रात के बीचों-बीच, मेरी नींद, ग्रीन बोर्ड पे लगे कुछ कागज़ों की सरसराहट से खुल गयी। मैंने सपना देखा था कि समीकरण(equation) संभोग करते हुए आपस में और इक्वेशंस पैदा कर रहे थे। कोई ‘मेटा’ (meta) समीकरण, समीकरण प्रसार को प्रभावित कर रहा था।मुझे इस बात से कोई अचंभा नहीं हुआ कि इक्वेशंस के संकल्प मुझसे ज़्यादा एक्शन पा रहे थे।
पिछले कुछ दिनों में मैंने जितना इंस्टेंट खाना खाया है, वह अब मेरे पेट में एक गोला बनकर बाहर निकलने की कोशिश कर रहा है। शायद अगर मैंने थोड़ी आइस-क्रीम खा ली होती, तो यह गोला मेरे पेट के अंदर और हँसी-खुशी रह पाता, ठंडे दूध में गतिहीन बैठे हुए। इसके बदले, मैं अपनी मदद दूसरे तरीकों से कर सकती हूँ और अपने खोये हुए दोस्त, नींद, को तलाश सकती हूँ। धीरे-धीरे खरगोश की सुराख़ में ‘ऐलिस’('Alice in Wonderland' कहानी की नायिका) की तरह गिरकर, मालूटी (मलयालम फिल्म, जिसमें एक गहरी दरार में गिरी बच्ची को बड़े जतन से बाहर निकाला जाता है) की तरह बाहर खींची जा सकती हूँ।
क्यों मेरे बॉम्बे टॉकीज़ के पोस्टर पर बने शशी कपूर मुझे उस करारी निगाह से नहीं देखता जिससे वह अपनी हेरोइंस की तरफ देखता है? शायद मेरी नाक पर घर बनाये उस बड़े मुहांसे की वजह से, जो स्याही और कागज़ की मैल से भरा हुआ है, उन उल्लेखों की बदौलत जिन्हें मैंने कल के लिए नहीं पढ़ा है।
मेरे हिसाब से, एक लॉन्ग-डिस्टेंस रिश्ते के फायदों में से एक यह है कि आप कुछ मुहांसों को पाल सकते हैं क्योंकि स्काइप पे वह आपकी बाकी त्वचा के साथ घुलमिलजाते हैं, पिक्सेलेट जो हो जाते हैं।
बॅल और सेबेस्टियन मेरे लिए गाते हैं, "आज खिसियाने के लिए दिन अच्छा है"। और सचमुच है।
पिछले साल जब हमने यूनिवर्सिटी में डेट करना शुरू किया, तब परीक्षा की चिंता और भी बुरी थी और मुझे हर तरह के मर्ज़ हो गए थे जैसे केबिन बुखार, अपनी प्रजाती पहचान से जुड़ी अत्यधिक जागरूकता और हर इंसान एवं चीज़ की तरफ एक "आलोचनात्मक रवैय्या"। मुझे लगता है यह एक तरीका है जिससे कि अंग्रेजीस्तान में "अंतर्राष्ट्रीय" छात्र अपने आप को संभालते हैं। दूसरी ओर, मेरा पार्टनर अपने आपसे और अपने परिवेश से खुश था, और उसने मुझे खुश करने की बहुत कोशिश की, मेरे लिए खाना पकाकर, मुझे कुछ सोशल इवेंट्स में बुलाकर और मुझे बॉलीवुड पिकचरें दिखाकर। फिर उसने स्नातक की उपाधि प्राप्त की और वहां से निकल गया, लेकिन मुझे एक और साल वहीं काटना था।
कहने को तो हम एक ऐसे जोड़े थे जो विदेश में भारतीयों से ज़्यादा मिलने-जुलने वाले भारतीयों के विचार को बढ़ावा दे रहे थे, लेकिन वास्तव में हमारे बीच कोई समानता नहीं थी, अलावा उसके जो हमें खबरों को पढ़ने पर महसूस होता था। और वह सचमुच खूबसूरत था, फिर खूबसूरत रूप से मामूली और फिर, बस मामूली। हमारी लंबी-दूरी वाले रिश्ते पर क़यामत मंडरा रही थी।
अगर हम फिर से भारत में मिलते, किसी बजेट होटल में, तो वह, बिना मेरी ओर देखे, नीचे दिए हुए पद का कोई एक रैखिक संयोजन, हमसे कहते:
"कृपया एक वैद्य गवर्नमेंट द्वारा जारी एड्रेस आय.डी. सबूत साथ रखें (पैन कार्ड नहीं चलेगा) जिसमें आपका पता उसी शहर में ना हो जिसमें होटल है"
"सर, आपका मैडम के साथ क्या रिश्ता है?"
"यह एक पारिवारिक होटल है, सर"
"यह कॉर्पोरेट प्रॉपर्टी है, सर"
"सर, आप सिर्फ बाहर के देशों के निवासी है, लेकिन आप फोरेनर नहीं हैं"
"सर आप दो सिंगल रूम क्यों नहीं बुक कर लेते"
फिर में चिढ़ जाती और उनमें से एक रिसेप्शनिस्ट का सर काट लेने की कोशिश करती, सिर्फ उसूलों की वजह से, इसलिए नहीं कि सेक्स उसके लायक था। मुझे पता है कि सेक्स उसके लायक नहीं होनेवाला था, खासकर अगर में इसमें यू.टी.आय. होने के जोखिम को जोड़ दूँ। हनीमून सिस्टायटिस, प्रसूतिशास्री उसे बेस्वाद ढंग से बुलाते हैं। उफ़्फ़।
अगली बार मैं भारत में किसी को डेट करूंगी तो मुझे उस घिसे पिटे गाने को सुनने के बजाय स्टे अंकल (Stay Uncle) को (याद से) कॉल करना होगा। यह कहना पड़ेगा कि ब्लेज़ अंकल की मार्केटिंग ईमेल अजीब तरीके से प्यारी सी लगती हैं ।
चलो बढ़िया है, अब मैं अपने फ्लैटमेट को अपनी लंबी-दूरी वाली गर्लफ्रेंड से फोन पर माफी मांगते हुए और दिन की रिपोर्ट देते हुए सुन सकती हूँ, लेकिन सच में वह किसी बात पर हंस रहा है। परीक्षा के समय आखिर क्या हास्यजनक हो सकता है?
मेरे पैरों की उँगलियों से पसीना आ रहा है लेकिन ठंड की वजह से उन्हें कम्फर्टर से निकालना नामुमकिन है। मुझे कल की परीक्षा में एक मैचिंग मॉडल को सुलझाना पड़ा, एक ऐसा मॉडल जिसमें औरतों के पास मर्दों से ज़्यादा सौदेबाज़ी की शक्ति थी, जैसा कि बाद में पता चला। उन तीन सफ़ेद रंग के पुरुषों द्वारा, जो हमारा डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स क्लास लेते हैं, परीक्षा में दिखाए गए प्रतीकवाद का एक छोटा सा नमूना, ।
शायद मुझे कुछ पढ़ना चाहिए। दूसरों की खुशी मुझे नाजायज़ लगती है, शायद मुझे उसके बारे में पढ़ना चाहिए। नहीं, मैं इक्वेशन से हुई बीमारी पे घर से दूर रहने की खिन्नता को नहीं जोड़ सकती। इसके बजाय, मैं एक सैर पर चली जाती हूँ। अपनी तन्हाई में खुद को डुबाने ... ‘थूवनाथुम्बीकल’ फ़िल्म के थीम ट्रैक को गुनगुनाने से और शांतिदायक कुछ नहीं हो सकता।
जब लंबी दूरी के रिश्ते पे क़यामत छा जाए, तो आप इन ख़यालों से नहीं बच पाते
मेरे हिसाब से, एक लॉन्ग-डिस्टेंस रिश्ते के फायदों में से एक यह है कि आप कुछ मुहांसों को पाल सकते हैं क्योंकि स्काइप पे वह आपकी बाकी त्वचा के साथ घुलमिलजाते हैं, पिक्सेलेट जो हो जाते हैं।
नागवल्ली द्वारा लिखित
चित्रण मैत्री डोरे
अनुवाद - तन्वी मिश्रा
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