खुद को देखना
मुझे डर था कि मैं उससे प्यार कर बैठूंगी, और वो वास्तव में ट्रांस औरत से प्यार करने के लिए तैयार नहीं होगा।
अंतरा, 25 साल, ट्रांस औरत , बायसेक्सयुअल
कुछ साल पहले, मैं 21 साल की थी और किसी के प्यार में नहीं पड़ी थी। मैं घंटों अपनी टिंडर प्रोफाइल के लिए सेल्फी लेती रहती थी। मैं हर हालत में औरत दिखना चाहती थी। मुझे जैसे लगता था वैसे मैं दिखना चाहती थी।
उन्हीं दिनों में मैंने बिंदियों के साथ प्रयोग करना शुरु किया - बड़ी लाल बिंदियाँ जो मेरी लिपस्टिक और नकली चांदी के झुमकों के साथ मॅच करती थी। मैं फोटो ऊपर से लेती, मेरी ठुड्डी बाहर और एक तरफ़ को रखकर लेती, ताकि मेरा पूरा मुँह आप नहीं देख पाते।
टिंडर के ज़रिये मेरी दूसरी ‘डेट’ एक ऐसे लड़के के साथ हुई जिसने अपनी बीयर इतनी फटाफट ख़त्म कर दी थी कि वो मेरी बीयर पीने लगा था। मैं हाल ही में दिल्ली आयी थी, और उसे उसके घर में मिली थी। हाँ, मुझे पता है, सबने मुझे कई बार पूछा है मैं क्यों एक अजनबी से हमारी पहली भेंट पर उसके घर में मिली। मेरे पास इसका जवाब नहीं है।
वो इकलौता इंसान है जिससे मेरा पागलों सा, एकदम- वास्ता बन गया। उसने मुझे बहुत हँसाया, और हम देर रात तक उसकी छत पर बातें करते हुए बैठे रहे। लेकिन उसके बाद न हम मिले और न ही हमारी बात हुई। मुझे डर था कि मैं उससे प्यार कर बैठूंगी, और वो वास्तव में ट्रांस औरत से प्यार करने के लिए तैयार नहीं होगा।
उस रात के मेरे डर का एक छोटा हिस्सा मेरे रूप के कारण था। क्या वो कभी एक ऐसी नारी से प्यार करना चाहेगा जो उसकी दूसरी सहेलियों जितनी - ‘स्त्री’ जैसी नहीं दिखती? और उसने भी मुझे दोबारा फोन नहीं किया, तो वो बात उधर ही ख़त्म हुई। फिर भी मुझे कुछ वक़्त लगा उस मुलाकात को भूल जाने में और यह जानने में कि प्यार यूं ही होता है … कभी हाँ, कभी ना, आधा हाँ, आधा ना।
उन दिनों मैं जूझती रहती, लगी रहती - एक ओर वैसी चीज़े करने में जो मेरी आस-पास की दूसरी औरतें करतीं, और दूसरी ओर ‘ख़ुद’ जैसे बनने की कोशिश में । आज मैं अपने उन मित्रों पर हँसती हूं जिन्हें स्टिलेटो और चमकीला लिपस्टिक पहनी हुई औरतें अच्छी लगती हैं। मैं ऐसे लोगों से मिलना चाहती थी जिन्हें मैं अगर मेरी पुराने कॉटन पैंट में मिलूं और धडाधड उस ही उत्तेजित तरीके से फ़िल्मों के बारे में बात करू जैसे वो अपनी पसंदीदा चीज़ों के बारे में बात करते हैं - फिर भी मैं उन्हें आकर्षक लगूँ।
अब, चार साल बाद, मुझे ऐसी औरत मिली है। हम एक साल से साथ हैं। उसके साथ मैं इसके बारे में कम सोचती हूं कि मैं कैसी दिख रही हूँ ।
मेरे कुछ कहने से बहुत पहले उसने अपने प्यार का मुझे बयान दिया। दो महीनों भर, मुझे इस बात से जो ताकत मिली, बड़ी अच्छी लगी। मैंने बहुत सुना था कि मुझे सच्चा प्यार नहीं मिलेगा, शायद इसलिये यह मेरा सुरक्षा कवच सा था।
जिस दिन मैंने मेरी सहेली से कहा मैं भी उससे प्यार करती हूं, हम डामिनोज पिज्जा में बैठे इस पर झगड़ा कर रहे थे कि चिकन या वेजिटेरियन पिज्जा मंगाए। “मैं तुमसे प्यार व्यार तो करती हू,” मैंने उससे कहा था, “लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि तुम मुझसे वेजिटेरियन पिज्जा मंगवाओगी!”
उसे देखना
मैंने लोगों को पसंद किया पर कभी ख़ुद पहल नहीं की। उनका मेरी ओर कदम बढ़ाने का ख्याल मुझे अच्छा लगता है। उसके बजाय मैं उनको फेसबुक पर चोरी छिपे देखती हूँ।
शिलोक, 21 साल, ट्रांस औरत , हेटेरोसेक्सयुअल
ज़्यादा करके मैं मर्दों को कौफी पीने के लिए मिलती हूं, या फिर अंजान गलियों में साथ चलने के लिए। अगर वो मर्द दिखने में अच्छा और सेक्सी हो, तो फिर मैं कुछ नहीं बोलती। मैं हरदम उनसे उनके पिछले प्रेम संबंधों के बारे में पूछने की कोशिश करती रहती हू, और क्यों और कैसे वो अपनी पिछली प्रेमिकाओं से बिछड़ गए, क्योंकि आपको पता है, कभी कभी मर्द प्रेम संबंध के बारे में सीरिअस ही नहीं होते? और मैंने कालेज में मनोविज्ञान पढ़ा है, तो वो सब ज्ञान मैं मर्दों पर इस्तमाल करती हूं, जैसे शरीर के हाव भाव की भाषा, उसकी क्या प्रतिक्रिया है, ऐसी बातें।
कालेज में मैंने मेरे सहपाठियों को प्रेम संबंधों में पड़ते हुए देखा। प्रेम नशीला होता था, तेज़ी से होता था और उद्देशशील रहता था, ऐसा प्यार जो रोमांचित कर दे। आप इसे पीयर प्रेशर कह सकते हो, लेकिन मैं बस यह जानना चाहती थी कि प्रेम संबंध में रहना कैसा लगता था।
तब मैंने डेटिंग एप इस्तेमाल करना शुरू किया, नये लोगों से मिलने के लिए, लेकिन मुझे उतनी सफलता नहीं मिली। एक बार मैं एक ‘लव मीट’ में भी गयी, जो मेरे एक मित्र ने LGBT समुदाय के लोगों के लिये आयोजित की थी। हम सब कब्बन पार्क में बैठे थे - बंगलूर में सभी ने अनगणित प्रेम कहानियाँ इधर शुरू होती हुईं या ख़त्म होती हुईं सुनी है। हम सबने एक दूसरे से बातचीत की, और मीटिंग के आख़िर में उस ग्रूप के ऐसे एक शख़्स का नाम लिखा जिसे हम दोबारा मिलना चाहेंगे। अगर उस शख़्स ने भी आपका नाम लिखा था, तो फिर आप उनसे फिर मिल सकते थे। लेकिन उधर भी बात आगे नहीं बढ़ी।
जब मैं और जवान थी (और ज़्यादा भोली भी), मैं यह मानती थी कि मैं एक ऐसी लड़की हूँ जो बड़ी होगी, पढ़ाई करेगी, प्यार में पड़कर शादी करेगी और बच्चा पैदा करेगी। उन दिनों मेरा पक्का विश्वास था कि मुझे एक ऐसा शख़्स मिलेगा जो मुझे समझेगा, मेरे साथ अच्छे से बर्ताव करेगा, और जो दयालू होगा।
अब मेरी माँ इस बात की चिंता में पड़ी रहती है कि शायद मेरी कभी भी शादी नहीं होगी, क्योंकि ट्रांस लोगों की प्रेम कहानियाँ अक्सर असफल होती है। इसका एक कारण एक अपराध बोध सा है, कि हमारे बच्चे नहीं होंगे। लेकिन मैं यह जान गयी हूं कि शादी के बारे में इतनी आसानी से बात करना बहुत कठिन है, क्योंकि ऐसा शख़्स मिलना जो आपके लिए ठीक हो और आपके साथ रहना भी चाहता हो, आसान नहीं।
लोग देख रहे हैं
प्यार सबसे आसान चीज़ मानी जाती है, लेकिन वो है नहीं।
अतुल, 23 साल, ट्रांस आदमी , हेटेरोसेक्सयुअल
मैं खुद के बारें में प्रश्नो का आदी हूँ, पर मेरी वजह से कोई उसे कुछ कहे , सिर्फ इसलिए कि वो एक ट्रांस आदमी से मिल रहीं है, यह मुझे बिल्कुल नापसंद होता। उसने पार्टी के बाद वाले दिन मुझे 23 मिस्ड काल दिए थे। मैंने कभी उसे फिर से कॉल नहीं किया ।
जब मैं 19 साल का था ना, तब मैं बंबई में एक किताबों की दुकान में एक औरत से मिला। वो हेमिंगवे की किताब देख रही थी और मैं कार्वर की किताब पढ़ रहा था। उसने मेरा नंबर अपने हाथ पर लिखा - आजकल यह सब कौन करता है? खैर, एक दिन उसने मुझे अपनी सहेली के घर पार्टी पर बुलाया। मैं पार्टी में जानेवालों में से नहीं था, लेकिन जब उसने कहा कि वो मुझे वहाँ देखना चाहेगी, तब तो मुझे जाना ही था।
पार्टी में मैंने उसे दो किताबें भेंट कीं, क्योंकि हम किताब की दुकान में मिले थे। जब मैंने ऐसा किया, उसकी सभी सहेलियाँ एक दूसरे को इशारे करने लगी। फिर वहाँ पर एक आदमी उसकी तरफ मुड़ा और उसके कान में कुछ बड़बड़ाया। वह अपने दखलअंदाज दोस्त को घूरती हुई मेरे साथ वहाँ से निकल आयी। मैंने उस से यह नहीं पूछा कि उस आदमी ने क्या कहा था।
तब मुझे पता चला। प्यार सबसे आसान चीज़ मानी जाती है, लेकिन वो है नहीं।
बहुत औरतों ने, जिनसे मैंने प्यार किया है, मुझे उनके ‘आदर्श’ आदमी का वर्णन बताया है। कुछ ने, मुझे चकित करते हुए, मर्दाना, गोदना- टैटू किए हुए ऐसे आदमी वर्णित किए, जो मैं कभी नहीं बन सकता था। औरों ने दुबले, किताबी कीड़े वर्णित किए, जो बोलते कम और सुनते ज़्यादा थे। ऐसा नहीं कि मुझे उन जैसा बनना था, लेकिन जब मैंने चिकित्सीय परिवर्तन किया, मैं पहले जैसा गोल मटोल रहा, बिना दाढ़ी और बिना चौड़े कंधों के। मैं जिम में जाने के विचार से नफ़रत करती था क्योंकि बहुत से आदमी मुझ पर हँसते हैं। तो मैं क्या करता?
लोग ख़ुद को तो देखें
कोई अचानक मुझसे कहे "ओ मैं तुमसे प्यार करता हूं, मैं तुमसे शादी करना चाहता हूँ " तो मेरे चारों खाने चित्त हो जाते हैं, यह सब मेरे बस की बात नहीं
प्रियंका, 32 साल, ट्रांस औरत, हेटेरोसेक्सयुअल
मुझे प्रेम और प्रेम संबंध के विचार अच्छे नहीं लगते। मुझे लगता है कि आजकल के लोग ‘फैशन’ मानते है यह कहना कि वो किसी प्रेम संबंध में है। ऐसे सिर्फ एक या दो लोग होंगे जो तुम्हें सच्चे दिल से प्रेम करेंगे। प्रेम का मतलब सिर्फ पैसा और सेक्स बन चुका है। इसके सिवा कुछ नहीं रहा।
मर्दों से मैं ज़्यादा करके फोन पर बात करती हूँ। कुछ मर्द मुझसे कोई पार्क में मिलना चाहते है, या फिर कौफी के लिए, और कुछ कहते है कि वो मुझे पिक्चर ले जाएंगे। इसके जवाब में मैं उनसे कहती हूं, पार्क, पिक्चर, इदु येल्ला नानिगे इश्ट इल्ला, मुझे यह सब पसंद नहीं। फिर हम मंदिर में मिलते है। वहाँ और शांति होती है, और वह बातों के लिए अच्छी जगह होती है। हमें ताकती हुई वहाँ कम नज़रें मिलती हैं। और वहाँ बनावटी हँसी देते हुए कम मर्द होते हैं जो मुझे दूसरे मर्द के साथ चलते हुए देख रहे हों ।
सच कहे तो, जब मैं छोटी थी तब मानती थी कि प्रेम होता है। लेकिन वह तीव्र नहीं होता, ऐसा नहीं जो पूरी तरह से हावी हो जाए, एक ज़रूरत की तरह। मेरे लिए प्रेम का यही मतलब था कि जिससे आप प्रेम करो वो कभी आपको धोखा नहीं देगा - इसका मतलब था वो मुझे समझ ले, मुझे क्या चाहिए था, और मैं कौन हूँ।
देखो देखो मुझे प्यार हो रहा है
हमारी बड़ी प्यारी प्रेम कहानी है … मैंने जब उस औरत को पहली बार देखा तभी मैंने मेरी सहेली से कहा था कि वो उसकी भाभी बनेगी, और अब यह बात सच्चाई में बदल रही है।
सार्थक, 28 साल, पुरुष, हेटेरोसेक्सयुअल
जब मैंने मेरे पिता से पहली बार कहा कि मैं एक ट्रांस आदमी हूँ, तब उन्होनें जो पहली चीज़ मुझसे पूछी वो थी, “तुम्हारा कभी अपना परिवार होगा?”
मेरे पिता सिर्फ यह चाहते थे कि मुझे कोई ऐसा मिले जो मेरी देखभाल करे और जिसकी मैं देखभाल करूँ। मैंने उनसे यही कहा कि मैं नहीं जानता। मैंने कहा कि हाँ, मेरा घर ज़रूर होगा, और मैं परिवार पालने की कोशिश करूंगा।
उनकी चिंता मैं समझ सकता था, क्योंकि एक औरत ने, जिससे मैं कॉलेज में प्यार करता था, अपने माता पिता से मेरे बारे में कहा था। तब तक सच कहो तो मैंने शादी और परिवार के बारे में कुछ सोचा नहीं था। उसकी माँ ने बड़े गुस्से में मुझे बुलाया और पूछा क्यों मैं उसकी बेटी की जिंदगी बरबाद कर रहा हूं - पता नहीं क्यों, इस घटना से मुझे मेरे माता पिता से सच कहने का साहस मिला।
अब वो समय एक अलग ज़माना लगता है। मैं मेरी प्रेमिका से अगले साल के शुरू होते शादी कर रहा हूं, और हमारे दोनों परिवार ख़ुश है।
हमारी बड़ी प्यारी प्रेम कहानी है। मैं एक ऐसी औरत के प्रेम में पड़ा जो मुझसे तीन साल बड़ी है। हम बड़े जल्दी और आसानी से मित्र बने। जब जब उसके माँ बाप एक संभावित पति के साथ उसकी मुलाकात रखते, वो मुझे आकर बताती। मैं उसे उस आदमी से मिलने के लिए कहता, लेकिन उस एक घंटे के लिए जब वो उसके साथ रहती, मैं बहुत ही उत्तेजित रहता। आख़िरकार, मेरे कहने से पहले उसने मुझसे कहा कि वो मुझसे शादी करना चाहती थी। लेकिन मैं हर बार इस बात से परेशान रहा हूं कि यह जानकर कि वो एक ट्रांस आदमी के साथ है, लोग उसके बारे में क्या कहेंगे।
जब मैं ऑपरेशन के लिए अस्पताल में था, मैंने सिर्फ उसे अस्पताल में आने दिया। उस समय उसने सभी चीज़ों की देखभाल की - अगर मैं नींद में आवाज़ निकालता, वो मुझे हरदम पूछती मुझे क्या चाहिए। जब हार्मोन की दवाइयों की वजह से मैं क्रोधित हो जाता, वो समझ जाती और मुझे वैसे रहने देती।
मेरी प्रेमिका मेरी सहेली की सहेली है - मैंने जब उसको पहली बार देखा तब मैंने मेरी सहेली से कहा था कि वो उसकी भाभी बनेगी, और अब यह बात सच्चाई में बदल रही है।
अनुवाद - मिहीर सासवडकर
चित्रण - अमृता पाटिल
अमृता पाटिल, लेखिका, चित्रकार, उनकी ग्राफ़िक नावल, कारी(2008), आदि पर्व: चर्निंग ऑफ़ द ओशन ( 2012) और सौपतिक :ब्लड एंड फ्लावर्स ( 2016) लोकप्रिय रही हैं। http://amrutapatil.blogspot.com