कभी कभार, तुम्हें ऐसे नहीं लगता कि अभी अभी तो बड़ी मुश्किल से हम जवानी और कामुकता को लेकर अपनी उलझनों को थोड़ा बहुत ही सुलझाने लगे तो लो! ये रही प्रौढ़ ज़िंदगी और सेक्स को लेकर उलझने? और इस संदर्भ में जो कुछ भी सुनने को आता है, उससे हौसला तो नहीं बढ़ता ।
साथ साथ, उम्र के आते हमारा शरीर कैसे कैसे बदलेगा, उसके बारे में हमें कुछ पता नहीं होता, ना ही उसपर कोई बात करता है। यहाँ तक की डॉक्टर भी नहीं। पर ये जानकारी बहुत काम आ सकती है।
बढ़ती उम्र का महिलाओं के बदन पर और सेक्स पर असर के बारे में ये रहा कुछ ज्ञान।
पेरीमेनोपॉज़ (perimenopause) और रजोनिवृत्ति/ मेनोपॉज़ (menopause) क्या हैं?
जिन लोगों में गर्भाशय (uterus) होता है , उनके लिए मेनोपॉज़ तब होता है जब आपका रजोधर्म (periods) पूरी तरह से रुक जाता है, और आपके अंडाशय (ovary) अंडे बनाना बंद कर देते हैं। पर ये अचानक नहीं होता। मेनोपॉज़ शुरू होने से पहले आप पेरीमेनोपॉज़ से गुज़रते हो। पेरीमेनोपॉज़ अक्सर ४४ से ४६ के बीच की उम्र में शुरू होता है और ये चार से पांच साल तक चलता है।
आपका रजोधर्म/ period अनियमित हो जाता है: वो चार दिन से लेकर दो हफ़्तों तक चल सकता है, या फिर किसी महीने भर शायद आये ही नहीं । हाल ही में की गई एक जाँच में पाया गया कि भारत में महिलाओं में मेनोपॉज़ शुरु होने की उम्र घट गई थी - ४ फ़ीसदी महिलाओं में मेनोपॉज़ २९ और ३४ साल की उम्र के बीच शुरू हुआ, और ८ फ़ीसदी महिलाओं में मेनोपॉज़ ३५ और ३९ साल की उम्र के बीच शुरू हुआ।
लेकिन पेरीमेनोपॉज़ और मेनोपॉज़ के लक्षण - मूड का हर वक़्त बदलते रहना, बदन में अचानक गर्माहट महसूस करना, अच्छी नींद न आना, और सेक्स में दिलचस्पी कम हो जाना - सब एक दूसरे में मिले हुए हैं। एस्ट्रोजन/ oestrogen (स्त्री हॉर्मोन), जो सेक्स का मुख्य हॉर्मोन है, उसका कम निर्माण होने की वजह से ये लक्षण दिखाई देते हैं। लेकिन सभी औरतों में सभी लक्षण नहीं दिखाई देते: कभी कभार मेनोपॉज़ से मेनोपॉज़ के बाद का सफ़र आरामदायक भी हो सकता है। और अगर आप एक ऐसी ट्रांस औरत हो (ऐसी औरत जिसके जन्म पर उसे मर्द की लैंगिक पहचान दी गई थी) जिसने चिकित्सीय रूप से अपना लिंग बदला है और आप एस्ट्रोजन ले रही हो, तो ये रही एक ख़ुश खबरी - अगर आप हॉर्मोन लेना जारी रखती हो, तो आपको मेनोपॉज़ नहीं होगा।
मूड का हर वक़्त बदलते रहना
अगर आप छोटी बातें याद रखने में और ध्यान देने में कठिनाई महसूस कर रही हो, ये उम्र की वजह से हॉर्मोन में बदलाव के कारण हो सकता है, जिनसे एस्ट्रोजन की मात्रा गिरती है। आप और भी चिड़चिड़ी बन सकती हो और थकी हुई भी।
लेकिन ऐसी दुनिया में जहां सभी हमेशा जवान दिखने में लगे हुए हैं, क्या अपनी बढ़ती उम्र के बारे में चिंतित होना स्वाभाविक नहीं है?
५८ वर्षीय मीना एक ऐसे दौर से गुज़री जहां उसके इर्द गिर्द होने वाला सब कुछ उस पर हावी हो रहा था। उसे लगा उसके बच्चे उसे वक़्त नहीं दे पा रहे थे, और उसके पति उससे दूरी बनाए रखे थे। “उस दौर में मैंने बहुत अकेलापन महसूस किया,” मीना कहती है। और अगर चिड़चिड़ी या चिंतित होने के वक़्त वो बदन में अचानक गर्माहट महसूस करती, तो उसकी हालत और भी बदतर हो जाती। अपने लिए एक दिनचर्या बना लेने से उसे बहुत मदद मिली - वो डांस सीखने लगी और हर सुबह बाग़ में हंसने के क्लब ( laughter club) में बिताने लगी। इस बात से आपको दिलासा मिल सकता है कि आपको मेनोपॉज़ अकेले सहने की कोई ज़रुरत नहीं। आप इंडियन मेनोपॉज़ सोसाइटी (जी हां, ऐसा भी क्लब है) जैसे ग्रूप की भी सदस्य बन सकती हो। ये क्लब ऐसे कार्यक्रम आयोजित करता है जिनमें आप आपके जैसे दौर से गुज़रती हुई दूसरी औरतें से आसानी से मिल सकती हैं।
सेक्स
बढ़ती उम्र के साथ सेक्स में आपकी दिलचस्पी कम हो सकती है।
लेकिन एक ख़ुश ख़बर भी है: अमेरिकन जर्नल ऑफ़ मेडिसिन में जाँच के मुताबिक, औरतों को सेक्स से मिलने वाली ख़ुशी बढ़ भी सकती है, चूँकि आपको बेहतर पता होता है आपको किस क़िस्म का सेक्स अच्छा लगता है। कुछ डॉक्टरों का यह भी कहना है कि सेक्स में दिलचस्पी बढ़ सकती है, ख़ासकर कि अगर आपने जवानी में गर्भनिरोधक गोलियां ली हैं।
४९ वर्षीय रितिका की सहेलियों ने उसे बताया था कि सबसे बेहतरीन सेक्स वो ३० से लेकर ३९ साल की उम्र में आज़माएगी, और ४० साल की उम्र के बाद वो कई निराशाजनक, बंजर दौरों में से गुज़रेगी जिनमें कोई सेक्स नहीं होगा। क्या ये बात सच निकली ? “मैं पहले जितना सेक्स नहीं करती, लेकिन जब भी मैं सेक्स करती हूँ वो पहले जितना अच्छा होता है।” ये कैसे? सेक्स के दौरान वो अब अक्सर चिकनाई दिलाने वाला क्रीम (लूब्रिकंट) और वाइब्रेटर इस्तेमाल करती है। इसके अलावा, रितिका अब आत्मविश्वास से अपने पति से सेक्स को लेकर अपनी मांग सामने रखती है - वो ये कि वो उसके साथ एक लंबे समय तक कामुकता बढ़ाने के लिए फ़ोरप्ले (भेदक सेक्स करने के पहले कामोत्तेजना बढ़ाने के लिए आपसी खेल) करें। फ़ोरप्ले करने में उसे बहुत मज़ा आता है, चूँकि फ़ोरप्ले करने में और वक़्त गुज़ारने से उसे ये जानने में मदद मिली है कि किन-किन नए अंदाज़ से उसे छुआ जाना पसंद आता है । फ़ुर्सत से फ़ोरप्ले करने से वो पहले से कई ज़्यादा कामोत्तेजित होती है।
और लूब्रीकंट के बारे में क्या बात की आपने? मेनोपॉज़ शुरू होने के बाद, योनी और सूख जाती है और वहां का मांस और पतला हो जाता है। इसके सबसे सामान्य लक्षण हैं दर्द होना और खुजलाहट, या फिर सेक्स के बाद ख़ून का बहना। तो आपका लूब्रिकंट (ऐसी चिकनाई जो आपको चिकित्सा के रूप में मिल सकती है और जिसे आप बिना किसी नुकसान लगा सकते हो) आपकी सबसे ज़्यादा मदद कर सकता है।
हृदय
आपको दिल का दौरा या स्ट्रोक होने का ख़तरा भी बढ़ जाता है, इसलिए आपको और सावधानी बरतनी चाहिए। औरतों में कुछ दिल की धड़कनें छूट भी सकती हैं। जो औरतें दूसरों से पहले मेनोपॉज़ से गुज़री हैं या जिनके गर्भाशय या अंडाशय निकाले गए हैं, उनमें ये ख़तरे और भी बढ़ जाते हैं।
हाल ही में की गयी अलग अलग जाँच दिखाती हैं कि ट्रांस औरतों में खून के थक्के (ब्लड क्लॉट), दिल के दौरे और स्ट्रोक होने का ख़तरा सिस(cis) औरतों से (ऐसी औरतें जिनकी जन्म पर दी गयी लैंगिक पहचान और उनकी अपनी लैंगिक पहचान मेल खाते हैं) कई ज़्यादा हो सकता है। यह इसलिए कि लिंग बदलने की प्रक्रिया में ट्रांस औरतों ने हॉर्मोन थेरपी की है। अगर आपने अभी तक चिकित्सीय रूप से लिंग नहीं बदला और आप ऐसा करना चाहते हो, ये याद रखना कि उम्र की वजह से होने वाली बीमारियां, जैसे हृदयरोग, इस प्रक्रिया को धीमा कर सकती हैं।
मूत्रीय सिस्टम (Urinary system)
औरतों में, आपकी योनी की तरह, आपका मूत्रमार्ग/ urethra (वो नाली जो आपके मूत्राशय/ urinary bladder से मिलती है) बहुत ज़्यादा सूखा और कम लचीला बन जाता है। इसके कारण आपको अक्सर ऐसा लगता है कि आपको पेशाब लगी है। केगेल एक्सरसाइज़ (इससे पेशाब पर नियंत्रण चले जाने की अवस्था/ urinary incontinence काबू में आ सकती है) करना इसका एक जाना हुआ उपाय है। आप इसे कभी भी, कहीं भी कर सकते हो और ये करने से आपके पेडू के तल की मांसपेशियां ( pelvic floor muscles) और मज़बूत हो जाते हैं। इसका बड़ा फ़ायदा क्या है? ये एक्सरसाइज़ करने से सेक्स में और मज़ा आता है।
मांसपेशी और हड्डियां
औरतों में, एस्ट्रोजन की कमी से, हड्डियों में धातु का घनत्व कम होने का ख़तरा बढ़ता है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि आपको चिंता करनी चाहिए।
अक्सर, मेनोपॉज़ के ५ से १० साल बाद तक, हड्डियों के घनत्व का कम होना उन्हें कमज़ोर बना देता है और फ्रैक्चर होने का ख़तरा बढ़ता है। उम्र के बढ़ने के साथ हड्डियों के घनत्व का कम होना आप रोक नहीं सकते, लेकिन कैल्शियम ज़्यादा लेने से, पत्तेदार सब्ज़ियां खाने से और एक्सरसाइज़ करने से आप उसे धीमा कर सकते हो।
५१ वर्षीय ग्रीष्मा हर शाम जिम में गुज़ारती है। ऐसा करने से उसे अच्छा लगता है, इसलिए कि कसरत करने से उसमें जोश आता है और उसे अपना बदन अच्छा लगने लगता है। उसके घुटने की समस्या (जिस कारण उसने ज़ोरों से एक्सरसाइज़ करना शुरू किया था) में भी उसे मदद मिलती है। उसकी सास को ऑस्टेओपोरोसिस/ osteoporosis था (इसमें आपकी हड्डियां कमज़ोर और भुरभुरी बन जाती हैं)। ये ऐसी बीमारी नहीं जो सिर्फ़ बूढ़ों को होती है। वज़न उठाने के एक्सरसाइज़ और रेज़िस्टंस एक्सरसाइज़ करने से हड्डियों का घनत्व बढ़ता है और बने रहता है। इससे ऑस्टेओपोरोसिस से निपटने में मदद मिलती हैं।
ऑस्टेओपोरोसिस उन ट्रांस औरतों में भी हो सकता है जिन्होंने चिकित्सीय रूप से अपना लिंग नहीं बदला - शारीरिक हलचल कम हो जाना, मांसपेशियां कम घनी होना, मुट्ठी की पकड़ कम मज़बूत होना और विटामिन D की कम मात्रा इसके कारण हैं।
स्तन/ ब्रेस्ट
अक्सर उम्र के बढ़ने पर आपके स्तन छोटे हो जाते हैं और उनकी चर्बी और उनका मांस कम होने लगता है। उन्हें सहारा देने वाला मांस कम लचीला बन जाता है, और इसलिए वो झुकने लगते हैं। अरिओला (निप्पल के इर्द गिर्द का भाग) छोटा हो सकता है और कभी कभार ग़ायब भी हो सकता है।
ऐसी स्थिति में औरतों को अपने स्तन का ख़ुद से निरीक्षण कैसे करना है वो पता होना चाहिए, चूँकि स्तन में गांठ का होना मामूली बात है। ज़्यादातर इन गांठों का कैंसर से कोई संबंध नहीं होता। लेकिन बेहतर यही होता है कि आप इन गांठों की डॉक्टर द्वारा जांच करवा लो, चूँकि ब्रेस्ट कैंसर होने का ख़तरा उम्र के बढ़ने के साथ बढ़ता है।
हम अक्सर त्वचा और बदन के बाहरी हिस्सों में बदलाव से परेशान रहते हैं और हमारे बदन के अंदर या मन में जो हो रहा है उसपर कम ध्यान देते हैं। इनके बारे में हम बहुत कम बात करते हैं। किसी और के बदन के साथ अपने बड़ी उम्र के साथ बदले हुए बदन की तुलना करना और इस बात को समझना कि मेरा बदन भी ओ.के. है, ऐसी बातचीत और भी कम होती है । दुनिया जवानी और कामुक आकर्षण को एक साथ जोड़ती है , यह भूलते हुए कि हम ज़िंदगी भर सेक्स करने के लिए तैयार होते हैं - सिर्फ़ सेक्स और उससे मिलने वाली ख़ुशी के बारे में हम अलग तरीके से सोचते और महसूस करते हैं।
सबसे अच्छा वक़्त तो हमारा आज है ।
बढ़ती उम्र के साथ महिलाओं के बदलते बदन को कैसे समझें
बढ़ती उम्र का महिलाओं के बदन पर और सेक्स पर असर के बारे में ये रहा कुछ ज्ञान।
क्रिस्टोफ़र जेकब्स द्वारा चित्रित
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