ना कहने और सुनने को कैसे निभाया जाए- एजेंट्स ( AOI ) का क्राउडसोर्सड गाइड !
सहमति, जैसे, अनु कपूर ने विक्की डोनर में कहा था, एक टेढ़ा मेढ़ा शुक्राणु है। हर कोई सोचता है कि ये सरल है- एक हाँ है, एक नहीं और एक शायद। लेकिन हाँ हमेशा के लिए हाँ तो नहीं होता है, और न भी ना हमेशा के लिए ना। और शायद- या तो हाँ के अंदर हो सकता है या ना के बाहर। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सहमति K3G के अमिताभ बच्चन की तरह नहीं है - कि कह दिया तो कह दिया, बस। मतलब ये अपरिवर्तनीय या सुनिश्चित नहीं है। बल्कि, हम कई अलग-अलग रोमांटिक और यौन संबंधों के दौरान इसका पता लगा पाते हैं। पहले कदम से शारीरिक संबंध बनाने के बीच, वन नाईट स्टैंड के दौरान या एनएसए, या दीर्घकालिक रिश्ते के दौरान; दरअसल हर उस स्थिति से जिससे सेक्स जुड़ा हुआ होता है।
नहीं आसान होना चाहिए। लेकिन हम सभी जानते हैं कि वह पेंचीदा है। यदि आप किसी से ना सुनते हैं, तो आपको आघात होता है, आप अस्वीकारित महसूस करते हैं, निराशा होती है, गुस्सा आता है। आप कभी समझने की कोशिश करते हैं तो कभी परेशान हो जाते हैं। यदि आप सहमति का सम्मान नहीं करते हैं, तो आप शायद 'ना' सुन भी नहीं सकेंगे।
और यदि जिसने ना कहा है वो आप खुद हैं, तो आप तकलीफ और परेशानी महसूस कर सकते हैं। कभी आप राहत महसूस करेंगे तो कभी खुद को दोषी मानेंगे। अंत में आप निर्दयी या असंवेदनशील भी हो सकते हैं। या फिर इससे बचने की कोशिश करते हुए हो सकता है आप अस्पष्ट हो जाएँ।
लेकिन शुरूआत में, कम से कम हम उन नाज़ुक फ़र्क की बात तो कर सकते हैं, जो इस 'ना' की शान हैं, है ना! हमने नहीं कहने और सुनने के बारे में कुछ लोगों से बात की, विशेष रूप से उसके अलग अलग जगहों पे पड़ने वाले प्रभाव को समझने के लिए।
1. जब आप बिल्कुल रूचि नहीं रखते हैं।
- मेनेका (21, उभयलिंगी महिला) कहतीं हैं, "मुझे लगभग छह बार नहीं कहना पड़ा", जब वो एक ऐसी परिस्थिति में थीं जहाँ सामने वाले व्यक्ति को समझ नहीं थी कि कहाँ रुक जाना चाहिए। "मैं एक मेटल कॉन्सर्ट में थी।" (हाँ वो एक रॉकर लेडी हैं) "उस व्यक्ति ने कुछ ऐसा कहा- 'मैंने लड़कियों को इतना ज्यादा झूमते नहीं देखा है... क्या मैं आपके लिए एक ड्रिंक खरीद सकता हूं?' मैंने कहा नहीं। उसने जोर देकर कहा कि वह किसी भी तरह की सेक्सुअल उम्मीद नहीं रख रहा है। सब एक बकवास नाटक था। अंत में, उसने कहा, 'क्या मैं आपके लिए कम से कम पानी खरीद सकता हूँ?' मैंने सोचा ठीक है! मैं सिर्फ उससे छुटकारा पाना चाहती थी। लेकिन अगर मैंने उसे ‘हाँ ठीक है धन्यवाद’ कहती, तो यह मेरा जान कर अंजान होना सा होता। अगर मैं किसी के अनुरोध पर फ्री ड्रिंक लेती हूँ तो ऐसी बातों पर आदमी और औरतों के बीच की रीति रिवाज़ों का लंबा साया रहता है और मुझे उस सब में नहीं पड़ना था ।"
- सीरत (21, विषमलैंगिक महिला) एक ऐसे लड़के के बारे में बतातीं हैं जो लवर बॉय से स्टॉकर (पीछा करने वाला) बॉय बन गया। "मैं अपने कॉलेज में एक इवेंट का आयोजन कर रही थी जब एक सीनियर मेरे पास आया और कहा कि उसने आज तक मुझसे ज्यादा सुंदर लड़की नहीं देखी। मैंने उसकी प्रशंसा की सराहना करते हुए उसे धन्यवाद दिया। बाद में, उसने मुझे फेसबुक पर संदेश भेजा कि वह मुझसे प्यार करता था। मैंने जवाब में 'धन्यवाद' जैसा कुछ लिखा और यह भी स्पष्ट किया कि मुझे उसमें इस तरह की कोई दिलचस्पी नहीं है। उसके बाद वह रोज़ कॉलेज गेट पे मेरा इंतजार करने लगा। वो मुझे लगभग एक स्टॉकर कि अनुभूति कराने लगा और इसलिए आखिरकार मुझे उसे ब्लॉक करना पड़ा। फिर मुझे एक सीनियर से बात भी करनी पड़ी जिसने उसे ये सब रोकने के लिए कहा। एक साल बाद जब वापस उसे देखा तो उसने अपने बर्ताव के लिए माफी मांगी। वह अभी भी फेसबुक के ब्लॉक्ड लिस्ट में है; लेकिन कोई बात नहीं।"
इससे ये समझ में आता है कि जब कोई आपकी ना सुनने से इनकार करे तो आपको क्या करना चाहिए? दोहराते रहें- विनम्रतापूर्वक, लेकिन दृढ़ता के साथ। (फिर ये आसान हो जाता है और कभी-कभी सामने वाले को समझ में भी आ जाता है)।
2. जब आप समीकरण को बदलना नहीं चाहते हैं।
मान लीजिए कि आपका एक दोस्त है और आप जहाँ हैं वहाँ खुश हैं, लेकिन वो कुछ और चाहता/चाहती है। आप उसे चोट नहीं पहुँचाना चाहते हैं, और ना ही अपने बीच के समीकरण को बदलना चाहते हैं। ऐसे में आप ना कैसे कहेंगे?
- जेनाब (20, इतर्लिंगी, महिला) ने किसी मित्र के प्रस्ताव को ना कहा। "पहले तो वो उलझन में था और मानने को तैयार ही नहीं था। फिर मैंने उसे कहा कि हम दोस्त हैं और हम इसे ऐसे ही रहने देते हैं। उसे बात तो समझ में आ गयी लेकिन वह जानना चाहता था कि क्या मैंने किसी डर या भय से उसे ना बोला। मुझे लगता है मुझे उसे और दृढ़ता से मना करना चाहिए था, क्योंकि उसे लगा मैंने सिर्फ उस समय के लिए ना बोला है। मैं नहीं चाहती थी ये रिश्ता कहीं भी जाये, उसे ये बात समझ नहीं आई थी। मुझे लगता है कि सबसे अच्छा तरीका है कि जहाँ तक हो सके, स्पष्ट रूप से ना कहा जाए। जब आप किसी से जुड़े हुए नहीं होते हैं तो ना कहना आसान होता है। लेकिन एक दोस्त के साथ आपको डर रहता है कि कहीं आप उसकी भावनाओं को चोट ना पहुचाएं। लेकिन हाँ, दृढ़ता आवश्यक है। "
- आदिल (22, विषमलैंगिक, पुरुष), उसकी दोस्ती को अगले स्तर पर ले जाना चाहते थे। "हम हाल ही में दोस्त बने थे। मुझे रोमांटिक रुचि तो नहीं थी, लेकिन में शारीरिक रूप से आकर्षित हो गया था। एक रात एक पार्टी में उसने काफी पी ली थी। वहाँ जब किसी ने पूछा कि क्या हमारे बीच कुछ चल रहा है, तो उसने बड़े रहस्यमय तरीके से कहा था कि- अब तक तो नहीं। बाद में, जब मैंने इसका जिक्र किया, उसने मुझ पर विश्वास नहीं किया और कहा कि वह अपने दोस्त से इसकी पुष्टि करेगी। फिर उसने माफी मांगी और कहा कि उसे शारीरिक संबंध बनाने में कोई दिलचस्पी नहीं थी, वो बस एक अच्छी दोस्त बनना चाहती थी। मैं निराश हो गया था लेकिन फिर मुझे लगा कि उसके साथ ना सो कर मैं कोई बड़ी चीज़ मिस नहीं कर रहा था। वो मेरी दोस्त थी और ये मेरे लिए बहुत था। उसने मुझे जिस तरह ना कहा उसके लिए मैं उसे वास्तव में दोषी नहीं ठहरा सकता था। वह नशे में थी और उसने तो माफी भी मांगी। लेकिन अगर उसकी जगह मैं होता तो ये कभी नहीं कहता कि 'मुझे तुम्हारी बात पर विश्वास नहीं है और मुझे अपने दोस्त से पुष्टि करनी होगी।' यह लगभग ऐसा कहना हो गया जैसे ये पूरी कहानी मेरी मन गड़त है। मैं अगर ऐसा करता भी तो उसकी घोषणा नहीं करता।" (हालाँकि वास्तव में उसने आदिल के सामने तीन हफ्ते बाद ही प्रस्ताव रखा और ये अलग बात है कि तब से वे साथ हैं।)
- निशांत (22, विषमलैंगिक, पुरुष) ने अपने अच्छे दोस्त के सामने प्रस्ताव रखा। वो कुछ दिन पहले ही एक रिश्ते से बाहर निकली थी इसलिए उस समय आगे बढ़ने की मनोस्थिति में नहीं थी। "अभी नहीं, शायद भविष्य में - लेकिन उसका भी मैं कोई वादा नहीं कर सकती", उसने कहा। उसके कारण बहुत न्यायसंगत थे लेकिन भविष्य की संभावना में लटकाकर रखने का विचार मुझे पसंद नहीं आया। अगर आप पूरी तरह से ना कहते हैं, तो कम से कम दूसरे व्यक्ति को पता चल जाता है कि ऐसा कभी नहीं होने वाला है। लेकिन यदि आप कहते हैं कि शायद भविष्य में कोई संभावना हो सकती है, तो वह व्यक्ति सोचता है कि वह फिर से प्रयास कर सकता है।"
3. जब आपको दिलचस्पी है लेकिन आप तैयार नहीं हैं।
जब आप तैयार नहीं होते हैं तो इसे धीमे-धीमे आगे ले जाना चाहते हैं। आप कभी ये भी कहना चाहेंगे कि 'यह सब बहुत जल्दी हो रहा है'? या फिर ‘ना’ करना चाहेंगे,’ लेकिन सिर्फ तभी के लिए'। क्या इसका मतलब है कि आप किसी को व्यर्थ बहका रहे हो? ? ये ज़ोर से कहना आसान तो नहीं है लेकिन देखते हैं कुछ लोगों ने ऐसा कैसे किया।
- नितिन (22, विषमलैंगिक, पुरुष) - "मैं अपने पहले रिश्ते में एक अनजान किशोर था। जब मेरी प्रेमिका मुझसे शारीरिक संबंध बनाना चाहती थी तो मुझे विनम्रता से उसे मना करना पड़ा क्योंकि मुझे सचमुच नहीं पता था कि ये सब कैसे किया जाता है। मेरा मानना है कि ऐसा कुछ करने से पहले खुद को शिक्षित करना बेहतर है ताकि कोई बेवकूफी ना हो जाये। जब मैंने उसे यह बताया, तो उसने कहा 'चिंता मत करो, मैं तुम्हारी मदद करूँगी।' मैंने जोर देकर कहा कि मैं तैयार नहीं हूँ। हम अंततः यह ज़रूर कर सकते हैं, लेकिन केवल तब जब मैं इस विचार से सहज हो जाऊँ। जाहिर है पहले वो नाराज़ हुई। लेकिन फिर उसने कहा कि उसे ये थोड़ा अजीब और अच्छा भी लगा, क्योंकि आमूमन लड़कियाँ रुकना चाहती है जबकि लड़के हमेशा तैयार रहते हैं।"
- बारबरा (22, उभयलिंगी, महिला): "यह हमारे रिश्ते के पहले के कुछ हफ़्तों की बात है। हम तब सिर्फ एक-दूसरे को जानने की प्रक्रिया में थे। उस रात हम काफी दूर तक आ गए लेकिन मैंने उसे कह दिया कि मैं सेक्स नहीं करना चाहती थी। उसने कहा कोई बात नहीं और फिर कोशिश नहीं की। थोड़ी देर बाद, मुझे बुरा लगा क्योंकि उसने इस सरप्राइज ट्रिप की योजना बनाई थी और मुझे लगा कि वो बुरा मान जाएगा। तो मैंने उससे कहा, 'जानते हो, मुझे आपत्ति नहीं है?' ' यहाँ कहकर ज़ोर नहीं डाला था, बस मैं ही पछतावे की भावनावेश में बोल बैठी थी। मुझे उसका जवाब आज भी स्पष्ट रूप से याद है। उसने कहा 'मुझे आपत्ति नहीं है' और 'मैं ये चाहती हूँ', दोनों में बहुत अंतर है। उसने कहा कि वो मुझे कभी ऐसा कोई काम करने को नहीं कहेगा जिसमें मुझे केवल 'आपत्ति न हो।' तो हमें ये समझ आ गया कि हमें किसी का नेतृत्व नहीं करना चाहिए और सिर्फ किसी दबाव में आकर हाँ नहीं कहना चाहिए। क्योंकि अगर आप तैयार नहीं हैं तो इसकी कोई आवश्यकता नहीं है। प्रेम कोई वस्तु विनिमय प्रणाली- बार्टर सिस्टम- तो नहीं है।"
- अनंद्य (21, विषमलैंगिक महिला) याद करती हैं, "जब मैं कॉलेज में इस लड़के से मिला करती थी, तब एक रात मैं अपने कमरे में घुस गई। मूल योजना कुछ समय बाद ही कर्फ्यू के लिए वापस आने की थी, लेकिन एक और मित्र ने मुझे पूरी रात वहीं रहने के लिए आश्वस्त कर दिया। यह वास्तव में मेरे लिए अजीब था क्योंकि उसने और मैंने साथ काफी कुछ किया था लेकिन उतने आगे पहले कभी नहीं बढ़े थे। उस रात चीज़ें थोड़ी गर्मजोशी में होने लगीं तो उसने मुझसे पूछा अगर मैं सेक्स करना चाहती हूँ। मैंने उसे धक्का दिया और कहा, 'नहीं, मैं इसके लिए तैयार नहीं हूं।' उसने कहा, 'ठीक है'। मुझे लगता है कि उसकी इस कोशिश का एक कारण अन्य लड़के थे जिनकी उम्मीदों को ये पूरा करना चाहता था। लेकिन मैं उसे प्यार नहीं करती थी, ये बात मैं अच्छे से जानती थी। मैं सेक्स सिर्फ करने के लिए नहीं करना चाहती थी, जब उसका कोई मतलब ही ना हो। "
4. प्यार के मूड में ना होना।
आप किसी के साथ संबंध में हैं ,लेकिन ऐसे कुछ समय होते हैं जब आप कहीं और ही मग्न हैं या कुछ ऐसा महसूस नहीं कर रहे हैं। तब किस तरीके से ना कहा जाना चाहिये?
- जोया (20, विषमलिंगी नहीं,अजेंडर) "मेरी हाल की यौन स्थितियां मेरी सबसे सम्मानपूर्ण स्थितियां रही हैं, उनमें बराबरी के रिश्ते रहे हैं । हम सेक्स में प्रयोग भी करते, पर पहले आपस में पूछ लेते थे कि क्या ये ठीक है। और अगर कोई रुकना चाहता था तो दोनों रुक जाते थे। मुझे लगता है कि ये सब सिर्फ अच्छी समझ का नतीजा है। "
मिंडी (25, समलैंगिक, महिला) "जब आप एक दीर्घकालिक रिश्ते में होते हैं, तो आप एक दूसरे को बेहतर समझते हैं और अपने साथी की जरूरतों को समझने में अधिक सहज होते हैं। तो 'ना' जैसे शब्द का वास्तविक उपयोग ही सब कुछ नहीं है। कभी-कभी कुछ सूक्ष्म चीज़ें भी ये कर जातीं हैं। कभी-कभी आपको थोड़ा और अधिक संवाद करना पड़ता है। मैं ना कहते समय अपने पार्टनर की भावनाओं को चोट नहीं पहुँचाना चाहूंगी। आप अपनी एक भाषा विकसित करते हैं, और तब ना बोलते हैं। "
भक्ति (22, क्वीयर, महिला): "मेरे अनुभव में, बहुत से लोग बिना मौखिक संकेत के नहीं समझ पाते हैं। कुछ लोगों के लिए, ना वास्तव में ना नहीं है- उन्हें लगता है कि यह हमेशा चिढ़ाने और कड़ी मेहनत कराने के लिए कहा जाता है। यहां तक कि मेरे वर्तमान प्रेमी को भी कभी-कभी सचमुच समझ में नहीं आता कि कहाँ तक ठीक है और कहाँ नहीं। मैं इसे पर्याप्त रूप से स्पष्ट करने की कोशिश करती हूँ कि मेरे मामले में ना का मतलब ना ही है और इसमें कोई चंचलता का अंश नहीं है। चूंकि यह उसका पहला रिश्ता है, इसलिए मैं उसे सीमाओं को समझने में मदद करती हूँ। हमने कई बार बैठ कर इसकी चर्चा की है। हमने मौखिक और गैर-मौखिक संकेतों को सेट किया है। यह एक बहुत ही अंतरंग बातचीत होती है जिसे केवल दो लोगों ही समझ पाते हैं। "
रुही (21, विषमलैंगिक महिला) कहती है "जब भी हम फिल्में देखते हैं, तो वो और मैं सेक्स की प्रक्रिया में संलग्न हो जाते हैं। लेकिन एक बार मैं वास्तव में वो फिल्म देखना चाहती थी। तो सीधा बोलने के बजाय, मैंने उसे बहुत ही आधे मन से चुंबन दिया। उस वक़्त तो उसने कुछ भी नहीं कहा, बस थोड़ा चुपचाप था। मुझे लगा कि ओह ये गंभीर हो गया- लेकिन अभी भी मेरा ध्यान पूरी तरह फिल्म पर ही था। फिल्म खत्म होने के बाद भी वह चुप ही था। मैं कभी-कभी उसे कहती हूँ कि उसे और सहज होना चाहिए। इसलिए उसने कहा, 'अब जब मैं था, तो तुमने मुझे खारिज कर दिया' बाद में हमनें इस बारे में बात की, तो उसने कहा कि मैं थोड़ा और अच्छे से भी मना कर सकती थी। मैंने कहा चलो माफ करो। शायद मैंने कोई सम्मानजनक तरीके से ना नहीं कहा था? शायद मुझे पूर्ण रूप से कहना चाहिए था कि मैं अभी तैयार नहीं हूँ, क्यों ना बाद में कोशिश करें। कभी ऐसा भी हुआ है जब उसने मुझे ना कहा है। मुझे लगता है कि जब आप किसी के योन प्रस्ताव को अस्वीकार करते हैं तो ये दर्दनाक भी हो सकता है। आप सोचेंगे कि उन्हें समझ में आ गया है, लेकिन वास्तव में ऐसा होता नहीं है। मुझे लगता है कि हालांकि इससे थोड़ी चोट पहुँच सकती है फिर भी इधर उधर की बातें करने से अच्छा है सीधे ना बोलना।
5. जब आप किसी भी रूप से असहज हो।
कुछ स्थितियों में, बस ना बोलने को मन करता है। आपको नहीं पता होता है क्यों, लेकिन आप ऐसा ही महसूस करते हैं।
- अंकिता (21, क्वियर, महिला) अपने पहले प्रेमी के साथ अपनी पहली अंतरंग स्थिति के बारे में बात करती है। "मेरे दिमाग में ये था कि वह बहुत बड़ा और अधिक अनुभवी था, और कोई फर्क नहीं पड़ता कि मुझे कितना असहज महसूस हो रहा था; मुझे नहीं लगता था कि मुझे उसे रोकने का अधिकार था। उसने भी मुझसे पूछने या मेरी असुविधा को जानने की कोशिश नहीं की। एक तरफ मुझे लग रहा था कि मुझे इस तरह भोला बनना बंद करना चाहिए। अब मुझे ये पता है कि आप केवल उन स्थितियों में अपनी कामुकता के बारे में सीखते हैं जहां आपकी एजेंसी है। यहां तक कि अन्य पुरुषों के साथ ऐसी स्थितियां भी आयी थीं जहाँ मेरे दिमाग में, अंदर ही अंदर, मैं ज़ोर ज़ोर से खुद को ना कहने के लिए चिल्ला कर कह रही थी। और उन पुरुषों में से कोई भी परेशानी के किसी भी संकेत को समझकर रुका नहीं।" लेकिन उसके लिए महिलाओं के साथ का अनुभव अलग रहा है। "नव्या, वो महिला जिसके साथ मैं सोई थी, उसके साथ सब कुछ बहुत ही आरामदायक था। उसने बार बार पूछा की क्या मैं सहज थी। शायद यही कारण था कि मैं उसे ना कह पाई।"
- पृथ्वी (22, विषमलैंगिक पुरुष) "किसी ने मेरे साथ यौन सम्बंध बनाने की इच्छा जाहिर की - हमारे बीच एक स्पष्ट समधिकार- पावर - की असमानता थी। यह एक ही समय में खुशी और भय दोनों के मिश्रण का अनुभव था। मेरा दिमाग जैसे जम गया था। उस पल में, मुझे क्या हुआ था, इसकी कोई मिसाल नहीं थी- मुझे नहीं पता था कि यह कहाँ जा रहा है, मुझे नहीं पता था कि मैं कैसीे प्रतिक्रिया दूँ। जब वो हाथ मुझे छूने आया, मैंने कोशिश की और उसे दूर कर दिया। मैंने संकेत दिया कि 'रहने दो' या 'हमें ये करने की ज़रूरत नहीं है'। ऐसा एक बार करना ही पर्याप्त होना चाहिए था। मैं पूरी तरह से हमारे बीच के संबंध को समाप्त नहीं करना चाहता था, इसलिए मैंने इसे मुस्कराहट के साथ विनम्रतापूर्वक किया। लेकिन दूसरे ने इसे उत्साहजनक छेड़छाड़ के रूप में देखा। या शायद वे वास्तव में नहीं सुन रहे थे। जब उन्होंने इसे फिर से किया, तो मैंने तय किया है कि ऐसा इस बार तो मैं पक्का अनुमति नहीं दूँगा। लेकिन आप अपने को अंततः लाचार सा पाते हो और और सारी कोशिश छोड़ देते हो। अगर मैं वापस जा सकता, तो मैं इतना तो ज़रूर करता कि जो हो रहा है उसके प्रति जागरूक रहता। किसी ने मुझे सेक्स और लैंगिकता के बारे में नहीं बताया था। इसलिए मैं खुद को इसके बारे में शिक्षित करता ताकि मैं जान सकूं कि इसके दौरान कैसा लगता है। "
कई बार यह बेचैनी इसलिए होती है क्योंकि ना के लिए कोई जगह बनाई ही नहीं होती है। जब हमारी हिचकिचाहट और गैर-मौखिक ना की उपेक्षा की जाती है, तो हम अक्सर स्पष्ट रूप से ना कहने का आत्मविश्वास खो देते हैं। यह खुद को याद दिलाने की ज़रूरत है- कि ये समझ होना बहुत ज़रूरी है कि कौन सी बात की जा रही है और किस तरह अपनी भावना व्यक्त करनी है, धीरे धीरे सही ,लेकिन निश्चित रूप से।
सहमति के स्तर
देबस्मिता दास और अनाहिता सचदेव द्वारा
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