मैं २२ वर्ष की हूँ। उभयलिंगी (पुरुष और स्त्री दोनों के प्रति लैंगिक आकर्षण महसूस करने वाली व्यक्ति) हूँ। द्विध्रुवी (बायपोलार - माने कि एक मानसिक बीमारी जिसमें उन्मत्त और अवसादग्रस्तता के एपिसोड होते हैं) हूँ। अभयस्त तौर पर चिंतित/बैचैन रहनेवाली। एक ऐसे विषमलैंगिक पुरुष के लिए भावनाओं से ओत प्रोत जिसे मैं टिंडर पे मिली थी।
इस लेख के शीर्षक से जैसा कि आप समझ ही गए होंगे, जितना मिलेनियल (ऐसे लोग जो साल २००० या उसके बाद के सालों में युवा वयस्क हुए हैं) कोई हो सकता है, मैं उतनी मिलेनियल हूँ। जो कि अजीब है क्योंकि अब भी हाथ से लिखे हुए खत मुझे आसक्त कर देते हैं, मैं अब भी एक ऐसे प्यार के रिश्ते में विश्वास करती हूँ जो हमेशा के लिए बांधा जाता है, बच्चों को गोद लेना चाहती हूँ और दूर किसी बीच-टाउन के एक फार्म में गाजर उगाना चाहती हूँ।
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ज़्यादातर टिंडर डेट्स की तरह, मैं ठीक-ठाक सेक्स और ठीक-ठाक से थोड़ी कम बातचीत की उम्मीद में थी (ऐसी बातें जो बस इसलिए की जाती हैं कि दूसरा व्यक्ति महज़ एक आवाज वाला वाइब्रेटर बनकर ना रह जाए)। वह आधी रात को घर आया, और जहां तक मुझे याद है - उसे बुलाने का फैसला एकदम इम्पल्सिव (अनियोजित) था जिसको उसने भी बेझिझक मान लिया। दरवाज़ा खोलने पर मैंने अपने सामने एक क्यूट दुबले भूरे रंग और छोटे बालों वाले लड़के को पाया, और मुझे तभी मालूम था कि सेक्स या तो एकदम हॉट या फिर संकोचशील होने वाला था। यह लड़का वह क्लीषे है जिसके सपने देखते हुए मैं बड़ी हुई, और दो साल पहले अगर हम मिले होते तो मैं इसे पक्का दिल दे बैठती। लेकिन वह दो साल में कुछ घटित हुआ और मेरी मानसिक सेहत ने मुझे कुछ समय से सकारात्मक भावनाओं की अनुभूति करने की अनुमति नहीं दी है। उसे मिलने के बाद मैं कुछ और लोगों के साथ लैंगिक रिश्ते रख चुकी हूँ। इसलिए जब हमारी पहली मुलाक़ात के बारे में सोचती हूँ तो हॉट सेक्स का हॉट विवरण मेरे दिमाग में सबसे पहले नहीं आते। मुझे यह बात याद है कि उसने हमारे सेक्स के बीच, ब्रेक में, सिगरेट फूंकी थी क्योंकि मैंने उसे बताया था कि निकोटीन की महक से कैसे मेरी कामलिप्सा दमक उठती है। मुझे याद है मेरे नितंब पे उसके हाथों की छुअन, और मुझे याद है कि जब उसने रात मेरे यहां नहीं बितायी तो मुझे कैसा लगा था: मुझे और फक करना था, मुझे उसकी बाहों को नरमी से चूमते रहना था, मुझे उसकी त्वचा को अपने करीब रखकर साँस लेनी थी, मुझे मॉर्निंग सेक्स चाहिए था। ऐसा महसूस कर रही थी मैं। फ़ास्ट फॉरवर्ड करते हैं - कुछ घिसे पिटे/साधारण मेसेजेस, मेरी तरफ से गर्म-दिमागी से की हुई ब्लॉकिंग, कुछ मिस्ड कॉल्स, एक मेसेज जिसमें 'लेटर, प्रेरणा' लिखा था और मेरी तरफ से एक क्षमायाचना- से उस समय तक जब मैं हाल ही में उसे मिली; शायद पहली दफ़ा मिलने के कुछ दो हफ़्तों बाद। जैसे पहले भी हुआ था, वह देर रात मेरे घर आया: जो फ़क करने और दो अजनबियों से बढ़कर कुछ होने का ढोंग करने के लिए बिलकुल सही समय था। ज़ाहिर है हमने सेक्स किया, और इस बार हमने ब्लाइंडफोल्ड (आँखों पे पट्टी) बाँधने का तरीका आज़माया जो उसके वीर्य निकलने के पहले निकल गया। मेरे कम ब्लड प्रेशर के गंभीर मामले, चिंता की वजह से होने वाले पीठ की तकलीफें और उस रात मेरे अचानक होने वाले खराब पेट के बावजूद, सेक्स अच्छा था और उसके पसीने से तर बदन से लिपटे मेरे बदन का एहसास मुझे पसंद था। मुझे उसकी गांजे/वीड से महकी साँसें और किस करते वक्त मेरे यह कहने पे, "मैंने अभी उलटी की" उसका प्यारेपन, दोनों मोहक लगे थे। हमने पीछे से सेक्स किया और खिड़की के पास सेक्स किया और गद्दे पे सेक्स किया और फिर उसका वीर्यपात हो गया और फिर उसने कहा कि आइस क्रीम खरीदें और मेरे घर के पास डॉकयार्ड पे जाएँ। रात के इस समय तक, मेरा दिमाग सामाजिक बर्ताव की बाइनरी को भूल जाता है - और असहजता से 'यहाँ से भग लो, जानेमन, हम सिर्फ अजनबी हैं' और 'उफ़, ज़रूर!! मैं तुम्हारे साथ बच्चे भी गोद लूंगी, मेरे गाजर की की खेती वाले न्यारे' के बीच डोलने लगता है। हालांकि उसके सुझाव पे मैं बिलकुल भी नहीं डोली। मुझे उसके साथ डॉकयार्ड जाना था। मुझे पता लगाना था कि वह अपनी आइस-क्रीम कैसे खाता था: एकदम धीरे या एकदम तेज़ । मुझे जानना था कि पहली बार हस्तमैथुन करने पे उसको कैसा लगा था। मुझे समुद्र किनारे बैठ कर उसे दुनिया देखते हुए देखना था। इस सब के बीच - एक बातचीत थी, जहाँ उसने मुझसे पुछा कि सेक्स के बाद मेरी किस्सेस/चुंबन का क्या मतलब था क्योंकि उसे वह 'अलग लगती' थीं। मुझे उसे धीरे से बताना था कि इन किस्सेस का मतलब था कि मेरी चिंता कुछ वक्त के लिए बंद हो गयी थी; कि मेरी छाती फिर से हलकापन महसूस करना सीख रही थी; कि मैं सहानुभूति स्वीकारना सीख रही थी; कि मुझे एक ऐसे अजनबी से प्यार करना और पाना था जिससे मैं सिर्फ दूसरी बार मिली थी। मुझे उसे ऐसे चूमना था जैसे वाकई मेरा रोम-रोम उसे चूमना चाहता था। मैं चाहती थी कि वह मेरे होंठों को ऐसे स्वीकारे और मुझे ऐसे छुए जैसे उसका भी रोम-रोम यही चाहता था। मुझे नहीं लगता कि दूसरी बात सच हुई। काफी महीनों में पहली बार, मैं एक दूसरे इंसान के बारे में जिज्ञासु थी। इस जिज्ञासा के ख्याल ने मेरी छाती को हल्का कर दिया। मैं अपने आप को सकारात्मक भावनाओं की अनुभूति करने का एक और मौका देना चाहती थी। और इसलिए, हमने उसकी करीब-करीब-हिप्स्टर-करीब-करीब-मेरी-कामुक-कल्पनाओं/वेट-ड्रीम-से-बनी पीली वेस्पा पर सैर की और हालांकि मैं बीते सालों में ज़्यादा रोमानी रह चुकी हूँ, मुझे लगता है उस रात मेरे प्रदर्शन अच्छा रहा। ना हम डॉक्स तक पहुँच पाए ना आइस-क्रीम खरीदने के लिए, लेकिन हमने रात के १ बजे चाय पी। मैंने उसकी आँखों को मेरी तरफ देखते हुए पकड़ लिया जब मैं (लगभग) नज़र फेरे खड़ी थी। एकदम घिसा-पिटा सीन, है ना? अगर मैं १९ वर्ष की होती, तो इस रात के ख्याल से भी कामोन्माद पा लेती। लेकिन जब मैं १९ वर्ष की थी, तब मेरा ऐसी मानसिक स्वास्थ्य समस्या के साथ निदान भी नहीं किया गया था, जो आगे चलकर मुझे प्यार में पड़ते समय अपनी खुद की नब्ज़ भी नहीं महसूस करने देती। मुझे नहीं पता कि उस रात मैंने क्या महसूस किया, लेकिन मैंने उसे सैर के बाद फिर घर पे आने के लिए कहा। पहले वह थोड़ा हिचकिचाया, लेकिन घर की खिचड़ी के लिए थोड़ी चाहत थी और 'हम बस हैंग कर सकते हैं, अपने कपड़ों सहित' एक अच्छा स्नेहक मालूम हुआ। लिफ्ट में वह मेरे सामने खड़ा हुआ, और जब मैंने उसे चूमने की कोशिश की - वह सी.सी.टी.वी (cctv) ढूंढने लगा। मैंने तो उस बारे में सोचा भी नहीं था। मुझे बस उसे अलग-अलग जगहों में चूमना था, क्योंकि मैं जानती थी कि उसे एक और बार मिलने की संभावना कम थी, और मेरे दिल को अपनी खुद की क्षमताओं की याद दिलाने के लिए मुझे इसकी ज़रुरत थी। उसने खुद खिचड़ी ली और मैंने ज़िद्द की, मेरे बनाये हुए चिकन को गरम करने की। हम कमरे में गए और कुछ बातचीत की जो मैं अब भूल रही हूँ। उसने कहा कि खिचड़ी ने उसे फिर से फ़क करने की ताकत दी थी, और इसलिए हम फिर लग गए। ज़ाहिर है, सेक्स बढ़िया था। उसने मेरी योनि को मन से चाटा और मुझे उस क्रिया से कामोन्माद भी प्राप्त हुआ - जो आखरी बार तब हुआ था जब मैं एक लड़की के साथ रिश्ते में थी - तो मैं बस उसके गले लगना चाहती थी और अगले कुछ दिन कितने आनंदमयी होने वाले थे उसके लिए उसका शुक्रिया अदा करना चाहती थी। खासकर मेरे मानसिक स्वास्थ्य निदान के बाद, मैं भूल चुकी हूँ कि मशगूल सड़कों पे अकेले चलते समय दिमाग में एक स्लो सॉंग का अटके रहना कैसा लगता है। कैसा लगता होगा: मुक्त करने वाला एहसास होगा वह, या अकेला महसूस करवाने वाला या कामुक; मुझे आने वाले दिनों में ही मालूम पड़ने वाला था। जैसा की टिंडर की बातचीत में अक्सर होता है, हमने उन लोगों की भी चर्चा की जिनके साथ हम सो रहे थे। जहाँ मैंने उसे मेरी ज़िन्दगी में दो और लोगों की मौजूदगी के बारे में बताया, उसने कहा कि वह किसी और के साथ नहीं सो रहा था हालांकि कुछ लोग उसके साथ सोने के लिए राज़ी थे। मैं कल्पना करती थी। वह एक सुन्दर ब्राउन लड़का है जो गोल फ्रेम वाले हिप्स्टर चश्मे पहनता है, और जीविका म्यूजिक बनाकर कमाता है, संगीतकार है । 'तुम औरों के साथ क्यों नहीं सोये हो?' मैंने कुछ हद तक जिज्ञासा और कुछ हद तक उसको अपनी बाहों में लिपटे रखकर बातचीत जारी रखने की ज़रुरत से पूछा। 'क्योंकि हाल ही मैं किसी को पसंद करने लगा हूँ। लेकिन पता नहीं वह सब कहाँ जा रहा है।', उसने कहा। मुझे याद है कि यह कहते समय वह मुस्कुरा रहा था, लेकिन शायद वह वीड, सेक्स और खिचड़ी से हाई था। मैं कन्फ्यूज़्ड थी: 'लेकिन तुम मेरे साथ सो रहे हो'। 'मैं तुम्हें पसंद करता हूँ', उसने कहा, मेरे चेहरे से नज़रें चुराते हुए। जब उसने इस बार रात मेरे घर नहीं गुज़ारी, तो मुझे ज़्यादा हॉर्नी नहीं महसूस हुआ। मैं सेक्स के लिए तड़प नहीं रही थी। मुझे मॉर्निंग सेक्स नहीं चाहिए था। असल में, मुझे मॉर्निंग सेक्स चाहिए था, लेकिन वह उसे 'गुड नाईट' चूमने और 'गुड मॉर्निंग' गले लगने के एहसास के साथ उलझ गया था। मैं उसे गले लगना चाहती थी और उसे स्पून करना- उससे चिपट कर चम्मच के आकार में एक साथ सोना- चाहती थी और रात के बिछोने बीच उसकी पीठ को चाटना चाहती थी क्योंकि मुझे याद है कि कैसे मेरे चाटने से वह चंचल होकर चिढ़ता था। मुझे चाट के उस क्षति को साफ़ करना था जिसके बारे में वह पहले हँस रहा था। मुझे एक क्लीशे का एहसास हुआ: एक टूटा हुआ लड़का, और उसकी उन्मत्त पिक्सी/परी। मेरे आम नारीवादी जीवन में एक ऐसी रोमानी गड़बड़। इस क्लीशे की निंदा करने की मेरी राजनीति की आदत, एक वजह है कि मैं रिश्तों के बारे में आशंकित हूँ: 'एक रिश्ते में 'देखभालकर्ता' की भूमिका में संरचित होने की वजह से अगर मैं अत्यधिक भावनात्मक श्रम कर देती तो क्या होता?'। पता नहीं, लेकिन इनमें से कोई भी शंका उस बेचैन रात को नहीं उभरी। मुझे बस उसे कस के पकड़ना था और कभी छोड़ना नहीं था। मैं किसी भी तरह से चाहती थी कि वह वापस आये और मैं उसपे मेरी छाती में बसी गांठों को खोलने के लिए चिल्लाना चाहती थी। इस बात को एक हफ्ता बीत चुका है, और दिल में पड़ी वह गांठें अब भी ढीली लटक रही हैं - बस उनमें कुछ पहेलियाँ जुड़ गयी हैं।
ज़्यादातर टिंडर डेट्स की तरह, मैं ठीक-ठाक सेक्स और ठीक-ठाक से थोड़ी कम बातचीत की उम्मीद में थी (ऐसी बातें जो बस इसलिए की जाती हैं कि दूसरा व्यक्ति महज़ एक आवाज वाला वाइब्रेटर बनकर ना रह जाए)। वह आधी रात को घर आया, और जहां तक मुझे याद है - उसे बुलाने का फैसला एकदम इम्पल्सिव (अनियोजित) था जिसको उसने भी बेझिझक मान लिया। दरवाज़ा खोलने पर मैंने अपने सामने एक क्यूट दुबले भूरे रंग और छोटे बालों वाले लड़के को पाया, और मुझे तभी मालूम था कि सेक्स या तो एकदम हॉट या फिर संकोचशील होने वाला था। यह लड़का वह क्लीषे है जिसके सपने देखते हुए मैं बड़ी हुई, और दो साल पहले अगर हम मिले होते तो मैं इसे पक्का दिल दे बैठती। लेकिन वह दो साल में कुछ घटित हुआ और मेरी मानसिक सेहत ने मुझे कुछ समय से सकारात्मक भावनाओं की अनुभूति करने की अनुमति नहीं दी है। उसे मिलने के बाद मैं कुछ और लोगों के साथ लैंगिक रिश्ते रख चुकी हूँ। इसलिए जब हमारी पहली मुलाक़ात के बारे में सोचती हूँ तो हॉट सेक्स का हॉट विवरण मेरे दिमाग में सबसे पहले नहीं आते। मुझे यह बात याद है कि उसने हमारे सेक्स के बीच, ब्रेक में, सिगरेट फूंकी थी क्योंकि मैंने उसे बताया था कि निकोटीन की महक से कैसे मेरी कामलिप्सा दमक उठती है। मुझे याद है मेरे नितंब पे उसके हाथों की छुअन, और मुझे याद है कि जब उसने रात मेरे यहां नहीं बितायी तो मुझे कैसा लगा था: मुझे और फक करना था, मुझे उसकी बाहों को नरमी से चूमते रहना था, मुझे उसकी त्वचा को अपने करीब रखकर साँस लेनी थी, मुझे मॉर्निंग सेक्स चाहिए था। ऐसा महसूस कर रही थी मैं। फ़ास्ट फॉरवर्ड करते हैं - कुछ घिसे पिटे/साधारण मेसेजेस, मेरी तरफ से गर्म-दिमागी से की हुई ब्लॉकिंग, कुछ मिस्ड कॉल्स, एक मेसेज जिसमें 'लेटर, प्रेरणा' लिखा था और मेरी तरफ से एक क्षमायाचना- से उस समय तक जब मैं हाल ही में उसे मिली; शायद पहली दफ़ा मिलने के कुछ दो हफ़्तों बाद। जैसे पहले भी हुआ था, वह देर रात मेरे घर आया: जो फ़क करने और दो अजनबियों से बढ़कर कुछ होने का ढोंग करने के लिए बिलकुल सही समय था। ज़ाहिर है हमने सेक्स किया, और इस बार हमने ब्लाइंडफोल्ड (आँखों पे पट्टी) बाँधने का तरीका आज़माया जो उसके वीर्य निकलने के पहले निकल गया। मेरे कम ब्लड प्रेशर के गंभीर मामले, चिंता की वजह से होने वाले पीठ की तकलीफें और उस रात मेरे अचानक होने वाले खराब पेट के बावजूद, सेक्स अच्छा था और उसके पसीने से तर बदन से लिपटे मेरे बदन का एहसास मुझे पसंद था। मुझे उसकी गांजे/वीड से महकी साँसें और किस करते वक्त मेरे यह कहने पे, "मैंने अभी उलटी की" उसका प्यारेपन, दोनों मोहक लगे थे। हमने पीछे से सेक्स किया और खिड़की के पास सेक्स किया और गद्दे पे सेक्स किया और फिर उसका वीर्यपात हो गया और फिर उसने कहा कि आइस क्रीम खरीदें और मेरे घर के पास डॉकयार्ड पे जाएँ। रात के इस समय तक, मेरा दिमाग सामाजिक बर्ताव की बाइनरी को भूल जाता है - और असहजता से 'यहाँ से भग लो, जानेमन, हम सिर्फ अजनबी हैं' और 'उफ़, ज़रूर!! मैं तुम्हारे साथ बच्चे भी गोद लूंगी, मेरे गाजर की की खेती वाले न्यारे' के बीच डोलने लगता है। हालांकि उसके सुझाव पे मैं बिलकुल भी नहीं डोली। मुझे उसके साथ डॉकयार्ड जाना था। मुझे पता लगाना था कि वह अपनी आइस-क्रीम कैसे खाता था: एकदम धीरे या एकदम तेज़ । मुझे जानना था कि पहली बार हस्तमैथुन करने पे उसको कैसा लगा था। मुझे समुद्र किनारे बैठ कर उसे दुनिया देखते हुए देखना था। इस सब के बीच - एक बातचीत थी, जहाँ उसने मुझसे पुछा कि सेक्स के बाद मेरी किस्सेस/चुंबन का क्या मतलब था क्योंकि उसे वह 'अलग लगती' थीं। मुझे उसे धीरे से बताना था कि इन किस्सेस का मतलब था कि मेरी चिंता कुछ वक्त के लिए बंद हो गयी थी; कि मेरी छाती फिर से हलकापन महसूस करना सीख रही थी; कि मैं सहानुभूति स्वीकारना सीख रही थी; कि मुझे एक ऐसे अजनबी से प्यार करना और पाना था जिससे मैं सिर्फ दूसरी बार मिली थी। मुझे उसे ऐसे चूमना था जैसे वाकई मेरा रोम-रोम उसे चूमना चाहता था। मैं चाहती थी कि वह मेरे होंठों को ऐसे स्वीकारे और मुझे ऐसे छुए जैसे उसका भी रोम-रोम यही चाहता था। मुझे नहीं लगता कि दूसरी बात सच हुई। काफी महीनों में पहली बार, मैं एक दूसरे इंसान के बारे में जिज्ञासु थी। इस जिज्ञासा के ख्याल ने मेरी छाती को हल्का कर दिया। मैं अपने आप को सकारात्मक भावनाओं की अनुभूति करने का एक और मौका देना चाहती थी। और इसलिए, हमने उसकी करीब-करीब-हिप्स्टर-करीब-करीब-मेरी-कामुक-कल्पनाओं/वेट-ड्रीम-से-बनी पीली वेस्पा पर सैर की और हालांकि मैं बीते सालों में ज़्यादा रोमानी रह चुकी हूँ, मुझे लगता है उस रात मेरे प्रदर्शन अच्छा रहा। ना हम डॉक्स तक पहुँच पाए ना आइस-क्रीम खरीदने के लिए, लेकिन हमने रात के १ बजे चाय पी। मैंने उसकी आँखों को मेरी तरफ देखते हुए पकड़ लिया जब मैं (लगभग) नज़र फेरे खड़ी थी। एकदम घिसा-पिटा सीन, है ना? अगर मैं १९ वर्ष की होती, तो इस रात के ख्याल से भी कामोन्माद पा लेती। लेकिन जब मैं १९ वर्ष की थी, तब मेरा ऐसी मानसिक स्वास्थ्य समस्या के साथ निदान भी नहीं किया गया था, जो आगे चलकर मुझे प्यार में पड़ते समय अपनी खुद की नब्ज़ भी नहीं महसूस करने देती। मुझे नहीं पता कि उस रात मैंने क्या महसूस किया, लेकिन मैंने उसे सैर के बाद फिर घर पे आने के लिए कहा। पहले वह थोड़ा हिचकिचाया, लेकिन घर की खिचड़ी के लिए थोड़ी चाहत थी और 'हम बस हैंग कर सकते हैं, अपने कपड़ों सहित' एक अच्छा स्नेहक मालूम हुआ। लिफ्ट में वह मेरे सामने खड़ा हुआ, और जब मैंने उसे चूमने की कोशिश की - वह सी.सी.टी.वी (cctv) ढूंढने लगा। मैंने तो उस बारे में सोचा भी नहीं था। मुझे बस उसे अलग-अलग जगहों में चूमना था, क्योंकि मैं जानती थी कि उसे एक और बार मिलने की संभावना कम थी, और मेरे दिल को अपनी खुद की क्षमताओं की याद दिलाने के लिए मुझे इसकी ज़रुरत थी। उसने खुद खिचड़ी ली और मैंने ज़िद्द की, मेरे बनाये हुए चिकन को गरम करने की। हम कमरे में गए और कुछ बातचीत की जो मैं अब भूल रही हूँ। उसने कहा कि खिचड़ी ने उसे फिर से फ़क करने की ताकत दी थी, और इसलिए हम फिर लग गए। ज़ाहिर है, सेक्स बढ़िया था। उसने मेरी योनि को मन से चाटा और मुझे उस क्रिया से कामोन्माद भी प्राप्त हुआ - जो आखरी बार तब हुआ था जब मैं एक लड़की के साथ रिश्ते में थी - तो मैं बस उसके गले लगना चाहती थी और अगले कुछ दिन कितने आनंदमयी होने वाले थे उसके लिए उसका शुक्रिया अदा करना चाहती थी। खासकर मेरे मानसिक स्वास्थ्य निदान के बाद, मैं भूल चुकी हूँ कि मशगूल सड़कों पे अकेले चलते समय दिमाग में एक स्लो सॉंग का अटके रहना कैसा लगता है। कैसा लगता होगा: मुक्त करने वाला एहसास होगा वह, या अकेला महसूस करवाने वाला या कामुक; मुझे आने वाले दिनों में ही मालूम पड़ने वाला था। जैसा की टिंडर की बातचीत में अक्सर होता है, हमने उन लोगों की भी चर्चा की जिनके साथ हम सो रहे थे। जहाँ मैंने उसे मेरी ज़िन्दगी में दो और लोगों की मौजूदगी के बारे में बताया, उसने कहा कि वह किसी और के साथ नहीं सो रहा था हालांकि कुछ लोग उसके साथ सोने के लिए राज़ी थे। मैं कल्पना करती थी। वह एक सुन्दर ब्राउन लड़का है जो गोल फ्रेम वाले हिप्स्टर चश्मे पहनता है, और जीविका म्यूजिक बनाकर कमाता है, संगीतकार है । 'तुम औरों के साथ क्यों नहीं सोये हो?' मैंने कुछ हद तक जिज्ञासा और कुछ हद तक उसको अपनी बाहों में लिपटे रखकर बातचीत जारी रखने की ज़रुरत से पूछा। 'क्योंकि हाल ही मैं किसी को पसंद करने लगा हूँ। लेकिन पता नहीं वह सब कहाँ जा रहा है।', उसने कहा। मुझे याद है कि यह कहते समय वह मुस्कुरा रहा था, लेकिन शायद वह वीड, सेक्स और खिचड़ी से हाई था। मैं कन्फ्यूज़्ड थी: 'लेकिन तुम मेरे साथ सो रहे हो'। 'मैं तुम्हें पसंद करता हूँ', उसने कहा, मेरे चेहरे से नज़रें चुराते हुए। जब उसने इस बार रात मेरे घर नहीं गुज़ारी, तो मुझे ज़्यादा हॉर्नी नहीं महसूस हुआ। मैं सेक्स के लिए तड़प नहीं रही थी। मुझे मॉर्निंग सेक्स नहीं चाहिए था। असल में, मुझे मॉर्निंग सेक्स चाहिए था, लेकिन वह उसे 'गुड नाईट' चूमने और 'गुड मॉर्निंग' गले लगने के एहसास के साथ उलझ गया था। मैं उसे गले लगना चाहती थी और उसे स्पून करना- उससे चिपट कर चम्मच के आकार में एक साथ सोना- चाहती थी और रात के बिछोने बीच उसकी पीठ को चाटना चाहती थी क्योंकि मुझे याद है कि कैसे मेरे चाटने से वह चंचल होकर चिढ़ता था। मुझे चाट के उस क्षति को साफ़ करना था जिसके बारे में वह पहले हँस रहा था। मुझे एक क्लीशे का एहसास हुआ: एक टूटा हुआ लड़का, और उसकी उन्मत्त पिक्सी/परी। मेरे आम नारीवादी जीवन में एक ऐसी रोमानी गड़बड़। इस क्लीशे की निंदा करने की मेरी राजनीति की आदत, एक वजह है कि मैं रिश्तों के बारे में आशंकित हूँ: 'एक रिश्ते में 'देखभालकर्ता' की भूमिका में संरचित होने की वजह से अगर मैं अत्यधिक भावनात्मक श्रम कर देती तो क्या होता?'। पता नहीं, लेकिन इनमें से कोई भी शंका उस बेचैन रात को नहीं उभरी। मुझे बस उसे कस के पकड़ना था और कभी छोड़ना नहीं था। मैं किसी भी तरह से चाहती थी कि वह वापस आये और मैं उसपे मेरी छाती में बसी गांठों को खोलने के लिए चिल्लाना चाहती थी। इस बात को एक हफ्ता बीत चुका है, और दिल में पड़ी वह गांठें अब भी ढीली लटक रही हैं - बस उनमें कुछ पहेलियाँ जुड़ गयी हैं।