अंजाम से आज़ाद इश्क़बाज़ी क्यों ज़रूरी है
ऐसी नोंक झोंक की परीकल्पना करो जो किसी एक सीधे से अंजाम या उपभोग्य अन्त की ओर ना प्रवृत हो |
लेखन : आलिया ख़ान
चित्रण : रम्या कनिबरण तेला
अनुवाद: हंसा थपलियाल
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