मैं इंस्टाग्राम पर स्क्रोल कर रहा था, तभी मुझे उसपे एक एन.आर.आई दिखा, जो लगभग मेरी ही उम्र का था और म्यूजिकली (जो तब टिकटॉक कहलाता था) और इंस्टाग्राम पर एक इंफ्लूएंसर/प्रभावशाली शख़्शियत था। वो एक सजीले भारतीय मर्द और एक ख़ूबसूरत जर्मन महिला के लव मैरिज का रिजल्ट था। (मैंने सोशियल मीडिया पर उसे कई हफ्तों तक फॉलो किया)। पहले तो मुझे लगा मैं सिर्फ उसके अच्छे रूपरंग पर मोहित था।
जब लड़कों को लगता है कि कोई लड़का सही दिखता है , तो वो उसकी सराहना करते हैं । वो उनसे प्रेरित होते हैं, उनके जैसा बनना चाहते हैं। हालाँकि, मेरे लिए बात यहाँ खत्म नहीं होती थी। मैं किशोरावस्था से थोड़े आगे निकला ही था । उस समय जब मैं दिन में सपने बुनता था, मैं उन सपनों के किरदारों के लिए नए नए एडवेंचर भी सोचा करता था। कभी-कभी मुझे कुछ कैरेक्टर, नज़दीकियों वाले पल में भी दिखते थे, और कभी-कभी वो कैरेक्टर मेरे और उस सेक्सी एन.आर.आई जैसे भी दिखते थे।
मिस्टर सेक्सी एन.आर.आई को ढूंढ चुकने के कुछ महीनों बाद, मुझे पहली बार एक लड़की पसंद आई। मैं उससे 2016 के आसपास मिला था। अब हमारी बातचीत तक नहीं होती। हमने सालों से बात नहीं की है। मेरे लिए वो मेरी जिंदगी का एक अहम हिस्सा हुआ करती थी और ठीक एक साल बाद हमारा सम्पर्क बिल्कुल ही खत्म हो गया। उसके जाने के बाद, मुझे मानसिक रूप से अपनी हालत वापस ठीक करने में मुश्किल हुई। मैं काफी विचलित था। वापस ठहराव पाने में मुझे कई साल लग गए।
ऊपर से लड़कों वाला स्कूल था, सो माहौल भी मददगार नहीं था। ना मैं किसी से जुड़ सका, ना किसी से खुल कर बात कर सका। क्योंकि मुझे लगा कि कोई समझ नहीं पाएगा। सोलह साल के लड़के बेवकूफ होते हैं, मैं भी उनमें से एक था। ज़िंदगी कुछ समय के लिए तो मज़ेदार थी लेकिन भावनाओं को बोतल में बंद कर रखने से किसका भला हुआ है! मैं पहले माहौल में नया, उभरता हुआ लड़का था जो सबसे खुलकर बात करता, जो हर किसी के साथ मस्त रहता। अब मैं वो बन गाया जो सबसे अलग रहने लगा, खुद में सीमित रहने लगा, और कभी-कभी तो "वाइब्स के लिए अच्छा नहीं है", मेरे बारे में ऐसा माना जाने लगा। ऐसे में, अपने संदर्भ से उखड़ा- उखड़ा और अकेला फील करना, ये तो होना ही था।
ये ख़ुद से घृणा करने का दौर रहा, जो कई सालों तक चला। तब तक जब तक कि मैंने अपने सेक्सुअल झुकाव, अपनी असलियत को नहीं अपनाया।
धीरे-धीरे मुझे इसकी आदत हो गई। मुझे लगा कि ये एक प्यारे से लड़के के साथ बस एक दोस्ताना छेड़खानी थी। आख़िर बहुत बड़ा फ़्लर्ट था मैं। इससे किसी को क्या परेशानी हो सकती थी। पीछे मुड़कर देखने पर मुझे लगता है कि मैंने सोचा था कि मैं अपने तरीके से उन सब की सराहना कर रहा था जो मुझे दिखने में अच्छे लगते थे।
मिस्टर सेक्सी एन.आर.आई ने सफर शुरू किया। इन सालों में बहुत कुछ हुआ है, लेकिन हर किसी को अपना "पहला रिश्ता" याद रहता है।
ब्लेड जैसी सुपरहीरो फिल्में देखते हुए, मैं चमचमाते सिक्स पैक एब्स, पेक्स और वेस्ली स्निप्स के पिछवाड़े के आकर्षक मंज़र को देखना बंद नहीं कर पाया था। हैनिबल किंग के रूप में रायन रेनॉल्ड्स भी आंखों में बस गया था। साथ ही मैं खूबसूरत जेसिका बील और सुपर-हॉट डोमिनिक परसेल को ताड़ने में भी पीछे नहीं था। यहां तक कि आयुष्मान खुराना या आदित्य रॉय कपूर जैसे दमदार सितारों वाली बॉलीवुड हीरो की फिल्में भी मुझे कुछ इसी तरह का एहसास कराती थीं।
मैं सबके सामने चौड़े होके, खुलकर, सिर्फ मर्दों और स्टार्स के बिना कपड़े वाले सीन देख सकता था। क्योंकि इसे नॉर्मल माना जाता था। चलो इस धारणा का तो मैं आभारी हूँ। । पर जब बिकनी पहने औरतों की बात आती थी, पब्लिक में वो देखना रह गया (मेरी फैमिली को यह मत बताना कि मैंने ऐसा कुछ कहा था)।
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। मुझे पता था कि मैं औरतों की तरफ आकर्षित हूं। लेकिन कुछ खास ऐसे मर्द भी थे जो मुझे आकर्षक लगते थे। और ये अनुभव होता तो मुझे लगता कि मैं ही अजीब हूँ । मर्द जैसे कि रायन रेनॉल्ड्स, ब्रूनो मार्स। पोर्नोग्राफी से कोई सहायता नहीं मिली। विषमलैंगिक संदर्भों में जब सेक्स दिखाया जाता, तो उसमें मर्दों का सेक्स के दौरान कराहना, मुझे उत्तेजित करता था। और उससे मुझे घबराहट होने लगी।
जब मैं पिछले साल इंस्टाग्राम पर स्क्रॉल करते हुए एक तरह से खुद ही बर्बाद हो रहा था, तब आख़िरकार मैंने अपनी ही असलियत से खुद को अचंभित कर दिया। मैंने इस खूबसूरत यूरोपीय औरत का एक वीडियो देखा। वो मुझसे ज्यादा बड़ी नहीं थी। उस वीडियो में वो कॉसप्ले (किसी फिल्मी कैरेक्टर या कार्टून जैसे गेट-अप करना) कर रही थी। उसके कॉसप्ले से प्रभावित होकर, मैंने उसकी प्रोफ़ाइल को टटोला। पता चला कि वो औरत नहीं बल्कि एक मर्द था।
ना जाने क्यों, मुझे आश्चर्य नहीं हुआ। भले ही उसने वीडियो में अपने गले की सेब जैसी मर्दाना गांठ को छिपाने का काम, शानदार तरीके से किया था। और न सिर्फ मुझे, बल्कि ऑनलाइन हजारों लोगों को ये यकीन दिलाकर गुमराह किया था कि उस वीडियो में एक औरत ही थी। मैंने खुद को कहते सुना, "ये हैंडसम भी है और सुंदर भी, मैं तो यक़ीनन इसको डेट करूंगा"।
जैसे ही मैंने ये ज़ोर से कहा, मैंने खुद को स्तब्ध पाया। पर कहीं ना कहीं एक राहत महसूस की। मानो मेरे सीने से बहुत बड़ा कोई बोझ उतर गया हो।
क्या मैं घबराया? बहुत ज्यादा। मुझे बाद में पता चला कि वो उभयलिंगी/बाईसेक्शुअल घबराहट हो सकती है, क्योंकि मैं उस इंसान के कॉसप्ले से थोड़ा उत्तेजित हो गया था।
मैं इस वास्तविकता से वाकिफ़ हो चुका था और धीरे-धीरे इसे मानना भी शुरू कर दिया। मैं अभी तक इस असलियात को पूरी तरह से खुद में उतार नहीं पाया हूँ। आज भी संघर्ष कर रहा हूं।
किसी लड़के के साथ उस तह की नज़दीकी अभी भी मुझसे बहुत दूर है, मैं उससे जूझता रहता हूं। क्या मैं बिना सोचे-समझे लड़कों के बारे में कल्पना करता रहता हूँ? हाँ, करता तो हूँ। लेकिन आज तक किस से ज्यादा आगे बढ़ नहीं पाया हूँ।
यश ने सेंट जोसेफ यूनिवर्सिटी, बेंगलुरु से पढ़ाई की। उसे पढ़ना और लिखना बहुत पसंद है, हालांकि उसे और ज्यादा लिखना चाहिए। वो क्रिएटिव भी है और एक गीक ( विज्ञान या कम्प्यूटर में बेहद दिलचस्पी लेने वाला) भी। भले ही वो खुद गीक की पहचान को नहीं अपनाता। और, वो बहुत बड़ा फ़्लर्ट है।