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उन्माद पे क्या फसाद है, भाई ? वो सबकुछ जो आप उन्माद/ऑर्गॅज़म के बारे में जानना चाहते हैं।

ओर्गास्म का क्या, कब, कहां, कैसे का जवाब !

एजेंटस, हमने आपसे वादा किया था हम कि सेक्स एजुकेशन को सेक्सी बनाकर पेश करेंगे । इसलिए हमारे परम-पूज्य ऑर्गॅज़म को लेकर अगर आपके मन में कोई भी कम-फ्यूज़न है, तो यहां है, सभी तालों की कुंजी! क्या, कब, कहां, कैसे, ऐसे-वैसे... बोले तो सब कुछ!   कम-फ्यूज़न # 1: ऑर्गॅज़म आख़िर होता क्या है?  ऑर्गॅज़म (मतलब कि चरम सुख या उन्माद या कमिंग) सेक्सुअल आनंद से मिलने वाला एक शारीरिक अनुभव है । उत्तेजना के दौरान जो मांशपेशियां कस जाती हैं, ऑर्गॅज़म के समय वो एक लय में फैलती- सिकुड़ती हैं। और हमेशा तो नहीं, पर कभी-कभी उसके साथ स्त्राव (स्खलन/ejaculation) भी होता है। साथ ही साथ शरीर का तनाव भी निकल जाता है। मोटे तौर पर बोलें तो, ऑर्गॅज़म के 4 चरण होते हैं:
  • उकसाहट / Excitement
  • मांशपेशियों में कसाव/ Plateau
  • ऑर्गॅज़म/ Orgasm
  • नार्मल में वापसी/ Resolution
(सेक्स के रिसर्चर्स विलियम एच. मास्टर्स और वर्जीनिया ई. जॉनसन ने ऑर्गॅज़म की ये थ्योरी निकाली थी । इन रिसर्चर्स के काम और उनके आपसी रिश्ते से प्रेरित होकर, अवार्ड जीतने वाली श्रृंखला, मास्टर्स ऑफ़ सेक्स बनी थी)।  ऑर्गॅज़म तक पहुंचने का सबसे अच्छा तरीका है शरीर के कई कामोत्तेजक भाग (जैसे निप्पल, भगशेफ/क्लिटोरिस और प्रोस्टेट) को छेड़ना । इसलिए रिलैक्स करिए। संयम रखिये। बस चिकनाई के लिए कुछ पास में रखिये और खेल का आनंद उठाइये।   कम- फ्यूज़न # 2: क्या ये सच है कि लड़कियां इसे बेहतर कर पाती हैं? अब बेहतर का तो पता नहीं, लेकिन कई औरतें एक समय पे कई-कई ऑर्गॅज़म का आनंद उठा सकती हैं। सही मायनों में, जिनके पास है योनि, उनकी तो लॉटरी है लगनी। क्योंकि उनको एक के बाद एक, एक समय पे 20 दफा ऑर्गॅज़म हो सकता है । औसतन, योनि वाले, ऑर्गॅज़म का अनुभव 20 सेकंड या उससे ज़्यादा देर तक कर सकते हैं । बाकी लिंग ऑर्गेज्म का आनंद कम देर के लिए उठा पाते हैं। इतना ही नहीं, उन्हें कई तरह के ऑर्गॅज़म हो सकते हैं । और ये शरीर के उस उत्तेजक भाग पर निर्भर करता है, जिसे छेड़ा गया हो । जैसे कि, क्लिटोरल ऑर्गॅज़म (भगशेफ के जादूई बटन से), बूब ऑर्गॅज़म (स्तन से), जी-स्पॉट ऑर्गॅज़म (हालांकि  जी-स्पॉट होता है या नहीं को लेकर अभी भी जूरी में बहस चल रही है, कई लोग वैज़ाईना वॉल के कुछ हिस्से छूने से उत्तेजना महसूस करते हैं और उनको ऑर्गॅज़म का आनंद भी मिल जाता है), और गुदा संभोग (गुदा/anus  की ढक्कन सी गोल मांसपेशी जिसको सहलाने से, हर सेक्स के व्यक्ति  पूरे शरीर में ऑर्गॅज़म की लहर दौड़ जाती है)। लेकिन, इसका मतलब ये नहीं है कि जिसके पास है पीनिस , उसकी नाकाम जाएगी कोशिश । वे अपने पीनिस  (और क्या), अंडकोश (यानि कि नारियल) और गुदा को उत्तेजित करके ऑर्गॅज़म तक पहुँच सकते हैं । तो जन्म के समय जिसे मर्द होने का लाइसेंस मिल गया, उसके पास होता है पी-स्पॉट यानि प्रोस्ट्रेट का स्पॉट । ये मूत्राशय (ब्लैडर) के ठीक नीचे एक अखरोट के आकार का ग्लैंड (ग्रंथि) होता है । माना जाता है कि पी-स्पॉट ऑर्गॅज़म काफी जल्दी होता है और होश उड़ाने वाला अनुभव देने में सबसे आगे रहता है।  टिप: मलाशय (रेक्टम) में घुस के या पेरिनेम (अंडकोष और गुदा के बीच की एक पतली पट्टी) को उत्तेजित करके, बाहर से पी-स्पॉट तक पहुंचा जा सकता है! चिकनाई का इस्तेमाल करना ना भूलें। और अगर सू-सू जाने की जरूरत महसूस हो, तो परेशान ना हो। ये सब आम है। इससे ही तो पी-स्पॉट आगे की कार्रवाई के लिए तैयार होता है। दुर्भाग्य से, इंटरसेक्स लोगों में ऑर्गॅज़म के क्या संभावनाएं हैं, इसके बारे में कम जानकारी होने की वजह से, कोई आम धारणा बनाना और मुश्किल है । वैसे, सभी लिंग के लोग अपने ऑर्गॅज़म की बात करते समय लगभग एक जैसी भाषा का ही इस्तेमाल करते हैं । इसलिए हमें लगता है कि शारीरिक रूप से अलग होने के बावजूद, सबके ऑर्गॅज़म के अनुभव में काफी समानता होगी ।   कम-फ्यूज़न # 3: उन लोगों का क्या जो जेंडर अफ्फर्मेशन सर्जरी कराते है? (Gender Affirmation/लिंग परिवर्तन सर्जरी  बदन की रचना में परिवर्तन लाती है, ऐसे बदलाव जिससे उस इंसान का बदन उसकी अपनी पहचान से और मेल खाए) जेंडर अफ्फर्मेशन सर्जरी कराने वाले 55 लोगों के ऊपर 2005 में एक स्टडी की गई । उसके हिसाब से लिंग परिवर्तन के बाद उनमें से 80% लोगों ने 'अपनी सेक्सुअलिटी में सुधार' पाया। यानि कि, वो खुली बाहों ( और टांगों ) से उन्माद का स्वागत कर रहे थे।  जो लोग जननांग की ऐसी सर्जरी से गुजरते हैं, उन्हें "नियो-जेनिटल" (यानि नए-जननांग) मिलते हैं । योनि को आमतौर पर पीनिस  की त्वचा (पीनिस और अंडकोष, अगर मौजूद हों, तो उनको हटाने के बाद) का इस्तेमाल करके बनाया जाता है। ग्लान्स/मुण्ड (यानि पीनिस  का संवेदनशील सिर) का इस्तेमाल करके भगशेफ/ क्लिटोरिस बनाया जाता है । जी हां, भगशेफ, यानि योनिमुख/ वल्वा का सबसे झिंगालाला हिस्सा, जिसमें 8000 से ज्यादा तंत्रिका के सिरे होते हैं। ये सब मिलकर देते हैं एक शक्तिशाली क्लिटोरल ऑर्गॅज़म, यानी भगशेफ द्वारा उन्माद! आमतौर पर नया पीनिस  स्खलन नहीं कर पाता है । क्योंकि उसमें शुक्राणु नहीं पनपते हैं । पर कुछ का कहना है कि जो पीनिस  के साथ पैदा होते हैं, उनसे ज़्यादा,  इस तरह नए पीनिस के साथ जीने वाले लोग, ऑर्गॅज़म का मज़ा उठा पाते हैं । चूंकि नए पीनिस  बनाने में कभी कभार भगशेफ का इस्तेमाल किया जाता है, इसलिए वो गहन, तेज, फ़टाफ़ट (और शशशश...लगातार कई सारे!) ऑर्गॅज़म का मज़ा पाने में कामयाब होते हैं।   कम-फ्यूज़न # 4: क्या बिना सेक्स के भी ऑर्गॅज़म का आनंद उठाया जा सकता है? बहुत सारे लोग "सहज संभोग" (spontaneous- जो अपने आप ही हो जाये), का अनुभव करते हैं। ये बिना उत्तेजना जगाये भी हो जाता है।   तो आप इनमें से किसी भी तरह के ऑर्गॅज़म का अनुभव कर सकते हैं | नींद के ऑर्गॅज़म - "स्वपनदोष" (wet dreams) के बारे में तो सुना होगा । ये सपने नींद में ही आपके जननांगों में खून का बहाव तेज़ कर, आपको उत्तेजित कर देते हैं।    वर्कआउट ऑर्गॅज़म - इंडियाना यूनिवर्सिटी द्वारा की गई एक स्टडी में पाया गया है कि सर्वे में सम्मिलित "530 महिलाओं में से 370 ने आमतौर पर कोर एक्सरसाइज  (core exercise - धड़, खासकर पेट, पीठ और उसके नीचे के हिस्से को संतुलन में लाने वाली एक्सेरसाइज़ ) करते समय ऑर्गेज़म का अनुभव किया था।" इमेजरी ऑर्गॅज़म - 1950 के दशक में, रिसर्चर्स की एक टीम (जिसमें जी. क्लम्बीज़ और एच. क्लेन्सोर्ज़ शामिल थे) ने एक "औरत को अपनी स्टडी में शामिल किया, जो बिना हाथों का इस्तेमाल किये, सिर्फ मन में उठती तस्वीरों और कल्पनाओं का इस्तेमाल करके, लगातार पांच बार ऑर्गॅज़म का सुख लेती थी। बर्थगेज़म - ऐसा माना जाता है कि प्रसव (childbirth) के दौरान कुछ औरतें ऑर्गॅज़म का अनुभव करना पसंद करती हैं । दरअसल इससे लेबर के समय उठते दर्द में भी ऑर्गॅज़म का आनंद मिलता है।  ड्रग से पैदा हुआ ऑर्गॅज़म - कुछ लोग ऐसे ड्रग्स का इस्तेमाल करते हैं जिससे जननांगों में इरेक्शन /फुलाव होता है और इस तरह ऑर्गॅज़म का अनुभव मिल जाता है । कम-फ्यूज़न  #5: क्या सबको चरम सुख का आनंद मिलता है ?  ज़रूरी नहीं कि हर एक को ओर्गास्म हो | इस मेडिकल कंडीशन को एनौरगाज़मिया कहते हैं| जिनके पास योनी है, ये उनके साथ ज़्यादा होता है | इस में, काफ़ी उत्तेजित महसूस करने के बाद भी चरम सुख पाने में काफ़ी दिक्कत होती है | 2001 के एक शोध से पता चला की लगभग 24 प्रतिशत महिलायें अपनी ज़िन्दगी में लम्बे समय तक  एनौरगाज़मिया की शिकायत करती हैं | एनौरगाज़मिया होने की वजह पार्किन्सन की बीमारी भी हो सकती है | इसके अलावा कुछ मनोवैज्ञानिक कारण भी हो सकते हैं | जैसे कोई अनसुलझी मानसिक समस्या या सेक्स से मिलने वाले सुख को शर्म और गलती से जोड़ना | कई तरह की सर्जरी भी चरम सुख महसूस करने की ताकत कम कर देती है | जैसे हिस्टेरेकटमी (गर्भाशय को सर्जरी से निकलवा देना) | अगर आपको वैजिनिसमस है, जिस में योनि में कुछ भी प्रवेश होने का आभास होते ही, भयंकर दर्द उठता है, तो फिर यह भी एनौरगाज़मिया का एक कारण हो सकता है | पर बहुत लोग जिनको वैजिनिसमस है वो क्लिटोरल(भग-शिश्न के जादुई बटन को उत्तेजित करना) और दूसरे तरीकों से चरम सुख प्राप्त कर सकते हैं | कई दवाएं भी आपको चरम सुख पाने के कम काबिल बना देती हैं|  जैसे एंटी- डीप्रेसेंट, ब्लड प्रेशर और एलर्जी की दवाइयाँ और कुछ ड्रग्स जो आपको मज़ा देते हैं| ज़रुरत से ज़्यादा शराब पीना और स्मोक करना भी आपके ओर्गाज़म महसूस करने की शक्ति को कम करता है |   कम-फ्यूज़न #6: क्या चरम सुख महसूस करने की कोई उम्र की सीमा होती है?  यह सच है कि उम्र के साथ सेक्स करने की चाह कम होने लगती है | पर मस्ती की कोई उम्र कहाँ होती है | एक स्टडी के अनुसार, चालीस से ज़्यादा उम्र के मर्दों में पाँच प्रतिशत मर्द को स्तम्भन दोष/ इरेक्टाइल डिसफंक्शन की दिक्कत होती है, यानी उनका पीनिस उस तरह खड़ा नहीं हो पाता जिससे भेदक सेक्स हो पाए | सत्तर साल के उम्र के मर्दों में यह प्रतिशत बढ़ कर, पंद्रह प्रतिशत हो जाता है| लेकिन कई लोगों ने इस के बावजूद, चरम सुख महसूस किया है |      जिन लोगों को महावारी होती है, मेनोपॉज के दौरान उनके एस्ट्रोजन लेवल में गिरावट आ जाती है | जिसकी वजह से सेक्स करने की चाह में कमी आ जाती है| जिसके कारण चरम सुख के अनुभव भी कम होते हैं | लेकिन मेनोपॉज के बाद, कई लोगों की सेक्स करने की चाह वापस आ जाती है ! अगर आप लिंग परिवर्तन के लिए एस्ट्रोजन का इस्तेमाल कर रहे हैं और अगर आपने आगे भी ये लेने का निर्णय लिया, तो आपको मेनोपॉज नहीं होगा |   कम-फ्यूज़न #7:  जो पोर्न में होता है वो गलत है , और किताबें भी मन गड़त बातें बताती हैं, तो फिर ओर्गाज़म से क्या उम्मीद करनी चाहिए? मतलब कैसे पता चले कि हो रहा है?  और्गैज़म या चरम सुख भी हमारे लिए कुछ हिंट छोड़ के जाते हैं 
  1. सेक्स फ्लश: करीब 50-75 प्रतिशत योनी वाले लोग सेक्स फ्लश( चेहरे, गालों और स्तनों का रंग गहरा होना,  उनमें गर्मी आना) महसूस करते हैं| दूसरी तरफ़ लिंग वाले लोगों में से केवल पच्चीस प्रतिशत लोग ही सेक्स फ्लश महसूस करते हैं |
  1. गीलापन: योनि के गीलेपन की वजह से, योनि के ऊपर मौजूद स्कीन ग्रंथियों/skene glands से, एक दूधिया, गीला पदार्थ निकलता है l लिंग/पीनिस में इस तरह के गीलेपन को ‘प्री-कम’ कहते हैं| जिसका आना, चरम सुख महसूस करने की पहले सीढ़ी चढ़ने जैसा होता है |
  2. पेड़ू के पूरे हिस्से  का कंपकपाना: चरम सुख के दौरान मसल्स रिलैक्स होते हैं, जिनके कारण अपने आप ही पेड़ू का पूरा हिस्सा कंपकंपाता है | यह हर सेक्स के इंसान में होता है| सिर्फ़ कुछ सेकंड के लिए |
  1. एजैकुलेशन यानि वीर्य स्खलन: एजैकुलेशन लिंग से सफ़ेद पानी जैसे पदार्थ को निकलने को कहा    जाता है| सेक्स शोधकर्ता अल्फ्रेड किन्से ने पता लगाया था कि एजैकुलेशन या वीर्य दो इंच से लेकर दो फ़ीट तक स्खलित हो सकता है |
  2. फुहार मारना/ squirting : कभी कभी योनि फुहार मारती है| योनि से मूत्र (जो बिल्कुल मूत्र की तरह न दिखता है, ने वैसी बू देता है )और पारा - यूथेरल ग्रंथि से निकला सफ़ेद तरल पदार्थ, मिलके, फुहार मारता हुआ निकलता है |
जब आप चरम सुख महसूस करते हैं, तो आपका शरीर कई संकेत देता है | जैसे आँखों का ऊपर चढ़ना या कस कर बंद हो जाना, शरीर पर रोओं का सिहरना या पाँव की उँगलियों का मुड़ना -सिकुड़ना | चरम सुख महसूस करने से ठीक पहले | योनि में आपको सू-सू वाली फ़ीलिंग भी आ सकती है| और दूसरी तरफ, लिंग वालों, जब आपको पता चलता है कि आप जन्नत की सैर करने ही वाले हैं, तब आपका अंडकोष टाइट हो जाता है, और आपका दायाँ टेस्टिकल बायें के मुकाबले ऊपर चढ़ जाता है|     कम-फ्यूज़न #8: क्या ओर्गाज़म आपके लिए अच्छे हैं? जी हाँ! सेक्स रिसर्चर अल्फ्रेड किन्से के अनुसार ओर्गाज़म या चरम सुख के दौरान. शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं | जो कुछ देर के लिए ही सही, पर आराम देते हैं| हकलाने वाले थोड़ी देर तक हकलाते नहीं | जिनका अंग विच्छेदन हुआ हो, एक अंग कट गया हो, उस गायब अंग की जगह पे अक्सर दर्द होता रहता है | ओर्गास्म होते वक्त,  वो दर्द भी गायब हो जाता है | बुख़ार, और मसल में होने वाला दर्द भी, कुछ देर के लिए कम हो जाता है| जो लोग माहवारी से गुज़र रहे होते हैं, उनको भी उस दर्द से कुछ देर के लिए आराम मिलता है |   कम-फ्यूज़न # 9: ओर्गास्म के बाद अक्सर मुझे नींद क्यों आती है? पहली बात तो ये, कि सेक्स और हस्तमैथुन एक तरह का हार्ट संबंधी एक्सरसाइज़ है, बोले तो कार्डियो-वैस्क्युलर वर्कआउट /cardio-vascular workout !  हां, ये बात और है कि उसमें सुरूर ज़्यादा और थकान कम है। वैसे, ओर्गास्म के बाद जो कस के नींद आती है, उसकी वैज्ञानिक वजह भी है । सेक्स में उत्तेजना और ओर्गास्म के दौरान, हमारा दिमाग एक किस्म का हॉर्मोन छोड़ता है । उसका नाम ऑक्सीटोसिन (oxytocin) है। (वैसे प्यार से उसे 'झप्पी वाला होर्मोन' भी कहते हैं)। हमारे शरीर में कितना कोर्टिसोल  (cortisol)है, ऑक्सीटोसिन इस बात पे असर करता है। जिससे ओर्गास्म के दौरान, हमारे बॉडी में सुख और आराम की लहर दौड़ उठती है। अब ये हॉर्मोन अक्सर और हॉर्मोन के साथ छोड़ा जाता है, जैसे मेलाटोनिन/ Melatonin (जो हमारे बॉडी की घड़ी जैसे काम करता है, और नींद आने-जाने का ब्यौरा रखता है)। कल्पना करो, ये दो हॉर्मोन,  हाथ में हाथ डाले l उसी तरह से, एड्रेनालिन/ Adrenaline और डोपामिन/ Dopamine (खुशी पैदा करने वाला होर्मोन) के साथ भी। ये सारे होर्मोन, हमारे बदन को उत्तेजना की ऊंचाईयों तक ले जाते हैं, हमें संवेदनशील बनाते हैं। और फिर, ओर्गास्म के बाद, जैसे ही इनका लेवल गिरता है, हमें नींद आने लगती है, या थकावट महसूस हो सकती है। शायद इसीलिए सेक्स और सेक्सुअल मस्ती को, रात में (या सोने से पहले) करने वाली चीज़ माना गया है!   कम-फ्यूज़न # 10: कभी-कभी ओर्गास्म के बाद मुझे रोने का मन करता है, मुझे कुछ हो तो नहीं गया है?  2019 की एक स्टडी में पाया गया कि 41% पिनिस वालों ने, और 46% योनि वालों ने, कभी न कभी, अच्छे और सहमति से किये गए सेक्स के बाद दुःख, बेचैनी या गुस्सा महसूस किया है । अक्सर ये सारा खेल, होर्मोन का ही होता है । हालांकि, अगर ऐसा अक्सर हो रहा है, तो शायद ये लक्षण पोस्टकोईटल डिस्फोरिया (Postcoital Dysphoria- जिसमें सेक्स के बाद इंसान का मूड बोझिल और दुखी हो जाता है ) का भी हो सकता है । वैसे तो इसपर ज्यादा रिसर्च किया नहीं गया है, लेकिन अगर अच्छे सेक्स के बाद आपका मन दुःखी हो, तो किसी थेरेपिस्ट या मनो-चिकित्सक से सलाह लेना अच्छा रहेगा। वैसे, देखा जाए तो बहुत से लोग ओर्गास्म के बाद रोते हैं (इसे crymaxing/ क्रायमैक्सिंग भी कहा जाता है, जो कि क्राई और क्लाइमेक्स के मेल से बनाया गया शब्द है)। इसे नेगेटिव कहना शायद सही न होगा। एक परमसुख वाले ओर्गास्म से बॉडी में भावनाओं की बाढ़ आ जाती है और क्लाइमेक्स के टाइम होर्मोन लेवल में भी बदलाव आता है । ऐसे में रोना आ जाये, तो आश्चर्य की बात नहीं है । और, फिर हम सब ये तो जानते ही हैं, कि रोने के बाद अक्सर अच्छी नींद आती है । तो ये लो, एक और कारण मिल गया, ओर्गास्म के बाद नींद आने का!
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