मैंने हाल में ही अपने एक दोस्त को बताया कि आजकल मैं जिन पुरुषों से मिलती हूँ उन सबसे यही कहती हूँ कि मैं उनसे प्यार करती हूँ। मेरे उस दोस्त ने मज़ाक में कहा, समाज सेवा? थोड़ा हास्यप्रद तो है, लेकिन ऐसा नहीं है कि मैं जिन भी पुरुषों से मिलती हूँ उन सबको सचमुच ऐसा कहती हूँ कि मैं उनसे प्यार करती हूँ। बात यूँ है कि आजकल मैं दुनिया के प्रति ज़्यादा उदार हो गई हूँ।
मैं खासकर अपने पूर्व प्रेमियों के प्रति मेहरबान होने लगी हूँ। थोड़ी अटपटी भावना है। वैसे, मैं कोशिश करती हूँ कि मैं उस सब के बारे में ना सोचूं जो उन्होंने मेरे साथ किया, या जो मैंने उनके साथ किया, या जो हमने खुद के साथ किया, तब, जब हम साथ थे। अब तक इस सब के बारे में सोचने से मेरे अंदर वही भावना जगती थी, जो तब जगती है, जब TV पर कुछ शर्मनाक चल रहा हो, और मन करता है कि मैं झट से चैनल बदल दूँ। जैसा मैंने पहले कहा, ये सब मेरे अब तक का हल था। पर अब, कुछ वर्षों से, मुझे एक भले आदमी से बेहद प्यार मिला है, अभी भी मिल रहा है और मुझे लगता है अब मैं वही प्यार बाँट रही हूँ।
कुछ साल पहले मेरा मित्र B, जो मुझसे पांच साल बड़ा है और काफी सहनशील है, मेरे उस समय के बॉयफ्रेंड से मेरे रिश्ते टूटने के मेरे दुःख और आंसू को महीनों से देख-सुन रहा था। इन सारे रोने धोने, तर्क-वितर्क, बहसा-बहसी के पीछे यह एहसास था कि शायद ऐसा होना तय था। हम दोनों एक दूसरे के लिए ही बने थे, मेरा बॉयफ्रेंड और मैं, स्पष्ट और विचित्र और दहकते गुलाबी वस्त्रों में, दुबले और सुडौल, मतलबी और सनकी, हम दोनों एक दूसरे के लिए ही बने थे। लेकिन मेरा दोस्त B बस चुपचाप मेरी बात सुन रहा था। मुझे ये नहीं पता था कि वो उन्हीं दिनों अपनी बहन की भी ऐसी ही व्यथा सुन रहा था। उसकी बहन का प्रेमी बुरे तरीके से उसका शोषण करता था। उसने मुझे अपनी बहन के बारे में कुछ महीनों बाद बताया था। B ने मुझसे कहा, "कभी कभी वो बताती है कि उसे याद आता है कि उसका शरीर कितना लम्बा और खूबसूरत था, और मैं बस हामी भर देता हूँ।" ये बताते बताते वह मुस्कुरा रहा था, हंस रहा था। मैं भी उसके साथ हंसने लगी। क्यूंकि वो आदमी, जिसके बारे में मैं अब तक विश्वास नहीं कर पाई थी कि उसने मुझे छोड़ दिया है, उसका शरीर भी वैसा ही लम्बा और खूबसूरत था। हम छोटे कद वाले लड़के-लडकियां जो कि उनसे काफी पीछे रह गए, उन लम्बे शरीरों के बारे में प्यार से सोचकर बस मुस्कुरा सकते हैं। क्योंकि जब हम बेतुकी सुंदरता को खो देते हैं तो हमें वो बेतुकापन, वो सौंदर्य, और वो खो देना- सभी कुछ को एक साथ गले लगाकर स्वीकार करना होता है। ऐसा ना करने से सिर्फ कड़वाहट रहेगी, और ये कौन चाहेगा जब आप खुद अपने ही शरीर पर हाथ फेरते हुए उस शरीर को महसूस कर सकते हैं।
हमारे अंतिम बार मिलने के 15 साल बाद भी, उसकी मुस्कराहट, उसके काट खाने लायक निचले होंठ की यादें मुझे कामुकता से झकझोर देती हैं। क्यूंकि हमारी दुनिया के अति विशिष्ट लोगों के एक सम्मलेन में जाते वक़्त मैंने उसके उन होठों को काटा था। क्यूंकि हम उस सम्म्मेलन में कभी पहुँच ही नहीं पाए। हमने उस कार में वह सब किया जो हम कर सकते थे क्योंकि मेरा एक बॉयफ्रेंड था और वह भी मुझे बता नहीं पाया कि कोई लड़की घर पे उसका इंतज़ार कर रही थी। (आप समझ रहे हैं ना ये सब कहाँ जा रहा था !)
जब मैं बूढ़ी हो जाऊंगी, उन अति विशिष्ट लोगों के साथ डिनर मिस करना मुझे याद रहेगा, और याद रहेगा कार में वो रुकती- चलती- रुकती सेक्स की प्रक्रिया । मुझे याद रहेगा लंबी -लंबी घास की कतारों के बीच उसका मेरे कुंदे (butt) पे चिकोटी काटने का प्रयास करना और अचानक सकते में आना, मेरे किकियाने की वजह से नहीं बल्कि उस टूरिस्ट बस की वजह से जो उसी वक़्त वहाँ आकर रुकी। मुझे याद रहेगा एक बक्से जैसे छोटे बाथरूम में दरवाज़ा खुला रखकर नहाना क्योंकि उन खुली वादियों में हम दरवाज़ा बंद करना उचित नहीं समझते थे, क्योंकि हम घमंडी बच्चे थे और क्योंकि हमारे निकम्मे जवान शरीरों की रेखाओं और मोड़ों की वादियों में हमने एक अपनी अलग एकांत दुनिया बना ली थी, और वहां उस पहाड़ी पर हमें यूँ लगता था कि उस दुनिया को कोई और नहीं भेद पायेगा। मुझे याद रहेगा। और शायद उसे भी याद रहेगा, किसी और को नहीं। कोई हमारे उस गंधर्व काल के बारे में नहीं जान पायेगा।
हम क्या थे ये याद रखने के लिए हमें हमारे पूर्व प्रेमियों की उतनी ही ज़रूरत है जितनी कि अपने भाई-बहन और ख़ास बचपन के साथिओं की। उनको ही पता होता है कि जांघ के अंदरूनी हिस्से पे घाव के निशान बाड़े के कांटेदार तार के दूसरी तरफ बुरी तरह छलांग लगाने से हुई है, वो ही जानते हैं कि आप कैसे दन्त चिकित्सक के पास जाने से बेहतर मरना पसंद करने वाले इंसान बने, या वो इंसान जो चाहता हो कि वो मज़ाक ना समझ पाने वाले लोगों के प्रति सहनशील रहे लेकिन नहीं रह पाता है। हम वो कैसे बने जो हम हैं, अजीब तरीके के निन्दनीय, चिड़चिड़े और आनंदित, जो कि हम हैं? सिर्फ परछाई को पता है। और उस बचपन के साथी को। और उस पूर्व प्रेमी को।
अब मैं एक 9 से 5 वाली नौकरी के साथ एक शांत ज़िन्दगी जी रही हूँ। मेरे पास म्यूच्यूअल फंड्स (mutual funds) हैं। मेरे पूर्व प्रेमियों की यादों के बीच एक ऐसी अबला औरत छिपी है जिसने अपने दृष्टिकोण पे भरोसा रखते हुए, अपनी योनि की सनसनाहट और अपनी लैंगिक थरथराहट के पीछे चलते हुए पूरा देश घूम लिया। यूँ कहते हुए मैं उस महिला जैसे बन जाती हूँ जिसके बारे में रोबर्ट पामर ने यह गीत गाया था।
वो अपरिहार्य (unavoidable) है। उससे बचने का कोई सिरा नहीं, मैं अटक गया हूँ, निराशाजनक परिस्थिति में हूँ।
वो मुझे ऐसा ऐसा एहसास दिलाती है जो पहले कभी महसूस ही नहीं किया।
मैं वादे तोड़ रहा हूँ, और वह सारे कानून।
पहले भी वह मुझे खूबसूरत दिखती थी पर अब उसे देख कर काबू नहीं रख पाता हूँ।
लेकिन मेरे साथ ऐसा ना था, लोग काबू रख पाते थे। मैं अनिवार्य नहीं थी। मैं अजीब सी, बदसूरत, अजीब कपड़े पहनने वाली, चर्बीदार थी। लेकिन फोन पे बात करते वक़्त मैं सोफे पे आरामपसंद बन, बेमन,अर्धनग्न होके भी बैठी रहती थी, ऐसा दिखाते हुए की मुझे पता ही ना हो कि मेरा प्रेमी आदम ज़माने के एक SLR से मेरी तस्वीर उतार रहा था। दुनिया में कहीं एक ऐसी टूटी-फूटी फिल्म रोल है जिसमें 25 के उम्र वाले मेरे स्तन, मेरे पैरों की उँगलियां, मेरी नाक और एक समय की मेरी योनि, जो एक साथ दुविधापूर्ण भी थी, और साहसी भी, की तस्वीर हैं। हम 'खास खूबसूरत नहीं ‘ लडकियां तार में फिरी चमेली की तरह इंतज़ार करते नहीं बैठ सकती हैं। हमें कौवों की तरह उड़ना पड़ता है, कोलाहल से भरे, सुधार से परे, और इस विश्वास में कि कोई हमारे चमकीले काले पंखों को देखेगा और हमारे साथ उड़ान भरेगा।
सुन्दर हों या बदसूरत, हम लड़कियों की उपयोगिता ख़त्म होने का कगार इतनी जल्दी आ जाता है की 28 की उम्र में ही मुझे रूखापन और उदासीनता महसूस होने लगी और ये पक्का विश्वास हो गया कि अब सब ख़त्म हो गया है। फिर प्रवेश हुआ मेरे उस पूर्व प्रेमी का, जिसका हर कोई हकदार होता है। नेकदिल, आकर्षक, ऊर्जा से भरा हुआ। जो तब तक आपके पास रहता है, जब तक आपको रोमांस की याद ना आ जाये। बस इतनी देर कि म्यूच्यूअल फन को आप म्यूच्यूअल फण्ड समझने की गलती ना कर सकें। वह उम्र में मुझ से छोटा था, पांच साल छोटा। हाँ, थोड़ा जोखिम भरा लगा, पर शायद नहीं भी, क्यूंकि यह किसी ऊंचे ट्रैपीज़ एक्ट की तरह हुआ जहां और कुछ सोचने का वक़्त भी नहीं था।
मैं काम के लिए मुम्बई गई। कुछ महीने पहले उसने मुझे एक डेटिंग साइट पर पिंग किया था और मैं काफी दोस्ताना भी थी, बिना यह कल्पना किये कि उसके और मेरे बीच कुछ भी समानता होगी। जिस दिन मैं मुंबई पहुंची, उसने फोन करके कहा कि क्यों ना हम कहीं ड्रिंक्स पे मिलें? मेरे दोस्त के घर के बाहर ही, जिस टैक्सी में वो आया था, उसी टैक्सी में मैं बैठ गयी और फिर उसने मुझे कुछ कहा, मैंने उसे कुछ कहा और अगले पांच दिन तक हम बातें ही करते रह गए। लेकिन उस वक़्त दूर उपनगर में आहिस्ते-आहिस्ते चलते हुए उस टैक्सी में मुझे ऐसा कभी नहीं लगा की हम दोनों अगले एक हफ्ते तक ऐसी गतिविधियों में संलग्न रहेंगे जो मुझे एक दशक बाद भी गर्मजोशी का एहसास देगा। हम एक क्लब में गए और आधे घंटे के बाद ही हम डांस फ्लोर पे एक दूसरे को ऐसे नोच रहे थे जैसे मेरे अनुभव से सिर्फ फिल्मों में ही होता है। वह दृश्य तो देखा ही होगा जब दरवाज़ा खुलता है और प्रेमी जोड़े तेज़ी से अपार्टमेंट में भागते हैं, एक दूसरों के कपड़े खींचने लगते हैं, दीवारों को पीटते हैं, इन सब के बीच सांस के लिए होठों को होठों से लगाए, हे भगवान्, क्या हम इस लिए नहीं चूमते कि हम सांस ले पाएं? हम क्लब से भागते हुए निकले, आँखें एकदम जंगली, जोशीले चुम्बनों के कारण मैं लाल हो गयी थी, पसीने से चिपचिप, और वहीँ कहीं लेट जाने को तत्पर थी। हम अपने दोस्त के घर लौटे और एक हास्यप्रद तरीके से खड़े खड़े ही सेक्स किया। उसी रात, एक और ऐसी घटना हुई जिसे मैं तब तक फालतू फिल्मों की झूटी रचना मानती थी: उसने मेरे साथ ज़बरदस्त सम्भोग किया और मुझे काफी मज़ा आया। लेकिन मेरे अंदर उसके ठेलने से मैं अपने दोस्त के ड्राइंग रूम की ठंडी फर्श पे उस से थोड़ी दूर फिसल जाती थी। वह मुझे ऊपर खींचता था, उसके ठेलने का झटका लगता था और मैं फिर नीचे फिसल जाती थी। उसने बाद में मुझे बताया उसको इसमें मज़ा आया क्यूंकि उसने ये मान लिया था कि मैं जानबूझ कर इच्छा ना होने का नाटक कर रही थी। मैंने उसे सच्ची बात नहीं बताई, इसलिए नहीं कि मैं उसकी भावनाओं का ख़याल कर रही थी या उस संभोग की कामुकता को बरकरार रखना चाहती थी, बल्कि इसलिए क्योंकि उसका इसमें ये सोचकर शामिल रहना कि हम कोई रोल-प्ले कर रहे हैं, मुझे बिजली के झटके की तरह उत्तेजित कर रहा था।
उसके बाद पूरे हफ्ते हमने गेटवे ऑफ इंडिया के घाट से निकलती नावों में, ट्रेनों में, रेस्तरां के प्रकोष्ठों (courtyards) में, सूनी गलियों में कारों के गर्म हुड पर, बैंडस्टैंड के चुभने वाली- तेज चट्टानों पर , पेटागोनिया (patagonia) के किसी पेंगुइन जोड़े की तरह प्रेम के प्रसार में शामिल होकर, संभोग किया। एक हिजड़े ने मुझे चेतावनी दी कि चिकने लड़के बड़े कंजूस होते हैं, और मेरे पार्टनर को उस नज़र से देखा जिसे हम आज तिरछी नज़र (side-eye ) कहते हैं। आज मुझे एहसास है, कि वो भले ही चिकना रहा हो, पर वो भी खुद को एक कौवा मानता था, एक अंकुरित जास्मिन की तरह। उस हफ्ते एक शाम उसने ऐसी जुर्रत की थी, जिसकी याद मुझे आज भी तड़पा जाती है, जैसे कि आज भी मैं टैक्सी के उस पीछे वाली सीट पे बैठी हूँ। उसने मेरी स्कर्ट खोली और मेरा अंडरवियर भी निकाल दिया और फिर अपनी मोटी-मोटी उंगलियां मेरे अंदर डाल दीं थीं। टैक्सी के अंदर ही मेरा मलिन समुद्र बहने लगा, मलिन बॉम्बे, सेक्स की मलिन गंध। टैक्सी चालक ने अपनी नाक उठाई और हमारी आंखें पीछे के दर्पण में मिलीं। मैंने अपने पैरों को समीप लाने की कोशिश की तो मेरा पार्टनर एकदम बोला, "पूरा खोलो"। मैंने खिड़की से बाहर देखा, शहर संयत ढंग से गुज़र रहा था और मैं भींगती, हांफती, निशब्द, उन्माद तक पहुँच रही थी। वो एकमात्र शब्द जो हमने चर्चगेट से बांद्रा तक के पूरे सफर में एक-दूसरे से कहा, वो था "पूरा खोलो।"
मेरा वो छोटा दोस्त अब बड़ा हो चुका है। सोशल मीडिया पर मैं देखती रहती हूँ कि उसके अशिष्ट लक्षण ना जाने कौन सी प्रक्रियाओं से एकदम पॉलिश हो गए हैं। ये मेरे लिए रहस्यमय है क्योंकि उस सप्ताह के बाद वास्तव में हम कभी नहीं मिले। मैंने संपर्क में रहने की कोशिश की लेकिन हमारे बीच कुछ भी तो कॉमन नहीं था, और ये बात वो भी जानता था। उस वक़्त मैं चिड़चिड़ी हो गई थी, लेकिन वो सिर्फ मेरा लालच था। आज जब मैं उसको उसकी डिस्प्ले फ़ोटो (DP on social media) में सूट में देखती हूँ, उस परिचित, मीठे, गठीले, देसी कुत्ते सी मुस्कान लिए, तो मन मंगल- कामना से भर उठता है।
ये सुनकर आपको ऐसा लग रहा होगा जैसे कि मैं उन महिलाओं में से एक हूँ जो मानती हैं कि ब्रह्मांड आपकी देखभाल करता है और ब्रह्मांड के होने की कोई वजह ज़रूर है, और चलो फिर सेहतमंद ग्रीन टी पीते हैं। लेकिन ऐसा हर्गिज नहीं है। कभी-कभी जब मैंने इन पुरुषों के साथ ब्रेकअप किया या उन्होंने मेरे साथ ब्रेकअप किया या कभी जब हम एक-दूसरे से नीरस आंखें और लटके चेहरे लेकर दूर हुए, तो मैं उदास, क्रोधित, दुखी और चिंतित हो जाती थी, ये सोचकर कि शायद मैंने अपने कौए वाले गले से उन पुरुषों को गटकने की कोशिश की और वो भाग गए। लेकिन जब एक दयालु एकाउंटेंट (वास्तव में वो एकाउंटेंट नहीं था, पर डेटिंग की दुनिया में ऐसा ही कुछ माना जा सकता है) ने के बार ये संकेत दिए कि वो और स्थायी तरीके से मेरे बारे में सोच रहा था, मैं बस उससे दूर भागने के उपाय सोचने लगी। वह निर्दोष रूप से उदार था, खाना भी पकाता था, ड्राइव पे ले जाता था, मेरे चुटकुले पर आंखें मटकाकर हँसता था। मैंने उसे बड़ी आसानी से बहका (seduce) लिया था और समान तरीके से उसे समझा भी दिया था कि अगर हमारे तरल पदार्थ उसकी चादरों पर गिर भी गए, तो कोई बात नहीं है, हमें तौलिए की वाकई जरूरत नहीं है। मैं भाग निकली जब मुझे महसूस हुआ कि वो मुझे एक रक्तहीन वैवाहिक घात देने का प्रयास कर रहा था। जब मैंने उसके एक उपयुक्त दुल्हन से शीघ्र हुई शादी के बारे में सुना तो मेरी आँखे गोल-गोल घूमने लगीं। मुझे वो दोपहर याद आयी, जब मैं अपनी आंखों को एक किताब के पीछे चिपकाकर रखती, तब जब वो अखबार से पढ़-पढ़ कर मुझे खबरें सुनाता। मैं एक सब कुछ ढंग से करने वाला, बापनुमा इंसान, जिसे लगता था कि वो सब जानता है, के साथ शादी करने से खूब बची, और आख़िरकार भाग निकली।
जब मैं कई वर्षों बाद उससे टकराई तो उसे पहचान ही नहीं पायी। पूरे एक मिनट तक। और फिर तुरंत ही उसके हल्के रंग की शर्ट, उसकी बेटी के घेरेदार (bouffant) फ्रॉक और उसकी उन्हीं मटकती आँखें देख मुझे वो दोपहर याद आयी जब वो दूसरे शहर से मेरे घर बस इसलिए आ गया था क्योंकि उसे मेरी आवाज़ में एक उदासी सुनाई दी थी।
क्या हमारे पूर्व प्रेमियों के साथ फिर से कुछ समय बिताना मज़ेदार नहीं होगा? एक दोपहर, एक शाम, एक रात लिपटी हुई उंगलियों और सटे हुए घुटनों के साथ, एक ही तकिए पर सिर रखे हुए। एक दूसरे को देख मुस्कुराते हुए और हम जो हुआ करते थे, उसपर भी।अपने पूर्व प्रेमियों को प्यार करना, अपने पुराने बेढंगे रूप को प्यार करने का दूसरा मौका होता है। रॉबर्ट पामर के शब्दों में एक बार और कहें तो-
वह तारीफ़ की हकदार है, मैं आत्मसमर्पण करता हूँ क्योंकि
वह मुझे अच्छी तो लगती थी, लेकिन आज वो
सम्मोहक नज़र आती है, एकदम सम्मोहक।
जब मैं अपने पूर्व प्रेमियों के बारे में सोचती हूँ, तो सिर्फ मेरे पेस्टल शर्ट वाले अकाउंटेंट, जो मुझसे शादी करना चाहता था, के बारे में नहीं सोचती। मैं उस लड़के के बारे में भी सोचती हूँ जो मुझे अकाउंटेंट जैसा ही लगा था और इसलिए मुझे लगा कि वो खतरा रहित होगा। हम केवल तीन शाम ही एक साथ बाहर गए थे, लेकिन उसने हर शाम मेरा हाथ पकड़ा और बस स्टॉप पे घूमते-फिरते हुए मेरी हथेली से समेटे हुए अंगूर भी खाये थे।
मैं उन लड़कों के बारे में भी सोचती हूँ जो वास्तव में मुझे नहीं चाहते थे, जिन्होंने अपनी बोरियत या अकेलेपन से त्रस्त दिनों में मुझे एक सुरक्षित, अनिच्छुक एकाउंटेंट के रूप में देखा था। एक बार एक आदमी था जो इस कदर सुन्दर था कि युवा और बुजुर्ग महिलाएं, दोनों ही उठकर उस पर प्यार से मुस्कुरा देती थीं। मेरे मन में भी उसके लिए काफी तीव्र भावनाएं थीं। इसी तीव्रता और तड़प के बीच मेरी नज़र ने उसे परखा भी था और उसके अंदर के अजीब से अंकल को भी पहचाना था। लेकिन इन्हीं सब भावनाओं के उधेड़-बुन के बीच उसने मेरी छोटी सी रसोईघर में तरबूज का रस बनाया और मुझे मोटरसाइकिल की लंबी राइड पे ले गया और समुद्र में मेरे साथ तैराकी भी की। इन्हीं सब भावनाओं के उधेड़-बुन के बीच उसने एक पार्टी दी और वहां अपने अनुगामी सभी युवा पुरुष, जो मेरे साथ फ़्लर्ट कर रहे थे, उन्हें देखता रहा। मैंने चांदी से सजी हुई एक मिडनाइट ब्लू रंग की लंबी ड्रेस पहनी थी और उस शाम को, उस छत पर, कौवे से अधिक चाँद से मेरी तुलना की जा सकती थी। जहां दूसरे लड़के मेरे चुटकुलों पे बहुत हँसे और मेरी ओर झुकते चले गए, वहीं मेरा हैंडसम झुंड का लीडर सब देखता रहा। उनकी चाहतों से गर्म होती आंखों की रौशनी से प्रभावित होकर उसने आकर मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया। मुझे उसकी वो हरकत नाँद वाले कुत्ते की तरह लगी , और साथ ही साथ मानवीय भी लगी, और मैंने हम दोनों के लिए गहरी सांस ली। एक और पार्टी के बाद, जो इस बार मेरे घर पर थी, मैं उसका हाथ पकड़कर उसे अपने छोटे बेडरूम में ले गई। घर लोगों से भरा हुआ था, लेकिन मुझे यकीन था कि सेक्स करने के लिए हम कुछ समय चुरा सकते थे। पर बिना दर्शकों के, वो भेड़ियों का सरदार, मेरे साथ संभोग ही नहीं करना चाहता था। शायद वह आम तौर पर सेक्स करना ही नहीं चाहता था, लेकिन मुझे तो उस समय बस यही लगा कि वह बस मुझे नहीं चाहता है, कि वह मुझे नहीं, नहीं, नहीं चाहता है। लेकिन कौवे इतनी जल्दी हार नहीं मानते हैं। मैं अपनी निराशा को छिपाकर मुस्कुराई, उसके पैंट की ज़िप खोली और उसके शिश्न को चूसने लगी। मैं आश्चर्यचकित थी कि उसका लिंग भी एक बहुत ही महँगे बेकरी के समान की तरह सुन्दर, चमकदार और सुगंधित था। उसने थोड़ा सा आनंद लिया लेकिन फिर वो मुझे रोकना चाहता था। मैं रोना चाहती थी। लेकिन मुझे याद आया, कि मैं ही वो लड़की थी जिसके घर पार्टी चल रही थी, और पार्टी होस्ट कभी रोते नहीं हैं। और अंकल जी अपने तरीके से दयालु भी हैं। उसने मुझे अपनी सुंदर, चमकदार, सुगंधित छाती पर लिटाया और हम सो गए। मैं उसी गर्म आलिंगन में उठी। अगले कुछ महीनों के दरमियाँ, जब वो समझने की कोशिश कर रहा था कि मेरे साथ क्या करे, हमने एक बार भी किस तक नहीं किया। लेकिन उस सुबह मैं मुस्कुराते हुए उठी थी, अलविदा कहने को तैयार।
ये बात दोहरा दूँ कि मैं ग्रीन टी पीने वालों में से नहीं हूँ, और सच बोलना पसंद करती हूँ। कई महिलाओं की तरह मेरे भी एक या दो ऐसे पूर्व प्रेमी थे, जो वास्तव में भयानक थे। उनमें से एक ने लगभग मुझ पर हाथ उठा ही दिया था, लेकिन शायद अगर उसने हाथ उठा लिया होता तो मुझे उसे जल्दी छोड़ने में मदद मिलती। मुझे उसके बेहतरीन बहुभाषी चुटकुले और तमिल गीत, जो वो सर्दी की रातों में हमारी गाड़ी में बैठकर गाता था, और उसका हर बार मेरे चले जाने की काल्पनिक सोच से ही रोने लगना, सब याद है। (वास्तविकता में मेरा उसे छोड़कर जाने पर या फिर उन सब भयानक चीजों पर, जिनकी वजह से लोग उससे दूर भागते थे, उसे कभी रोना नहीं आया)। वह एक ख़राब इंसान था और हर बार जब मैं उसे देखती थी, वो मेरा दिल तोड़ जाता था। वह एक बदसूरत, काटने वाला, चिड़चिड़ा कुत्ता था, जिसे कोई खाना भी ना खिलाना चाहे, लेकिन उसने मुझे काट खाया। उसकी असीम अयोग्यता ने हमें एक साथ रखा। हमने हिंसक यौन संबंध बनाये और हिंसक भूमिकायें (role-play) भी निभाईं, और मुझे अपने बारे में काफी गंदा और अनावश्यक सामहसूस होने लगा था। जब मैंने उसे छोड़ा तो मैंने लड़कों के कैसीनो में एक उच्च रोलर बनने के लिए खुद को धकेल दिया। मैंने पासा फेंका, मैंने ब्लैकजैक खेला, मैंने स्लॉट मशीनों को गले लगाया। फोन पर, चैट पर, बार और बसों में, नशे में और शांत रूप में, रात में या दिन में, मैं लोटने के लिए तैयार थी। मैंने लड़कों को चूमा, कईयों को जकड़ा, हाथ पकड़कर कुछ के साथ उन गानों पर डांस किया जो एक दूसरा साथी मुझे फोन पर लंबी दूरी से सुना रहा था। मुझे छह महीने और एक दर्जन पुरुष लगे, और तब जाकर मैंने खुद को फिर से साफ और जीवंत महसूस किया।
इस साल मैं उस लड़के से टकराई जिसे मैंने एक दशक पहले पूरी ईमानदारी और असमान रूप से प्यार किया था। वह ऐसी किसी श्रेणी में नहीं आता है, जिसे कोई नाम दिया जा सके। वह पूर्व प्रेमी नहीं है। हमने कुछ भी किए बिना कई वर्षों तक चुंबक-चुंबक आकर्षण वाला खेल खेला। एक अभिशप्त (doomed) दिन मैंने उससे कहा कि मैं उससे प्यार करती थी और वह ऐसे हँसा जैसे मैं उसे कोई मजेदार कहानी सुना रही थी। उस दिन मैं रोई थी। मेरे अकेलेपन से भरे जीवन ने मुझे इतना बेचैन कर दिया कि मैं एक ऐसे आदमी के साथ बंध गई जो आगे जाकर मेरा उग्र पूर्व प्रेमी बना। मैंने चुंबक को अलविदा कहने की कोशिश की और उसने ‘मुझे तू नहीं चाहिए पर किसी और की भी ना होना' किस्म का व्यवहार किया, मेरे रोमांस करने की कोशिश पर ऐसे अवमानना दिखाई कि मैंने कई सालों तक उससे दूर रहने की शपथ ली। लेकिन पिछले कुछ सालों में जब भी हमारी छोटी-छोटी मुलाकात हुई है, या हम एक दूसरे से टकराकर गुजरे हैं, तो मुझे एक शुद्ध, निर्विवाद प्रेम महसूस होता है, और कसम से उसकी तरफ से भी ऐसा ही कुछ प्रतीत होता है। पिछली बार जब हम अलविदा कहने के लिए मिले थे, तो गले लगाते समय मैंने उसकी गर्दन के कोने को चूमा था। हर बार जब मुझे लगा कि उस शाम मुझे अपना सिर घुमाकर उसे किस कर लेना चाहिए था, मुझे इस बात का आभार लगा कि हमारे आस पास और लोग थे, और इसका भी कि योनि में उठी उस परिचित सनसनाहट के बावजूद मेरे अंदर प्यार का एक सहज बहाव था। (बुरी योनि, बुरी। मैंने तुम्हें बहुत याद किया)।
घर जाने के रास्ते में मुझे एक अपमानजनक विचार आया। क्या वो जानता था कि वो सनसनाहट कभी गई ही नहीं? उसका स्पर्श, उसका थपथपाना, उसका साइड-हग्गिंग (आलिंगन), इन सबका मतलब क्या था? क्या मेरी जरूरतें अभी भी पारदर्शी थीं?
लेकिन सच्चाई यह है कि अब मैं कोई घबराहट से भरी नौकरी आवेदक नहीं हूँ, जो कि इंटरव्यू और सामूहिक चर्चा (group discussion) के बाद बहाली का इंतजार कर रहा हो। पहले जब मैं उसके द्वारा 'मुझे पसंद करने, मुझे चुनने, मुझसे प्यार करने' के इंतजार में लटकी हुई थी, मेरे अजीब जीवन से कुछ भी हमारे कामुक तनाव भरे बुलबुले में प्रवेश नहीं कर पाया था। मैं उसे उसी तरह संभाल कर रखने के प्रति सावधान थी। लेकिन अब जब जब मैं अपने जीवन के ये 'गंदे' किस्से सूना रही हूँ, मुझे लग रहा है कि तराजू के मेरे खाली से पाले में भारीपन आया है।
अब मैं प्यारी सी कर्मचारी नहीं रही, साहिब के इशारों पर ध्यान लगाए हुए (हालांकि तब भी मैं उस कर्मचारी की नकल मात्र ही कर पाती थी)। दरमियाँ के सालों में , हम दोनों ने दुनिया देखी, दोनों ही राक्षसी नाविकों और खतरनाक जल परियों से बचकर घर लौटे हीरो- यूलीसिस - कहलाये जा सकते थे। और हम दोनों पेनेलोप,यानी, यूलीसिस की पत्नी भी हो सकते थे, जिसे घर छोड़ा गया हो। और हर बार जब वो मुझे छूता था, मुझे याद आता था कि कभी मैं एक आवेगपूर्ण कामुक रूप से मचाने वाली होती थी ।
मेरी ज़रूरत, अतीत या वर्तमान, पारदर्शी या अपारदर्शी, जो भी थी, उसके लिए मैंने कभी शर्मनाक महसूस नहीं किया। अगर मैंने उस समय उससे उस आवेश से प्यार नहीं किया होता तो मैं आज कौन होती। एक दूसरे गीत के शब्दों को बुरी तरह उलझा कर सुनाऊं तो "भगवान ने उस टूटी हुई सड़क को आशीर्वाद दिया, जिसने मुझे तुमसे दूर, बहुत दूर किया।"
मेरा ये चुंबकीय आकर्षण जिस से है, वो असल में मेरा पूर्व प्रेमी नहीं है, लेकिन वो निश्चित रूप से एक कामुक टाइम मशीन है। पूर्वी यूरोपियों में से एक ने कहा था- "जीवन की सबसे दर्दनाक स्थिति वो है जब हम उस भविष्य को याद करते हैं, जो हमारे पास कभी होगा ही नहीं।" मुझे लगता है कि सबसे दर्दनाक स्थिति वो है जब मैं चाहती हूँ कि मैं अपने स्पेशल यूलिसिस के साथ किसी टैक्सी में बैठकर अतीत की सवारी करूँ। इससे भविष्य असीम रूप से अधिक सहनशील और चमकदार हो गया होता, भले ही वर्तमान वाइन के गहरव रंग में रंगे समुद्र जैसा हो।
फोरसन एट हेक ओलिम मेमिनिस जुवाबीट, (forsan et haec olim meminisse juvabit)- उन लैटिन भाषी दोस्तों में से एक ने कहा था। मतलब, शायद किसी दिन इन चीजों को याद करना भी खुशी लाएगा। और ऐसा हुआ है और ऐसा ही होगा।
मैं और मेरे पूर्व प्रेमीयों के बीच का आकर्षक बंधन । मुझे उन सबसे प्यार है।
We need our exes like we need our brothers and sisters and favourite cousins to remember who we were
लेखन : एना किनी
चित्रण : देबस्मिता दास
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