एक 26 साल का बांका नौजवान 16 साल की कमसिन लड़की की ओर कदम बढ़ाता है। चिंगारी भड़कती है। अब उस नादान लड़की को क्या मालूम कि यही चिंगारियां बाद में उसकी आत्मा को झुलस देंगी। उस शुरुआती समय में तो सब अच्छा लगता है। वो इस यकीन में जीती है कि वो एक समझदार/ मैच्युर औरत है, इतनी अट्रैक्टिव कि उम्र में उससे बड़ा और मैच्युर आदमी भी उसकी ओर खींचा चला आता है ।
भले ही उसका मन उसे कुछ और संकेत दे रहा हो। भले ही वो दिन रात उसके मैसेज का इंतज़ार करे, उससे अच्छे व्यवहार की उम्मीद करे और आंसू बहाती रहे। वो किशोरी कमसिन लड़की अपने राजकुमार के लिए सबकुछ करेगी। ये सोच के कि उस रिश्ते को संभालने की ज़िम्मेदारी उसी पर तो है। और वैसे , पूरी दुनिया में बस एक वही तो था, जो उससे सचमुच प्यार करता था। ऐसा उसने खुद कहा था !
इस भारी बोझ को वो कॉलेज तक उठा ले जाएगी। 'लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप' का भी तो उस उम्र में एक फैशन होता है, ना।
ज़ाहिर सी बात है, पहले अंकल जी चीट करेंगे। यानी धोखा देंगे। किसी और 17 साल की लड़की को फंसायेंगे।
फिर धीरे-धीरे, कॉलेज में, वो भी खुद को बेहतर समझने लगेगी । और अब चीटिंग करने की उसकी बारी आएगी । और करे भी क्या ! चाहकर भी अंकल से ब्रेकअप नहीं कर सकती । वो उसे छोड़ ही नहीं रहे ।
यही एक तरीका था, इस विषैले रिश्ते से बाहर निकलने का। "एक गलती से कई दूसरी गलतियों को सही करने की कोशिश।" ये मुझे बाद में किसी ने समझाया था ।
वो पहली रात, जब मैंने उसे बताया कि मैंने उसे चीट किया है, तो उसने मेरे बाल खींच के मेरी गर्दन पकड़ ली। फिर खुद को झापड़ मारने लगा। फिर हम दोनों रोये।
दूसरी रात, जब वापस चीटिंग की बात की, तो हम दोनों चुपचाप बैठे रहे। मैं आँसुओं के बीच सॉरी बोलती रही। और वो बस सिगरेट पे सिगरेट पीता गया। बताता रहा कि अगर मैं थोड़ी समझदारी दिखाती और उसे चीट ना करती, तो वो मेरे आने वाले बर्थडे पे क्या-क्या करता। मुझे कहां-कहां घुमाने ले जाता, कितना कुछ खरीद देता।
तीसरी रात, मैंने आखिर उसे कह दिया। कि उसने भी तो मुझे धोखा दिया है। मेरे साथ चीटिंग की है। फिर तो उसके तेवर ही बदल गए। उसने मेरे चेहरे को ज़ोर से अपनी उंगलीयों से धकेला। और फिर एक-दो-तीन, ना जाने कितने थप्पड़ मारे। मैंने गिनती बंद कर दी थी। उस दिन के बाद मुझे बड़ी अंगूठियों से नफरत हो गई। चेहरे पर उनके छाप, गहरे पड़ते हैं। फिर एक हफ्ते तक, मैं अपने किसी दोस्त से मिल नहीं सकती थी। वैसे मेरे दोस्त भी काफी कम थे। अंकल के साथ जब से दोस्ती हुई, कई दूसरे दोस्त अलग हो गए थे।
चौथी रात से मेरे ढेर सारे ‘सॉरी’ मानो काम करने लगे। या शायद मेरे ज़ख़्मी चेहरे का असर था। या सेक्स की ज़रुरत ! या उसको लगा कि मुझे मेरी गलती की काफी सज़ा मिल चुकी थी। उसने मुझे टेबल पर बिठाया और मेरी ड्रेस खोल दी। फिर मुझे धमकी देने लगा कि बिना कंडोम के मेरे साथ सेक्स करेगा। उसको बस मेरा डर देखना था। कंपकपाती आवाज़ में मुझसे ना सुनना था। मेरे शरीर पर वापस कंट्रोल पाना था। वो कण्ट्रोल जो उसने मेरी 'चीटिंग' की बात सुनके, पहली रात खो दिया था।
ये समझने में मुझे काफी वक्त लगा कि 17 साल की उम्र में, कोई क्या चीटिंग करेगा। खासकर तब, जब वो नशे में हो। और जब उसने कभी सेक्स किया ही ना हो। मुझे ये जानने में एक साल लग गया, कि मेरा रेप हुआ था। और वो भी किसी अंकल टाइप ने ही किया था।
दो उंगलियां- एक बड़ी काले पत्थर की अंगूठी वाली और एक उसके बिना वाली! दोनों मेरे अंदर डाल दी जाएगी। और फिर एक घोषणा की जाएगी- कि वो जगह अब टाइट नहीं। साफ शब्दों में- मैं अब वर्जिन नहीं! और मेरे अंकल, जो कि मुझसे शादी करना चाहते थे, उनके लिए मेरा वर्जिन होना जरूरी था। मैं उनके उंगली करने वाले टेस्ट में फेल हो गई थी।
मैं सिर्फ 17 साल की थी। एक डरी हुई, सहमी हुई लड़की!
***
उस दिन उसने मुझे एक साड़ी पैक कर लाने को कहा। हम कहीं दूर, एक OYO रूम में जाने वाले थे। क्यों? क्योंकि वो अपनी समस्याओं से दूर भागना चाहता था। और अपने आराम के लिए, मुझे साथ ले जा रहा था । मुझसे चिमट के, अपने गम भुलाने के लिए।
दूसरी बार, लेहेंगा पहनने की फरमाइश आयी।
अब वो तो 28 साल का था। ऐसी शादी वाली कल्पनाएँ लाजमी थीं । मैं- उसकी 18 साल की, लगभग पत्नी ही तो थी ना।
एक 'लगभग' पत्नी जो होती है ना, वो नार्मल पत्नी की तरह ही होती है। वो अपने 'लगभग' पति के लिए कई सारे बुनियादी काम करती है। जैसे कि कपड़े धोना, फटे कपड़े सिलना! खुद हमेशा सुंदर दिखना। लेकिन शादी की मांग रखने के लिए उसे रुकना पड़ेगा। तब तक, जब तक कि वो सामाजिक रूप मान्य उम्र की न हो । यानी जब तक वो लगभग इक्कीस या बाईस साल की न हो ।
हर बार की तरह एक और रात, जब सेक्स का एकतरफा आनंद उठाकर वो लेटा था, मैं उसकी छाती पर लेट गई। हमारी उंगलियां अंधेरे में एक दूसरे संग उलझी हुई, डांस कर रही थीं । उसने अचानक कहा, "आज मैंने कॉलेज में कुछ लड़कों को तुम्हारे बारे में बात करते सुना। वो सब खुद को तुम्हारे साथ अपनी पैरिंग (नाम जोड़ना) कर रहे थे।"
मेरी उंगलियां रुक गईं। "क्या? कौन? मेरे साथ नाम जोड़ रहे थे का क्या मतलब?"
“मेरा मतलब है वो लोग ये बोल रहे थे कि किसके साथ तुम्हारी जोड़ी बेस्ट होगी। वो एक दूसरे को बोल रहे थे कि उसे तुम ले लो, नहीं- तुम ले लो। बस यही सब...।"
हाई स्कूल से निकली एक बच्ची, अभी कॉलेज के पहले साल में ही आई थी। और चाय की दुकान पे उसका काल्पनिक लेन-देन हो रहा था! मुझे डर लग रहा था। सेफ नहीं लग रहा था। मैं उसकी बाहों में घुस जाना चाहती थी। जो भी हो रहा था, डरावना था।
"मुझे क्या करना चाहिए? आप जानते हैं कि वो कौन लोग थे?" मैंने, मेरी रक्षा का भार उठाने वाले अपने साथी, उस ‘समझदार’ इंसान के कानों में फुसफुसा कर पूछा।
“नहीं! लेकिन मुझे लगता है कि अब तुम्हें थोड़ा सावधान रहना चाहिए। कॉलेज में कैसे चलती हो, कैसे बात करती हो, बोलती हो। सबकुछ! किसी से ज्यादा घुलने मिलने की ज़रूरत नहीं है। आखिर तुम मेरी गर्ल हो ना?"
उस समय तो मेरे मन में हजार सवाल उठे। आखिर मैं क्यों अपने आप को बदलूँ? मैं क्यूँ उन लड़कों की ऊल-जलूल बातों पे ध्यान दूँ? उन लड़कों को कोई क्यों नहीं समझाता है ? उनपे कोई क्यों नहीं चिल्लाता है ? पर ये सब बातें मन के अंदर ही रहीं। जो मुंह से निकला, वो एक दुखद आवाज़ थी- "ठीक है ..."।
उसकी उंगलियाँ नाचती रहीं।
मेरे हाथ उसके हाथ के सामने कितने छोटे लग रहे थे।
***
उसका बॉयफ्रेंड बनके, या उसे ज़रुरत आने पे सहारा देके, या फिर उसको गाइड करके, अक्सर कोई वयस्क अपने से उम्र में काफी छोटे किसी इंसान का भरोसा जीत लेता है । इसको अंग्रेज़ी में ग्रूमिंग कहते हैं , यानी (अपने स्वार्थ के लिए) किसी को तैयार करना । उस रिश्ते का फायदा उठाके, छोटी उम्र वाले के साथ सेक्सुअल सम्बन्ध बनाना।
अक्सर जवान लड़कियों में, अपने से बड़ी उम्र वाले के साथ डेट करने का जोश होता है, एक किस्म की मस्ती होती है । जवानी में दुनियादारी की समझ कम होती है, खासकर अगर आप ऐसे परिवार से हो जहां रिश्तों में बहुत दरारें रहीं हैं ।ऐसे में इन तिगड़म रिश्तों के खतरे, पहचान में नहीं आते।
मेरे साथ ये ग्रूमिंग दो बार की गयी । दो अलग शहरों में, दो अलग आदमियों ने मुझे ग्रूम किया । ये बात अब भी मुझे खाती है, ऐसा मेरे साथ दो बार हुआ ।मुझे ये मानने में बहुत समय लगा, कि जो भी हुआ, उसमें मेरी गलती नहीं थी ।
तबसे दो साल होने को हैं ।अब भी किसी सवेरे, उस समय की कोई याद अचानक मुझ पे हावी हो जाती है, तो जैसे मेरा दम ही घुटने लगता है ।मैं कुछ करने के काबिल ही नहीं रहती ।
जब भी ये याद आता है कि उन लोगों ने मुझे कैसे छुआ, मुझे यूं लगता है जैसे मैं गंदी हूँ । मेरा पेट ऐसे अजीब तरीके से मचलने लगता है, कि सहा नहीं जाता ।ऐसा लगता है कि किसी ने छत से पंखा उतार के, मेरे पेट में बैठा दिया है ।
मुझे ऐसी कितनी ही रातें याद हैं, जब मैं बिस्तर पे लेटी, अपने तकिये में मुँह छिपा के तब तक चिल्लाती रहती, जब तक गला न बैठ जाता ।मज़ाक करने में कोई मज़ा न रहा ।ठंडी रातों को एक ब्लेड मेरी स्किन को काटने को तैयार रहता, आख़री मिनट पे ही पीछे हटता ।हर अगली सांस के नाम पे, एक आंसू भी गिरता था ।मुझे ये सब उस दिन तक याद है, जब मैं उस दुकान के सामने ठिठुर गयी जहां - आप कह सकते हैं कि - मेरा व्यापार हुआ था ।
उस ठिठुरने के बाद क्या हुआ, कुछ याद नहीं ।उसके बाद के छ महीने एक बड़े काली काले बादल से याद हैं, जिसका साया सारे समय मेरे ऊपर लगा रहा ।
आज बीस की हूँ, थोड़ी और मैच्युर, अपने को और आज़ाद, खुश, दमदार बनाने की कोशिश में जुटी हूँ ।ऐसे में चाहती हूँ कि पूरी व्यवस्था को उसकी गलतियों के लिए ज़िम्मेदार ठहराया जाये । जिनकी वजह से मेरी ये हालत हुई थी । हमारी भारतीय संस्कृति का एक गहरा हिस्सा है - "बड़ों की इज़्ज़त करो '- छोटी उम्र से ही हम बच्चों पे बड़े सारे तौर तरीके थोपे जाते हैं ।"अंकल आपसे बड़े हैं, आपसे ज़्यादा तज़ुर्बा है, अंकल सब कुछ जानते हैं, आप अंकल को करेक्ट नहीं कर सकते "।
बच्चे ये घुट्टी पी जाते हैं और बिना सोचे, उनसे बात करने वाले हर अंकल पे निर्भर करने लगते हैं । उन्हें ये नहीं पता होता कि एक रिश्ता दो तरफा होता है, जहां खुल के आपसी बात होती है, एक दूसरे की इज़्ज़त होती है । उनके हिस्से दमनकारी रिश्ते पड़ते हैं। जहां अंकल आपको कुछ बताएँगे तो आपको बात माननी होगी, नहीं तो अंकल नाराज़ हो जाएंगे! अक्सर औरतों को पता ही नहीं चलता कि उनकी ग्रूमिंग हो रही है ।ये इसलिए होता है क्यूंकि उनको ये पोथी पढ़ाई गयी है कि आदमी, खासकर बड़े उम्र के आदमी, सब कुछ जानते हैं और आपको उनसे सवाल नहीं करने चाहिए ।
हम ये मान के बैठे हैं कि रिश्ते तभी सही होते हैं जब आदमी औरत से उम्र में बड़ा होता है । ग्रूमिंग, रोमांस को लेके इस किस्म की सोच का ही नतीजा है ।ऐसे रिश्ते बराबर के नहीं होते । ग्रूमिंग वाले रिश्ते वो आदमी बनाता है, जो अपने जीवन के और पहलू कण्ट्रोल ही न कर पा रहा हो । इस रिश्ते में वो अपना सारा कण्ट्रोल जताता है ।
जो ग्रूम करते हैं, वो अक्सर चिकनी चुपड़ी बातें करके बच्चे को फुसलाते हैं, उसे ये बताते हैं कि वो और बच्चों से अलग है।
वो आपको इस बात पे यकीन दिलाएगा कि वो आपके माता पिता जैसा नहीं है, बल्कि एक स्पेशल बड़ी उम्र वाला दोस्त है । कि आप दोनों का रिश्ता एक दम स्पेशल है, और आपके माता पिता उसे समझ नहीं पाएंगे, इसलिए उनसे ये बात शेयर मत करना ।
और बस, कुछ ही दिनों में वो आपके ज़िंदगी के हर पहलू को कण्ट्रोल करने लगेगा, आपके माँ बाप से कहीं ज़्यादा कण्ट्रोल ।आप फलां जगह जा नहीं सकते, इस-इस से मिल नहीं सकते ।क्यूंकि अपनी जवानी में आपके इस अंकल ने ये सब किया है, वो जानते हैं कि ये सब कितना 'खराब' है और तुमको उस से बचाने की कोशिश कर रहे हैं ।
यानी अचानक अपनी ज़िंदगी को बदलने और बहुत कुछ सीखने के मौकों से तुमको दूर रखा जाएगा ।एक आज़ाद शख्स बनने से रोका जाएगा, जिसकी ज़िंदगी के अलग अलग रंग उसे बहुत कुछ सिखाते हैं ।आखिर क्यों ? क्यूंकि अंकल को पसंद नहीं ।अगर तुम अपना भला बुरा खुद सोच के अपने फैसले लेने लगो, तो उसपे कौन निर्भर होगा ? कहीं तुम उससे बेहतर बन गए तो ?
हाँ, वो चाहता है कि तुम फलो फूलो, पर उससे आगे निकल जाओ - ये उसे पसंद नहीं ।अगर तुम अपने को ऐसी सिचुएशन में पाते हो, तुम्हारे साथ ये कभी हुआ है या हो रहा है, तो याद रखो -उसे ज़्यादा पता है ? वो उम्र में बड़ा है ? उसको ज़्यादा तजुर्बा है ?
ठीक है। तो उसको पता होना चाहिए कि उम्र में अपने से बहुत छोटी औरतों को अपने साथ यूं उलझाना नहीं चाहिए । ऐसी जवान औरतों को, जो अभी दुनिया को समझने की कोशिश में हैं ।
ऐसे किया, तो गलती अंकल की है । हमेशा अंकल की ही रहेगी
गलती अंकल की, सज़ा मुझे, समझी देर से!
'बड़ों को इज़्ज़त' जैसे संस्कार औरतों के मर्ज़ी पर कैसे हावी होते हैं
लेख - अनिका एलिस बेबी द्वारा
चित्रण - अनार्या द्वारा
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