अंजाम से आज़ाद इश्क़बाज़ी क्यों ज़रूरी है

ऐसी नोंक झोंक की परीकल्पना करो जो किसी एक सीधे से अंजाम या उपभोग्य अन्त की ओर ना प्रवृत हो |

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