उन लड़कियों को मेरा शुक्रिया जो अपने न्यूड फोटो भेजती हैं |
न्यूड फोटो लीक हो जाने से प्राइवसी के उल्लंगन को लेकर क्या नज़र आता है ?
लेख - अनीका एलिज़ बेबी
चित्रण - रिया नागेंद्र
अनुवाद - मिहिर सासवडकर
15 बरस की उम्र में मैंने किसी बंदे से लिपट चिपट की थी (ऐसा नहीं कि मैं पहली बार वैसा कर रही थी)। पता नहीं इसे ग़लती कहूँ या क्या कहूँ, क्योंकि उस बंदे का एक दोस्त था जो मुझे पसंद करता था। उसके बाद जो कुछ हुआ, उसे याद करके मैं कभी कभी परेशान हो जाती हूँ। आज वो याद लौट आई । उसके दोस्त को हम कूलदूध69 बुलाते हैं। कूलदूध69 को लगता था कि उसकी मुझसे की हुई माँग वाजिब थी - कि मैं उसकी गर्लफ़्रेंड बन जाऊँ। मेरी ये ज़ुर्रत कि मैंने पलट कर उससे ये पूछ लिया कि क्यों? उसने ऐसा कड़वा जवाब दिया, वो भी यूं, कि मानो ज़ाहिर सी बात थी - वरना मैं तुम्हारी बहन से तुम्हारी लिपट चिपट की सारी पोल खोल दूँगा।
मुझे वो पसंद नहीं था, इसलिए मैंने झट से कह डाला कि मेरी बहन की राय है कि मुझे उसकी गर्ल फ़्रेंड नहीं बनना चाहिए । यह बात उसे चुभ गई। उसने मेरी बहन को एक लंबा चौड़ा ख़त लिखा, यह पूछते हुए कि वो क्यों हम दोनों के बीच आ रही थी। इसका नतीजा यह था कि मुझे मेरी बहन की डांट सुननी पड़ी। मैं उसे फ़िज़ूल में अपने लड़कों वालों मामलों में क्यों घसीट रही थी? मुझे याद है कैसे उन सब बातों ने मुझे डरा दिया था, मुझे घुटन सी महसूस हुई, जैसे मैं एक पिंजरे में बंद हो गई थी, अपनी पसंद नापसंद का इज़हार मुझसे छीन लिया गया था। मेरे दिमाग़ में यह बात नहीं चमकी कि मुझे ब्लैकमेल किया जा रहा था।
दुबई में लड़कियों के स्कूल में पढ़ने का मतलब है कि कुछ बातें आप बिलकुल नहीं कर सकते हो l कोई कुछ सामने से न भी कहे, पर सभी यही मानते थे कि अपने गुप्तांगों का ज़िक्र करना बड़ी 'बुरी' बात है। इसके बावजूद, लड़कियाँ ठीक इसी क़िस्म की कहानियाँ चोरी छिपे स्कूल में ले आतीं। हमें वो या तो छुट्टी वाले पीरियड में इत्मीनान से सुनने मिलतीं या ठीक टीचर की नज़र के सामने छोटी छोटी किश्तों में। इस तरह, ये कहानियाँ सुनने का नशा हम जैसी नशेड़ियों को दिनभर चढ़ा रहता। और किसी नौसिखिए को तो नशा दो दिन तक चढ़ा रहता।
सही और साफ़ सुथरी सोच का यह घूंघट तब ग़ायब हो जाता जब किसी लड़की के न्यूड फ़ोटो ग़लती से हम सब के हाथ लगते और शेयर किए जाते। और लगभग हर दूसरी लड़की के पास उसकी फ़ोन गैलरी में यह ‘शर्मनाक’ फ़ोटो थे - जिसमें लड़की आईने के सामने, पैर फैलाए हुए और ज़बान बाहर किए, बैठी थी। या ऐसी फ़ोटो जिसमें सिर्फ़ उसके दोनों ब्रेस्ट दिखाई देते। और अगर लड़की को लड़का बहुत अच्छा लगता तो वो फ़ोटो में अपना चेहरा भी दबंग होकर दिखा देती। और भगवान् न करे कि कोई लड़की किसी दूसरी लड़की के भाई को डेट करने लगे। फिर तो यह पक्का था कि लड़के को भेजी फ़ोटो अब उसकी बहन के पास आ जाती। अगले दिन, उसकी बहन की “मुझे सब पता है” वाली स्माइल इस बात का सबूत होती कि जो फ़ोटो लड़की ने ‘लड़के के लिए अपने प्यार का सबूत’ के रूप में दी थी, वो फ़ोटो अब खुल्लम खुल्ला थी, दोनों का आपसी राज़ नहीं रही ।
८ वीं क्लास से, हमें हमारी आपसी गपशप से बहुत कुछ सीखने मिला - जैसे उस लड़की की कहानी जिसने अपनी योनिमार्ग में पेन्सिल डाली, या उस हेड गर्ल की कहानी जिसने किसी लड़के को ब्लोजॉब दिया या फिर उस लड़की की कहानी जिसने अपनी शर्ट के अंदर बर्फ़ का गोला डाला ताकि कोई लड़का उसे बाहर निकाल सके। इन कहानियों को सुनते वक़्त हमारे चेहरों पर ढेर सारे भाव दौड़ते - कभी ताज्जुब और घृणा तो फिर आश्चर्य और ख़ुशी भी। लेकिन मन ही मन हम लड़कों को लुभाने के नए तरीकों पर ग़ौर करके उन्हें याद कर रहे थे। हमारे स्कूल में कम से कम एक लड़की ऐसी ज़रूर होती जिसके माँ बाप इतने ‘कूल’ थे कि उसे लड़कों से बात करने देते। गेम्ज़ की पीरियड के दौरान, सीढ़ियों पर बैठे हम उसका इंतज़ार करते। वो पास आकर हमें कहती, “चलो, उन शरीफ़ बच्चों को खेलने दो, आओ मैं तुम्हें कुछ मज़ेदार बातें बताती हूँ”।
ऐसी गरमा गर्म कहानियाँ फैलाने के लिए लड़कों को कोई ज़िम्मेदार नहीं ठहराता, किसी को ये नहीं करना था, किसी को इसकी आदत नहीं थी।
12 वीं क्लास में मैं आख़री बार ऐसे दो मुँही ढोंग का हिस्सा बनी l मेरी क्लास में एक लड़की ने हफ़्ते भर तक हमारी अफ़वाहों और गपशप की झोली भर दी थी: उसने खुले आम कह दिया था कि वो मास्टरबेट यानि हस्तमैथुन करती है। बदले में उसे क्या मिला - यही कि लड़कियाँ उसे घृणा से घूरती रहीं। एक हफ़्ते से ज़्यादा तक कोई उससे बात नहीं करना चाहता था, ना ही उससे हाथ मिलाना चाहता था। लेकिन यह बात कुछ अलग थी। इस कहानी में दूसरी कहानियों से कम मज़ा था; हमारे चेहरे उसे सुनकर खिल नहीं उठे, घृणा के सिवा हमारे मन में उस लड़की के लिए और कुछ नहीं था। दरअसल, हमको तो ये लग रहा था कि उसने इतनी निजी बात हमारे साथ कैसे बाँटी। वो चुप क्यों नहीं रह सकती थी? यानि अगर मैं सच सच कह दूँ तो हम ये क़बूल करने को तैयार नहीं थे कि किसी लड़की का अपने बदन पर पूरा अधिकार था और वो उसके ज़रिये मज़े भी ले रही थी।
पूरे स्कूल में, अगर कोई लड़की अपनी सेक्ष्यूअल फ़ीलिंग का ज़रा सा भी खुलासा करती तो लड़कियाँ उस पर घुसर फ़ुसर करने लगतीं और उसके करैक्टर पर बड़े सारे फ़ब्तियाँ कसी जातीं। उसका यह ‘राज़’ खुल जाने के बाद उसपर हमेशा के लिए यह धब्बा पड़ जाता था। कभी कभार मैं सोचती हूँ कि क्या ऐसा भी था जिसपे वो भरोसा कर सकती थीं, जो उन्हें दोषी नहीं ठहराता? उनकी गर्ल ‘फ़्रेंड’ तो उनको साथ देने वाली नहीं थीं, चूँकि वे ख़ुद अफ़वाहें फैला रहीं थीं।
लेकिन छोड़ो, बहुत हुआ यूँ लड़कियों पर तरस खाना। लड़कों का क्या? वो, जो दीवार के उस पार से हम लड़कियों को आपस में बाँटने और खाने के लिए गोश्त की बोटियों जैसे छोटी मोटी गपशप के टुकड़ें फेंक रहे थे? उन्हें किसी ने ज़िम्मेदार क्यों नहीं ठहराया?
चूँकि माना जाता है कि लड़के तो ऐसे ही होते हैं और लड़कियाँ भीं इस बात पर सवाल नहीं उठातीं।
मैं अक्सर सोचती हूँ कि क्या होता अगर हम सब लड़कियों ने उन घटिया लड़कों की पोल खोल दी होती जिन्होंने अपनी गर्लफ़्रेंड की न्यूड फ़ोटो का फ़ायदा उठाया था । लड़के को फ़ोटो भेजने के पहले वो लड़की को अक्सर “प्लीज़”, “अगर तुम मुझसे प्यार करती हो”, “प्लीज़, प्लीज़, प्लीज़”, “अगर तुम नहीं भेजोगी तो मैं तुमसे बात नहीं करूँगा”, “तुम क्यों नहीं भेज रही हो?”, “क्या तुम मुझसे प्यार नहीं करती?” और “तुम इतनी अडियल क्यों बन रही हो?” जैसे मैसेजों के ज़रिए भीख मांगकर हठ करता था। अगर वह लड़की ये मैसेज सबके साथ बाँटती तो जाने क्या होता।
लेकिन दुनिया में जहां किसी चीज़ की कमी होती है वहां वो चीज़ हमेशा आ भी जाती है, जैसे ये अर्थशात्र का नियम है । हमें इन कहानियों की ज़रुरत थी, ऐसी नेक लड़कियों की ज़रुरत थी जो रात में बुरी बन जातीं, हमें उनके न्यूड फ़ोटो की ज़रुरत थी। सोचो हमें कितना ताज्जुब हुआ होगा जब हमने ये जाना कि सारे ब्रेस्ट एक जैसे नहीं होते थे, लेकिन सभी उतने ही आकर्षक थे! दुबई जैसे देश में रहते हुए, जहां पॉर्न पर पाबंदी थी, हमें इन बिंदास लड़कियों की ज़रुरत थी। अगर वो ना होतीं तो हमें ओरल सेक्स और मास्टरबेशन जैसी हमारे दायरे के बिलकुल बाहर की बातों के बारे में शायद ही पता चलता जो । हालंकि हम बड़ा इतराती थीं, अपने को उनसे बेहतर समझती थीं, उनसे अच्छी, उनसे स्मार्ट भीं। लेकिन साथ में हम चोरी छिपे उन लड़कियों के ज़रिए सेक्स से जुड़ी बातों का भी मज़ा ले रहीं थीं।
और रही मेरी बात, तो मैं इन लड़कियों की एहसानमंद हूँ। कमाल की थी वो बंदियाँ। एक तो आप जानती हो कि सारा स्कूल आपके बारे में क्या सोचता है। उसे नज़रअंदाज़ करने, अपने सेक्सी फ़ोटो भेजते रहने में( कूलदूध69 जैसे बंदों को नहीं) और गरमा गर्म चीज़ें करते हुए, हर रोज़ स्कूल आने में हिम्मत लगती है।
सबसे अहम् बात यह थी कि इन लड़कियों ने मुझे मेरे कूलदूध69 से पेश आना सिखा दिया - उसे नज़रअंदाज़ करना, मेरे DM में वो कैसे अपने आप से ही बात करता है, उसका मज़ा लेना। और ये सब करते हुए, मैं मेरे बदन और मेरी मर्ज़ी की मालिक बनने लगी ।
अनीका एलिज़ बेबी, सेंट जोसेफ़ कॉलेज, बेंगलुरु में पढ़ती है। वह अक्सर मीम बनाने में वक़्त बिताती है। इसके अलावा वो लोगों को बेढंगे चुटकुले सुनाती रहती है और कभी किसी की तो कभी किसी और की फ़ैन बन जाती है। उसने लिखे दूसरे आर्टिकल आपको यहाँ मिलेंगे।
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