"तुम दावा करती हो कि तुम्हें प्यार मे विश्वास नहीं है, लेकिन तुम्हें बॉलीवुड के भावुक गाने बड़े पसंद हैं", ‘ए’ ने टिप्पणी की, जब हम उसके घर की तरफ़ अपने एक ‘हुक-अप’ (प्रतिबद्दता से मुक्त सेक्स) सेशन के लिए ड्राइव कर रहे थे। जब मैं गर्मी के मौसम में कुछ हफ़्तों के लिए घर आयी थी, तब वह मुझे इंटरनेट पर मिला था। यह वो समय था जब स्मार्टफ़ोन बाज़ार में नहीं आए थे (मोटोरेज़र और भारी-भरकम ड़ब्बे जैसे नोकिया प्रचलित थे), और ऑनलाईन ड़ेटिंग आज जैसे चारों तरफ तो बिल्कुल भी मौजूद नहीं थी।
मैं ‘ए’ की बेतुकी टिप्पणी के जवाब में बहुत कुछ कह सकती थी, लेकिन उसे ज़्यादा ना जानने की वजह से मैंने ऐसा नहीं किया। मैं उसे बता सकती थी कि मैं अपने सभी जाननेवालों में खुद को सबसे रोमानी मानती थी, कि मैं ८० के दशक के बेकार सीरीज़ रोमांस, कथा साहित्य और नॉरा एफ़रॉन की फ़िल्मों की भक्षक थी, और ज़ाहिर सी बात है, बॉलीवुड़ की भी।
चलिए अगर पॉप कल्चर का जान कर उपभोग करना हम थोड़ी देर के लिए भूल भी जाएँ, प्रेम और रिश्तों से मेरी गगनचुंबी आकांक्षाओं को मनुष्य और उनके स्वार्थी, बेहुदे व्यवहारों से बिल्कुल सहारा नहीं मिला था। बड़े होते हुए, मेरे पिताजी के अफ़ेयर और मेरे माता-पिता के रूखे तलाक को मैंने जैसे बगल में बैठ कर देखा था। मेरे ज़्यादातर अंकल और आंटी और अन्य दूसरे रिश्तेदार बेहद दुखद विवाहों में फँसे हुए थे; वयस्क होने पर, मैंने अपने भाई-बहनों और कज़िन और दोस्तों के डेटिंग जीवन में दोहराता हुआ वही एक भयानक पॅटर्न देखा था। मेरी निंदक, थकी हुई आंखों के लिए यह बहुत स्पष्ट था कि "प्यार" टिकाऊ नहीं था, और जब दो लोग एक लंबे और गंभीर रिश्ते में प्रवेश करते थे, तो बोरियत और बेवफाई की संभावना बहुत थी। तो इस चक्कर में पड़े ही क्यों?
जब मैं ‘ए’ से मिली, मैं २५ वर्ष की थी। मैंने कभी किसी के साथ रिश्ता नहीं बनाया था। ऑनलाइन अजनबियों और दोस्तों, महिला और पुरुष, दोनों के साथ मेरे बहुत से फ़्लिंग्स चल रहे थे। लेकिन रिश्तों को मैं हमेशा से टालती आ रही थी। हुक-अप अपने इरादों और कार्यान्वयन में आसान, साफ़, स्पष्ट और ज़्यादा ईमानदार थे। मेरे दोस्तों की नज़रों में मैं ज़िद्दी और बेवकूफ़ थी। पर मुझे अपने प्यार के मानक मालूम थे और मैं हिलने नहीं वाली थी। मैं उनसे कहती, "मैं झूठ, धोखेबाज़ी और बेईमानी को किसी भी रूप या आकार में स्वीकार नहीं सकती, और अब तक मैंने जितने रिश्ते देखे हैं, सब उसी ओर जाते हैं। या किसी एक की दिलचस्पि कम हो जाती है और रिश्ते का बुरा अंत होता है।” बेशक, कुछ खुश मिसालें थीं लेकिन वे इतनी दुर्लभ थीं कि मेरे पास कोई उम्मीद नहीं थी कि मैं कभी उन भाग्यशाली लोगों में से एक हो पाऊँगी। किसी भी हाल में, मैं यह जोखिम नहीं लेना चाहती थी। अकेले रहने की संभावना बड़ी मधुर तो नहीं थी, लेकिन दूसरे विकल्प से बहतर थी। मुझे शादी या बच्चों में कोई दिलचस्पी नहीं थी - इनका ना होना मेरे लिए फ़ायदेमंद ही था । और वैसे भी, मैं क्वीयर हूँ।अगर मुझे लड़की से प्यार हो जाता तो? उस स्तिथि में, भारत में शादी का भी विकल्प नहीं था।
जानबूझकर विषमलैंगिक विवाह-मातृत्व-परिवार की पुरानी कथा से हटकर कदम उठाना मेरे लिए बेहद मुक्तिदायक रहा। मेरी जैविक घड़ी का मुझ पर कोई प्रभाव ना था। बिना किसी साथी के बारे में सोचे, मैं अपने जीवन के रास्ते का नक्शा तय करने के लिए स्वतंत्र थी। मैंने उन भिन्न प्रकार के प्यार को मूल्यवान समझना शुरू किया,जिनसे हम घिरे हुए हैं, लेकिन अक्सर उसे हम जिन्हें नज़रअंदाज़ कर देते हैं। मेरे दोस्तों की गहरी, पक्की दोस्ती ने मुझे बचाया; मेरा परिवार मेरे लिए समर्थन का एक निरंतर स्रोत था और मेरा काम सशक्त और परिपूर्ण करने वाला था। मैं खुश थी, अहंकारी भी- मैंने सोचा कि मैं एक आदर्श जीवन के रहस्य को जान चुकी थी। हाँ, मुझे निश्चित रूप से एक सज़ा मिलने वाली थी।
यह एक अनपेक्षित रूप में आयी।
२८ की परिपक्व उम्र में, मुझे किसी तरह प्यार हो गया। वह गहरा, जुनूनी तरह का प्यार, जो अत्यधिक खुशी लाता है लेकिन जब ना लौटाया जाए, तो हद से ज़्यादा दर्द भी देता है। कहानी में दिलचस्प मोड़ यह था कि मैं एक ही समय में दो अलग-अलग पुरुषों से प्यार करने लगी थी, एक दोस्त था और एक दूसरा अजनबी जो मुझे ऑनलाइन मिला था। प्यार में पड़ना खुद से जुड़े रहस्यों को जानने में एक अभ्यास था: मुझे नहीं लगा था कि यह एक ऐसा शक्तिशाली दृष्टिकोण पैदा करेगा जहाँ मुझे और कुछ नज़र नहीं आएगा।
दोनों कहानियों में, मेरी भावनाओं को एक नया, तीव्र फ़ोकस मिला - प्यार की उड़ानें अद्भुत थीं, और प्यार में गिरना - यानि हर तरह से बिखर जाना।खुद के व्यक्तित्व को बनाए रखते हुए एक प्यार भरे, अंतरंग, कभी-कभी उलझे हुए जोड़े का हिस्सा होने के बारे कितना कुछ सीखने को था और उससे जुड़े समझौतों के भी(और कठिनाइयों) ।
अंत में दोनो ही रिश्ते नाकामयाब रहे। मेरा सबसे अच्छा दोस्त चकित था, "तुम 'जी' के प्यार में होते हुए, 'आर' से प्यार कैसे कर सकती हो?" सच कहूँ, तो मुझे खुद नहीं मालूम था। एक समय में तो केवल एक ही "सच्चा प्यार" हो सकता था, ना? फिर भी मैंने अपने आप को एक साथ दिल टूटने के दो हादसों से उबरने के लिए संघर्ष करते हुए पाया।
मेरे पास अब तक इस तजुर्बे के लिए शब्द नहीं था, लेकिन पहली बार मुझे समझ में आया कि मैं एक ही समय पे दो लोगों से रोमानी तरीके का प्यार कर सकती थी। वह शब्द, ज़ाहिर है, "पॉलीएमरी" है - यानिकि अनेक पार्टनर के साथ रोमानी और/या लैंगिक तरह से शामिल होना।
मैंने "ओपेन रिलेशनशिप्स" या "ओपेन मैरिज़िस" के बारे में सुना था। काफ़ी लिबरल होते हुए भी मुझे , ऐसे रिश्ते किसी मायने में मुझे बहुत अनैतिक लगते थे। एक परिचित महिला के पति का गोपनीय तरीके से उसकी सारी सहेलियों के साथ छेड़खानी करना - हमनें उस लीचड़ से दूरी रखना सीख लिया था। या मेरे दोस्त का मुझे प्रस्ताव देना, यह कहकर कि यह इसलिए ठीक था क्योंकि वह एक "ओपेन" रिलेशनशिप में था। लेकिन, ज़ाहिर है, उसकी गर्लफ़्रेंड़ को पता नहीं चलने वाला था कि वह मेरे साथ सो रहा था। "कोई ड़ीटेल नहीं देनी होती", उसने कहा था।
अनेक पार्टनर चाहना मेरे लिए दिक्कत की बात नहीं थी। मगर झूठ बोलना मुझे ठीक नहीं लगता था। अगर आप इतने 'ओपेन' हैं, तो उसके बारे में ईमानदार क्यों नहीं हो सकते? अगर आपके पार्टनर इस बात से सहमत हैं कि आप दोनो के दूसरे रिश्ते हैं, चाहे लैंगिक या किसी और तरीके के, तो फ़िर यह गुप्तता क्यों? यह तो आपकी पुरानी चीटिंग जैसे था, जिसको फैशनेबल बनाने के लिए नया भेस और नयी वेशभूषा दे दी गयी थी। सैद्धांतिक रूप से, पॉलीएमरी का विचार बढ़िया था, लेकिन मुझे नहीं लगताथा कि हमारी दोषक्षम मनुष्य जाति इसे क्रियान्वयन कर पाएगी । हम एक ही पार्टनर के साथ इतनी गड़बड़ कर देते हैं, सोचिए उस मिश्रण में दो या दो से अधिक लोगों का जुड़ना कैसा होगा।
अपने मौजूदा बॉयफ़्रेंड़ के साथ मेरी पहली ठोस बातचीत, अजीब इत्तेफ़ाक से, इसी विषय पर हुई। वह मुझे ऑनलाइन मिला था। इरादे चाहे जितने नेक क्यों ना हो, मुझे अब भी ईमानदार और ओपेन गैर-मोनोगॅमस रिश्ते असंभव लगते थे। लेकिन मुझे यह नहीं मालूम था कि वह पहले से एक ऐसे कामयाब रिश्ते में था। जैसे हमारी ऑनलाइन बातचीत बढ़ी, और मुझे उसके जीवन के गैर-पारंमपरिक प्यार का विवरण मिला, मेरा मत-परिवर्तन होने लगा। यह विचार अब उतना अकल्पनीय नहीं लग रहा था, हालांकि यह पेचीदा और नाज़ुक था, और निश्चित रूप से यह तरीका सब के लिए नहीं बना था।
शायद इत्तेफ़ाक से, मुझे फ़िर से प्यार हो रहा था। हमारे बीच बहुत सी चीज़ें एक जैसी थीं, और हमारी बातचीत की केमिस्ट्री कुछ अलग ही थी। हमारी राजनीतिक और दार्शनिक मान्यताएँ भी एक जैसी थीं, हम दोनो ही फ़ेमिनिस्ट थे। वह मुझे वही बासी घिसी पीटी सदा-खुशी-खुशी वाली कहानी का प्रस्ताव नहीं दे रहा था। प्यार का यह विचार काफ़ी हद तक व्यावहारिक/प्रॅगमॅटिक था। यह खुल कर स्वीकारता था कि हमें एक व्यक्ति के साथ होते हुए, औरों की चाह भी हो सकती है, और यह स्वाभाविक है, खराब बात भी नहीं है। अपनी इन चाहतों को आप किस तरह से संभाल कर चलते हैं, यह एक अलग ही मुद्दा है।
अगर आप आमतौर पर झूठ बोल रहे हैं, धोखा दे रहे हैं, लोगों का फ़ायदा उठा रहे हैं, और गधे की तरह बरताव कर रहे हैं, तो आप वही घिसे-पिटे रास्ते पे जा रहे हैं। खुलेपन, ईमानदारी, और इस सोच के साथ कि दूसरों को चाहना और उन चाहतों के बारे में कुछ करना ठीक है, आप एक अविवेकी और खराब व्यक्ति होने की संभावना कम कर सकते हैं। इस तरह के रिलेशनशिप मॉड़ेल में ईमानदारी ही नींव होती है, उस मक्कारी से बिल्कुल अलग, जिसका मैंने सामना किया है। बाकी तो यह मॉड़ेल मेरे प्यार को लेकर जो गगनचुंबी विचार थे, उनसे बेहद मेल खाता है - यानी आपसी विश्वास, आदर, प्रशंसा, और उग्र केमिस्ट्री के आधार पर बना एक खास रिश्ता।
मैंने प्यार के लिए जो असंभव मानक तय किए थे, उनमें पॉलीएमरी एकदम ठीक बैठ रही थी, सिद्धांत में, और अभ्यास में भी। मुझे एहसास हुआ कि तब तक, प्यार के पूंजीवादी मॉड़ेल को ठुकराते हुए भी, मैं उसी को अपनाए हुई थी - जहाँ आपका पार्टनर आपकी जायदाद बन जाता है, और सिर्फ़ आपके उस पर अधिकार होते हैं। भावनाओं को एक नये नज़रिए से देखने के लिए, मेरा इस विचार को जाने देना बेहद ज़रूरी था। मैं किसी की अमानत नहीं थी, और ना कोई मेरी। किसी के साथ रिश्ता बनाना एक सक्रिय चुनाव था, जिसमें हर दिन कुछ करके प्रतिबद्धता की घोषणा करना ज़रूरी था। ये तो मेरे लिए वाकई नया सफ़र था- कॅशुअल सेक्स की महारानी अनेक प्रतिबद्ध रिश्ते बनाने का चुनाव कर रही थी!
हाँ, पॉलीएमरी अगर ठीक तरह से निभाई जाए तो, इस के लिए खूब महनत करनी होती है।
इसके लिए उच्च कोटी का विश्वास, ईमानदारी और अपने पार्टनर के साथ बातचीत करने की आवश्यकता है, विशेष रूप से उनके भावनात्मक/मानसिक स्थिति के बारे में। मैंने कभी भी अपने पार्टनर या उनकी भावनाओं का फ़ायदा नहीं उठाया है। मैं उनके अधिकारों और विकल्पों का सम्मान करती हूंँ, जिसमें दूसरों से प्यार करना भी शामिल है। इसके अलावा, कई प्रतिबद्ध रिश्तों में होने से मैंने एक उदार पार्टनर बनना सीखा है - काफ़ी बढ़िया लगता है जब आपकी गर्लफ़्रेंड एक नयी ड़ेट के बारे में उत्साहित और खुश हो, और आपसे आ के सारे चटपटे विवरणों पर चर्चा करे। मेरे विभिन्न पार्टनर के साथ, मैं उन क्षणों का सक्रिय रूप से स्वाद लेती हूँ, जो हम एक साथ बिताते हैं; आनंद वर्तमान क्षण में है, ना केवल पहले से निश्चित, ठेठ रिश्तों की उपस्थिति में, जो सामाजिक अपेक्षाओं से बंधे होते हैं।
इसका मतलब यह भी है कि उस एक व्यक्ति या एक रिश्ते पर आपकी सारी रोमानी या रिश्ते से जुड़ी ज़रूरतों को पूरा करने का दबाव भी कम हो जाता है। क्या आप एक ही दोस्त से काम चला सकते हैं जो दोस्ती से जुड़ी आपकी सारी ज़रूरतों को पूरा कर सकता है? मेरे बॉयफ़्रेंड और मैं दोनो खुद को पॅनसेक्शुअल मानते हैं - हमारे लिए खासकर, यह व्यवस्था बहुत अच्छी तरह से काम करती है, क्योंकि मैं आमतौर पर औरतों को ड़ेट करते खुश रहती हूँ। हमारे लिए जो चीज़े काम करती हैं, हम उनके आधार पर अपने नियम खुद बनाते हैं, और यह अब तक हमारे लिए काफ़ी शानदार तरीके से काम कर रहा है। मैं जानती हूँ कि भविष्य में यह शायद मेरे लिए काम ना करे, पर मैं उस पुल को पहुँचने पर ही पार करूँगी।
सच कहूँ तो मुझे लगा था कि यह भावनात्मक रूप से और कठिन होगा।हाँ लंबी बातचीत करना और समझना कि हमारे लिए क्या काम करता है बहुत महत्चपूर्ण था। बिना ऐसी स्पष्ट अपेक्षाओं और सीमाओं को तय किए, और एक दूसरे के साथ एकदम ईमानदार हुए, मुझे नहीं लगता कि यह इतनी आसानी से चल पाता। आगे जा के जब मैंने दूसरी औरतों को ड़ेट किया, उनके साथ भी इसी तरह का स्पष्ट संचार हुआ।
मैं मानती हूँ कि यह तो पक्की बात है, इस पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता - अपने पार्टनर पे इतना भरोसा करना कि आप उनसे वह मुश्किल (जिससे मेरा मतलब है आपको असुरक्षित महसूस कराने वाली बातचीत )कर सकें, उन चाहतों, ज़रूरतों और सीमाओं के बारे में जो आप दोनों के लिए महत्वपूर्ण हैं। अगर रिश्ते का कोई ऐसा पहलू है जो काम नहीं कर रहा या आपको दुख पहुँचा रहा है, तो उस कठिन मुद्दे पर चर्चा करना उतना ही ज़रूरी है। सभी रिश्तों के जैसे, आपको यह पता होना चाहिए कि आप अपने वास्तविक सेट-अप को कैसे बदल सकते हैं ताकि वह आप दोनों के लिए ठीक से काम करे। प्यार अक्सर अप्रत्याशित और कठिन होता है। संचार सीखना, अपनी बात ज़ाहिर करना , जब आपकी सुनने की बारी हो, ध्यान से सुनना, सब, बहुत ज़रूरी हैं, चाहे वह मोनोगॅमस या पॉलीएमरस रिश्ता हो। बस पॉलीएमरस रिश्ते में इसके महत्व को और पहचाना जाता है।
ऐसा नहीं है कि सभी रिश्ते एक ही तरह से काम करते हैं। लोग अलग होते हैं, प्यार भी अलग होता है और हर रिश्ते के कुछ अपने "नियम" होते हैं। लेकिन मैंने पाया है कि हर मामले में, उदारता और ईमानदारी को स्वीकारना और इनकीअपेक्षा करना, मसलों के बारे में बात करना रास्ते को आसान बनाने में हमेशा सहायता करता था।
ऐसा नहीं है कि मैं हर किसी से पॉलीएमरी का प्रचार करना चाहती हूँ।
इसका निष्कर्ष यह है कि लोगों से प्यार करने का या उनके साथ रिश्ते बनाने का कोई एक सही तरीका नहीं है। काफ़ी आज़माइशओं और गलतियों के बाद, मुझे ऐसा कुछ मिला है जो मुझे मेरे लिए एकदम ठीक लगता है। लेकिन मेरे जाननेवालों में ज़्यादातर लोगों को मोनोगॅमी सुहाती है। नैतिक पॉलीएमरी सबके लिए नहीं है, और इसमें कोई आपत्ति नहीं।
मझे अक्सर विश्वास ना करने वाले दोस्तों और परिचितों को समझाना पड़ता है कि मैं अपने रिश्ते किस तरह से संभालती हूँ। सबसे ज़्यादा पूछा जाने वाला सवाल है, "जब वह अपने दूसरे बॉयफ़्रेंड़/गर्लफ़्रेंड़ के साथ होता है, क्या तुम्हेंजलन नहीं होती?"
और उसका जवाब बहुत आसान है। हाँ, आपको अलग-अलग मात्रा में ईर्ष्या होती है। लेकिन आप इससे निपट सकते हैं।
पहले तो, आपको यह स्वीकारना है कि आपको जलन हो रही है, और खुद को दुखी या बुरा महसूस करने के लिए दुत्कारना नहीं है। फ़िर, अपने पार्टनर से खुल के बात करना महत्वपूर्ण है। अगर आप चाहें, तो एक साथ मिलके समझ सकते हैं कि आपको कौनसी बात परेशान कर रही है, और बहतर महसूस करने के लिए आप क्या कर सकते हैं।
नकारात्मक भावनाओं को ध्यान में रखकर, उस व्यक्ति के साथ, जिसे आप प्यार करते हैं, खुले तौर से चर्चा करना, इस मामले में काफ़ी मदद करता है। एक दूसरे को गले लगाने से भी बहुत सहायता होती है। इसमें कोशिश लगती है, और खुद के बारे में जाग्रुकता, पर मैंने देखा है कि यह किया जा सकता है। हमें हमेशा से बताया गया है कि अगर हम जिससे प्यार करते हैं वह किसी और को पसंद करता है, तो हमें जलन महसूस होनी चाहिए; कि आपको लगना चाहिए कि आपको किसी तरह से दूसरे से कम समझा गया है। लेकिन अगर हर व्यक्ति अलग तरीके से मूल्यवान है, तो शायद अगर हम कोशिश करें, हम एक दूसरे के लिए खुश रहना सीख सकते हैं, तब भी, जब हमारी कंडीशनिंग को भूलना इतना आसान नहीं?
हाँ, यह मुश्किल हो सकता है। और ज़ाहिर है कि हर व्यक्ति के लिए यह प्रक्रिया अलग होगी। अब तक, चाहे मैंने दूसरे पुरुषों या महिलाओं को ड़ेट किया हो/लैंगिक संबंध बनाए हों, मैंने कभी अपने बॉयफ़्रेंड़ को जलन के कोई संकेत देते हुए नहीं देखा है। किसी और के साथ मेरे क्लिक होने पे उसने हमेशा खुशी व्यक्त की है। जिन दो औरतों को मैंने गंभीरता से ड़ेट किया है, उनकी अलग प्रतिक्रिया रही है: एक को इस सब से कोई परेशानी नहीं हुई, जबकि दूसरी को मेरे ऊपर हक महसूस करने की वजह से अपनी जलन को संभालने में बहुत दिक्कत हुई।
मैंने काफ़ी हद तक पाया है कि जब तक अपने पार्टनर के साथ मेरी ट्यूनिंग अच्छी है, मुझे उनके किसी और को ड़ेट करने से कोई जलन या परेशानी नहीं हुई है। जलन अक्सर तब होती है जब रिश्ते में कुछ ऐसा हो जो मुझे असुरक्षित या अनिश्चित महसूस करवा रहा हो।
इसके अलावा, यह भी अनिवार्य नहीं है कि आपका पार्टनर जिसे ड़ेट कर रहा है, वह आपको पसंद आए। शुरुआत में मुझे पता नहीं था कि मैं अपने प्रेमी के दूसरे पार्टनर को मिलने पर कैसी प्रतिक्रिया दूँगी। तब पता चला कि किसी भी अन्य दोस्ती की तरह, यह शामिल व्यक्तियों पर निर्भर करता है! किसी एक से साथ मेरी दोस्ती बन गयी है, और किसी दूसरे के साथ से मेरा कोई लेना-देना नहीं है और तीसरा मुझे खास पसंद ही नहीं है। जिसके साथ मेरी दोस्ती है, वह मुझे दिलचस्प, बुद्धिमान, उदार, कुशल, और आत्मविश्वास से भरा हुआ लगता है - एक ऐसा व्यक्ति जिससे मेरी जमती है, तो हम ऐसे दोस्त क्यों नहीं हो सकते जो एक ही व्यक्ति से प्यार करते हैं?
और कुछ नहीं तो यह दोस्ती मेरे गैर-मोनोगॅमस रिश्तों से मुझे काफ़ी प्रगतिशील लगती है, क्योंकि यह महिलाओं के बीच प्रतियोगी भाव, एक दूसरे की पीठ-पीछे बुराई और सौतन के विचारों पे सीधा आक्रमण करती है। 'दूसरी औरत’ (या उनमें से एक) मेरी प्यारी दोस्त है, और यह एहसास खूबसूरत है। लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता - और इसलिए सीमाएँ बनाई गयी हैं।
मेरी पिछली गर्लफ़्रेंड को हमारे रिश्ते के दो महीने में, मेरे दूसरे पार्टनर से होनेवाली जलन संभाली नहीं गयी। उसने मुझे ड़ेट करना बंद कर दिया। हम आज भी दोस्त हैं, और अब भी एक दूसरे की देखभाल करते हैं, लेकिन वह उसके लिए सही चुनाव था। लोगों को सप्रेम जाने देना और अपने पार्टनर से परंपरागत अपेक्षाओं को बदलना ऐसा कौशल है जो मैंने सीखा है, और अब भी सीख रही हूँ। हाँ, ‘लॉजिस्टिक’ पेचीदे हो सकते हैं, खासकर समय का वितरण करते वक्त। बिना अपने आप को पागल किए, एक साथ अलग-अलग रिश्तों को संभालने का एक बड़ा कारण यह था कि कुछ रिश्ते स्थानीय थे, और कुछ दूर वाले। इससे समय का वितरण करना बहुत आसान हो गया।
मैं लगभग हर दिन सबके साथ ऑनलाइन/मेसेज पे बनी रहती थी, आमने-सामने मिलना समय-समय पर होता था। मैं अपनी स्थानीय गर्लफ़्रेंड़ से नियम से मिलती थी, जबकि मैं छुट्टियों के दौरान खास अपने बॉयफ़्रेंड़ के साथ विस्तारित समय बिताती थी। यह निश्चय करते समय कि आप प्रत्येक पार्टनर के साथ कितना वक्त बिताते हैं, उनके साथ निष्पक्ष होना ज़रूरी है। यह आपके आपसी संचार और एक दूसरे को कुछ भी कह पाने के साहस पर निर्भर करता है, और एक दूसरे के साथ अपनी ज़रूरतों का हिसाब लगाते हुए समझौता कर पाने पर । अधिकांश लोगों को लगता है कि पॉलीएमरस लोग बहुत सारा सेक्स करते हैं, और हाँ, हम करते हैं, लेकिन हम काफ़ी सारी बातचीत भी करते हैं।
जहाँ पॉलीएमरी निश्चित रूप से सबके लिए नहीं बनी है, इसने मुझे व्यक्तिगत खोज पे भेजाहै, और मेरे दिमाग को बहुत सारी संभावनाओं (और लोगों) के लिए तैयार किया जो पहले मेरे ज़हन में भी नहीं थे। पॉलीएमरी (परी वाली -कहानियों से अलग) खुल के यह मानती है कि कुछ भी हमेशा के लिए नहीं टिकता, और कोई भी रिश्ता शायद ना टिक पाए। स्थितियाँ बदलती हैं, लोग भी बदलते हैं, और उनकी चाहतें भी बदलती हैं। और यह बिल्कुल लाजमी है, हालांकि यह कभी-कभी दुख भरा भी हो सकता है (और शायद इसे कोई नहीं बदल सकता)।
आंतरिक रूप से इसे मानने की वजह से मैं रिश्तों का एक स्वस्थ समूह बना पायी हूँ। और मुझे अब भी ऐसा लगता है कि यह मेरे लिए सबसे बेहतरीन और सही चुनाव है। और मुझे ऐसा लगता है एक लंबे अरसे तक मेरा यह चुनाव सही रहेगा।
आलसप्रिया को अपने दिन आलस में बिताना पसंद है, अपनी किताबों और स्टार ट्रेक के साथ। कभी-कभी उन्हें लोगों का साथ भी पसंद आ जाता है।
पॉलीएमरी ने मुझको प्यार सिखाया
Well. Polyamory done right, as it turns out, is a lot of work!
लिखित :आलसप्रिया
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