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मैं, मेरी सास और मेरा एबॉर्शन

इस लेख का आधार "आईबिस रिप्रोडक्टिव हेल्थ" का क्वालिटेटिव रिसर्च है । इसमें ग्रामीण और शहरी इंडिया में, दवा से एबॉर्शन कराने वाले 43 लोग शामिल थे ।

कार्ड पर एक युवा औरत और एक बूढ़ी औरत को दर्शाया गया है, जो एक दूसरे के कंधे को कंधा देते हुए खड़े हैं। युवा औरत ने एक सलवार और कुर्ता पहना हुआ है, और बूढ़ी औरत ने साड़ी, जिसका पल्लू उन्होंने अपने सिर पे लिया है। युवा औरत के पास एक स्पीच बबल है, जिसमें लिखा है, "क्योंकि...कभी-कभी उम्मीद से परे वाली जगहों से सपोर्ट मिल जाता है।"

कार्ड पर लिखा है:

 मैं, मेरी एम.आई.एल (मदर-इन-लॉ/ सास) और मेरा एबॉर्शन : पार्ट 1

"क्योंकि...कभी-कभी उम्मीद से परे वाली जगहों से सपोर्ट मिल जाता है।"

इस लेख का आधार "आईबिस रिप्रोडक्टिव हेल्थ" का क्वालिटेटिव रिसर्च है ।  इसमें ग्रामीण और शहरी इंडिया में, दवा से एबॉर्शन कराने वाले 43 लोग शामिल थे ।   साथ उनके परिवार के ऐसे 12 सदस्य भी शामिल थे, जिन्होंने उनको सपोर्ट किया था।

कार्ड पर एक सासू मां को दर्शाया गया है, जो अपने दोस्तों से गपशप कर रही है। पास ही में उनकी बहू शरमाई हुई खड़ी है, हाथ में एक ट्रे लिए। पृष्टभूमि में दीवार पे एक तस्वीर है, एक परिवार की, जो एक बच्चे के जन्मदिन की पहली सालगिरह मना रहे हैं।

कार्ड पर लिखा है:

मैं कुसुम हूं। शादी के पहले साल में ही, वरदान में संजू और मुझे, हमारी प्यारी पहली मिली। 

 “ये पहली एकदम 9 महीने, 9 दिन बाद निकली।  हाहाहाहा”

 लगभग दो साल से मैं इस परिवार का हिस्सा हूं।  लेकिन आज भी कभी-कभी मुझे नई, झिझकती बहू जैसा महसूस होता है। वज़ह? मेरी सास गायत्री गॉसिप देवी उर्फ ​​गप्पोजी!

कार्ड पे एक बच्ची को दर्शाया गया है जो फर्श पे खेल रही है, कॉन्डम के कुछ पैकेट लेकर। यह देखकर पास में बैठे बूढ़े दादाजी ने शॉक में अपनी चाय गिरा दी है। और दादी माँ फोन पे अपनी एक सहेली से गपशप कर रही है और कह रही है “ अरे सुनथी, तुझे पता नहीं मैंने अभी-अभी क्या देखा!” एक और दृश्य में,  एक औरत को एक फार्मेसी से छुप छुप कर एक आई–पिल खरीदते हुए दर्शाया गया है। 

कार्ड पर लिखा है:

 “अरे सुनथी, तुझे पता नहीं मैंने अभी-अभी क्या देखा!”

 संजय और मैं बिल्कुल सीधी बात करते हैं - 4 साल के बाद ही दूसरा बच्चा, इसलिए कंडोम हमेशा स्टॉक में रहना चाहिए!  एक दिन पहली को कंडोम मिल गया और मैं शर्म से पानी पानी !

संजय कुछ महीनों में घर बस एक बार आता है, इसलिए कभी-कभी मुझे कंडोम खरीदने का समय नहीं मिलता है। तब फिर मैं आई-पिल लेती हूं।  लेकिन वो मैं घर के बाहर करती हूं - ना जाने क्यों आज भी बहुत शर्म महसूस होती है। इसलिए मैं ऐसा दिखाती हूं कि जैसे गोलगप्पे खाने जा रही हूं।

कार्ड पर एक सासू मां को अपने दोस्तों से गपशप करते दिखाया गया है, अपनी बहू के बारे में, जो रसोई में चाय बना रही है। दूसरे दृश्य में इन औरतों को बहू को देखकर हंसते हुए दर्शाया गया है। बहू शर्मिंदा नजर आ रही है।

कार्ड पर लिखा है:

 “वो कल चला गया ना। मिया-बीवी देर रात तक लड़ रहे थे।"

"तुम मस्कट से आते ही इधर-उधर गायब हो जाते हो। मेरे साथ कब टाइम बिताते हो!"

"2 साल  और एक बेबी, लेकिन मैडम का सेक्सी  जूनून तो गाड़ी के पांचवें गियर में!”

 मस्ती !   हा हा हा हा हा हा !   हाय भगवान् !  हेहेहेहेहेहे !

कार्ड में एक आदमी को दर्शाया गया है जो अपनी पत्नी के सामने, बाहें फैलाया खड़ा है, और उसे “हैपी बर्थडे,” कह रहा है। औरत की सासू मां इस सीन को याद करते हुए नाखुश दिखाई दे रही है। 

कार्ड पर लिखा है:

"हैप्पी बर्थडे!"

 आज संजय ने अचानक मस्कट से आकर मुझे एक रोमांटिक सरप्राइज़ दिया।

 “ये देखो, मेरे जन्मदिन के लिए सिर्फ व्हाट्सएप कार्ड और बीवी के जन्मदिन पर पर्सनल कार्ड?”

आज एम.आई.एल./सासू माँ   का जलवा भी मुझ तक नहीं पहुंच पाया।

कार्ड पर दो चित्र हैं, जिनमें दो जोड़ों को एक दूसरे से रोमांस और प्यार करते हुए दर्शाया गया है। पास ही में कुछ कंडोम के पैकेट्स पड़े है, जिनका इस्तेमाल नहीं किया गया है। 

कार्ड पर लिखा है:

"दो दिन की भागदौड़ के बाद संजय चला गया।" 

हाय…अय्यी मेरी बीवी...

"मुझे एहसास ही नहीं हुआ कि वो अपने पीछे एक और सरप्राइज़ छोड़ गया है।"

कार्ड पर एक औरत को एक फार्मेसी में प्रेगनेंसी टेस्ट किट खरीदते हुए दर्शाया गया है। एक दूसरी ग्राहक जो सब सुन रही है, उससे कह रही है, “खुशखबरी ही होगी बेटा, मुझे यकीन है। ”

कार्ड पर लिखा है:

हड़बड़ी में मैं आई.पिल लेना भूल गयी। और जब याद आया, बहुत देर हो चुकी थी। मैंने सोचा कि पीरियड्स का इंतजार करूंगी। लेकिन मेरा महीन आया ही नहीं।

“भ…भैया, एक प्रेगनेंसी किट चाहिए”

"खुशखबरी ही होगी बेटा, मुझे यकीन है"

कार्ड पर एक चिंतित औरत को टॉयलेट सीट पर बैठे दिखाया गया है, हाथ में एक पॉजिटिव प्रेगनेंसी टेस्ट लिए। कई थॉट बबल उसके मन की चिंताओं और संशय को व्यक्त करते हैं।

कार्ड पर लिखा है:

मैं फिर से प्रेग्नेंट हो गई।

अगर मैं गप्पोजी को बताऊं, तो वो तो दूसरे बच्चे का सुनकर नाच उठेंगी। एक मिनट नहीं लगाएंगी अपने दोस्तों को बताने में।

अगर मैं कहूं कि मुझे एबॉर्शन कराना है, तो क्या वो लोग मुझे बुरा समझेंगे?

संजय कहेगा, "चिंता मत करो, मेरी कमाई से दोनों का पालन-पोषण हो जाएगा।"  लेकिन मैं एक साथ 2 छोटे बच्चों को कैसे संभाल पाऊँगी- उसके बिना तो एक को भी संभालना मुश्किल है।

कार्ड पर एक औरत को एक फार्मेसी के पास एक पेड़ के पीछे छुपते हुए दर्शाया गया है। फार्मेसी में काफी भीड़ जमी है। एक मोबाइल फोन को भी अलग से दर्शाया गया है, जिसके स्क्रीन पर दो लोगों के बीच में एक टेक्स्ट चैट दर्शाया गया है। उसके से एक पॉप आउट से हमें समझ आता है कि अबॉर्शन पिल्स के बारे में बात हो रही है।

कार्ड पर लिखा है:

“सब लोग कब जायेंगे?  दोपहर 3 बजे इतनी भीड़ क्यों है?”

मैंने अपने कॉलेज के दोस्त को व्हाट्सएप किया। वो डॉक्टर है। उसने मुझे कहा कि मुझे पहले अपनी भलाई के बारे में सोचना चाहिए, और एबॉर्शन की गोलियाँ ले लेनी चाहिए।

मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि घर पर इतनी ज्यादा ब्लीडिंग को खुद से सम्भालना और छुपाना कैसे संभव होगा। मुझे कोई रास्ता निकालना होगा।

कार्ड पर एक औरत को एक फार्मेसी से अबॉर्शन पिल्स खरीदते हुए दर्शाया गया है। पीछे से उस औरत की सासू मां भी उस दुकान के अंदर आई है, और अपनी बहू को देखकर भौचक्की दिखाई दे रही है। एक दूसरे चित्र में, दोनों औरतों को एक दूसरे को देख दंग होते हुए दिखाया गया है।

कार्ड पर लिखा है:

आख़िर भीड़ हटी...

“सर ये एबॉर्शन की गोलियाँ चाहिए।  ऑनलाइन प्रिस्क्रिप्शन है।”

 “बहू?”

ओह नहीं।  अब क्या?

पार्ट 2 देखो

पार्ट 2

कार्ड पर एक युवा औरत और एक बूढ़ी औरत को दर्शाया गया है, जो एक दूसरे के कंधे को कंधा देते हुए खड़े हैं। युवा औरत ने एक सलवार और कुर्ता पहना हुआ है, और बूढ़ी औरत ने साड़ी, जिसका पल्लू उन्होंने अपने सिर पे लिया है। युवा औरत के पास एक स्पीच बबल है, जिसमें लिखा है, “क्योंकि...कभी-कभी उम्मीद से परे वाली जगहों से सपोर्ट मिल जाता है।”

कार्ड पर लिखा है:

मैं, मेरी एम.आई.एल (मदर-इन-लॉ/सास) और मेरा एबॉर्शन : पार्ट 2

क्योंकि...कभी-कभी उम्मीद से परे वाली जगहों से सपोर्ट मिल जाता है।

इस लेख का आधार 'आईबिस रिप्रोडक्टिव हेल्थ'  का क्वालिटेटिव रिसर्च है ।  इसमें ग्रामीण और शहरी इंडिया में, दवा से एबॉर्शन कराने वाले 43 लोग शामिल थे ।  साथ उनके परिवार के ऐसे 12 सदस्य भी शामिल थे, जिन्होंने उनको सपोर्ट किया था।

कार्ड पर एक बूढ़ी औरत और एक युवा औरत को एक फार्मेसी पर दर्शाया गया है। बूढ़ी औरत आश्चर्यचकित और जिज्ञासु लग रही है। युवा औरत चिंतित दिख रही है।

कार्ड पर लिखा है:

मेरी किस्मत देखो, जिस दुकान से मैं एबॉर्शन की गोलियाँ खरीद रही थी, वहीं मेरी सास  भी थी। हालात बद से बदतर हो गए।

“कुसुम, बेटा!  ये क्या खरीद रही हो?”

"मुझे माफ कर दो मम्मीजी...मैं...मैं...मैं"।

एक सासू मां को अपनी रोती हुई बहू को दिलासा देते हुए दर्शाया गया है।

कार्ड पर लिखा है:

 “बेटा, चलो जूस पीते हैं। चलो घर के बाहर ही इस बारे में बात की जाए तो अच्छा है, ताकि पापा जी औरतों के मामले में न पड़े।”

 मेरा कलेजा मुँह को आ गया।

कार्ड पर तीन चित्र हैं। पहले में सासू मां और बहु को एक रास्ते पर चलते हुए दर्शाया गया है। दूसरे और तीसरे दृश्यों में उन्हें एक रेस्टोरेंट में बैठे, जूस पीते हुए, बातें करते हुए दर्शाया गया है। 

कार्ड पर लिखा है:

 “संजय और मैंने शादी के 4 साल बाद बच्चा पैदा करने का फैसला किया था।  लेकिन बीच में गलती हो गई'।"

 “जुनून को गलती नहीं बोलते बेटा। तुम्हें पता है ना, संजय और समीरा में सिर्फ 2 साल का अंतर है।  मेरे मन और बदन, दोनों को तकलीफ़ हुई। सिर्फ मुझे ही पता है मैंने कैसे सब कुछ संभाला।

“तो क्या मुझे बच्चा पैदा  करना चाहिए?

(वो ये कहना चाह रही है  कि उन्होंने तो सब सम्भाल लिया सो मैं भी ?)

 “सोच लो। तुम्हारी एक छोटी बेटी है। तुम्हें अपने बदन के बारे में भी सोचना है। तुम कैसे कर पाओगी सबकुछ? अगर मैं तुम्हें बोलूं कि ये करो वो नहीं, तो तुम कहोगी कि मेरी सास के बोलने पे मैंने ऐसा किया। तो, इस पर और सोचो, फिर कोई फैसला लो। ये तुम्हारी लाइफ है। हम तुम्हें कुछ भी करने के लिए कैसे मजबूर कर सकते हैं?”

एक सासू मां और उनकी बहू को रेस्टोरेंट में बैठे, जूस पीते हुए, बातें करते हुए दर्शाया गया है। उनके पीछे, रेस्टोरेंट की बड़ी सी खिड़की है, जिसमें बाहर के रास्ते के दृश्य दिखाई दे रहे हैं। 

कार्ड पर लिखा है:

“पापा जी सुनेंगे, तो क्या कहेंगे? परिवार के दूसरे लोगों को पता चला, तो क्या होगा?”

 “संजय के पाप बहुत पुराने ख्यालों वाले है, उनको क्या ही पता है। उनको छोड़ो। मैं उनको संभाल लूंगी, बोल दूंगी तुमको पीरियड्स वाली कोई प्रॉब्लम है”।

ये सब मैं क्या सुन रही थी? यक़ीन नहीं हो रहा था कि गप्पोजी इतनी दरिया दिल है !

एक मां को अपने बेटे से विडियो कॉल पर बात करते हुए दिखाया गया है, और उनकी बहू वहीं पास में बैठी है। पहले मां गंभीरता से कुछ समझा रही है, लेकिन फिर वो कुछ चुटकुले मरती है, जिसे सुनकर बेटा और बहू शर्मा जाते हैं। 

कार्ड पर लिखा है:

गप्पोजी “बेटा, मैं तुम्हें ये सब भले के लिए बता रही हूँ। तुम्हें नहीं पता, मेरे लिए सब कितना मुश्किल था। तुमको जल्दी नौकरी छोड़ने की जरूरत नहीं पड़ेगी। पहली बड़ी हो जाएगी। बच्चे बाद में हो जायेंगे- तुम लोग का हिट रेट तो दिख ही रहा है।  मैं बहू का ख्याल रखूंगी।"

 “लेकिन दूसरे बच्चे के बाद तू नसबंदी करवाएगा, वादा कर। क्योंकि लगता है, तुम लोग का हनीमून कभी ख़त्म नहीं होगा।"

कार्ड पर तीन दृश्य है। पहले में बहु अबॉर्शन पिल्स ले रही है, और सासू मां उसे दिलासा दे रही है। दूसरे में बच्ची मां से जिद कर रही है कि वो उसे गार्डेन ले जाए, लेकिन मां की तबियत ठीक नहीं है, और वो बिस्तर पर लेटी हुई है। सासू मां बच्ची को समझा रही है कि वे उसे गार्डेन ले जाएंगी। तीसरे में सासू मां अपनी बहू को प्यार से देख रही है। बहू आईने के सामने तैयार हो रही है।

कार्ड पर लिखा है:

  "मैं आज रात यहीं सोऊंगा। मैं यहीं हूं, चिंता मत करो।"

 "मम्मी, गार्डन"

 “पहली बेटा, मम्मी को सोने दो।  मैं आपको ले जाऊँगा। दूध ख़त्म किया?”

 “ठीक लग रहा है बेटा? गोल गप्पे खाने चलना है?”

कार्ड पर तीन दृश्य है। पहले में सासू मां एक कमरे में अपनी दोस्त से बात कर रही है, और बहु रसोई में चाय बना रही है।दूसरे में सासू मां की सहेली किसी के बारे में चिंतित है, जो पेट से है। सासू मां उसे अबॉर्शन पिल्स के बारे में बता रही है। यह सुनकर बहु अपनी सासू मां की ओर प्यार से देख रही है। 

कार्ड पर लिखा है:

 कुछ महीनों बाद...

 “अरे वो प्रेग्नेंट हो गयी है। क्या होगा उसका?”

 “पूछो उसे, क्या करना है । अगर एबॉर्शन कराना है तो गोलियों से ही हो जाता है आज कल भाई। कुसुम की एक डॉक्टर दोस्त ने बताया था एक बार”

बहू एक साड़ी पहन कर देख रही है, जो उसकी सासू मां ने उसे दिया है। सासू मां उसे कुछ चुटकुला सुना रही है। यह सुनकर दोनों एक दूसरे को एक सेकंड के लिए चुपचाप देखते हैं, और फिर जोर-जोर से हंसने लगते हैं।

कार्ड पर लिखा है:

 “मम्मीजी, थैंक यू, आपने इतने प्यार से साथ दिया।”

 “तुम्हें लगा मैं बहुत बातें बताऊंगी और सुनाऊँगी ना? मुझे पता है कैसा लगता है- क्योंकि सास भी कभी बहू थी।”

 हा हा हा हा हा हा

बहू अपने पति के फॉरेन से लौटने की तारीख को कैलेंडर पर मार्क कर रही है, और सोच रही है कि कॉन्डम खरीद के रखने चाहिए। सासू मां उसे चिढ़ा रही है।

कार्ड पर लिखा है:

 संजय वापस आये।

 “कंडोम खरीदना पड़ेगा”

 “क्या सोच रही हो बहू?”

 अनचाहे गर्भ के डर और तनाव का अकेले सामना करना मुश्किल है। लेकिन एबॉर्शन हमारी उम्मीद से कहीं ज्यादा लोगों के जीवन का हिस्सा बना हुआ है।  हमें अकेले पड़ने की कोई ज़रूरत नहीं!

जहां से भी हो, सहायता लो। और किसी को बिना मांगे सहारा दो भी। चाहे आप सास, बहू, पार्टनर, दोस्त हों या केमिस्ट की दुकान में मिले अजनबी।

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