मैं करीब दस साल की थी और बनारस जा रही एक ट्रेन की टॉप बर्थ पर लेटी हुई थी. आधी रात को सामने वाली बर्थ से आ रही एक विचित्र सी घरघराहट की आवाज़ ने मुझे सोते से जगा दिया - नीले नाईट लैम्प की धुंधली रोशनी में पहली बार मेरा सामना वाइब्रेटर से हुआ - बर्थ पर लेटी औरत उसे इस्तेमाल कर रही थी.
यह 1980 का दशक था. हमारी किशोरावस्था ने हमें अपनी सेक्सुअलिटी के लिए तैयार नहीं किया था. सूचना के विश्वव्यापी तंत्र के अभाव में, ज़्यादातर हमने फुसफुसाहटों और सुनी-सुनाई बातों के रास्ते अपनी देहों की इच्छाओं को समझा - गुपचुप गुसलखानों में झेंपती-हंसती लड़कियों के साथ और उन प्रतिबंधित और हराम किताबों के कई बार पढ़े जा चुके पन्नों को हड़बड़ी में पढ़ने के दरम्यान, जो सबसे कड़े अनुशासन वाले कॉन्वेंट स्कूलों में भी कामयाबी से अपना रास्ता बना लिया करती थीं.
चूंकि आप इस बाबत किसी से भी बात नहीं कर सकते थे कि आपकी देह और उसकी ज़रूरतें किस तरह बदल रही थीं, सारी खोजबीन ट्रायल एंड एरर से की जाती थी जिसके टुकड़े आप अपनी विश्वस्त सहेलियों के साथ साझा किया करते थे. जैसे-जैसे हममें से कुछ ने अपनी उँगलियों की मदद से आत्मसुख पाने की तमाम तकनीकों को खोजना शुरू कर दिया था, हमने घर में पाई जाने वाली उन चीज़ों का इस्तेमाल करना भी शुरू किया जो, हमें लगता था, हमारे अनुभवों में तीव्रता और विविधता ला सकती थीं. मुझे याद है कि परफ्यूम की खाली शीशियाँ और पाउडर के खाली डिब्बे उन दिनों खासे लोकप्रिय थे. सुख के वे हमारे पहले साथी थे.
सेक्स के खिलौनों, जिन्हें मैं सुख के साथी या सीधे-सीधे सुख के खिलौने कहना पसंद करती हूँ, के संसार को मैंने जीवन में बहुत बाद में खोजा. एक दोस्त ने मुझे उपहार में एक 'बुलेट' दिया - लिपस्टिक जैसा दिखने वाला और आसानी से पर्स में रखा जा सकने वाला यह छोटा सा वाइब्रेटर क्लिटोरल सुख के लिए था. उसने कहा कि वह उपहार मेरे सही मायनों में वयस्क हो चुकने पर दिया जा रहा था - तब मैं आर्थिक रूप से एक स्वतंत्र स्त्री बन चुकी थी. वह अक्सर ऐसे ही झटके देने वाला इंसान था और उसे लोगों को छेड़ने में मज़ा आता था, सो मैंने इसे भी उसकी एक ऐसी ही हरकत समझा. मुझे थोड़ा सा अटपटा भी लगा और मेरे ख़याल से मैं थोड़ा ज़्यादा जोर से हंसी भी थी. लेकिन यह दोस्त मेरा एक अन्तरंग साथी था और उसने मुझसे बहुत आराम से बताया कि उसे पता था कि मुझे नए अनुभव अच्छे लगते हैं और यह भी कि मैं उस तोहफे को भी ऐसा ही कुछ समझ सकती हूँ. और अगर वह मुझे पसंद न आये तो मैं उसे कभी भी फेंक सकती हूँ.
मैंने उसका इस्तेमाल करके देखने का फैसला किया. लेकिन मेरी अपनी शंकाएं थीं. क्या उस से दर्द होगा? क्या वह अटपटा सा लगेगा? क्या मुझे अपने प्रेमी को बताना चाहिए? उसकी क्या प्रतिक्रिया होगी? लेकिन एक नये प्रयोग की संभावना को लेकर मैं उत्साहित भी थी. शुरू में वह अजीब सा महसूस हुआ. लेकिन जल्द ही मैंने जान लिया कि उससे मिलने वाला सुख मेरे पिछले सारे अनुभवों से अलहदा था - और उसका इस्तेमाल करना भी आसान था. मेरा बॉयफ्रेण्ड भी उसका पक्षधर निकला. मेरे लिए वह एक बिलकुल नयी यात्रा की शुरुआत थी. मैंने सुख का अपना स्पेशल खज़ाना ढूंढ लिया था.
वहां से शुरू होकर इन व्यक्तिगत सैक्सुअल अन्वेषणों ने और विस्तार पाया. मैंने वैबसाइट्स को तलाशा, उन शहरों की उन दुकानों में गईं जहाँ वे मिल सकते थे, उनका इस्तेमाल करने वाले दोस्तों से बातें कीं और उनके बारे में पढ़ा. मैंने एक नितान्त नई दुनिया की - नहीं,नहीं, सुख के खिलौनों के एक ब्रह्माण्ड की खोज की. जल्द ही मैं इन्हें न सिर्फ अपने लिए खरीद रही थी, मैं अपने कई दोस्तों के लिए एक तरह की शौकिया सलाहकार भी बन गयी. सेक्स के खिलौनों की सलाहकार - यह सुख को समर्पित एक उद्यम था. यह किसी भी नए अभियान की तरह उत्तेजना और रहस्य से भरा हुआ था जो मुझे इस बात की गहरी समझ देता था कि सेक्सुअल सुख का मेरे लिए ही नहीं, अलग-अलग लोगों के लिए क्या मानी है. अपने किसी प्रिय के लिए एक परफेक्ट खिलौना ढूँढने निकलने में एक खूबसूरत किस्म का आनंद था.
सुख के खिलौनों ने मेरे साथ बहुत सारी चीज़ें कीं. सबसे पहली यह कि वे मेरे सेक्स जीवन में 'खेल' को लेकर आये - एक ऐसी चीज़ जो हल्की-फुल्की, मजेदार और रचनात्मकतापूर्ण थी. गहरे अर्थों में देखें तो वे मेरी इच्छाओं के साथी बन गए जिन्होंने मुझे अपनी देह और उसकी ज़रूरतों की खोज करने लायक बनाया. कभी-कभी, जब मुझे पता होता था कि कंट्रोल मेरे हाथ में है, उन्होंने मुझे ऐसे अनुभवों तक धकेला जिन्हें मैं पहली बार महसूस कर रही होती थी - ये ऐसी चीज़ें थीं जिन्हें अपने पार्टनर्स के साथ साझा करना मेरे लिए उतना सुविधाजनक शायद न होता. मिसाल के लिए माहवारी के दिनों में सुख के अनुभव करने को लेकर मैंने अक्सर शर्म और असहजता महसूस की है बशर्ते मेरा पार्टनर ऐसा करने के लिए पर्याप्त उत्साह रखता हो. वहीं एक खिलौने को उन दिनों की म्लानता के साथ प्रयोग करना कहीं ज़्यादा आसान हो जाता है. इसने मुझे विविध प्रकार की सेक्सुअल सम्भावनाओं के सम्मुख भी खोल कर रखा जिसने मेरे पार्टनर्स के साथ मेरे संबंधों को भी प्रभावित किया. इरोटिका पढ़ने के दौरान सीखे गए कारनामों और पोजीशंस के साथ मेरे अनुभवों का अभ्यास पहले खिलौनों के साथ किया जाता था. इस संसार में जहाँ एक स्त्री का शरीर उसकी सेक्सुअल इच्छाओं के चलते लगातार बंधनों और धमकियों में महदूद किया जाता रहा है, सुख के खिलौनों के संसार ने सच में मुझे अपनी स्वाधीनता को स्वर देने के नए रास्ते मुहैया कराये - यह सेक्सुअल सुख की आजादियों के लिए एक सुरक्षित भावनात्मक गलियारा था.
बहुत से लोग सुख के इन खिलौनों को खरीदने और इस्तेमाल करने में झिझकते हैं. मुझे एक बाहरी चीज़ को ऐसी अंतरंगता से इस्तेमाल किये जाने को लेकर कुछ दिक्कतें थीं. एक दोस्त ने मेरे साथ इस तथ्य को साझा किया कि खिलौनों का इस्तेमाल करने से उसे ग्लानि होती थी क्योंकि वे उसकी उन सेक्सुअल ज़रूरतों की तरफ इशारा करते थे जिन्हें वह अपने पार्टनर्स के साथ पूरा नहीं कर पाती थी. ऐसे भी हैं जिन्हें ऐसा करने का अपराधबोध है जैसे कि यह एक तरह से दगा देना हो. इसे अक्सर सामान्य या प्राकृतिक नहीं समझा जाता. अलबत्ता एक ऐसे व्यक्ति के रूप में जिसने इनका इस्तेमाल किया है, मैंने पाया है कि यह बात कितनी महत्वपूर्ण है कि स्त्रियाँ, जिन्हें अपने आप को सेक्सुअल समझने को कभी उत्साहित नहीं किया जाता, इसकी मदद से अपनी खुद की देह की किन सरहदों का ज्ञान पा सकती हैं और अपनी सेक्सुअल इच्छाओं को चीन्ह सकती हैं. कुछ लोगों का मानना है कि हमें सेक्सुअल इच्छा को निष्क्रिय रहते हुए प्राप्त करना चाहिए. लेकिन प्रकृति के मुताबिक़ ऐसा करने को नहीं कहती.
सो मैंने सुख के खिलौनों की अपनी गाइड को शेयर करने का फ़ैसला किया है जिसे मैंने 'स्त्रियों के सुख के साथियों की एक संक्षिप्त गाइड' नाम दिया है'. (हालांकि मैंने पुरुषों के लिए भी कुछ खिलौने खरीदे हैं, उनकी ज़रूरतों और प्राथमिकताओं और उनके लिए उपलब्ध रेंज की मेरी समझ सीमित है.)
स्त्रियों के सुख के साथियों की एक संक्षिप्त गाइड
1) कैसे खरीदें: ऑनलाइन या ऑफलाइन
खुद अपने लिए, या दोस्तों के लिए तोहफों के तौर पर या दूसरों के अनुरोध पर, मैं लम्बे समय से सुख के खिलौने खरीदती रही हूँ. इन्हें ऑनलाइन खरीदने के बजाय एडल्ट शॉप्स में खरीदना कहीं ज़्यादा आसान होता है जहाँ आप उन्हें देख सकते हैं और उनके काम करने का तरीका समझ सकते हैं. लेकिन चूंकि हमारे देश में एडल्ट स्टोर्स नहीं हैं, बहुत सारों को दूसरे देशों में जाकर इन्हें खरीदने की सुविधा नहीं होगी. शुरुआत करने वाले कई सारे लोग इन्हें ऑनलाइन खरीदना पसंद कर सकते हैं क्योंकि ऐसा करते हुए आप बेनाम बने रहते हैं जबकि किसी एडल्ट स्टोर में जाना उनके लिए ख़ासा भयाक्रांत करने वाला हो सकता है. इस मामले में आपको ऑनलाइन खोज करना होगी. अलबत्ता अगर ऐसे स्टोर में जाने का विकल्प हो और अगर आप किसी तरह अपनी आँखें बंद कर ऐसी दुकान में घुस सकें तो बाकी का काम खासा आसान हो जाता है. ऐसी अनेक दुकानों में असिस्टेंट्स वाकई दोस्ताना और सहायता के लिए तत्पर होते हैं और तमाम सवालों के जवाब दे सकते हैं. चूंकि वे नितांत अजनबी होते हैं, आप बिना शर्मिंदा हुए अपनी ज़रुरत औए उद्देश्य के बारे में उन्हें समझा सकते हैं. वहां और भी खरीदार होते हैं जो अक्सर आपके साथ एक मुस्कान या कुछ शब्द शेयर कर लेते हैं जो इस पूरी प्रक्रिया को कम तनावपूर्ण बना देता है.
2) खरीदते हुए किन बातों का ध्यान रखें : उद्देश्य, कीमत, समय, सौन्दर्यबोध और सुरक्षा
क्या खरीदें-
सुख के खिलौनों को खरीदते समय ध्यान में रखने लायक बातों को मैं धीरे-धीरे समझ रही हूँ और शुरुआत करने वालों के लिए कुछ टिप्स ये रहीं. सबसे पहली बात यह कि उपकरण का उद्देश्य आपके भीतर स्पष्ट होना चाहिए - आप इस से किस प्रकार के सुख की कामना रखते हैं और उसने आपके शरीर के किस हिस्से को उत्तेजित करना है. डिल्डो मुख्यतः योनि में प्रवेश के लिए होते हैं जबकि वाइब्रेटर्स क्लिटोरिस के सुख के लिए. उसके बाद मल्टीटास्कर्स आते है - डिल्डो और वाइब्रेटर - दोनों. अत्यंत लोकप्रिय 'रैबिट' लम्बे कानों जैसे फ्लैप्स वाला एक खिलौना होता है जिसे क्लिटोरिस के गिर्द रखकर उसे ओर्गैज्म तक उत्तेजित किया जा सकता है. इनमें से कई खिलौने चलाने की सुविधा के लिहाज़ से स्पीड, अतिरिक्त उत्तेजना के लिए पैटर्न वाले सिरों और बटनों की विविधता के साथ उपलब्ध होते हैं. कीमतों की भी खासी लम्बी-चौड़ी रेंज होती है ठीक जैसे जब आप साइकिल खरीदने जाते हैं.
अधिक साहसी लोगों के लिए एनल-सुख के उद्देश्य से बीड्स या स्ट्रिंग्स उपलब्ध होती हैं और बीडीएसएम और रोलप्ले जैसे आनंद के लिए तमाम तरह के उपकरण भी. उत्तेजना और ओर्गैज्म को बढाने वाले अलग अलग जैल और लुब्रीकैंट भी एडल्ट सेक्स शॉप्स में मिलते हैं और ज्यादा खिलंदड़ किस्म वालों के लिए कॉस्ट्यूम्स भी.
शुरुआती लोगों के लिए टिप्स: बुद्धिमत्ता इसी में होगी कि आप सुख के लिए अपनी देह का एक इलाका चुन लें. ऐसा खिलौना खरीदें जो ज्यादा महंगा न हो और आप ट्राई करके भी देख लें कि वह आपके लिए कितना कारआमद होगा. सेक्सुअल सुख किसी भी और सुख की तरह होता है - जैसे मिसाल के लिए भोजन - जो एक बहुत व्यक्तिगत विषय है. केवल अनुभव और प्रयोग ही खोज के नए आयाम खोल सकते हैं.
समय और इस्तेमाल की बारंबारता
समय और इस्तेमाल की बारंबारता दो और महत्वपूर्ण कारक हैं जिन्हें ध्यान में रखा जाना चाहिए. मैंने पाया है कि जिन खिलौनों को मैं आत्मसुख के लिए इस्तेमाल करती हूँ वे उन खिलौनों से थोड़ा सा अलग हो सकते हैं जिन्हें मैं एक सहमत पार्टनर से साथ इस्तेमाल कर सकती हूँ. दूसरी श्रेणी वाले खिलौनों ने चुलबुले सान्निध्य को संतुष्ट करना होता है बजाय कि मेरी अपनी इच्छाओं को.
मोबिलिटी भी एक ज़रूरी कारक है. मेरे जैसे लोगों के लिए, जो अक्सर सफ़र करते हैं, एक छोटा, और आसानी से ले जाया जा सकने वाला उपकरण ज़रूरी होता है जिस तरह आप कॉस्मेटिक्स साथ लेकर जाते हैं. इन दिनों थोड़ा सा पैसा खर्च कर आप रिचार्जेबल खिलौने भी खरीद सकते हैं और बैटरी वाले भी.
सौन्दर्यबोध और फ़ील
खिलौनों का सौन्दर्यबोध और उन्हें बनाने में लगा मटीरियल भी अनुभव के लिहाज़ से महत्वपूर्ण होता है क्योंकि सुख का सीधा सम्बन्ध इस बात से है कि आपको कैसा महसूस होता है. मुझे चमकीले रंग पसंद हैं लेकिन मैं ऐसे दोस्तों को जानती हूँ जिन्हें अपने खिलौने त्वचा की रंगत में चाहिए होते हैं. मैंने कभी-कभार किसी खिलौने को उसके शानदार लुक और उससे मिलने वाले सुख के बारे में कल्पना करते हुए उसे खरीदा है लेकिन बाद में इस्तेमाल करने पर निराश भी हुई हूँ.
तो मेरी राय है कि आप ऐसी चीज़ खरीदें जिसका आकार और मटीरियल आपको उसका उपयोग करते समय सुविधाजनक लगे.और आखीर में, अपने लिए सुख का खिलौना खरीदते समय सुरक्षा सबसे ज़रूरी होनी चाहिए. आपने निर्देशों को अच्छी तरह पढ़ लेना चाहिए. पैकेज में लिखे गए सभी सुरक्षा नियमों को देख लेना चाहिए और उन्हीं ब्रांड्स को खरीदना चाहिए जिन्होंने सभी सिक्योरिटी चैक पास किये हों. कई लोग खिलौनों के मटीरियल और उसके कंटेंट्स को लेकर एलर्जिक होते हैं और आपको इसका ख्याल भी रखना चाहिए. उनका इस्तेमाल करते समय लगातार इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि उनकी देखरेख में साफ़-सफाई बरती जाए.
3) चुनौतियां? ज़ाहिर है वे भी होंगी
ऐसा नहीं हो सकता मैं उन कुछ चुनौतियों की बात न करूं जिनसे इनका इस्तेमाल करते हुए मुझे और मेरी कुछ सहेलियों को जूझना पड़ा है. सेक्सुअल अन्तरंगता के दौरान अधिकतर पुरुषों को उनके इस्तेमाल से अरुचि होती है. कुछ का कहना है कि इससे उन्हें कमतर या अपर्याप्त होने का अनुभव होता है जबकि कुछ उसकी व्यक्तित्वहीन मिकानीकी की शिकायत करते हैं. इसके ऊपर कुछ लोग राजनैतिक धरातल पर उनकी आलोचना करते हैं कि मशीनें अन्तरंग स्पेसेज़ में प्रवेश कर रही हैं. जहाँ एक तरफ आप इस बात से अपना जी बहला सकते हैं कि किस तरह ये तर्क ठीक वैसे ही हैं जो तब दिए गए थे जब कम्प्यूटर हमारे जीवन में आ रहे थे (और हाँ, सैक्स्टिंग के बारे में क्या ख़याल है?). वहीं हमें याद रखना चाहिए कि एक पार्टनर के साथ सैक्सुअल आनन्द का जैसा सम्बन्ध संपर्कों और प्रेमपूर्ण स्वीकार से है उतना ही शिल्प से भी है. तो जहाँ भी इस तरह की असहमतियां बन रही हों सबसे अच्छा यह है को दोनों पार्टनरों के कम्फर्ट लेवेल्स की बाबत खुली बातचीत की जाए.
बहुत सी महिलाएं स्वीकार करती हैं कि एक सुस्थिर, अपने नियंत्रण में रहनेवाली, उम्मीद पर खरा उतरने और उच्च क्षमता वाली परफॉर्मेन्स की वजह से आपको अपने मानवीय पार्टनर्स के साथ किंचित असंतोषजनक अनुभव भी मिल सकते हैं. मनुष्य उतना ही अप्रत्याशित होता है क्योंकि उस पर बाहरी कारकों का प्रभाव पड़ता है जिसके कारण उसकी परफॉर्मेन्स गड़बड़ा सकती है. जहाँ मशीन में इस तरह की जटिलताएं नहीं होतीं वहीं उसमें हैरत पैदा कर सकने का तत्व भी नहीं होता, न ही शरारत का, जो अक्सर सुखमय सैक्सुअल अंतरंगता में उद्दीपन का कार्य कर सकता है. सो खिलौनों की सहायता से सुख की सीमाओं का अनुसंधान करने वालों को मेरी सलाह है कि वे थोड़ी सावधानी और विवेक बरतें. जैसा कि किसी भी मशीन के साथ होता है, उसका मालिक ही उसे बरतने वाला ही भी होना चाहिए.
सुख के खिलौनों का प्रयोग अपने शरीर को खोजने का एक बेहतरीन तरीका है. इसमें आनंद है, और यह बहुत उत्कट होता है - ये वह है जो आप होना चाहती हैं. अगर आपका पार्टनर सहमत हो तो इसका अर्थ साथ-साथ सैक्स का आनन्द लेने के नए तरीके भी हो सकता है.
संक्षेप में अपनी सलाह दूं तो - धीरे-धीरे शुरू करिए, इस बात को समझने के लिए अपने आप को समय दीजिये कि उद्दीपन के प्रति आपकी देह कैसी प्रतिक्रिया कर रही है. नयी भावनाओं का बाँहें खोलकर स्वागत कीजिये और उनके सुख के समक्ष समर्पण कर दीजिये. इनकी बाबत पढ़ना और अपने विश्वस्त परिचितों से बातचीत करना उपयोगी होगा. सुख के खिलौनों के साथ अपने अनुभवों के दौरान मैंने खुद को हाथों में कुतुबनुमा थामे ब्रह्माण्ड की दिशा में बढ़ रहे किसी अंतरिक्षयात्री जैसा महसूस किया है. आश्चर्य नहीं कि मुझे अक्सर सितारे दिखाई दे जाते हैं.
आपके साथियों के साथ सुख के लिए और भी आनंदकारी खोजों की शाम में जाम पेश है!
यात्रा में आपकी मदद करने के लिए पांच सुपरहिट खिलौने:
- बुलेट वाइब्रेटर: यह नन्हा सा ताकतवर साथी आपको जितना आपकी मर्जी हो उतने समय में आपको हलके उबाल से झटकों तक पहुंचा सकता है. विभिन्न रंगों और प्रकार में उपलब्ध होने के साथ ही ये बैटरी से चलने वाले भी मिलते हैं और रिचार्जेबल भी.
- डिल्डो: खिलौनों में सबसे सीधासादा लिंग के आकार का यह खिलौना योनि-सुख के लिए होता है. इनके विभिन्न मॉडल्स अलग-अलग रंगों, मूवेबल पार्ट्स, स्पीड्स और मैकेनिक्स में स्ट्रैप-ऑन्स के साथ या उनके बगैर भी मिलते हैं. जो भी हो यह बेसिक सी चीज़ अब भी ज़रुरत के समय स्त्री का सबसे अच्छा साथी है.
- रैबिट वाइब्रेटर: यह एक साथ दो काम करता है - क्लिटोरल सुख और योनि-सुख, या एक साथ दोनों. सुख का आनन्द ले सकने वाली महिला के पास यह अवश्य होना चाहिए. इसे एक हाथ से इस्तेमाल किया जा सकता है और साफ़-सफाई और रख-रखाव आसान है.
- लव एग्ज़: यह वाइब्रेट करने वाला एक छोटा सा अंडा होता है जिसे योनि या गुदा सुख के लिए भीतर डाला जा सकता है. अनेक स्पीड नियंत्रणों में मिलने वाले इस खिलौने को आप जितनी देर तक चाहें भीतर छोड़ सकती हैं जब तक कि आप अपनी चहेती मंजिल पर नहीं पहुँच जातीं.
- एनल बीड्ज़: यह आख़िरी खिलौना थोड़े अधिक साहसिक लोगों के लिए है. अगर आप गुदा-सुख की खोजयात्रा में निकलना चाहती हैं तो शुरुआत के लिए शायद यह सबसे आसान चीज़ है. यह भी रिमोट कंट्रोल या तार वाले वेरिएशन में अलग अलग स्पीड्स में उपलब्ध हैं, अलबत्ता हाथ से चलाया जाने वाला सबसे सीधा-सादा वाला भी सुख का आनंद लेने के लिए ख़ासा कारगर होता है.