जब दुकानदार ने मुझसे साइज पूछा, मैं सन्न रह गयी। मुझे अपने प्रेमी के कंडोम का साइज भला कैसे पता होगा?
नाम: प्रियंका
उम्र तब: 18 साल
उम्र आज: 22 साल
मेरा पहला (और आज तक का एकमात्र) प्रेमी और मैं चार साल से साथ में हैं। और यह संभ्रम से संतुष्टि की ओर एक तूफानी यात्रा रही है। एक दूसरे के करीब आने से पहले तक हमने कभी सेक्स का अनुभव नहीं किया था। और जब वो पल एक गर्म, पसीने वाले फरवरी की दोपहर में आया, तो हमारा भाग्य देखिए, कि जो एक कंडोम हमारे पास था वो भी एक जन्मदिन की पार्टी के कंडोम पिटारे से निकला था। और उसका हमारी सेक्स की कोशिश के दौरान फटना स्वभाविक ही था।
इसलिए हमने ब्रेक लिया और कुछ दूर चलकर एक मेडिकल शॉप तक पहुँचे। दुकान से 100 फीट की दूरी पर खड़े होकर हम इस बहस में लगे रहे कि आखिर दुकान जाकर कंडोम कौन खरीदेगा। यह बहुत निराशाजनक था और हम शर्मिंदा भी महसूस कर रहे थे, एक सार्वजनिक जगह पर खड़े होकर खिलखिलाना और बहस दोनों साथ में करते हुए। आखिरकार, मैंने फैसला किया कि बस अब और नहीं, और दुकान की ओर चली गयी। और फिर इकट्ठे हुए ग्राहकों की भीड़ से बचने के लिए दस मिनट और वहाँ खड़ी रही। और फिर एक दबी आवाज़ में दुकानदार को बोला - "कंडोम"। और उसने हँसते हुए पूछा "किस साइज का?"
मैं परेशान हो गई। कौन सा साइज? मुझे अपने प्रेमी के कंडोम के साइज का बिल्कुल नहीं पता था। हमने इस बारे में ज्यादा शोध ही नहीं किया था। तभी दुकानदार ने कहा, "साइज, मतलब तीन का पैक या दस का पैक"। मैं राहत से लगभग बेहोश ही हो गई, और धीरे से कहा "तीन" (नौसिखिए वाली ग़लती - जब आप पहली बार सेक्स करते हैं तो तीन का पैक कभी नहीं खरीदते हैं - क्योंकि गलतियां होंगी और आप कम से कम एक कंडोम तो बर्बाद करते ही हैं)। खैर, मैंने पैकेट पकड़ा और अपने प्रेमी की ओर दौड़ी, पीछे दुकानदार मेरे ऊपर हँसता रहा।
मैं दौड़ी तो, लेकिन वहीं तीन दोस्तों से टकरा गई, जो पूछने लगे कि हम वहाँ क्या कर रहे थे। और फिर उन्होंने आइसक्रीम संबंधित एक इत्मीनान भरी बातचीत में हमें भी घसीट लिया। और हम कंडोम, जो बड़ी मुश्किल से मेरी महिलाओं वाली पैंट की छोटी सी जेब में छुप पाई थी, की कुलबुलाहट में थे। मैंने जिसके निजी, रोमांटिक प्रसंग होने की कल्पना की थी, वह दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं की श्रृंखला में बदल गया था और हमने तो अभी शुरुआत तक नहीं की थी। ओह!
आखिरकार, उन दोस्तों से बचकर हम अपना काम आगे बढ़ाने के लिए वापस घर आने में कामयाब रहे। तो, पहला अनुभव सख्त (दो अर्थी), अस्तव्यस्त और थोड़ा दर्दनाक था। मुझे उन्माद का आनंद तो प्राप्त नहीं हुआ लेकिन यह फिर भी वाकई मजेदार था। और मुझे पूरा यकीन था कि अगर कौमार्य एक सामाजिक रचना नहीं होती, तो यह शायद सबसे अच्छा तरीका था मेरे कौमार्य से छुटकारा पाने का। सेक्स की प्रक्रिया से हम बाहर निकले ही थे कि दरवाज़े पर एक पांच मिनट लंबी ज़ोरदार दस्तक हुई। मेरे प्रेमी के रूममेट की एक संगीतपूर्ण कृपा। इस रुकावट के साथ, हम दोनों ने लंच का फैसला किया और अपने पहले सेक्स के अनुभव को लेकर एक नज़दीकी सबवे (Subway) की ओर धूल भरे रास्ते होकर चल पड़े। हम दोनों ही चुपचाप चल रहे थे, कोई शब्द सचमुच जरूरी ना था।
इस सटीक क्षण के बारे में मैंने जो कविता लिखी है उसका शीर्षक है "रसायन प्रतिक्रिया" (Alchemical Reaction)। ये मुझे हमेशा याद दिलाता है कि पहली बार यौन संबंध बनाने के बाद जब सबवे के रास्ते में मैं एक चट्टान से टकराई थी तो कैसे सेक्स उपरांत रुकी हुई सांसें सब एक साथ ही बाहर निकल गयी थीं। मैं अपनी सांस रोके हुए थी, क्योंकि भले ही वो पूरी प्रक्रिया कच्चे अनुभव, भ्रम और खिल्लियों से भरी रही हो, फिर भी मैंने उसे अंजाम दिया था और वो भी एक ऐसे इंसान के साथ जिसे मैं वास्तव में पसंद करती थी और आगे चलकर प्यार करने वाली थी।
मेरे प्रेमी ने तब से अब तक हमारे रिश्ते और यौन संबंधों के लिए एक सुरक्षित सी जगह बनाई है। हमें अपना पहला यौन संबंध बनाए चार साल हो गए हैं, और वह अभी भी मुझे किस करने के लिए अनुमति माँगता है। वह हमेशा जागरूक रहता है कि मुझे कैसा महसूस हो रहा है, और मेरी तरफ से थोड़ी सी भी असुविधा के संकेत का मतलब है कि वह रुक जाएगा। हमारे रिश्ते के पहले तीन महीनों में हमने यौन संबंध नहीं बनाया था क्योंकि हम कंडोम खरीदने के प्रति बहुत आलसी थे, और क्योंकि हमारे पास वो नहीं था, उसने मुझे कभी भी यौन संबंध बनाने का सुझाव भी नहीं दिया। यह तब भी सरल था और आज भी है। और सेक्स हमेशा वैसे ही लगता है, रसायन विज्ञान सा - सोने की धूल और शुद्ध धूप में सांस लेने जैसा।
मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि जब मैंने अपने शरीर द्वारा ये स्पष्ट रूप से बता दिया था कि मैं रुकना चाहती हूँ, फिर भी वो क्यों आगे बढ़ रहा था।
नाम: नेहा
उम्र तब: 19 साल
उम्र आज: 25 साल
मैं अपने प्रेमी के साथ एक लंबे अरसे के बाद यौन संबंध बना रही थी। मैं कॉलेज में थी, और वो दूसरे शहर चला गया था, तो एक सप्ताहांत वो बस मुझसे मिलने आया था। हम एक होटल में गए (जो कि उसके नाम पर लिया गया था और मैं बाद में छिपकर घुस गई थी)। हम बहुत दिन बाद मिल रहे थे इसलिए होटल का दरवाजा बंद होते ही हम सेक्स प्रक्रिया में संलग्न हो गए।
हमने थोड़ा चरस फूँका, और दूसरी बार सेक्स की प्रक्रिया में जुट गए। लेकिन ना जाने किस कारणवश, मेरे दिमाग में बस एक ही छवि बार-बार उभर रही थी जैसे मुझे मेरे प्रेमी नहीं बल्कि कोई मोटा मेंढक जैसा दिखने वाला राक्षस छू रहा हो (मत पूछो!)। मैं पूरी तरह से सूख चुकी थी, जो कि असामान्य था, और जो उसने मेरे हाव-भाव से तुरंत ही पकड़ लिया।
मैं सोच रही थी कि वो कैसा महसूस कर रहा होगा। इस सब से वो किस प्रकार प्रभावित हो रहा होगा। हाँ, वो काफी बुरी तरह से प्रभावित था, घबरा गया था, और मेरे शरीर को जबरन और छूने लगा ताकि मैं उत्तेजित हो सकूँ। लेकिन इससे कुछ फर्क नहीं पड़ा। मैं प्रक्रिया में संलग्न होने की कोशिश कर रही थी, चाह रही थी कि कुछ गीलापन आये, उसकी परेशानी के संकेत से चिंतित भी थी। पता नहीं मैंने उसी समय मना क्यों नहीं कर दिया, क्यों नहीं बोल दिया कि हमें रुक जाना चाहिए और कभी और प्रयास करना चाहिए।
इसके बजाय, अंत में मैंने ये फैसला किया कि मैं शिथिल पड़ी रहूँगी, और फिर स्वाभाविक रूप से (मेरे अनुसार) मेरी भागीदारी में कमी देखकर उसे मेरी अनिच्छा का एक स्पष्ट संकेत मिल जाएगा।
दुर्भाग्य से, उसने इस संकेत का मतलब ये लगाया कि उसे और मजबूती से वो करते रहना चाहिए जो वो कर रहा था, ताकि मुझे अच्छा लगे। उस समय, मुझे याद है, कि उसकी इस प्रक्रिया से काफी अवाक रह गई थी। वह मेरे साथ यौन संबंध बनाने की कोशिश में क्यों लगा हुआ था जबकि मैंने इतने स्पष्ट रूप से अपने शरीर की भाषा में बता दिया था कि 'बस, रुक जाओ।'
लेकिन मुझे नहीं लगता है कि उसने इस बारे में वैसे सोचा। वह वास्तव में सोच रहा था कि मैं शिथिल थी क्योंकि मुझे पर्याप्य सुख नहीं मिल रहा था और अधिक बल और दबाव से छूने से शायद मुझे वो मिल जाएगा। उफ!
मैंने बाद में अपने एक पुरुष दोस्त से बात की, जब वो सेक्स के दौरान महिला के शिथिल होने की घटना का ज़िक्र कर रहा था। उसने इसे "मरी हुई मछली (deadfish)" का नाम दिया था। उसने बताया कि एक मर्द के यौन संबंधी आत्मविश्वास के लिए ये सबसे बुरी स्थिति होती है, जब महिला शिथिल हो जाये। वह सोचता था कि एक महिला ऐसा तब करती है जब वो थकी हो या संकोच महसूस कर रही हो। मैं उसे बताना चाहती थी कि उसे आधा सच भी नहीं पता था। हाँ ये संकेत थकान और संकोच का तो था, लेकिन सिर्फ इतना ही नहीं था, और भी बहुत कुछ था।
जब अगला उन्माद सुख आया, तो मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे मेरे अंदर की गांठें खुल गयी हैं। जैसे कि इतने दिनों से मैं घुट-घुट कर रह रही थी।
नाम: कर्मसूत्र
उम्र तब: 25 साल
उम्र आज: 25 साल
मुझे लंबे अरसे से पता था कि यह होने वाला था। मैं तो बस ये नहीं समझ पाई थी कि कब! लेकिन उसने आये हुए अवसर का अच्छी तरह से फायदा उठाया। वह जानता था कि मैं हाँ ही कहूँगी, जबकि मैंने सोचा था कि मैं मना कर दूँगी। वह तैयार होकर आया। हमने बातचीत शुरू की और हमारे बीच एक बिजली सी कौंध गई। मुझे पता था कि मैं हार चुकी थी। लेकिन ये हार भी जीत जैसी महसूस हो रही थी। मैं उसे तब से चाहती थी जबसे उस शाम मेरी नज़र उस पर पड़ी थी। कम से कम उसे ये नहीं पता था।
उसने बिना कोई समय व्यर्थ किए मेरी कमर पकड़ी और मुझे किस के लिए अपनी ओर खींच लिया। यह सब इतनी जल्दी हुआ कि मुझे कुछ होश ही नहीं रहा। उसकी धृष्टता ने मुझे हैरान कर दिया। हालांकि कुछ सेकंड के भीतर ही, मेरा शरीर उसके शरीर के ऊपर झुककर किस लौटाने में लग चुका था। वह मेरे कपड़े उतारने के लिए उत्सुक था, और मैं भी उसके कपड़े हटाने के लिए समान रूप से उत्सुक थी। और कुछ ही सेकंड में हम दोनों ही नग्न थे। मैं शीर्ष पर थी, और किस की प्रक्रिया में डूबी हुई थी। हम बारी-बारी से अपने किरदार निभा रहे थे, लेकिन तभी अचानक से उसने मुझे पीठ के बल सुला दिया और शासक बन गया। मैं उस पर पूरी तरह विश्वास करती थी, वह मुझे सुरक्षित महसूस कराता था। उसने मुस्कुरा कर मेरी ओर देखा और अपनी उंगलियां मेरे अंदर डाल दीं। और बस कुछ सेकंड में ही मैंने कराहना शुरू कर दिया। उन्माद की उस अनियंत्रित सनसनी का सुख अलग ही था।
उसने मुझे और लालायित नज़र से देखा। मेरे सुख से उसे आनंद मिल रहा था और वो मुझे किस करके जैसे उस पल को और थोड़ी देर जिंदा रखना चाहता था। मुझे ऐसा लगा जैसे मेरी पूजा की जा रही हो। मैं सुख के उस क्षेत्र में पहुँच गई थी जिसके बारे में आज तक बस सुना या किसी कबाड़ पुस्तक में पढ़ा था। यह उत्साहपूर्ण था। तीव्र, लेकिन मज़ेदार। भावुक, फिर भी कोमल। यह बीच के भी बीच का रास्ता था, लेकिन सबसे बेहतर था। मैं डरी हुई थी कि नए पार्टनर से यौन संबंध के दौरान कुछ गड़बड़ ना हो। बिना अंतरंगता के बिस्तर पर कूद पड़ना एक अच्छा विचार तो नहीं है, लेकिन हमारे लिए तो ये पहले क्षण से ही अंतरंग था। भाग्यशाली हूँ मैं!
मेरा अगला उन्माद सुख आया, और वो आराम के शब्द दोहराते हुए मुझे किस करता रहा। मैं अपने आप को अंदर से ढीला महसूस कर रही थी। जैसे कि सारा जीवन दबकर व्यतीत किया हो। मेरा तीसरा उन्माद सुख आया, और तब उसके चेहरे पर असीम आनंद के भाव दिखे। इससे पहले किसी भी पुरुष ने मेरे सुख की इतनी चिंता नहीं की थी। इस स्वप्न रात के अंत तक मेरे पैर जेली (jelly) जैसे बन चुके थे। मैं उसके कार्य सम्पादन से घायल सी पड़ी थी।
मैं सचेत रूप में जानती थी कि ये सब शायद दोबारा नहीं होगा, लेकिन उस समय इसकी कौन परवाह करता? अंत में मैंने लगातार एक के बाद एक होते कामोन्माद के मिथक का वास्तव में अनुभव कर लिया । यह मेरे जीवन की सबसे अच्छी यौन संबंधी मुठभेड़ थी, जिसने सेक्स के प्रति मेरे विचार भी बदल दिए। अब मैं नियंत्रण में रहने या उसे खोने के बारे में नहीं सोचती हूँ। अब मैं जानती हूँ कि ये अपने साथी के साथ आराम से उस प्रक्रिया में जाने, और अपने बारे में नई चीज़ें सीखने और स्वीकारने के बारे में है।
जैसे ही मेरी सवारी वहाँ से निकली, एन (N) ने मैसेज भेजा "मैं तो तुम्हें अभी खाना चाहता हूँ।" व्यसनी (addict) अचानक पूर्ण रूप से सचेत हो गया।
नाम: इरावती कोहली
उम्र तब: 28 साल
उम्र आज: 28 साल
बी (B)
हर उस आदमी से जिसे मैं जानती थी और हर उस वस्तु से जो मुझे प्यारी थी, उनसे कुछ 4,366 मील दूर, मुझे पता था कि मैं मर रही थी। मैं कई बार जागी हूँ, नग्न, पेशाब जाने की तीव्र इच्छा के साथ, सिर्फ ये देखने के लिए कि मेरे शरीर के हर संयुक्त हिस्से को सूई सहारे पोषित किया जा रहा है, और उन सुइयों का पोषण एक लगातार आवाज़ करने वाली मशीन द्वारा किया जा रहा है। प्रारंभिक सदमे के रहते हुए भी, मैं धीरे धीरे एक जानलेवा बीमारी से उपचार कर के अपने को बचा रही थी, अपने पैरों की उंगलियों को झिझकते हुए यूरोपीय शरद ऋतु में कंबल से बाहर निकाल रही थी । और मैंन हर दिन अपने आप से ये वादा करती थी कि मैं सब कुछ अब आराम आराम से करूँगी।
बी (B) के साथ मेरी लगातार बातचीत ने मुझे मेरे अस्पताल के दिनों में काफी मदद की। मुझे याद है मैं उससे कहा करती थी कि मेरा जिंदगी को देखने का नज़रिया अब बिल्कुल बदल गया है, मुख्यतः यह देखते हुए कि मेरी लगभग मृत्यु हो गई थी। मैंने उसे ये भी बताया कि अब से मैं कभी ब्रा नहीं पहनूँगी (आज भी नहीं पहनती हूँ)। किसी को परवाह नहीं है कि मेरे निपल्स दिख रहे हैं या नहीं। मुझे याद है वो बहुत हँसी थी।
मैं अस्पताल से दो चीजों के साथ निकली- ब्रा के प्रति असीम घृणा और- सेक्स की लत!
शुरूआत में, पुनर्वसन ठीक खान-पान, पर्याप्त नींद, पागलों की तरह हर जगह पानी और बिस्कुट ले जाने और एक छींक पर भी, निकटतम अस्पताल का नंबर ढूंढने के बारे में था। मैंने ध्यान भी नहीं दिया 'टिंडर' (tinder) पर स्वाईपिंग (swiping) करते हुए मैं कितना समय खर्च कर रही थी, और अपने आप को कह रही थी, "हाँ यही जिंदगी है, यह तुम हो जिंदगी को जीती हुई।" ये तब तक नहीं था जब तक कि मेरी मुलाकात तीन अलग-अलग पुरुषों से लगातार दो रातों में हुई, और मुझे एहसास हुआ कि कुछ तो गड़बड़ है। ये थका देने वाली यौन संबंधों की लड़ी मेरी वास्तविक डेटिंग रूटीन का हिस्सा नहीं थी। मेरी पहली प्रक्रिया यही थी कि मैं अपने किए पर आतंकित हो उठी।
सौभाग्यवश (या शायद दुर्भाग्यवश), मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों पर मेरे कुछ महत्वपूर्ण अनुभव रहे हैं। नैदानिक अवसाद (clinical depression), अपने शरीर की संरचना को लेकर कई दिमागी उलझे हुए मुद्दे और उनसे संबंधित भोजन संबंधी विकार और चिंता जैसी स्थितियों से होकर निकली मैं, तुरंत मदद की ओर बढ़ी। डॉ डेकर, उम्रदराज़ और बहुत ही नम्र, खिसियाहट दिलाने की सीमा तक मुस्कुराने वाले, मेरे आत्म निदान पर मुस्कुरा रहे थे। मैंने उन्हें एक पेशेंट की भाषा में बताया कि मैं खुद से बहुत निराश थी क्योंकि मेरा बीमार पड़ना एक तरह से मेरे परिवार के वर्षों के संदेह, कि मैं अपना ख्याल रखने के लिए पूरी तरह से काबिल नहीं हूँ, को सच साबित कर रहा था। अपनी समर्थन प्रणाली से दूर, मैं निरंतर अकेलेपन से अतिसंवेदनशील हो गई थी, और इसी दौरान पुष्टि की खोज में, मैं टिंडर ( app) से टकरा बैठी, जहाँ बड़ी आसानी से सेक्स के ज़रिये क्षणिक लेकिन गहन ध्यान मिल पाता था। डॉ डेकर, अपनी हरी आँखों में जगमगाहट लिए, इस बात पर सहमत हुए कि किसी बुरी लत में पड़ना मेरी प्रवृत्ति का हिस्सा है। हालांकि, उनका मानना था कि मैं इतनी गई गुज़री भी नहीं थी कि मुझे सेक्स व्यसनी बुलाया जाए। फर्स्ट वर्ल्ड की बिगड़ी हुई नागरिक की भूमिका निभाते हुए मैंने दवा मांगी - कम से कम ऐसा कुछ जो मुझे आराम दे! और फिर ये सारी बातें बी (B) को बताई।
सी (C)
सी (C) से मेरी मुलाकात उस रात हुई जब बी (B) यूरोप के लिए रवाना हो गई। मुझे लगता है, वह न्यू यॉर्क से बस ये देखने आई थी कि मैं जिंदा हूँ भी या नहीं। हमने पूरे पांच दिन गंद मचाई, एक दूसरे को "रानी" बुलाने से लेकर इस मामूली बात पे इतराने तक कि "वाह , देखो आज हम प्रोसेकको (prosecco- इटली की मदीरा) जैसी चीजें पी रहे हैं। कौन कहेगा कि कभी हम पूर्वोत्तर के किसी ढाबे में सिगरेट के कश लगाया करते थे!" ये शानदार समय रहा। जिस रात वो निकली, मैं अपने फ्लैट में वापस आयी और अकेलापन मकड़ियों के झुंड की तरह मुझपर रेंगने लगा।
जब तक सी (C) आने को सहमत हुआ, मैंने पहले ही उसे आइसक्रीम, कोक और कुछ नमकीन, जैसे कि चिप्स, लाने के लिए बोल दिया। वह एक आधी खाली कोक की बोतल, एक चुटकी कोकीन और ढेर सारे शिश्न के प्रतिरूप - डिल्डोज (dildos) लेकर आया। । मैं खुद से इतनी निराश थी कि मैं सचमुच चाहती थी कि वो चला जाये, और मैं बी के साथ फ़ोन पर रोऊँ, बात करूं।
आखिरकार, मैंने उससे बात करनी शुरू की और हैरानी की बात है कि मैं उस सुंदर बाल और विशाल हाथ वाले अजनबी दोस्त के सामने आसानी से खुल पाई। उसका मेरे साथ बैठना, मेरी बातों को सुनना, समय देना, सब बहुत ही अच्छा था। मुझे याद नहीं कि किसी ने मेरी बातों को इतना ध्यान से कभी सुना होगा। और आपको याद दिला दूँ कि मैंने महिलाओं को भी डेट किया है।
अगले कुछ हफ़्तों तक, मुझे उसकी मिलने की इच्छा पर लगातार हैरानी होती रही। रात के मध्य में सेक्स, मेरे घर 5 बजे सुबह तक रुकना और फिर बाहर निकाल देने पर, फिर से आधी रात के आसपास वापस आना। मैं इसे एक सुखद छुट्टी की तरह जी रही थी। वह प्यार था, मेंरे व्यंग्य और दुष्ट से हाव-भाव उसे पसंद आते थे। वो मुझे सिगरेट बनाकर देता था, और मेरी उदार राजनीति, जो मेरे अनुसार दुनिया के अंत का कारण बनने वाली थी, पर किये गए व्याख्यान को ध्यान से सुनता था।
एक बार, जब मैं नैन्सी फ्रेजर के बारे में बात कर रही थी, वो मेरे जननांगों को चूमने लगा, और हर बार जब मैं अपनी बातों में नियंत्रण खोती थी, वह मुझे नीचे चूमता और धीरे-धीरे रगड़ता, फिर कहता, "बोलती रहो"। यह सब तब तक ही था जब तक कि मैं उसके घर पहली बार गई और कुछ दिन, जो कि एक पूरे हफ्ते जैसे लगे, वहाँ रही। वहाँ मुझे एहसास हुआ कि चीज़ें थोड़ी मुश्किल होने वाली थीं। संभोग के असीम आनंद वाली स्थिति से बाहर निकलकर मैंने एक बार उससे पूछा था, "तुम बहुत प्यारे हो, क्या मैं तुम्हें हमेशा अपने पास रख सकती हूँ?" और जवाब में ये रत्न मिला, "हाँ, थोड़ी देर के लिए"।
मैंने निश्चित रूप से इस छोटे मगर महत्वपूर्ण शोक की कल्पना नहीं की थी। मैं बी के साथ लगातार टिप्पणी में लगी रही। वह भी बहुत चिंतित थी कि मैं एक अचानक से मिले आदमी के लिए इस तरह खूंटी से क्यों लटक रही हूँ। "बस यार, शांत हो जाओ। वह एक फ़कबोय था (fuckboy- ऐसा लड़का जो औरतों से बिना किसी रिश्ते के शारीरिक संबंध बनाता है)। हम जल्द ही कोलकाता में मिलने वाले हैं, वहाँ बात करेंगे।
एन (N)
घर को एक लघु यात्रा, दुःस्वप्न में बदल गई थी। मेरे विश्वविद्यालय ने मूल रूप से मुझे बता दिया कि मुझे वापस आने की कोई ज़रूरत नहीं, क्योंकि उनके पास मेरे लिए समय नहीं था। दिल्ली ने मुझे एक भयानक खांसी दी थी, और कोलकता ने नाक जाम (nose block) कर करेले पे नीम चढ़ा दिया।
बी (B) से मेरी मुलाकात पार्क स्ट्रीट पे हुई, और उसने देखते ही सी (C) के प्रति मेरे जूनून को पहचान लिया था। और फिर संत वाली सलाह। "यार, वह केवल तुम्हें सेक्स के लिए बुलाता है, तो मतलब साफ है ना कि वो बस उसी तरह का लड़का है? तुम अपने पर ध्यान दो बहन। ये गोरे लड़के बहुत हानिकारक हो सकते हैं।" फिर हम सेफोरा (Sephora) गए और एकदम उकसाने वाला चमकदार लिपस्टिक और ढेर सारा मेकअप लगाया, वो भी फ्री में। और फिर हमने सड़क के किनारे बकवास खाना खाया और गैलन से भनारेर चाह (चाय) पी।
बंबई बढ़िया, गर्म होने वाला था, एक छोटा अवकाश, जिसकी मुझे बड़ी प्रतीक्षा थी। छत्रपति शिवाजी पहुँची, और मेरा फोन एक आश्चर्यजनक तरीके से टिंडर पर उपलब्ध उपयुक्त युवा पुरुषों और महिलाओं से ब्लास्ट सा कर गया। सभी बेहद आकर्षक, खीझ दिलाने तक सामाजिक रूप से जागरूक, नारीवादी और रुचि दिखाने में तत्पर। मेरी लत ने इस तथ्य पर पूरी तरह से ग्रहण लगा दिया था कि मैं वहाँ अपने छोटे भतीजे और अपनी बहन से मिलने आयी थी।
मैंने चिल्लाकर बी (B) को बताया, "यार बॉम्बे की लड़कियां बड़ी हॉट हैं", और उसने, जवाब देने की बाध्यता के साथ, ढेर सारी आड़ू रंग की ईमोजी (peach emoji) भेज दीं। मैंने पहली रात एक मुट्ठी भर सहयोगी-प्रकार के लोगों से प्रेम हासिल करने में बिताई, उनकी कला की कद्र करते हुए, और ये तब तक, जब तक कि मैंने मूल रूप से एक को हाँ ना कर दी। वो एन (N) था। मैंने बड़े प्यार और निष्ठुरता के साथ उसपर मर्द की सामान्य सोच का इल्जाम लादा और सहचर के भेष में अपने संभोग की संभावनाओं को बढ़ाने का भी। और आखिर में इस अपमान के दस्तूर को निभाने के बाद, उसे बियर पर मिलने का प्रस्ताव दिया।
मैं उस बर्गर जॉइंट पर, जहाँ उसने अगली शाम मिलने बुलाया था, काफी देर से पहुँची। वो बंबई में मेरी आखिरी रात थी। उसे इतनी देर तक मेरा इंतज़ार करते देख मैं हैरान रह गई। खैर हमें वहाँ जगह नहीं मिली, इसलिए हम जल्दी ही नज़दीक के एक पब में चले गए। हमारी बातचीत घंटों चलती रही, और जब हम बाहर निकले, मैं पैदल ही चल पड़ी, और वो बिल्कुल मेरे बगल में। हम अंधेरी की एक सुनसान सड़क की ओर बढ़े। बोलते-बोलते हम थक चुके थे, और कामोत्तेजना की इच्छा अब जागृत हो रही थी। बस इस बात की निराशा थी कि इस इच्छा को संबोधित करने में हम अक्षम थे।
मैंने ऑटो लेकर घर जाने का फैसला किया, मैं अपनी उत्तेजना को किनारे रख कर और समय नहीं बर्बाद करना चाहती थी, खासकर ऐसी हालत में जब वो अपने आप को इस कदर रोक रहा था कि सारा माजरा बेसरोकार सा होता जा रहा था। जब मैंने उसे ऑटो से उसके घर उतारा, मैंने पूछा अगर वो एक किस के लिए तैयार है। इस सवाल पर मैंने उसको बिल्कुल कमज़ोर पड़ते, पिघलते देखा, और फिर कराहते हुए उसने कहा, "हाँ, प्लीज़!" पहला किस, जो शायद आखिरी था। मैं घर जा रही थी, और तीन घंटे में दिल्ली के लिए निकलने वाली थी। ये किस एक उपहार जैसा था, जो मैं उसे करुणा से दे रही थी, एक ऐसे पूरे दिन के बाद जहाँ हम दोनों ने अपनी-अपनी भावनाओं को दबाकर रखा था।
जैसे ही मेरी सवारी वहाँ से निकली, एन (N) ने मैसेज किया, "मैं तुम्हें खा जाना चाहता हूँ।" व्यसनी (addict) अचानक ही पूर्ण रूप से सचेत हो गई। मैं उसे हवाई अड्डे ले जाने के लिए तंग करने लगी। उसे रास्ते में टैक्सी में मुख-मैथुन देने की पेशकश भी की, जिसे उसने बड़ी शालीनता के साथ इनकार कर दिया। हमने किस किया, हमारी इस छोटी मुलाकात की बेचैनी को हर किस में जाहिर करते हुए, बहुत गर्मजोशी के साथ। उसने मेरी गर्दन, मेरे कान, मेरे कंधों को चूमा और मुझमें जैसे आग सी लग गई। मैं भूल गई कि भारतीय एयरपोर्ट पर आगंतुकों को बिना टिकट अंदर जाना मना है। और इस तरह मेरी हवाई अड्डे के बाथरूम में यौन संबंध बनाने की योजना एक अविश्वसनीय रूप लेकर कॉफ़ी पर उसके परिवार संबंधी गहन बातचीत में बदल गयी। मैं हर घंटे बी (B) को सारे अपडेट दे रही थी, और उसकी पूरी तरह से "रानी" वाली प्रतिक्रिया थी - "यार, जब तक वो तुम्हें हॉट बुला रहा है, आनंद लो। क्योंकि ये कोई संजीदा संबंध नहीं है। उम्मीद है तुम सेक्स कर पाई।"
जे (J)
जे (J) खुद को "दल्लू" बुलाता था। एक मलयाली जो दिल्ली में बड़ा हुआ था, पर उस अपील की प्रत्यक्ष कमी के साथ, जिसके लिए मलयाली पुरुष प्रसिद्ध थे। हाँ, हॉट था और यही एकमात्र मूल्यांकन उसके पास था। मेरी भारत यात्रा में इस समय तक परिवार के संकट, पेशेवर भविष्य की अनिश्चितता, शारीरिक बीमारी (मैं अभी तक मेरी प्रतिरक्षा (immunity) को बनाए रखने के साथ संघर्ष कर रही थी), सेक्स की लत को संभालना , उपस्थित समय सीमाएं (deadlines), चुकी हुई समय सीमाएं, और सी (C) और एन (N)- इन सबके प्रबंधन में मेरी भावनायें अच्छी तरह फंस चुकी थी। मैं सचमुच अपनी भावनाओं को संभालने में पूरी तरह व्यस्त थी। जे (J) खुशहाल था, मुझसे छोटा था, मुझसे डरा-डरा से रहता था और मुझे खुश करने के लिए उत्सुक रहता था। वह भी दिल्ली का एक निराशाजनक लड़का ही था, जो खाने-पीने का बिल भरने को तैयार था, ये सोचकर कि इससे उसको कुछ और नम्बर हासिल हो जायेंगे और उसका उद्देश्य पूरा होगा।
मौजूदा चलन को पूरी तरह निभाते हुए, वो मुझे दक्षिण दिल्ली मॉल के मलबार रेस्तरां 'महाबेल्ली' में ले लिया, जहाँ ज़ाहिरा तौर पर उसके चर्च के कई लोग रात के खाने के लिए आए थे। ईराची (प्रसिद्ध मलयाली डिश) के साथ अपने मुँह को ठूँसने के साथ हम दिल्ली के पूरे मलयाली-ईसाई समुदाय द्वारा पहचाने जाने से बच रहे थे। और इस सबके बीच जे (J) मुझे लंबे समय और बेचैन करने की सीमा तक देख रहा था। आम तौर पर चुप, और मेरे तीव्र और आत्मविश्वाश भरे व्यक्तित्व से ज़ाहिर तौर पर प्रभावित, जे (J) ने जब अपने सपनों और जीवन पर विस्तार से बात की, तो मुझे बहुत आश्चर्य हुआ और काफी अंतरंग सा भी महसूस हुआ। वह 35 साल की उम्र में कोच्चि के एक रेस्तरां खोलना चाहता था, ठीक वैसे ही जैसे एक दर्जन अन्य मलयाली लोग, जिनसे मैं मिली थी, करना चाहते थे। और सबके पास अविश्वसनीय हद तक पिता को लेकर कठिन मुद्दे थे।
एक अजीब सी स्तब्धता के साथ केरल के साउंडट्रैक 'कराकूरा', जो स्वभाविक रूप से 'महाबेल्ली' में बजाया जा रहा था, को गुनगुनाते हुए, हमने एक दूसरे को नीलगिरी के पेड़ों से भरे पार्क में घसीटा और एक दूसरे से कपड़े पहने हुए ही लिपट चिपट में लगे गये। ये तब तक जब तक कि मेरी पैंट लगभग खुद खुलकर बाहर नहीं आ गयी। और तब वो अचानक से बोल पड़ा, "यह थोड़ा अशिष्ट लग रहा है।" मैंने उसके सिर को मग़रूर भाव से रगड़ा, और कहा कि वो सोने से पहले प्रार्थना करना ना भूले और अगली सुबह चर्च में पाप-स्वीकरण (confession) के लिए भी चल जाए। फिर मैंने अपनी जीन्स की ज़िप कसी, और तीन घंटे बाद, मैं वापस यूरोप के लिए उड़ान भर चुकी थी।
बी (B)
अपने घर पहुँचकर, पहले दिन, कठोर सर्दी से खुद को बचाते हुए, मैं इतना सोई कि लगा जैसे पूरा एक साल बीत गया हो। मुझे लगता है कि यह मेरे शरीर का मेरे अभिभूत मन से निपटने का अपना एक तरीका था। बाद में उसी सप्ताह मैंने डॉक्टर डेकर का अपॉइंटमेंट लिया। मैंने उन चीजों को एक साथ इकट्ठा करने की कोशिश की जो मैंने अपनी यात्रा पर की थीं, जिन लोगों को मैं वास्तव में मिली थी, जो बातचीत याद रखने लायक थीं। मेरी माँ, मेरे पिताजी, बहन, भतीजा, मेरी कैंसर ग्रसित चाची, मेरी बूढ़ी दादी। मेरे पूर्व प्रेमी, बी-ए की पूछताछ।
जैसे ही मैं फ्लाइट से उतरी थी, C ने ये बताने के लिए मैसेज किया कि वो मुझे याद कर रहा था। मैंने उसे झूठ कह दिया- "मैंने भी तुम्हें याद किया!" हम जल्द ही मिलने वाले थे, और मैं अपनी गर्दन पे खिलती लव बाइट (hickey) के बारे में फिलहाल कोई बात नहीं करना चाहती थी। अशांत सी नींद से जागी, थोड़ी मदहोश सी, समय और महाद्वीप दोनों के अनुमान को लेकर अनिश्चितत, मैं बी (B) के साथ एक नारी-द्वेषी (misogynist), वामपंथी (leftist) बास्टर्ड के बारे में बतिया रही थी, जो अपनी अत्यंत प्रभावशाली पत्नी को एक प्रतिष्ठित नौकरी नहीं करने दे रहा था क्योंकि इससे उसके दुर्बल अहम को ठेस पहुँचती। मैंने उससे कहा, "मुझे लगता है कि मैंने काफी मलयाली लोगों को आजमा लिया है"। और फिर हम महाबेल्ली के मालिक पर संयुक्त रूप से अर्थहीन बात करने लगे, और फिर गनपाउडर के मालिक के बारे में, जो इमाची के भूखे दिल्ली में महाबेल्ली का पूर्ववर्ती था।
"तो फिर, तुम्हारा आदर्श जीवन तो एक समुद्र तट पर होगा, जहाँ एक हॉट मलयाली तुम्हारे लिए खाना पकाए, हाथ-पैर दबाए और दिन भर सेक्स करे।"
"हाँ जरूर। हब्बा हब्बा। या ... या फिर तुम्हारे साथ, कहीं। "
"यार!।"
"तुम मेरा सबसे लंबे समय तक चलने वाला रिश्ता हो बी (B), और ये बात तुम भी जानती हो।"
"हाँ, तो हमें सचमुच ही सेंटोरिनी में अपने घर के विचार को गंभीरता से लेना चाहिए।"
"हाँ दोस्त। और पता है? सब को भाड़ में जाने दो। मैं इन सी (C) और एन (N) और जे (J) के बारे में बिल्कुल नहीं सोचती हूँ। क्या फायदा है? मुझे पता है कि मैं इन सब से मेरे जीवन की कुछ तथाकथित कमियों को भरने की कोशिश करती हूँ। और उनमें से कोई भी मुझसे उस तरह जुड़ा भी नहीं है। मैं उस उम्र की नहीं हूँ जहाँ मुझे वापस आत्मविश्वास वाले मुद्दों से जूझना पड़े ! दरअसल मेरा मतलब सिर्फ ये है कि मैं तुम्हें बहुत याद करती हूँ। "
" मैं भी तुमसे प्यार करती हूँ, दोस्त, और मुझे भी तुम्हारी याद आती है। तो बस अब चुप रहो, तुम बहुत हॉट हो। उम्मीद है कि हम एक ही शहर में रह पाएंगे। इसके अलावा, तुमसे बात करते-करते मैंने सस्ते टिकट की तलाश करनी शुरू भी कर दी है। ये गर्मी का मौसम शानदार होने वाला है।"
मैं अभी भी सेक्स की अपनी लत पर काम कर रही हूँ। सी (C), एन (N) और जे (J) अभी भी मैसेज भेजते हैं, ऐसे बकवास वाले जिनका मेरे दिन से कोई वास्ता नहीं होता है। मैं बी (B) को मानसिक स्वास्थ्य की आकिस्मक परेशानियों में उसका सहारा बनती हूँ, आपातकाल के समय चीअरलीड करती हूँ, और वो भी एहसान लौटाती है। मैं गर्मियों में न्यू यॉर्क सिटी जाने वाली हूँ, और वहाँ हम एक साथ टिंडरिंग (Tindering) करने की योजना बना रहे हैं, जो कि बहुत मजेदार होगा, और जो शायद मुझे और विनीत भी बना जाएगा। बी (B) बहुत हॉट है। लेकिन हम उस मानसिक स्वास्थ्य के पड़ाव को तब पार करेंगे जब हम वहाँ पहुंचेंगे। अभी के लिए, मैं वर्णमाला के किसी और अक्षर की तलाश बिल्कुल नहीं कर रही हूँ।
वह भीख माँग माँग कर अपनी वकालत कर रहा था, मैंने थककर हामी भर दी। और तब मैंने महसूस किया कि मैं वास्तव में अब उसकी परवाह नहीं करती हूँ।
नाम: लावण्या
उम्र तब: 26 साल
उम्र आज: 28 साल
मैं इस लड़के से टिंडर के बाहर मिली, और जैसा आप इन मामलों में उम्मीद करते हैं, उसने मुझे अपने दोस्त के घर ड्रिंक पर आमंत्रित किया। उसका दोस्त (और उसकी पार्टनर) वास्तव में दिलचस्प लोग थे, और मुझे याद है कि हमने सिनेमा, किताबें और वास्तुकला पर चर्चा की। जब तक कि टिंडर वाला लड़का कोई बुखार पाले ब्रांडी पी रहा था। वह ज्यादा बात नहीं करता था।
और एक समय मुझे एहसास हुआ कि कितनी देर हो चुकी थी और हम सब कितने नशे में थे। मैं उस शहर में नई थी और एक दोस्त के साथ रह रही थी। इसलिए उस समय वापस जाना संभव नहीं था। तो फिर मुझे उस लड़के के घर जाने का आमंत्रण स्वीकार करना पड़ा, उभयवृत (ambivalent) भावनाओं के साथ। तो फिर हम बात करने लगे, और उसने मुझे किस किया, और फिर सब कुछ होरशोर से, हमारे उत्साह से बढ़ने लगा। और जब हम चरमसीमा तक ढकेले जा चुके थे, उसने बताया कि उसके पास कंडोम नहीं है। मैंने तुरंत कपड़े पहन लिए और सुझाव दिया कि हम कुछ और करते हैं। हालांकि जैसे-जैसे रात बढ़ी, उसकी लगातार मिन्नतें, वकालत और छेड़छाड़ पर मैंने थक कर हामी ही दी, उसके आग्रहों के आक्रमण से थक कर मुझे यूँ लगने लगाकि मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता।
हम दोनों ही कुंवारे (virgins) थे, और एक साथ ही खोज पर निकले थे।
नाम: राधिका
उम्र तब: 18 साल
उम्र आज: 20 साल
ये तब की कहानी है जब मैंने पहली बार सेक्स किया। ये काफी लंबे समय बाद हुआ और उसी लड़के के साथ जिसे मैं पूरी तरह से प्यार करती थी।
मैं सेक्स के बारे में कैसा महसूस करती हूँ और कैसे उसे व्यक्त करती हूँ, इसमें हमेशा एक विरोधाभास रहा है। जब मैं स्कूल में थी, तो मैंने एक अच्छी लड़की की छवि बनाई थी, जो बाद में एक दवाब सा लगने लगा था। लेकिन मुझे याद है कि मेरे सहकर्मी समूह में कभी भी ईमानदार तरीक़े से सेक्स की बातचीत नहीं हुई थी। एक बार होस्टल में रहने वाली कुछ मतलबी लड़कियों ने पूछा भी था कि क्या मैं पोर्न देखती हूँ। मैंने एक गहरी घृणा वाली नज़र से घूरते हुए उत्तर दिया था, "मैं, नहीं तो!" और ये एक झूठ था।
कॉलेज में एक मुक्त वातावरण तो था लेकिन अक्सर पुरुषों का ही वर्चस्व रहता था, जो सेक्स पर अशिष्ट चुटकुले सुनाते थे (और कूल लड़कियां धीरे से मुँह दबाकर विनम्र हँसी हँसती थीं)। जब मैंने इस लड़के के साथ डेटिंग शुरू की तो मैंने पाया कि मैं निश्चित रूप से सेक्स में उससे ज्यादा रुचि रखती थी। मैं अपने दमाग में उससे ज्यादा अजीर्ण (kinkier) थी। लेकिन उसके साथ पहली बार मुझे ऐसा लगा जैसे कि मैं पूरी हूँ । मुझे अपने अंदर की उस उज्ज्वल, खुशमिजाज़, ऊर्जा से भरी लड़की को सेक्स से प्यार करने वाली लड़की से अलग नहीं करना पड़ा। मैं पूरी थी।
हम उसके घर गए, फिर हमने किस किया, वैसे ही जैसा उस समय हम जानते थे। वह बाद में मुझसे पूछा करता था की क्या वो एक अच्छा किसर था। मैं बोलती, हाँ बिल्कुल, अन्य मानक ही कहाँ था तुलना के लिए। हम दोनों ही कुंवारे (virgins) थे, और एक साथ ही खोज पर निकले थे, लेकिन मैंने कभी किसी प्रक्रिया में इतना आराम महसूस नहीं किया था।
वह बहुत ही नम्र और विचारशील था, जो कि मेरी इंटरनेट पर पोर्न देखकर बनाई गई विचारधारा से बिल्कुल अलग ही था। फिर हम कंडोम के बारे में विचार करने लगे, जो कि मेरा विश्वास करें, थोड़ा मुश्किल हो सकता है, खासकर तब जब आपका सिर उस कदर रसायनों से भरा हुआ हो। हम ने बारी -बारी से सेक्स में अपनी भूमिका निभाई, हालांकि पर्याप्त अनुभव न होने की वजह से हम उसमें बहुत अच्छे नहीं थे। सब कुछ जो हम कर रहे थे, हमें पसंद आ रहा था, बीच-बीच में हम हँस भी रहे थे। जब मैं उसे मुख-मैथुन देने का प्रयास कर रही थी, वो मेरा चेहरा सहला रहा था। इसमें कोमलता भी थी और मसखरापन भी। यह कोई यांत्रिक प्रक्रिया नहीं थी जहाँ एक आदमी अपना शिश्न महिला के मुँह में जबरदस्ती घुसाता है। यह तो बस मेरी सहजता देखने के लिए था, और मैं सहज थी, वाकई में। सब होने के बाद हम वहाँ कुछ देर लेटे रहे, और मुझे याद है कि मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं हमेशा ऐसे ही लेटी रहूँ। मैं इससे बेहतर पहली बार के बारे में सोच भी नहीं सकती हूँ।
मैं जब भी सिनेमा में कोई बिल्कुल आदर्श सेक्स सीन देखती हूँ, तो हरी मिर्च के बारे में सोचती हूँ, क्योंकि मैं जानती हूँ कि सेक्स वास्तविक जीवन में हास्यास्पद हो सकता है।
नाम: यूबों
उम्र तब: 26 साल
उम्र आज: 31 साल
यह मेरे शादी के कुछ ही समय बाद का वाकया है, जब मैं और मेरे पति ने एक साथ रहना शुरू किया था। हम दोनों के काम का समय बहुत ही अलग था। मैं आमतौर पर डिनर के समय तक घर आती थी, उसने पास डिनर के पहले और बाद का थोड़ा समय खाली रहता था। और फिर वो देर रात तक काम किया करता था। एक दिन जब मैं घर आई तो देखा कि उसने कुछ मसालेदार सब्ज़ी और चावल बनाया था। हमने मन भर खाया। और क्योंकि उसकी उस रात कोई क्लाइंट मीटिंग नहीं थी, हमने रोमांस का प्रोग्राम रखा। सौभाग्य और दुर्भाग्य दोनों की बात है कि वो मुझे पहले अपने हाथों का इस्तेमाल करके उन्माद का सुख देना पसंद करता है। जैसे ही उसने ऐसा करना शुरू किया मेरे "नीचे का क्षेत्र" जलने लगा। मैं चिल्लाते हुए भागी और अपने ऊपर ढेर सारा पानी उड़ेल लिया। और तब हमें पता चला कि अपने कुशल और आयोजित होने के प्रयास में उसी शाम मेरे पति ने हरे मिर्च का एक पूरा गुच्छा काटकर फ्रीज में रखा था। दो बार साबुन से हाथ धोना मेरे जलते निचले हिस्से के लिए काफी नहीं था।
मैं जब भी सिनेमा में कोई आदर्श सेक्स सीन देखती हूँ, तो इसी घटना के बारे में सोचती हूँ, क्योंकि मैं जानती हूँ कि सेक्स वास्तविक जीवन में रील वाले जीवन से परे मज़ेदार और हास्यास्पद हो सकता है।
अगली बार जब हमने सेक्स किया, मेरे घुटने पूरे गंदे हो गए थे। लेकिन मुझे लगता है कि यही उचित था।
नाम: एकता
उम्र तब: 21 साल
उम्र आज: 22 साल
पिछले साल जुलाई में, मैं समर स्कूल (summer school) के लिए लंदन गया था। मैं एक लड़के के साथ घूमती-फिरती थी, जिसके साथ मैं कई बार रिश्ता बना चुकी थी, जब एक साल पहले वो कोलकता आया था। वह मुझे केंट में स्थित उसके घर ले जा रहा था और मैं कार में ही उसके साथ शुरू हो गई थी। उसने किसी अनजान जगह बीच में ही कार रोक दी। वहाँ पूरी तरह अंधेरा था। मैंने सोचा कि शायद हम उसके घर पहुँच गए। लेकिन वो तब तक इंतजार नहीं कर पाया था। वह मुझे वहीं जंगल में ले गया और नीचे (बहुत ही गीली!) जमीन पर मुझे लिटा दिया। वहाँ, हमने सेक्स किया। यह हास्यास्पद था। मैं अपनी हँसी रोक नहीं पा रही थी, क्योंकि मैं एक गीले-गंदे जंगल की जमीन पर, ना जाने कैसे और कितने जीव-जंतु के ऊपर पड़ी हुई थी, और ऊँचे पेड़ों के बीच से चाँद को भी देख पा रही थी। शर्त लगा लो, उसके घुटने पूरी तरह गंदे हो चुके थे। लेकिन पिछली बार जब हम मिले थे, हमने मेरे दोस्त के घर के टेरेस पर पत्थर की बनी पानी की टंकी के ऊपर सेक्स किया था। और तब काफी दिनों तक मेरे घुटनों की हालत अच्छी नहीं थी। तो मुझे लगता है ये घटनाक्रम उचित ही था।
वाकई सेक्स : वास्तव में सम्भोग काफी हास्यजनक हो सकता है
असली औरतों की असली कहानियां
चित्रण: देबस्मिता दास
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