क्या आपने कभी बच्चों से एक टीचर या अभिभावक के रूप में, सेक्स के बारे में बातचीत की है? या फ़िर एक एडल्ट के रूप में खुद के माता पिता या परिवार वालों से? और वो बातचीत आराम से हुई? या फिर वो हुआ जो कभी टी वी देखते हुए होता था - जब हीरो हीरोइन की आँखें मिलते ही, टीवी चैनल चेंज हो जाते थे? क्या आप लोगों ने भी यूं ही टॉपिक बदल दिया? जब ये सवाल पूछे जाते हैं, ‘बच्चे कहाँ से आते हैं?’ या ‘होमोसेक्सुआलिटी क्या होती है?’ तो क्या आप खांसते हुए सीधे बाथरूम का रास्ता नापते हैं? आप जानते हैं कि आपको अपने बच्चे से सेक्स के बारे में बात करनी चाहिए| पर शुरू कैसे करें, वो नहीं पता| क्या आप भी सोचते हैं कि काश कोई होता जो इस बातचीत में आपको गाइड करता | कि इस टॉपिक को कैसे छेड़ा जाए, आपको काम में आने वाले टिप्पस देता| हमारे बचपन में इन बातों पर चुप्पी का इतिहास क्यों दोहराया जाए ? ये देखिये, यहां नीचे मौजूद है सेक्स एड्जूकेटर(सेक्स के बारे में शिक्षा देने वाले) की लिस्ट, कुछ जो स्वतन्त्र रूप से काम करते हैं, कुछ संस्थाओं से जुड़ के| और इस लिस्ट को बढ़ाने में आप हमारी मदद कर सकते हैं| जो आपको लगे कि कुछ और लोग हैं जिनका नाम इस लिस्ट में हो सकता है, तो हमें लिख भेजिए| ताकि ये लिस्ट यूं बढ़ती रहे| निजी तौर पर काउंसलिंग और वर्कशॉप्स ऑफर करने वाले सेक्स एड्जूकेटर्स/यौन शिक्षक
एन्फोल्ड इंडिया 9900094251/080-25520489 http://enfoldindia.org/ भाषाएँ: अंग्रेजी, कन्नड़, हिंदी और मलयालम
एन्फोल्ड इंडिया की संस्थापक डॉ संगीता सक्सेना और डॉ शैब्या सलदान्हा हैं lदो औरतें, जिनका मकसद है सेक्सुअलिटी, निजी सुरक्षा और जीवन जीने के सही तरीके के बारे में बच्चों और बड़ों को शिक्षा देना | जिससे वो खुद को सशक्त महसूस करें| ऐनफोल्ड इंडिया में मानवाधिकार शिक्षा का आधार हैं, और वो सिद्धांत, जिनसे वो समाज में जीने का एक सुरक्षित माहौल बनाया जा सके | उनका मानना है कि सेक्स पे बातचीत होनी चाहिए| पर सेक्स को समझने के लिए हम पोर्न जैसे साधन इस्तेमाल करते हैं, जो बड़ी सारी गलत फहमियां पैदा करता है| उनके अनुसार, सेक्स एजुकेशन सिर्फ़ सेक्स करना नहीं सीखाता है| उससे आपको खुद की पर्सनालिटी और खुद के शरीर के बारे में भी पता चलता है| यह सिर्फ़ खुद की सुरक्षा के बारे में नहीं होता है| यौन शिक्षा खुद को, और दूसरों को अपनाने में भी मदद करती है| उनका मानना है कि इस से ही समाज में बच्चों औरबड़ों, दोनों के लिए सुरक्षित माहौल बनाया जा सकता है| एन्फोल्ड इंडिया वाले लोग, यौन शिक्षा और सेक्सुअल सेफ्टी के कई प्रोग्राम चलाते हैं| यह सिर्फ़ स्कूलों, कॉलेजों, कॉर्पोरेट ऑफिसों तक ही सीमित नहीं हैं| काउंसलिंग के साथ-साथ, यह मेडिकल संस्थानों और काउंसलर/सलाहकारों के बीच मनो सामाजिक सपोर्ट मुहाया करते हैं| क्वीयर समुदाय के लिए काम करने के लिए, सरकार और एन.जी.ओ. की मदद से काम करते हैं ,वालंटियर और सहायकों की ट्रेनिंग प्रोग्राम कराते हैं | यौन शोषण से पीड़ित बच्चों को वापस नार्मल ज़िन्दगी जीने में मदद करते हैं | यह सारे प्रोग्राम यह संस्था, एन्फोल्ड इंडिया, चलाती है| एन्फोल्ड इंडिया ने एजेंट्स ऑफ़ इश्क के साथ मिलकर एक तीन पार्ट वीडियो बनाया है| उसमें बड़ी खूबसूरती से बताया गया है कि सेक्सुआलिटी और उसके बारे में कैसे बात करें| देखने के लिए यहाँ, यहाँ और यहाँ क्लिक करें|
विद्या भट्ट – हैप्पी रिलेशनशिप्स बंगलोर +919481032207 रेट्स: 900 से लेकर 1500 प्रति घंटे के बीच शुल्क, जोकि पूरे तौर पर काउंसलर पर निर्भर करता है भाषाएँ: अंग्रेजी, कन्नड़, हिंदी
हैप्पी रिलेशनशिप्स(खुशहाल रिश्ते) की शुरुआत विद्या भट और डॉक्टर संदीप देशपांडे, जो एक सेक्सोलोजिस्ट हैं और खुद की प्रैक्टिस करते हैं, ने की थी | इनके पास सेक्सुअल हेल्थ और रिलेशनशिप काउंसलर की टीम है| जो ऑफलाइन और ऑनलाइन, दोनों प्लेटफार्म पर काम करती है| सेक्सुअल हेल्थ और रिलेशनशिप को बेहतर करने के लिए सलाह देने के अलावा, वो स्कूलों में बच्चों और अभिभावकों के लिए सेक्सुअल हेल्थ पे सत्र भी लेते हैं जिनमें पे बातचीत होती है| कुछ सेशंस जानकारी से भरे होते हैं और कुछ थेरेपी/चिकित्सा से जुड़े होते हैं| कोविड लॉकडाउन के चलते, फ़िलहाल सारे वर्कशॉप्स और पब्लिक सेशंस बंद हैं| पर हैप्पी रिलेशनशिप्स अभी भी बंगलौर में काउंसलिंग सेशंस सेवा दे रही है| ये आपकी उपस्तिथि, संस्था से करीबी और आपकी पहुँचने की क्षमता पर निर्भर करता है कि आप खुद सेशंस अटेंड कर सकते हैं (जिसके लिए हैप्पी रिलेशनशिप्स आपके एरिया में काउंसलर से कनेक्ट कराएगा) या फिर वीडियो/ ऑडियो कॉल के ज़रिये |
श्रीनिधि राघवन [email protected] भाषाएँ: तेलगु, हिंदी, अंग्रेजी रेट्स: दिन भर के सेशंस/सत्र के लिए दो हज़ार रुपये से लेकर चार हज़ार तक महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलांगना
श्रीनिधि कई प्रकार के सेशंस लेती हैं| शारीरिक संरचना से लेकर खुद के शरीर को समझने तक, खुद के प्रति सच्चाई, खुद की मर्ज़ी, इच्छाएँ और आनंद को जानने के सेशंस होते हैं| औरतों के शरीर को लोग किस नजरिये से देखते हैं| कैसे उसे अक्सर एक वस्तु मात्र की तरह देखा जाता है, इस समस्या के बारे में भी वो बात करती हैं| स्कूल और कॉलेजों में सेशंस लेने के अलावा वो गाँवों में भी औरतों और बच्चियों को ट्रेनिंग देती हैं| अपने सेशंस में वो एक खुला वातावरण बनाने की कोशिश करती हैं ताकि औरतें खुलकर बातें कर सकें| ऑडियो/वीडियो के माध्यम से शरीर से जुड़े प्रतिबंध और बेकार की पाबंदियों से लड़ने का काम करती हैं | ऑडियो विसुअल माध्यम के इस्तेमाल से, सब उस शारीरिक भाग को देख समझ भी पातें हैं, जिसकी बात हो रही है | अवो अपने एक क्लास को याद करते हुए कहती हैं, “ पहले तो क्लास में सब काफ़ी शर्मा रही थीं| पर जैसे ही उनको आभास हुआ कि यहाँ, उनकी बातों से कोई उनके बारे में गलत राय नहीं बनाएगा, तो उन्होंने हस्तमैथुन के बारे में बात करना शुरू किया| उन्होंने बताया कि उस शब्द का इस्तेमाल अब तक सबने केवल दबी आवाज़ में ही किया था|” श्रीनिधि के यौन शिक्षक का काम करने के दौरान के अनुभवों के बारे में पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें l
अंजू किश – अनटैबू (पहले आउट ऑफ़ द बॉक्स के नाम से जाना जाता था) https://www.untaboo.in [email protected] हॉटलाइन: +91 9819457204 (10am – 6pm) रविवार छोड़ कर जुहू, मुंबई
अनटैबू (यहाँ पे इसका मतलब है, सेक्स की बातचीत पे पाबंदियां हटाना ) सेक्स-सेक्सुअलिटी-सुरक्षा के बारे में लोगों को शिक्षित कराने के लिए समर्पित संस्था है| इसकी शुरुआत अंजू किशिनचंदानी नाम की सेक्स एजुकेटर ने २०११ में की थी| अंजू का मानना है कि बातों से बदलाव आता है| शुरू में अनटैबू ‘आउट ऑफ़ द बॉक्स’ के नाम से जाना जाता था| क्योंकि उस समय सेक्स-एड का आईडिया लोगों के लिए काफ़ी अलग और नायाब था| समय के चलते, ये धारणा बदलने लगी है और अब लोग इसके बारे में बात करना ज़रूरी मानते हैं| यह कम्पनी यौन शिक्षा, सेक्सुआलिटी और सेक्सुअल सेफ्टी पे बातचीत को बढ़ावा देती है| इस उम्मीद से, कि बातचीत से, बेकार की पाबंदियां और गलत धारणायें टूट सके| इनका मानना है कि बात करने से लोग शिक्षित होते हैं| जिससे लोगों के अन्दर ज़िम्मेदारी की और खुद में बदलाव लाने की भावना पैदा होती है| अनटैबू संस्था उम्र के हिसाब से बच्चों के लिए अलग अलग वर्कशॉप्स कराती है| 5-8 वर्ष के बच्चों के लिए – माय बॉडी इज़ माइन (मेरा शरीर मेरा है), लड़कियों के लिए पॉजिटिव प्युबर्टी एंड सेफ्टी प्रोग्राम (सयानेपन के प्रति सकारात्मक सोच और सेफ्टी प्रोग्राम), रेस्पोंसिबल टीन्स प्रोग्राम और लेट्स टॉक- जो कि 15-17 साल के किशोरों के लिए सेक्स, सेक्सुआलिटी और सेफ्टी पे बात करने का प्रोग्राम है | यह १८- ८० वर्ष के के विस्तृत ग्रुप के लिए “ब्रेक द वाल ऑफ़ साइलेंस टॉक”( चुप्पी की ये दीवार तोड़ो) नाम का प्रोगाम भी चलाते हैं| जिसमें वो लोगों को समझाते हैं, कि आज के ज़माने में यौन शिक्षा कितनी महत्त्वपूर्ण है| अनटैबू अपने ‘ग्रोइंग अप”( बढे होना ) नाम के म्यूजिकल परफॉरमेंस के लिए भी जाना जाता है | जिसमें जिसमें संगीत, मस्ती और एक हलके अंदाज़ में , किशोरावस्था और उससे जुडी परेशानियों के बारे में बातें की जाती हैं | अपने स्कूल में उनका प्रोग्राम कराने के लिए आप उनको [email protected] पर मेल कर सकते हैं|
दैटमेट/that mate यानी वो यार https://thatmate.com [email protected] सतारा, महाराष्ट्र
दैटमेट महाराष्ट्र के सतारा जिले में उपस्थित संस्था है| जो उन मुद्दों पर बात करती है, जिनके बारे में गाँव गलियारे में बातें नहीं की जाती है| टेक्नोलॉजी और क्लासरूम के माध्यम से वो सेक्सुअल हेल्थ और मानसिक बीमारी के बारे में लोगों को अवगत कराने की कोशिश करते हैं| और वो इस सम्बन्ध में ज़रूरी जानकारियां लोगों तक पहुंचाने की कोशिश करते हैं, जो ( उनके शब्दों में ) “ गूगल पे नहीं मिलती”| वो अपनी शिक्षा सामग्री किशोरों के पास ऐसे वर्कशॉप्स, कॉमिक्स और कहानियों के ज़रिये पहुँचाते हैं, जो उनके दिलो दिमाग में मौजूद सवालों का जवाब देने में मदद करें| दैटमेट की काउन्सलिंग/सलाहकारी सेवाएं एप्प या वेबसाइट से बुक की जा सकती हैं| जहाँ काउंसलर/सलाहकार सारे सेशंस ऑनलाइन लेते हैं| चैट और कॉल करने की भी सुविधा दी जाती है| उनके पास चौबीस घंटे, सातों दिन, ऑनलाइन चालू रहने वाला चैट प्लेटफार्म भी है| जो मशीन बौट ( यानी सॉफ्टवेयर से आटोमेटिक चलने वाला ) और मनुष्य,दोनों के साथ चलाया जाता है |
मैत्री सहस्रबुद्धे- लोकमान्य सेवा संघ [email protected] +91 9820331184 भाषाएँ: मराठी, हिंदी, इंग्लिश रेट्स: 45 मिनट के सेशंस के लिए बेसिक मात्र 500 रुपये चार्ज करती हैं, कभी कभी होनोरेरियम के आधार पे| महाराष्ट्र में, ज़्यादातर मुंबई में |
मैत्री अपनी क्लिनिक के अलावा स्कूल और कॉलेजों में STIs -यौन संक्रामित इन्फेक्शन- के बारे में जागरूकता बढ़ाती हैं| वो बच्चों के माँ बाप को भी, सेक्सुआलिटी और शरीर से जुड़े सवालों का सही जवाब देने में भी मदद करती हैं| उनके क्लाइंट्स की उम्र तीन साल से लेकर बीस साल तक है| उनके मुताबिक़ माँ बाप सेक्सुआलिटी की जानकारी के मामले में इन दो में से एक तरीका अपनाते हैं| या तो वो इसके बारे में बिल्कुल ही बात नहीं करते हैं|या वो बच्चों की उम्र और परिस्तिथियों का ध्यान रखे बिना, ज़रुरत से ज़्यादा इनफार्मेशन देते हैं| मैत्री बच्चों की उम्र और उनकी मर्यादा को ध्यान में रखते हुए, वैज्ञानिक जानकारी,सेक्स एजुकेशन पर विश्वास रखती हैं| आजकल वो मुंबई के विले पार्ले में स्थित एन.जी.ओ. ‘लोकमान्य सेवा संघ’ में काम करती हैं| यह संस्था अलग अलग काम करती है l कामकाजी माओं के बच्चों को संभालने के लिए, क्रेश चलाती है| शिक्षा सम्बंधित जगहों पे मानसिक स्वास्थ्य और यौन शोषण से पीड़ित के लिए वर्कशॉप्स l अभिभावाक और बच्चों के लिए गाइडेंस सेंटर भी चलाती हैं| इसके अलावा मुनिसिपल स्कूलों में सेक्स एजुकेशन जागरुकता भी फैलाती है| इन सब प्रोग्राम्स की मदद से वो महिलाओं और किशोरों को सशक्त करने का काम करती है| महामारी के कारण संस्था ने कई प्रोग्राम्स पर रोक लगा रखी है| पर एक अप्रैल से वापस चालू करने की तैयारी है|
ब्रेक द साइलेंस (चुप्पी तोड़ो) +91 9848029625/ +91 9848017317 [email protected] https://www.facebook.com/breaktheslience/ भाषाएँ: अंग्रेजी, तेलेगु हैदराबाद
ब्रेक द साइलेंस संस्था, भले ही खास पर सेक्स एजुकेशन पे काम न करती हो, पर बच्चों पर हुए यौन शोषण के बारे में लोगों को जागरूक करती है| यह एक नागरिकों द्वारा शुरू किया गया आभियान है| जिसकी शुरुआत तब हुई जब कुछ लोगों ने बड़ों और बच्चों, दोनों में चाइल्ड सेफ्टी-बच्चों की सुरक्षा- के बारे में जागरूकता बढ़ाने की ज़रुरत को समझा| तेलांगना के ट्विन सिटीज़ के एक छोटे से ग्रुप ने, बच्चों के यौन शोषण- CSA- Child sexual abuse- और सेफ्टी के बारे में जागरूकता फ़ैलाने का ये काम शुरू किया| तुलिर नामक एन.जी.ओ., जो इस शोषण को रोकने के लिए काम करता है, उसने इस ग्रुप को स्कूलों में वर्कशॉप्स और सेशंस लेना सिखाया| इन जागरूकता प्रोग्राम में टीचर/ सपोर्ट स्टाफ से लेकर अभिभावकों के लिए वर्कशॉप्स आयोजित किये जाते हैं| जिसमें उनको सिखाया जाता है कि ज़रुरत पड़ने पे वो अपने बच्चों की बेहतर मदद कैसे कर सकते हैं l बच्चों की निजी सुरक्षा की ट्रेनिंग भी दी जाती है l ये संस्था पैनल डिस्कशन, ट्रेनिंग वर्कशॉप्स, काउंसलिंग सेशंस और इंटरैक्टिव(दो तरफ़ा बातचीत का विकल्प होना) परफॉरमेंस का आयोजन भी करती है| इस उम्मीद से, कि इससे बच्चों के यौन शोषण/ CSA के बारे में लोगों में जागरूकता फ़ैलेगी, और “एक दिन हर बच्चा हर तरीके से सुरक्षित महसूस करेगा| “ बढे पैमाने पे यौन शिक्षा पे ज़ोर देने वाली संस्थाएं
TARSHI तार्शी (टॉकिंग अबाउट रिप्रोडक्टिव एंड सेक्सुअल हेल्थ इश्यूज यानी प्रजनन और सेक्सुअल स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के बारे में बात करना) नयी दिल्ली www.tarshi.net Tel: 91-11-26324023/24/25 अंग्रेजी, हिंदी
TARSHI(तार्शी) दिल्ली स्थित एन.जी.ओ. है, जिसका लक्ष्य लोगों के लिए SISA(सेफ, इंक्लूसिव, सेक्सुआलिटी अफर्मिंग – यानी सुरक्षित, लोगों को साथ जोड़ने वाला, और उनकी सेक्सुआलिटी की पुष्टि करने वाला) वातावरण बनाना है| TARSHI वर्कशॉप, स्कूलों में ट्रेनिंग, और सेक्सुआलिटी और शिक्षा की मुहिम के ज़रिये, युवा लोगों को सेक्सुआलिटी से जुड़ी, सही जानकारी देने का काम करती है| इसमें उनकी इन्फोलाइन सेवा आई.वी.आर.एस.(इंटरैक्टिव वौइस् रिस्पांस सिस्टम) भी मदद करता है | जो युवा कॉलर्स को सेक्स और जेंडर से जुड़ी पहचान, सेक्सुअल स्वास्थ्य, यौन संक्रामक रोग/STD, और अलग अलग गर्भनिरोधक के बारे में, सेफ्टी, प्रजनन स्वास्थ्य से जुड़ी और सेक्स से जुड़े आनंद के बारे में जानकारी देता है| यह जानकारियाँ पहले से ही रिकार्डेड मेसेज के रूप में मौजूद रहती है| उनके यूट्यूब चैनल में, CSE (कोम्प्रीहेंसिव सेक्स एजुकेशन/विस्तृत रूप से सेक्स एजुकेशन) के पाठ्यक्रम से जुड़े वीडियो और इन्फोमरशर्ल्स (ज्ञानवर्धक विज्ञापन) हैं| तार्शी के पास के कई प्रकाशन भी रहे हैं l इनमें एक विशेष एक ऑडियो बुक है जिसमें सेक्सुआलिटी और रिलेशनशिप्स से जुड़ी जानकारियाँ हैं l ब्लू एन्ड रेड बुक में सेक्स-एड के के अलग अलग सफर, और उनके साथ अलग अलग उम्र के बच्चों के लिए जवाब मिलेंगे l येलो और ऑरेंज बुक्स, जिसमें टीचर और माँ बाप के लिए जानकारी हैं, जिसकी मदद से वो बच्चों को सेक्स-एड दे सकें| यह सब निजी तौर पर खरीदी जा सकती है| TARSHI की टीचर्स और एजुकेटर के लिए CSE वर्कशॉप, अब ऑनलाइन भी उपलब्ध है|
वाय पी फाउंडेशन नई दिल्ली http://theypfoundation.org Email: [email protected] Phone Number: 01204310292; 01204308690
वाय.पी .फाउंडेशन पहले यंग पार्लियामेंट के नाम से जाना जाता था| इसकी शुरुआत 2002 में इशिता चौधरी ने की थी, जब वो मात्र पंद्रह बरस की थीं| इसकी स्थापना युवा लोगों के बीच, उनके अधिकारों और आज़ादी की बातचीत शुरू कराने के लिए की गयी थी| वाय.पी. के कई प्रोग्राम युवा लोगों को सेक्स-एजुकेशन देने के लिए बने हैं|ये ‘फेमिनिस्म एंड अडोलेसेंट यूथ-लेड एक्शन’ ( नारीवाद और किशोरों के नेतृत्व में काम) नामक अभियान चलाते हैं, जिसके अन्दर राजस्थान के करीब दस हज़ार बच्चों को उनके हक़ के बारे में पढ़ाया जाता है| उनका हाल ही में नया पप्रोजेक्ट चालू है, ‘द एक्सेस प्रोजेक्ट’ | जिसमें वो खासतौर पर, उत्तर भारत में सेक्सुअल और प्रजनन से जुड़ी स्वास्थ्य सेवाओं की क्वालिटी और पहुँच को समझने की कोशिश करते हैं l और ये भी कि वो युवाओं के लिए कितनी मददगार है | KYBKYR Know Your Body Know Your Rightsअपने शरीर और अपने हक को जानो- ये उनका एक काफ़ी प्रभावशाली CSE /विस्तृत सेक्स एजुकेशन पाठ्यक्रम है ,जिसके द्वारा वो युवा लोगों को लीडरशिप स्किल सिखाते हैं ताकि वो सेक्सुअल अधिकारों के बारे में आवाज़ उठा सकें| KYBKYR जल्द ही 9 से 13 साल के बच्चों के लिए एक नया CSE/ पाठ्यक्रम लांच करने वाला है| जो ऑफलाइन और ऑनलाइन, दोनों रहेगा| इस पाठ्यक्रम में, माहवारी, आकर्षण, सहमति, विविधता, और बहुत सारी बातें शामिल होंगी |
CREA (क्रिया) न्यू दिल्ली [email protected] +91 11 2437 770
CREA के संस्थापक, गीतांजलि मिश्रा और प्रमदा मेनन डेवलपमेंट प्रोफेशनल्स हैं जो प्रजनन स्वास्थ्य पे, सेक्सुआलिटी पे, औरतों के साथ हिंसा के विरोध में, मीडिया के साथ, और भारत में औरतों के अधिकारों के लिए, पिछले पंद्रह साल से काम कर रहीं हैं| CREA, एक संस्था के रूप में औरतों की, और दूसरे कम विशिष्ट समझे जाने वाले जेंडर की, इस समाज में बढ़ोतरी के लिए काम करती है| इस उम्मीद से, कि एक दिन एक नारीवादी दुनिया कायम होगी| उनके यौन शिक्षा प्रोग्राम, नारीवाद के नज़रिए से बनाए गए हैं| जहाँ महिलाओं के सेक्सुअल और प्रजनन स्वास्थ्य के बारे में, उनके गर्भपात के अधिकारों के बारे में, सेक्सुआलिटी से जुड़ी आपदा, इत्यादि, इन सब पे बातचीत होती है| इसी आधार पर ‘इट्स माय बॉडी’(ये बदन मेरा है ) नामक अभियान शुरू किया गया है, जिसमें खेल कूद के माध्यम से लड़कियों के शरीर, और शरीर से जुड़ी रुढ़िवादी सोच पे, बातचीत शुरू की जाएगी l वही खेल कूद, जोकि पारंपरिक रूप से, जेंडर के आधार पर बांटा जाता है | बच्चों के लिए CREA के पास कई और प्रोग्राम और अभियान हैं| जिनके माध्यम से वो बच्चों को प्रोत्साहन देते हैं कि वो जेंडर, सेक्सुआलिटी, अपने शरीर, इन सारी बातों पे सोचें, और इनसे जुड़ी बेकार की पाबंदियों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठायें| ताकि वो खुद सेक्सुआलिटी को समझें और किसी भी प्रकार के सेक्सुअल हानि से खुद को बचा सकें| और उन नीतियों पे भी नए सिरे से सोचें, जो उनको सेक्सुअल हानि से बचाने के लिए, उनकी सेक्सुअल खोज ख़त्म ही कर देती हैं lऐसी कई जानकारियाँ उनके वेबसाइट पर उपलब्ध है| एक नज़र गौर ज़रूर फ़रमाइएगा|
सिमरन संगनेरिया गुडगाँव +91 98738 40621 [email protected] इन्स्टाग्राम: S.E.H.M.A.T. अंग्रेजी, हिंदी
सिमरन एक सेक्स-एड फैसिलिटेटर(आयोजक) हैं, जो वो एक साल से थोड़ा अधिक समय से, ये काम कर रही हैं| वो सेक्स और सेक्सुआलिटी को समझने के लिए, और सेक्सुअलिटी की ढूंढ ढांढ को लेके ,वर्कशॉप्स और लिसनिंग सर्कल्स (जहां मिल के एक दूसरे की सुनते हैं ) का आयोजन कराती हैं | यह वर्कशॉप्स सभी के लिए ओपन होती हैं| सभी उम्र के लोग- किशोर से लेकर एडल्ट्स -इसमें भाग ले सकते हैं| कभी कभी यह वर्कशॉप्स संस्थाओं द्वारा आयोजित की जाती हैं| और बाकी समय एक निश्चित लोकेशन पर चुने हुए लोगों के साथ की जाती हैं| आने वाले सेशंस के बारे में, ऑनलाइन और ऑफलाइन, दोनों की जानकारी उनके इन्स्टाग्राम प्रोफाइल S.E.H.M.A.T. पर मिल सकती है| और अगर आप वर्कशॉप या काउन्सलिंग सेशंस करने की सोच रहे हैं, तो सिमरन को ईमेल या फ़ोन के ज़रिये कनेक्ट कर सकते हैं|