फोन सेक्स का एक संक्षिप्त इतिहास ।
Hello?
Hell-OH OH! OH!
इंसानों को टेलीफोन बनाने में हज़ारों साल लगे...
लेकिन 'डायल-ए-पोर्न' बिज़नेस शुरू करने में सिर्फ सौ साल लगे।
और जब एक बार चैट लाइन्स बजनी शुरू हुई, तो ये जल्द ही करोडों
का बिज़नेस बन गया।
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सबसे पहला सेक्सी हैलो !
१९८० के दशक में, १-९०० नंबर अमेरिका में बहुत मशहूर हो चले थे। ये वो नंबर थे जिन्हें मिलाने पे, आप जितनी देर बात करते, उसके हिसाब से चार्ज लगता था।
इस मौके का फायदा उठाने वालों में शामिल
ग्लोरिया लियोनार्ड
रिचर्ड
१९८० के दशक की पोर्न मैगजीन 'हाई सोसाइटी' की संपादक
एक आदमी जिसने गदौ के लिए टेलीफोनिक थेरेपी सर्विसेस शुरू की
चतो, हॉटलाइन्स शुरू करते है, जिन पर आने वाले अंकों के हॉट ट्रेलर्स सुनाएंगे।
हॉट स्टोरी ट्रेलर्स हिट हो गए
हृद हो गई ! मेरे मर्द धेरेपिस्ट्स को कॉल करने वाले मर्द, बार बार फोन काट देते है। उन्हें तो बस बड़े बड़े स्तन वाली औरतें चाहिए, अपनी बात सुनाने के लिए!"
अगर लोगों को ये पसंद आया, तो एडल्ट नायिकाओं की गहरी आवाज़ों वाली रिकॉर्डिंग्स पर तो ये लोग पागल हो जाएंगे।"
फोन सेक्स ऑप्स की अम्मा
१९९० में, छल्ड के टेलीकॉम एंटरप्रेन्योर माइक पार्डेस
को फोन सेक्स की बढ़ती डिमांड का पता चला।
उसने अमेरिकन टेलनेट (1ज्छ) की स्थापना की। आप ज्छ के पे-पर-डायल/व्ल-चगत-कपंस के हॉटलाइन्स पर कॉल करके, उनकी रसीली लोरेहा और बर्फीली ब्रिटनीज से सेक्सी चैट कर सकते थे।
+३.९९ प्रति मिनट पर, कीमत बड़ी चढ़ी थी !
(जैसे बूब्स)
लेकिन कस्टमर्स की? कतार बढ़ती ही जा रही थी !
अपने पीक पर, । ज्छ जैसी फोन सेक्स कंपनियों ने एक रात में १ मिलियन डॉलर से भी ज्यादा कमाया।
1-900-हॉट-कम
छोटे फोन सेक्स धंधे भी जल्दी ही इस बिज़नेस में आ गए। उन्होंने न्यूजपेपर में चटपटे इश्तेहार दिए जैसे १-९००-१८७-८न्डड। उनके सबसे बड़े कस्टमर्स ? उत्तेजित अमरीकी पापा जी लोग, गाथ्य कर्मी परिवार से। फोन सेक्स धंधों का मतलब था कि अब लोगों को पोर्न की किताबों और वीडियो स्टोर्स में नहीं जाना पड़ता था।
यह विचार कि आप भुगतान कर सकते है किसी अजनबी के साथ बातचीत करने के लिएसेवा सचमुच रोमांचक थी
टीना हॉर्न (ऑपरेटर' का पॉडकास्ट होस्ट जिसने एटीएन का दस्तावेजीकरण किया)
ऑपरेटर कहते
विज्ञापन कहते
मेरे साथ सेक्स की वादियों पहाड़ियों की सैर करो
मैं एक भारी विस्तर के झूटे से बंधका
कॉलर कहते
मुझे एक वाली वली लड़की
लेकिन कुछ कस्टमर्स को सेक्स के अलावा भी कुछ चाहिए था।
फायदे वाले दोस्त
फोन सेक्स इंडस्ट्री सेक्स की लिप्सा और किसी का साथ, इन दोनों का मिला जुला गागला था।
फोन ऑपरेटर को कॉलर्स के दिलों मे झाँकने का मौका मिलता था।
"मेरा फेवरेट कस्टमर एक ४० साल का आदमी है। हम सेक्स से पहले थोड़ी देर बात करते हैं। उसका शानदार मजाकिया अंदाज है और मुझे लगता है कि हम असल जिंदगी में अच्छे दोस्त बन सकते हैं।"
लोग अपने टूटे दिल और अकेलापन शेयर करने के लिए फोन करते थे।
एक आदमी मुझे रेगुलर कॉल करता था सिर्फ अपने रोजमर्रा के डिटेल्स शेयर करने के लिए।
"मेरे नियमित लोग भूमिका निभाना चाहते थे- किंक के साथ खेलें जो वे नहीं कर सकते उनके साझेदारों के साथ साझा करें।"
गे दिलों के लिए एक हॉटलाइन
जल्द ही में हॉटलाइन्स भी शुरू हो गई।
इनमें सबसे पॉपुलर थी Telerotic, जिसे मार्क एस. किंग ने ९० के दशक की शुरुआत में चालू किया था।
किंग ने कॉलर्स की फैंटेसी के अनुसार कई किरदार बनाए। लेकिन ये एड्स की महामारी का समय भी था। और इन फोन कॉल्स ने किंग को ये समझने में मदद की कि गे समुदाय पे इस महामारी का भावनात्मक रूप से बहुत बुरा असर पड़ा था।
"गे पुरुषों को शामिल किया गयाँ उनके यौन में कंडोम शब्दावली। एक बार, एक ग्राहक काल्पनिक कॉल पर भी कंडोम के लिए पहुंच गया।"
"मेरी कॉल से मुझे यह समझने में मदद मिली कि एड्स महामारी के दौरान समलैंगिक पुरुष कितना अकेला महसूस कर रहे थे।"
डायलिंग +91 और उससे आगे
फोन सेक्स ऑपरेशन्स दुनिया के अन्य हिस्सों में भी फैल गई जैसे यू.के, जापान, ताइवान आदि।
ये भारत में भी आए।
लेकिन हमारे यहाँ तो फोन कनेक्शन के खूबसूरत मज़े पहले से ही थे, यहाँ पे फोन सेक्स के धंधे शुरू होने से बहुत पहले से।
हिंदी फिल्मों के नायक फोन पर रोमांस करते थे।
मतलब, माल लाल होना
खिलखिलाना
चुम्मा चाटी
शरमाते हुए बालों से खेलना।
VSNL की पार्टी
हम नहीं जानते कि भारत में ये बिज़नेस कब सही में बूम हुआ, लेकिन देसी लोग १९९० के दशक के अंत तक वी.एस.एन.एल. के माध्यम से घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कॉल्स कर रहे थे। (रुपये ७० प्रति मिनट !)
ऑपरेटर भारत और दुनिया भर में आधारित थे।
१९९४-९७ और १९९६-९७ के बीच, वी, एस. एन. एल, का राजस्व रुपये से बढ़ गया। ३५६ करोड़ से ५२१ करोड़ रुपये, कॉलर्स बड़े गहरे से एक्सेंट में बतियाते और अलग-अलग किरदार बन जाते ताकि भारतीय कस्टमर्स को उनके सेक्सी स्वर्ग में ले जा सकें।
भाभीजी घर पे
ब्रिटिश मेंम की आवाज सुनने के लिए मेरे कान तड़प मए।
लेकिन इस इंडस्ट्री ने हमारे नेताओं को असहज कर दिया। उन्होंने वी.एस.एन.एल. से पार्टी लाइन्स बंद करने को कहा।
"जितना वे होन हमारी बैतिकता को तोड़ने की कोशिश करें में, उतनी ही मेरी देवता बदेभी।
में दिक्षा के लिए एक केंद्रीय संचार मंत्री
ATN को भी मिला MORAL BACKLASH.
२००० के दशक की शुरुआत तक, कई १-९०० नंबर बैन हो गए थे। जबकि कुछ ऑपरेटर अपने काम को लेकर एकदम जोशीले थे, दूसरों के अनुभव, अलग थे।
"हमें केवल ३०च/मिनट मिलता है। पैसे की गारंटी नहीं है इसलिए हम अपनी डे जॉब छोड़ नहीं सकते।"
"हम अक्सर खुद को धोखेबाज महसूस करते, लोगों की महरी बातें सुनते, लेकिन खुद के बारे में कुछ भी वास्तविक नहीं बताते।"
"कंपनी की पॉलिसी हमें प्रोटेक्ट नहीं करती थी। बद. तमीज क्लाइंट्स के साथ रोलप्ले करने से मना करने से, मेरे नौकरी खतरे में पड़ जाती।"
NUMBER DOES NOT EXIST
क्या इंटरनेट पोर्न ने फोन के उभरते सितारे/सेक्स स्टार को मार डाला?
इस इंडस्ट्री के अभी भी क्लाइंट्स है जो इसकी गुमनामी और इसकी खास करीबियां पसंद करते हैं।
"गुझे फोन सेक्स + पर बातचीत और साथीपन पसंद है।"
"कैगिंगकृ यानि वेबकैम के साथ, लाइव, इंटरैक्ि टव सेक्स शोदृ बढ़ रहे थे। हम अपने क्लाइंट्स को अपना चेहरा नहीं दिखाना चाहते थे।"
फोन कनेक्शन क्या है? एक मीठी सी वुशन, एक कॉलर या अपने प्रीतम के साथ केवल शब्दों से खेलने का मौका, और एक कामुकता, जो महसूस की जाती है।
कान (और बदन) चाहत से, उम्मीद से और.. और भी बहुत कुछ से, मीठी तरह से झनझनाते है!
शायद आधुनिक प्रेम भाषाओं को भी इन संभावनाओंचे और करना चाहिए?