कवि येहुदी अमीचाई ने एक मायूस कविता की शुरुआत इन लाइनों से की: “मैं बड़ा बालदार हो चला हूँ । डरता हूँ कि मेरे बालों की वजह से वो मेरा शिकार करेंगे।" लेकिन कवि ग्रेगरी कोरसो ने बिल्कुल इसके विपरीत, ये लिखा,“ बिस्तर में आना और वो भी बिना बाल के, ये इतनी बड़ी चूक है जिसे सिर्फ भगवान ही माफ कर सकते हैं।” हाँ, ये अलग अलग सोच सिर्फ कवियों तक ही सीमित नहीं है। हम सब शरीर के बाल को लेकर अपनी कुछ न कुछ सोच रखते हैं। जैसे कि, हम बालों के मामले में में कूल (cool) हैं या नहीं, हम आकर्षक महसूस करते हैं या नहीं, हम लोकप्रिय हैं या नहीं, हम मॉडर्न हैं या नहीं? काफी हद तक, और ये चौंकाने वाली हद है, हम अपने को और दूसरों को शरीर पर बालों के ज़रिये अक्सर आंकते हैं। यही वजह है कि हमनें ग्रेट इंडियन बॉडी हेयर सर्वे (Great Indian Body Hair Survey) का ऑनलाइन आयोजन किया।
इस सर्वे में हमने आपसे पूछा, कि क्या आप शरीर के बालों की परवाह करते हैं? हमें ऐसा लगता हैं कि आपको परवाह है, क्योंकि तीन सप्ताह के अंदर 665 लोगों ने इस सर्वे में भाग लिया। और आपके खुले और विचारशील जवाबों से हम इन नतीजों पे पहुँचे हैं।
बाल, यहाँ-वहाँ, हर जगह! बॉडी हेयर सर्वे
क्या आप शरीर के बालों की परवाह करते हैं?
लिखित: निशा सुसान और दीपिका एस
ग्राफिक्स: देबस्मिता दास
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