मुझे प्राइमरी वजाइनिस्मस है| समाज के डर और शर्म के कारण मैंने यह बात आज तक खुल कर किसी को नहीं बताई | वजाइनिस्मस से जुड़े अनुभव आपको ऐसा करने से रोकते हैं| इसमें वेजाइना/योनी लिंग, ऊँगली, या किसी भी छोटी बड़ी चीज़ को अपने अन्दर आने से रोकती है| इसके काफी कारण होते हैं| पर मेरे केस में इसकी वजह बीते समय का सदमा है l छुए जाने पे, खासकर किसी भी चीज़ का योनी के अंदर जाने पे, मेरा दिमाग ठिठुर जाता है, शायद उसे लगने लगता है कि आगे चोट का डर है | और मेरा दिल, वो तो प्यार, अपनापन, और सेक्स सब चाहता है| पर मेरा दिल दिमाग और बदन एक दूसरे की बात समझते हैं| इसलिए मैं हमेशा चौकन्ना रहती हूँ, खतरे को भांपती हुई| किसी के साथ अन्तरंग सम्बन्ध बनाना या फिर गाईनकोलोजिस्ट (स्त्री रोग विशेषज्ञ) के सामने रिलैक्स महसूस करना नामुमकिन सा लगता है| ये घबराहट मेरे दिमाग में हल्ला करती रहती है और इसलिए मैं रिलैक्स नहीं कर पाती | मेरे बदन और दिमाग को सुरक्षित फील करना आता ही नहीं है|
मुझे अपनी इस स्थिति के बारे में तब पता चला, जब मैं एक मुश्किल दौर से गुज़र रही थी| मैं एक आदमी के साथ कॉलेज के समय से रिलेशनशिप में थी, जो कई सालों चली| हमने एक दूसरे के साथ काफ़ी समय बियाता | और कई बार एक दूसरे के करीब भी आये| वो दिल खोल क मुझे कहानियाँ और कवितायें सुनाता था| हमने एक दूसरे के साथ सेक्स की दुनिया में पहला कदम रखा था| हर रात, मैं उसके होस्टल के कमरे में उसकी बाहों में सोने जाती थी| हम एक दूसरे के जिस्म में खो जाते थे| ओरल सेक्स के अलावा हमने कई यादगार अन्तरंग पल भी बिताये | जब हमारा रिश्ता लॉन्ग डिस्टेंस हो गया, तो हम फ़ोन सेक्स से जुड़े रहे| काफ़ी दिनों बाद मुझे पता चला कि यह सब उसके लिए मायने नहीं रखता था| उसने अपने दोस्तों को हमारे रिलेशनशिप के बारे में तो बताया था| पर यह भी बताया कि हमने कभी सेक्स नहीं किया था| जब उसने यह बात मुझे बताई, तो मुझे ऐसा लगा कि मेरे साथ धोखा हुआ है| गुस्सा आया और खुद पर शर्म महसूस हुई| मेरे लिए तो वो मेरा पहला सेक्स पार्टनर था| उसके साथ ही मैंने चरम सुख का आनंद उठाया था| और साथ में हमने कई बार मजेदार सेक्स का लुत्फ़ भी उठाया था| उसने मेरे अन्दर कभी अपना लिंग नहीं डाला था| इसका मतलब यह कि हमने सेक्स ही नहीं किया? मुझे यह सोच के शर्म आती थी कि जो लोग आम तौर पे किये जाने वाला, योनी में लिंग वाला सेक्स करते हैं, वो लोग मेरे बारे में क्या सोचते होंगे? ये भी समझ में आया कि उस ने ही हमारे लिए सब तय करा था- हमारा भविष्य, हमारा सेक्स जायज़ है कि नहीं, और हमारा ब्रेक अप भी |
भेदक ( जब लिंग योनी के अंदर डाला जाए ) सेक्स ना करने का निर्णय उसका था| कि मेरी योनी में वो अपना लिंग नहीं डालेगा| उसके पास कंडोम नहीं था| और जब मैंने बोला कि मैं खरीद लाती हूँ, तो उसने सेक्स ही करने से मन कर दिया| एक दिन, उसने ये भी कहा कि चूँकि हम अलग धर्म को मानते हैं, इसलिए हमारा एक होना नामुमकिन है| वो नहीं चाहता था कि वो मेरा पहला सेक्स पार्टनर कहलाया जाए| क्या सेक्स का मतलब वेजाइना में लिंग डालना होता है? मेरी पहचान बस मेरी वेजाइना से है? मुझे ये देख कर बहुत दुःख हुआ कि जिस आदमी को मैंने इतना प्यार किया, उसे मेरी पसंद-नापसंद का कोई ख्याल नहीं रखा| पर उस रिश्ते की उधेड़बुन में, मैं भी मानने लगी थी कि मैंने कभी सेक्स किया ही नहीं| इसीलिए कभी पता ही नहीं चला कि मुझे वजाइनिस्मस है|
मुझे याद है जब वो अपनी ऊँगली भी मेरे अन्दर डालने की कोशिश करता था, मेरी योनी का दरवाज़ा अपने आप बंद हो जाता था| जैसे वो मेरे दिमाग की बात नहीं सुनती, अपनी मर्ज़ी से चलती हो| मैंने इस पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया था| अब इसके बारे में काफ़ी सोचती हूँ| क्या हुआ होता अगर हम दोनों ने नार्मल सेक्स करने की कोशिश की होती और मुझसे ना हो पाता| क्या उसे मुझ पर गुस्सा आता? परेशान होता? या ये सोचता कि मैं बिना वजह राई का पहाड़ बना रही थी|
जब मैंने किशोरावस्था में कदम रखा, तो मेरी माँ ने मुझ पीरियड्स के बारे में बताया था| हमारे स्कूल में एक स्पेशल टीचर भी आई थीं| जिन्होंने लड़कियों को बस इतना बताया था कि बच्चों का जन्म कैसे होता है| इसकी बात ही नहीं की कि सेक्स कैसे होता है और ये भी नहीं बताया कि सेक्स के दौरान कैसे लोगों के अलग अलग अनुभव होते हैं | जब भी सामान्य लोग सेक्स के बारे में बात करते थे तो यह मान कर ही चलना होता था कि लड़की को तो लिंग डालने पर दर्द होगा ही| और खून भी निकलेगा| जो बात मेरे पार्टनर ने भी बोली थी| मैं अपने कॉलेज के दोस्तों से बड़ी उत्सुकता से उनके पहले सेक्स के अनुभव के बारे में पूछती थी| उनमें से ज़्यादातर को सेक्स का अनुभव था, वो भी आदमियों के साथ | कुछ लोग इसके बारे में बात नहीं करती थीं| और कुछ बात को घुमा फ़िरा के, ज़्यादा कुछ नहीं बताती थीं| मैं उनकी निजी ज़िंदगी में दखल अंदाज़ी नहीं करना चाहती थी, न ही कुछ सनसनीखेज़ बात सुनना चाहती थी | मैं तो बस यह जानना चाहती थी कि जब सेक्स होता है, तो आखिर क्या होता है, क्या करना/ सहना पड़ता है| ये डर तब भी मेरे अंदर मौजूद था| भले ही मुझे आईडिया नहीं था कि मुझे वजाइनिस्मस है| सेक्स को लेकर काफ़ी चुप्पी है और सेक्स को अक्सर ऐसे दिखाया जाता है कि इससे औरतों को दर्द होता है | ऐसे में यह समझ पाना मुश्किल है कि आपको वाकई कोई ख़ास तकलीफ है, जिसकी जांच करानी चाहिए l कि ये कोई मनगढ़त तकलीफ नहीं है|
मेरे घर की स्थिति अच्छी नहीं थी| काफी मार पिटाई वाला वातावरण रहता था| खुद को हमेशा असुरक्षित महसूस करती थी | मैं एक ऐसी बच्ची थी जिसे पढ़ने समझने में दिक्कत होती थी, सो मेरे बदन पे मार के काफ़ी निशान थे| मेरा दिमाग हर वक़्त केवल खतरा ही भांपता रहता था| जो लोग दुःख और दर्द से उबर के आते हैं, वह दर्द का मतलब समझ पाते हैं| पर अगर आपके पास अपने दर्द को ज़ाहिर करने का कोई तरीका ही नहीं है, तो फिर आप बहुत अकेले पड़ने लगते हो| बड़े होते वक़्त भी मुझे ऐसा ही लगता था- मैं अकेली थी और खोई हुई थी |
मुझे वजाइनिस्मस के बारे में बड़े मुश्किल वक़्त में पता चला था| मेरे पार्टनर से मेरा ब्रेक अप हो गया था | उसकी फैमिली ने हमारे रिश्ते को नकार दिया था| और उसने भी ‘उनसे खून का रिश्ता है’ का वास्ता देकर, उन्हें नहीं मनाने का फैसला ले लिया| नौ साल साथ रहने की कोशिश के बाद, हमने इस रिश्ते को वहीँ ख़त्म कर दिया|
मेरी माली हालत भी उतनी अच्छी नहीं थी| अपने टूटे दिल को लिए हुए मैं खुद को और मेरे परिवार को भी संभाल रही थी| अपने गम को महसूस करने का भी समय नहीं था| मुझे विदेश में नई नौकरी मिल गयी और मैं वहाँ शिफ्ट हो गयी| मैं अकेले ज़िन्दगी जीना सीख रही थी| नए लोगों से घुल मिल रही थी| तीस की उम्र में पहली बार, मैंने डेटिंग एप्प डाउनलोड किया| सबको लगा कि अब तो लगातार सेक्स की चाभी मिल गयी थी| और भारत में लोगों को लगता था कि मैं तीस साल की वर्जिन हूँ| मैं दोनों ही नहीं थी| बस एक एक कदम संभल के ले रही थी|
जब मुझे लगा कि मैं तैयार हूँ, तब मैं फेसबुक पे किसी से जुड़ी और हमारी दोस्ती हो गयी| पर जैसे ही उसने मेरे करीब आने की इच्छा दिखाई, मैंने उससे बात करना बंद कर दिया| मुझे लगा कि मैं अभी भी अपने ब्रेक अप से नहीं उभरी हूँ| दर्द का डर मेरे अन्दर तक समा गया था| पर कुछ समय बीतने के बाद, हम फिर मिले| तब हमने एक दूसरे को किस किया और मेक आउट भी किया| कुछ समय बाद उसने पूछा कि क्या मैं सेक्स के लिए तैयार हूँ? मैंने तेज़ धड़कते दिल के साथ, हामी भर दी| पर क्या मैं तैयार थी? उसने कॉन्डोम लगा कर जैसे ही लिंग मेरे अन्दर डालने की कोशिश की, मेरी योनी जहां खुलती है, वहां मुझे ज़ोरों का दर्द महसूस हुआ| ऐसा लगा जैसे मेरी योनी ने गुस्से में आके, उसके लिंग पे चिल्ला दिया हो | मुझसे कुछ भी पूछे बगैर|
मैंने उसे तुरंत रुकने को कहा| मैं शर्म के मारे रोना चाहती थी| वो कंफ्यूज था और तैयार भी | उसने बेसब्र होकर पूछा कि हम वाकई सेक्स नहीं कर सकते| मैंने सॉरी बोलकर मन कर दिया| मैं समझ नहीं पाई कि ऐसा क्यों हुआ | इसलिए क्योंकि वो केवल दूसरा मर्द था जिसके मैं इतने करीब आई थी? या मेरे लिए सेक्स करने के लिए दूसरे के साथ प्यार में होना ज़रूरी था? असलियत में, मेरा पहला सेक्स करने का डरावना एक्सपीरियंस अभी भी मेरा पीछा कर रहा था| नयी जगह और नए लोगों के बीच| मुझे डर था कि मेरा दिल फ़िर से टूटेगा, मुझे फ़िर से दर्द झेलना होगा|
वो दिल का अच्छा आदमी था| हमने साथ में कुछ दिन बिताये| मैं जितने दिन उसके साथ थी, हमने मेक आउट भी किया| पर उसने कहा कि जब तक वो मेरे अन्दर अपना लिंग नहीं डालेगा तब तक उसे उसे लगेगा कि कुछ अधूरा रह गया है | मुझे लगने लगा था की मेरी वजह से मर्दों को ये अधूरापन लगता रहेगा | मैंने मीडिया और दोस्तों से ‘क्लाइमेक्स’ के बारे में सुना था| नार्मल सेक्स का आखिरी पड़ाव| दो लोग एक दूसरे के करीब आते हैं, माहौल बनता है, साँसे तेज़ होती हैं| और पलंग तोड़ सेक्स होता है | ना कोई शर्माना, ना कोई रूकावट, ना ही कोई रोता है| सेक्स सभी लोग करते हैं| कोई सेक्स करने में फेल नहीं होता l
पर मैं? पहले गणित में फेल होती थी, अब सेक्स में| मेरा दिल टूट चुका था| मैंने अपनी एक सहकर्मी दोस्त से यह शेयर किया तो उसने कहा, “ शायद तुम्हें अब तक मिस्टर राईट नहीं मिला है|”
ऐसे इंसान को मैं कहाँ ढूँढूं? ऑनलाइन डेटिंग मेरे बस की बात नहीं थी| जब आम मर्द, यानी सिस * मर्द, ऑनलाइन सेक्स ढूंढते हैं, तो वो मुझ जैसे इंसान से नहीं मिलना चाहेंगे| जिसकी योनी के अंदर वो अपना लिंग न ले जा पाएं या फिर जो उन्हें अंदर आने से रोके| मुझे डर था कि अगर मैंने किसी के साथ डेटिंग की, सामने वाला उत्तेजित जो जाएगा और फिर भेदन के ठीक पहले, मैं उससे कहूंगी, “मेरा तो मूड है, पर मेरी योनी का नहीं है|” कोई किताब है जिसमें बताया हो कि इस टॉपिक पर कैसे बात करनी चाहिए?
मैंने ‘सेक्स ना कर पाना, सेक्स के दौरान योनि में लिंग जाने का डर’ गूगल किया| और मुझे इसके लिए एक नाम मिला- वैजिनिस्मस|
कुछ समय बीतने के बाद, किसी का ट्विटर पोस्ट पढ़ कर मैं पहली बार एक गायनेकोलोजिस्ट से मिली| | वो क्वीयर लोगों को मान्यता देती थी और बिना बात दखलअंदाज़ नहीं थी| मैं पहली बार स्त्री रोग विशेषज्ञ के पास जा रही थी l मैंने बड़ी डरावनी कहानियां सुनी थीं| कि वो औरतों से पर्सनल सवाल करते हैं| वजाइनिस्मस होना क्या कम डरावना था, जो डॉक्टर के परेशान करने वाले सवालों के बाणों से भी बचना पड़े|
पर इस बार मैंने मन बनाया था कि मैं डरूँगी नहीं| मैंने उसको बताया कि ना ही मैंने कभी टैमपोन का इस्तेमाल किया था| ना ही किसी गायनोकोलोजिस्ट से पहले मिली थी| और यह भी कि मैंने दो मर्दों के साथ सेक्स करने की कोशिश की| पर दोनों के साथ सेक्स करना काफ़ी दर्दनाक था| उसने पर्ची में प्राइमरी वजाइनिस्मस लिखा| और नर्स को डायेलेटर लाने को कहा| वो तीन साइज़ के ड़ायेलेटर ले कर आई| मेरी छोटी ऊँगली से लेकर, लिंग के आकार वाला बड़े साइज़ तक| उन्हें देखकर मुझे थोड़ा डर लगा, पर उसने मुझे समझाया, “अगर तकलीफ होगी तो हम आगे नहीं बढ़ेंगे| मुझे सिर्फ देखना है कि तुम इनका इस्तेमाल कर सकती हो या नहीं|” जैसे ही एक ड़ायेलेटर मेरे करीब आया मैंने अपने बम उठा दिए| मेरी मासपेशियां ( मसल्स/muscles) कस गयीं l और मेरी योनी ने अपने दरवाज़े बंद कर दिए| डॉक्टर ने मुझे गहरी साँस ले कर रिलैक्स करने को बोला और कहा, “सोचो की तुम पेशाब कर रही हो|” और किसी तरह वो तरकीब काम कर गयी| एक ड़ायेलेटर, जो मेरी छोटी ऊँगली के बराबर था, पहली बार मेरी योनी में अन्दर गया| “देखा!” डाक्टर ख़ुशी से बोल उठी| पहले डर के मारे, मेरी बोली नहीं निकल रही थी| और अब इस आनंदमयी अनुभव ने मुझे सांतवे आसमान पर पहुँचा दिया था| मेरी वेजाइना अब मेरा कहा मान रही थी| दूसरा ड़ायेलेटर भी अन्दर गया| तीसरा केवल आधा ही गया और मैंने उसे रुक जाने को कहा| किसी भी तरह का खून नहीं निकला| एक पानी वाले लुब्रिकेंट की मदद से, पहली बार दो छोटे ड़ायेलेटर मेरे अन्दर और बाहर हुए | अपनी योनी में कुछ महसूस होना थोड़ा अजीब सा लगा|
मेरी ज़िन्दगी में पहली बार, मेरी योनी मेरी बात सुन रही थी| उसने मेरे लिए अपने द्वार खोल दिए थे| मुझे पहली बार लगा कि वो मेरे बदन का ही अंग है| मैंने हर दिन ड़ायेलेटर ट्राई करने की कोशिश की| पहली बार थोड़ी दिक्कत हुई| मैं कुछ भी करती तो मेरी योनी के मसल्स कस जाते| मैं ढेर सारा लुब्रिकेंट लगाकर, वापस ट्राई करती|
उन्हीं दिनों, मैंने थेरेपी में जाना भी शुरू किया l मैं अपने हिंसा से भरे बचपन के सदमे से गुज़र के आयी थी, उसकी यादें भी एक चुनौती थीं l पर मैं अपने आप को वर्तमान में रहना सीखा रही थी, अपने को आश्वासित करना सीख रही थी कि मैं सुरक्षित हूँ l मैंने वजाइनिस्मस के बारे में बहुत कुछ पढ़ा, सदमों के बारे में भी, और ये जाना कि अक्सर जिनको कोई सदमा होता है, उन्हें वजाइनिस्मस की तकलीफ भी रहती है l मेरे दिलोदिमाग और बदन में जो चल रहा था, अब मैं उसे एक नाम दे सकती थी l ऐसा करने से मेरा अकेलापन थोड़ा कम हुआ l
मैंने सबसे पहले अपनी बहन के साथ ये बात साझा की l उसने बड़ी नम्रता से मेरी बात को सुना और मुझे बताया कि पहली बार जब उसने भेदक सेक्स किया था, वो बहुत असहज महसूस कर रही थी, उसे बहुत दर्द हुआ था l "सेक्स बस इसलिए किया था क्यूंकि मैं उस उम्र की थी जब ऐसा लगता है कि मुझे अपने दोस्तों को बताना है, कि देखो, मैंने सेक्स कर लिया !"
मेरी थेरेपिस्ट दूसरी शख्स थी जिसको मैंने बताया कि मेरा बदन किसी के छूने पे कैसे रियेक्ट करता है| मैंने उसे अपने किसी भी रिलेशनशिप में होने के डर के बारे में बताया| और यह भी बताया कि मुझे मर्दों को बताने में डर लगता है कि मुझे वजाइनिस्मस है| उसने मेरे डर को समझा और उसकी पुष्टि की | हमने इस बारे में बात की, कि वजाइनिस्मस के साथ मैं प्यार और सेक्स को किस तरह ढूंढने की कोशिश करूँ | उसने मुझसे हस्तमैथुन ट्राई करने को कहा| मुझे जो भी मज़ा दे और अच्छा लगे, वो ट्राई करने को कहा|
जब मैं उन्हें बताती हूँ कि कैसे मेरे लिए किसी भी मर्द के करीब जाना मुश्किल है, तो मेरे दोस्त सुनते तो हैं | पर पता नहीं उन्हें कितना समझ में आता है| अभी भी मैं किसी को नहीं बता पाती कि मुझे वजाइनिस्मस है| क्योंकि फिर मेरे सर पर एक लेबल लग जाएगा| और वो लोग, सेक्स की अपनी समझ के हिसाब से, उस लेबल को पढेंगे | और फिर मेरी सेक्स लाइफ के ऊपर फैसला सुना देंगे|
क्या मैं किसी के साथ रिलेशनशिप में हूँ? मेरी ज़िन्दगी में कोई मर्द है ? नहीं | पर मैं खुद के साथ, अपने बदन के साथ रिलेशनशिप बनाना सीख रही हूँ| मैं आमीएल कम्फर्ट का तीन नम्बर का डायलेटर यूज़ कर रही हूँ | और मुझे खुद पर ज़्यादा कंट्रोल भी है| मुझे मेरे दिमाग से सेक्स से जुड़ी कई पुरानी बातें बाहर निकाल फेंकनी पड़ी, ताकि मैं खुद को सुख और मज़े अनुभव करने दूँ| मैंने चरम सुख पाने के लिए, क्लिटोरिस वाला वाइब्रेटर खरीदा| पर पोर्न देख कर मेरा मूड खराब हो जाता था| उसमें हर बार, हर कोई ओर्गास्म(चरम सुख) तक पहुँचता है | वही जानी पहचानी कहानी, एक सीधी लाइन पर चलना, जिसका अंत सेक्स होता है | उसे देख कर मुझे मेरी कमी का एहसास होता है, और मैं फिर से चिंतित होने लगती हूँ | पर मैंने और कामुक चीज़ों की तलाश की और डिपसी (Dipsea) में मुझे ऑडियो कहानियाँ मिलीं | उसमें कहानी का ढांचा पोर्न जैसे ही रहता है | पर सुनकर, हस्तमैथुन करते हुए, मैं अपने मुताबिक़ अपने दिमाग में अपनी फैंटसी खुद बना सकती हूँ|
जब मैंने ड़ायलेटर का इस्तेमाल करना शुरू किया था तभी मैंने एक ऑनलाइन सपोर्ट ग्रुप ज्वाइन किया| लगा चलो,दुनिया में, सिर्फ़ मैं ही नहीं हूँ, जिसे प्राइमरी वजाइनिस्मस है| एक ग्रुप है, जिसमें जिनको वजाइनिस्मस है, उन लोगों के पार्टनर भी शामिल हैं | काफ़ी महिलाओं ने अपनी भड़ास, अपनी कहानी, डायलेटर के साथ उनका अनुभव या उसे ना इस्तेमाल करने की हताशा शेयर की | कई बार हमने अपनी ज़िन्दगी का जश्न भी मनाया| केवल हम ही समझ सकते थे कि उस शख्स को कैसा लगा होगा जब वो आम तौर पे किये जाने वाला योनी में लिंग वाला सेक्स एन्जॉय कर पाया होगा| उस ग्रुप में मैं खुद को अकेला नहीं महसूस करती हूँ| पर बाहरी दुनिया उससे बहुत अलग है| आपको अकेला फील कराती है, डराती है, सीमाओं में बाँध देती है|
अब मैं खुद के साथ कम्फ़र्टेबल महसूस करती हूँ| हाल ही मैंने अपनी एक और दोस्त को इसके बारे में बताया| मैं यह बात जितने लोगों को बताती गयी, मेरी शर्म की दिवार उतनी ही टूटती गयी| मैंने अपने ड़ायलेटर के फ़ोटोज़ उसके साथ शेयर किये| और उसे बताया कि मैं कौन सा इस्तेमाल करती हूँ| “मैं समझ सकती हूँ| नार्मल सेक्स मुश्किल होता है| और कभी कभी आप का बदन आपका साथ नहीं देता| एक जगह जम जाता है|” उसने मेरी बात को समझते हुए कहा| उसे वजाइनिस्मस नहीं है| पर उसकी बातें सुनकर मुझे एहसास हुआ कि फिल्मों और पोर्न में सेक्स को जितना आसान दिखाते हैं, उतना होता नहीं है|
तो मैं अपने सुख का रास्ता खुद बना रही हूँ| मैंने एक ब्लॉग भी लिखना शुरू किया है| जिसमें मैं खुद के सेक्सुअल अनुभव, मेरी फैंटसियाँ और मेरे मानसिक स्वास्थ के बारे में लिखती हूँ| हाल ही में मैंने, मेरे डेंटिस्ट के साथ एक काल्पनिक सेक्सुअल अनुभव के बारे में एक निजी ब्लॉग लिखा| उस डेंटिस्ट को देख, मेरा दिल धक धक करता है| हम दोनों एक शानदार दुनिया में हैं| वो मुझे बहुत प्यार करता है| मेरा ख्याल रखता है| इसमें हम दोनों योनी में लिंग वाला सेक्स नहीं करते हैं| पर हमारा सेक्स काफ़ी हॉट, और मज़ेदार है| और हम दोनों अंत में काफ़ी खुश हैं| हम जानते हैं कि आगे भी बहुत कुछ हो सकता है| पर उस कहानी में हम जैसे हैं, उसी में खुश हैं| मैं अभी भी उसे डेट पर पूछने के लिए, अपने आप को हिम्मत दिलाती हूँ| इसका मेरे वजाइनिस्मस से कोई लेना देना नहीं है| पर मुझे डर लगता है कहीं उसे अजीब ना लगे कि उससे अपना दांत निकलवाने के बाद मैं ये क्या पूछ रही हूँ | और यह भी डर है कि कहीं वो मना ना कर दे|
ना ही मैं अपनी योनी को कंट्रोल करती हूँ और ना ही मुझे उसपे शर्म आती है| उसे मेरी ज़रुरत है| मेरे प्यार की, मेरे दुलार की| ताकि धीर धीरे वो सुरक्षित महसूस कर सके| उसे ये जानना ज़रूरी है कि वो अकेली नहीं है|
* सिस ( cis- जन्म से समय हर बच्चे का जेंडर उसके गुप्तांगों के आधार पे बच्चे का जेंडर निर्धारित किया जाता है- अगर आप आगे चलके अपनी लैंगिक पहचान/कामुकता को वैसे ही देखते हैं, तो आप सिस जेंडर कहलाते हैं )
तारा एक शिक्षक हैं| उन्हें युवा लोगों से बात करने में और उन्हें लाइफ में बढ़ता देख आनंद आता है| काम के अलावा, उन्हें लम्बी वाक पर जाना, अपने पौधों की देखभाल करना, पढ़ना पसंद है और वो कला की प्रशंसक है|
मुझे वजायनिस्मस है, कैसे जीऊं, प्यार कैसे करूँ?
सदमा हमारे शरीर और संबंधों में क्या रूप लेया है ?
लेख: तारा
चित्रण: देबश्री
अनुवाद : प्राचीर कुमार
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