्रेंस में एक दिलचस्प छुपी हुई सच्चाई सामने आयी।
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कार्ड पर यह लिखा है:
घिसी पिटी सोच 1 : हर मर्द को हर वक़्त सेक्स चाहिए होता है।
Misters.in के सर्वे में क्या पता चला : बहुत सारे मर्द समय समय पे सेक्स कर के भी खुश थे
असल में 7 % मर्द सेक्स करना ही नहीं चाहते थे।
घिसी पिटी सोच 2: मर्द दिन में किसी भी वक़्त सेक्स करने को तैयार है।
Misters.in के सर्वे में क्या पता चला : 20 से 30 की उम्र वालों में 20 % मर्दों और 30 -40 की उम्र वालों में से 30 % मर्दों ने बताया कि जब उनको ज़रुरत होती है, तो उनका लिंग ही खड़ा नहीं हो पाता।
असल में 72 % मर्दों ने यह बताया कि उनको अपने लिंग को ले के आत्मविश्वास ही नहीं है।
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कार्ड पर यह लिखा है:
घिसी पिटी सोच 3 : असली मर्द हमेशा औरत को संतुष्ट कर देता है।
Misters.in के सर्वे में क्या पता चला : 62 % मर्दों ने यह कहा कि उनको इस बारे में मदद की ज़रुरत है।
जबकि, केवल 8 % ही कभी सेक्स के बारे में अपने पार्टनर से बात करते हैं।
आयें ? जब अपने पार्टनर से बात ही नहीं करते, तो तुम्हें पता कैसे चलता है कि उनको क्या पसंद है ? हम आपके हैं... पोर्न
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कार्ड पर यह लिखा है:
मर्द पोर्न से जा के सीखते हैं कि पार्टनर को संतुष्ट कैसे करा जाए
लेकिन आम तौर पे पोर्न में आनंद के बारे में कुछ नहीं सिखाया जाता।
यहाँ बस दबाना सिखाया जाता है।
यहाँ यह सिखाया जाता है कि बस तुम्हें यह दिखाना है कि तुम बिस्तर पे बहुत बढ़िया हो ( अब जो भी इसका मतलब होता है )
यानि लक्ष्य पार्टनर की संतुष्टि से हट के, उनको दबाने और अपनी मर्दानगी जताने की ओर चला जाता है।
कार्ड पर यह लिखा है:
लेकिन बिस्तर पे बढ़िया कैसे हो , इस बात को सीखने में बुराई ही क्या है ?
सेक्स कोई फुटबॉल मैच थोड़े न है , रोनाल्डो ?
इसमें स्कोर नहीं करना होता , इसको बस खेलना होता है।
इसमें मस्ती करनी होती है , और मस्ती का मतलब है ज़रूरी नहीं कि हर चीज़ सही हो।
इसका मतल होता है, आपको यह पता हो कि आपके पार्टनर को कैसे सेक्स का खेल खेलना पसंद है।
लेकिन जब हम सेक्स में 'मर्दानगी' दिखाने लगते हैं तो
फिर इस बात की परवाह नहीं रह जाती कि पार्टनर को खेल में मज़ा आ भी रहा है ( या हमें खुद भी )
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कार्ड पर यह लिखा है:
तो फिर सेक्स को मज़ेदार कैसे बनाया जाए ?
घिसीपिटी सोच से दूर हटके, सच में बात करनी होगी ।
" यह धीरे धीरे ही बदलेगा। इसमें मेहनत लगेगी और बहुत बात भी करनी पड़ेगी। ज़िन्दगी और अनुभव की कहानियां सुननी पड़ेगी। और आंकड़े पेश करने होंगे । ( मतलब ऐसे डेटा साझा करो, जिससे अलग अलग सेक्स के अनुभवों की बात हो )" - सुहास मिश्रा