२०१३ की बात है, मेरा और ए.डी. का ग्राइंडर पर मैच हुआ। यह बस एक और कैज़ुअल मुलाक़ात थी जो एक दूसरे से अपने स्थान, पसंद और सबसे ज़रूरी, तस्वीरों के बारे में पूछने के साथ शुरू हुई। मैंने हमेशा से अपनी खुद की तस्वीरों का ही इस्तमाल किया है। क्योंकि मैं आम तौर पर सावधान रहता हूँ, मेरे जैसे दूसरे लोगों ने मुझे अपनी असली तसवीरें इस्तमाल करने के खिलाफ चेतावनी दी। लेकिन मेरा तर्क सरल है। सिर्फ वही लोग जो ऍप पर हैं यह जान सकते हैं कि मैं भी ऍप पर हूँ। भगवान की दया से शकल-सूरत से मैं काफी अच्छा-ख़ासा दिखता हूँ, तो मुझे अच्छी प्रतिक्रिया ही मिलती है। लेकिन मैं कभी पहला कदम नहीं उठाता, सिर्फ उन्हें प्रतिक्रिया देता हूँ जो मुझे पहले मेसेज करते हैं।
तो फिर मैं उसे इस ऍप पे मिला।
वह मुंबई में सीमित समय के लिए था, और मेरे ऑफिस के पास वाले दफ्तर में इंटर्नशिप कर रहा था। ग्राइंडर से व्हॉट्सऍप का सफर हमने बहुत जल्दी तय किया और वहां से फोन पर वॉइस नोट और तसवीरें साझा करने का मंत्रमुग्ध सिलसिला शुरू हुआ। यह सब बहुत ही रोमानी था।
वह अक्सर ऐसी बातें करता था: "मुझे तो तुम्हारा नशा हो गया है..."। "मैं एक पल भी तुम्हें छुए बगैर नहीं रह सकता" और वह ऐसा कभी करता भी नहीं था!
जल्द ही बातों को ऑफलाइन ले जाने का समय आ गया। करीब एक हफ्ते या दस दिनों तक मंत्रमुग्ध ऑडियो और एक दूसरे की तसवीरें साझा करने के बाद, हमने आखिर मिलने का फैसला किया। मैं उसे दादर में उसके ऑफिस के बाहर मिलने वाला था।
हम मिले और फिर मिलते रहे। मैंने अपनी ज़िन्दगी में पहले कभी ऐसे भावनाओं की बौछार का अनुभव नहीं किया था। वह अपना काम ख़तम करके सीधे मेरे ऑफिस आ जाता। मैं उसे वाई-फाई का कनेक्शन दे देता और मेरे विशाल ऑफिस के रिसेप्शन में बने एक केबिन में वह मेरा इंतज़ार करता। मैं जल्द-से-जल्द काम ख़तम करता और हम दोनों हमारी गाड़ी में दक्षिण मुंबई के रोमानी अड्डों पर सैर करने के लिए निकल जाते।
गाड़ी चलाते वक्त, वह पूरे समय अपने हाथ मुझपर से नहीं हटाता। जब हम गाड़ी से निकलते तब भी नहीं। चाहे मरीन ड्राइव हो, जहां हम समुन्दर के सामने बैठ कर म्यूज़िक सुनते थे, या स्कैंडल पॉइंट या ब्रीच कैंडी के टाटा गार्डन में, या सिनेमा हॉल में, या फिर आर.सीचर्च के आसपास वाले वर्णनातीत गाँव-जैसी - जगहों में - वह मुझे चूमता और शारीरिक रूप से अपना लगाव दिखाने का छोटे से छोटा मौका भी नहीं छोड़ता, बिना हमारे आस-पास के लोगों को अजीब महसूस कराते हुए। वह यह मौके बहुत कुशलता से ढूंढ लेता।
ऐसी एक वार्दात अब तक मेरे दिमाग में ताज़ा है। २०१३ में जून के बीचों बीच की बात है - साल का वह समय जब मुंबई की हमेशा अनियमित फिर भी कभी कभार रोमानी बारिश का मौसम लगता। हमने गाड़ी टाटा गार्डन के सामने वाली गली में पार्क की थी। हमने ब्रीच कैंडी से श्रीखंड खरीदा था। गाड़ी में, उसने मुझे इस श्रीखंड को अपने होठों पे मलने के लिए कहा था, और फिर सैकड़ों बार उसे मेरे होठों से चाटा और खाया था।
अक्सर हम उचित दाम वाले स्टेटस रेस्टोरेंट में नाश्ता करते और कुछ देर गाड़ी में सैर करने के बाद, मैं उसे चर्चगटे स्टेशन पर छोड़ देता ताकि वहाँ से वह उत्तर मुंबई में रहने वाली अपनी आंटी के घर जा सकता। हम दोनों के लिए वह बिछड़ने का पल सबसे कठिन होता।
'मैं तुम्हारे अंदर खो चुका हूँ' के नए मायने - एनल सेक्स (गुदा में लिंग का प्रवेश)
लेकिन हमारा रिश्ता सिर्फ चुंबन पर आकर नहीं रुका। उसे इस रिश्ते को आगे ले जाना था। पूरी तरह से संभोग करके। मैंने ऐसा पहले कभी नहीं किया था। वह मुझसे उम्र में छोटा है (मैं ३४ और वह २५) लेकिन मुझसे काफी ज़्यादा समझदार, और उसे मुझसे सेक्स के बारे में काफी ज़्यादा ज्ञान था। हालांकि वह मेरे बड़े शहर में एक छोटे शहर से आया था, यौवन और किशोरपन के बीच उसने अपने जीवन में जल्द ही सेक्स के कई पहलू देखे, सुने और अनुभव किये थे, जिनसे मैं अब तक अनजान था।
हम दोनों के बीच, वह ठेठ 'टॉप'/ऊपर था और मैं 'बॉटम'/निचला- हमारे बीच सब कुछ प्ररूपी 'लड़के'-'लड़की' के रिश्ते जैसा था। उसने मुझे रिझाया ताकि मैं उस से मिलूं, और अब, उसके साथ सोना हमारे बीच के रिश्ते की एक स्वाभाविक वृद्धि थी। हम गहरे दोस्त बन गए थे जिन्हें एक दूसरे के साथ बैडरूम के बाहर भी समय बिताना पसंद था।
तो करीब एक महीने तक लगातार मिलने के बाद, जब एनल सेक्स का समय आया, मुझे लगा कि मुझे मौके के लिए खुद को साबित करना था (जबकि उसके लिंग को उत्साहित होने की अदायगी को निभाना था, हा हा)। मैंने हमेशा सोचा था कि यह दर्दनाक होने वाला था, और यह था भी। लेकिन मेरे साथ एक ऐसा आदमी था जिसने ध्यान रखा कि मुझे चोट ना पहुंचे, और सबसे ज़रूरी बात यह थी, कि वह ऐसा व्यक्ति था जिसके साथ मुझे असल में ऐसा संबंध बनाना था।
फिर एक दिन सेक्स हुआ। उसने मेरे अंदर प्रवेश किया। आखिर, मैंने पहली बार प्रवेश करने वाला सेक्स किया और कामोन्माद मेरे मन मुताबिक़ हुआ। यह एक कड़वा-मीठा अनुभव रहा। कड़वा क्योंकि यह बिलकुल ऐसा था जैसे गुदा में किसी अवजार औज़ार का घुसना, और मीठा क्योंकि यह आपको एक मानसिक और भावनात्मक उत्साह प्रदान करता है। अगर धीरे से, सही तरीके से और नियमित तौर पे किया जाए, तो आप इसका मज़ा लेना सीख जाते हैं।
उसने सेक्स के पहले मुझे अंदर और बाहर साफ़ रहने का महत्त्व समझाया। उसने इस बात का भी ध्यान रखा कि फोरप्ले (सेक्स के पहले होने वाली लैंगिक क्रियाएं) के दौरान मेरा छेद तनाव में नहीं था और लिंग के प्रवेश के लिए तैयार था और हमने अलग अलग पोज़िशन आज़मायीं ताकि हम इसे सफलतापूर्वक कर सकें। हर मायने में, वह मेरा सेक्स-गुरु है। उसने मेरी पहचान ज़ाईलोकेन नामक जेल से करवाई, जो गुदा पे लगाए जाने से दर्द को सुन्न कर देता है। वह पहला आदमी है जिसे मुझे ब्लोजॉब/मुख मैथुन देने में मज़ा आया। उसके भरे होंठों ने मेरे शरीर के हर हिस्से पे हर चुंबन को उत्तेजक और ख़ास बना दिया, क्योंकि मैं उस से भावनात्मक रूप से भी जुड़ा हुआ था। वह समझदार था और उसने प्रोटेक्शन का इस्तमाल किया और हम दोनों जानते थे कि इसके अलावा सेक्स करने का और कोई तरीका नहीं था।
लेकिन सब कुछ इतना हमवार भी नहीं था, जितना मैं जता रहा हूँ। क्योंकि मुझे गुदा/एनल सेक्स का तजुर्बा नहीं था, पहली बार इसे करने में काफी दिक्कतें आयीं। सबसे पहली और बड़ी दिक्कत होती है प्रवेश के लिए तैयार ना होना (मानसिक और शारीरिक रूप से)। तो पहले, मुझसे यह हुआ नहीं, लेकिन हमने अलग-अलग पोज़िशन आज़मायीं और उसने धीरे से और संवेदनशीलता से प्रयत्न किया, तो आखिर यह हो गया, हमें टेढ़ा होकर यह करना पड़ा। सबसे बड़ी दिक्कत थी अंदर से साफ़ रहना क्योंकि इससे कंडोम पर कुछ बेमज़ा दाग बन सकते थे, जो उत्साह को पूरी तरह से ख़तम कर सकते हैं।
मैं डटा था कि हम इस अनुभव में आत्मीयता और गहरे कनेक्शन को लेकर आएं। लेकिन अब पीछे देखते हुए, मुझे लगता है कि शायद यह आपसी भावना नहीं थी।
पहली बार सेक्स करने के बाद, हमने एनल/गुदा सेक्स ६ बार और किया और हर बार मुझमें प्रवेश करने के उसके जूनून को मैंने कम होते हुए महसूस किया। मैं तो बहुत चाहता था कि शैय्या में मैं उसके लिए सबसे बढ़िया विकल्प बनूँ लेकिन मुझे यह नहीं पता था कि हमेशा आगे बढ़ते रहना ही उसकी प्रवृत्ति थी।
उन चंद लैंगिक अवसरों के बाद, हम एक ही मुकाम तक जाते - फोरप्ले के, जैसे चुम्बन करना और उसे ब्लोजॉब देना, यानी मुख मैथुन करना। फिर वह पीछे हट जाता। आगे बढ़ने को वह हमेशा टाल देता, अक्सर यह कहके कि उसका मूड नहीं था। शायद यही हमारे रिश्ते की मौत की घंटी थी, मुझे नहीं मालूम। क्योंकि अक्सर समलैंगिक पुरुष रिश्तों में, सेक्स एक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
जब हमारी सेक्स लाइफ लटकी हुई थी, दूसरे आदमियों के साथ कामुक चैट्स करने की तरफ उसका रुझान और नए बुलबुले-बमों पे विजय घोषित करने की उसकी कल्पनाओं ने मुझे सताना और नाकाफ़ी महसूस करवाना शुरू कर दिया। जिसने अनजाने में मेरी इस नए कामुक खेल से पहचान करवायी थी, उसने अब मुझे इन नयी तृष्णाओं के साथ छोड़ दिया था, जो मैं सिर्फ उसके लिए महसूस करता था।
'रिम' झिम गिरे सावन
गहरी तरह से ‘रिम’ किए जाने का ख़याल - जहां आपका पार्टनर आपके बम/गुदा के साथ जुनूनी प्यार अभिव्यक्त करता है और अंतिम संभोग के लिए धीरे से आपको खोलता है (अपनी उँगलियों और जीभ से), अपने पार्टनर को इरेक्ट/उत्साहित कर देने वाले ब्लो (अपने मुंह से लिंग को चूसना) देने कि आपकी चाह, और सेक्स की क्रिया को अपनी चरम सीमा पर ले जाने की संतुष्टि (प्रवेश से कामोन्माद होना) - ऐसा था जैसे अंतरंग सुख की एक झलक पा लेना- और फिर छोड़ दिया जाना, जन्नत के रास्ते पर, आधे रास्ते दूर।
हाँ, मुझे दूसरों का ध्यान मिल रहा था, लेकिन मेरा दिल और मेरा शरीर दोनों उसे ही चाहते थे। शायद इसलिए यह और भी तीव्र भावना हो गयी थी क्योंकि मुझे उसके प्रति, उसकी तरफ जुनूनी आकर्षण और विश्वासघात, दोनों भावनाओं का जानलेवा मिश्रण महसूस हो रहा था...साथ में हीन भावना का आभास भी था, क्योंकि वह अब और पार्टनर ढूंढने लगा था (चाहे वह सिर्फ चैट पे क्यों ना हो, जैसा कि उसने जताया था)।
उफ़, अब भी कुछ कुछ होता है!
यह सब होने का बावजूद, हम एक साथ रहते, और इस बात ने मुझे अस्पष्टता के चक्रव्यूह में फँसा दिया। हम अपना सारा समय इकठ्ठा बिताते। हम एक दूसरे को चूमते, प्यार जताते और सचमुच संग रहते थे। हम जताते कि हम एक दूसरे के लिए बेहद ज़रूरी थे/एक दूसरे की प्राथमिकता थे, जबकि सेक्स के हमारी ज़िन्दगी से रफा दफ़ा हो जाने के बाद, मेरे दिन का चैन भी उसी के साथ उड़ गया था।
एक रात, मैंने चालाकी से उसका फोन चेक किया और ऐसे काफी चैट्स पाए जहाँ उसने कहा था कि उसे एक आदमी को 'एक घंटे के लिए' रिम करना था, एक से शादी करनी थी, और वो एक को 'अपनी बिच' - मादा - बनाना चाहता था। मैं हिल गया। और इस बात ने मुझे जगा दिया। हमारे बीच बहुत बड़ा झगड़ा हुआ।
फिर एक रात, नशे में, उसने कबूल किया कि वह एक ऐसे आदमी से मिला था जो इतना पतला था कि उसने इसे उठाकर उसके साथ सेक्स किया था। उसे यह बताते हुए बिलकुल हिचकिचाहट नहीं महसूस हुई जबकि हम दोनों के बीच एक्शन की कमी के वजह से तनाव बढ़ता जा रहा था।
लेकिन हम अब भी एक दूसरे को छोड़ना नहीं चाहते थे, तो हम हर जगह इकठ्ठा जाते, हमेशा साथ रहते। कुछ समय बाद, यह सब मेरे लिए बहुत जटिल बन गया। हाँ, सेक्स तो ख़तम हो चुका था, लेकिन हमारे बीच अब भी चुंबन, आलिंगन और शैय्या में आत्मीयता थे। पी.डी.ए. / Public display of affection (खुले आम एक दूसरे के लिए अपना प्यार ज़ाहिर करना) ख़तम हो चुका था, लेकिन हमें सचमुच एक दूसरे की परवाह थी। उसी समय, वह दूसरों के साथ वही चीज़ें करना चाहता था जो मैं उससे चाहता था, और यह बात मुझे पागल बना रही थी।
हमारा रिश्ता (अगर मैं इसे रिश्ता बुला सकता हूँ) करीब २ साल बाद शक्तिहीन होने लगा जब वह अपने जॉब के लिए शहर के दूसरे कोने में जा बसा। हमारा मिलना कम हो गया, लेकिन हम अब भी हर दिन चैट करते थे। मैं उसका उपहास करता था क्योंकि उसे मुझ में शारीरिक रूप से दिलचस्पी नहीं थी, और उसे दूसरों में दिलचस्पी दिखाने के लिए ताने देता रहता। जिस बात से मैं सबसे ज़्यादा असुरक्षित, भयभीत और ईर्ष्या महसूस करता वह यह खयाल था: कि वह किसी गोरे, दुबले लड़के को लैंगिक सुख दे रहा था, कोई सुंदर जवान चीज़, जो मुझ परहँसता होगा, क्योंकि वह उन सुखों का मज़ा उठा सकता था जो मैं इस एक आदमी से चाहता था और हासिल नहीं कर पा रहा था।
दिलचस्प बात यह है कि, अब हमारे बहुत से कॉमन दोस्त थे जो सब एक व्हॉट्सऍप ग्रुप पे थे और नियमित रूप से मिलते थे, तो किसी तरह हमारी फोन या चैट पर बात हो ही जाती।
कभी-कभी हम सेक्स और प्यार को अलग समझते हैं, और शायद वह हैं भी। लेकिन कुछ प्यार लैंगिक होते हैं, जहां भावना, शरीर और कनेक्शन सेक्स की आत्मीयता में एक साथ जुड़ जाते हैं। यह एक नशा है, ऐसा नशा जिसे भूलना मुश्किल है, क्योंकि यह रूह की गहराइयों में बसता है।
आज हम अलग अलग देशों में हैं और अब भी व्हॉट्सऍप पर चैट करते हैं। हम अब भी उस व्हॉट्सऍप ग्रुप का हिस्सा हैं। और एक दूसरे को सोशियल मीडिआ पर फॉलो करते हैं। लेकिन निजी चैट में मामला हमेशा बिगड़ जाता है, हम अपने शब्दों से खून की होली खेलने लगते हैं, क्योंकि मैं अब भी इस बात का सामना नहीं कर सकता कि अब उसे मुझ में पहले जैसी दिलचस्पी नहीं है।
नोट: वह हमेशा बातचीत के अंत में कहता है कि मैं बहुत आकर्षक हूँ और मुझ में कोई कमी नहीं है और कोई भी आदमी मुझे बहुत पसंद करेगा लेकिन वह किसी के भी साथ कुछ ही दफ़ा सेक्स कर सकता है।
बढ़िया कोशिश, मैं उससे कहना चाहता हूँ।
*इस कहानी के नाम और पात्र सिर्फ प्रतिनिधित्व उद्देश्य से हैं और इस कहानी का इनकी लैंगिकता या स्वास्थ्य की स्थिति से कुछ लेना-देना नहीं है।
हम GRINDR पे मिले और हमारा सेक्स इतना अन्तरंग था की मैं उसे भूल नहीं पाता
कुछ प्यार लैंगिक होते हैं, जहां भावना, शरीर और कनेक्शन सेक्स की आत्मीयता में एक साथ जुड़ जाते हैं। यह एक नशा है, ऐसा नशा जिसे भूलना मुश्किल है, क्योंकि यह रूह की गहराइयों में बसता है।
लेखन: कॉम्प्लेक्स कैरेक्टर
चित्रण: शॉन डी सूज़ा
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