यह कहानी बैंगलोर पॉलीक्यूल्स द्वारा एकत्रित पॉलीमोरी के कई व्यक्तिगत कहानियों में से एक का संपादित लेख है।
दस साल पहले, मैंने अपने पार्टनर के साथ, बँधे हुए मानोगामी वाले रिश्ते में बदलाव लाने की सोची थी, और उससे इस बारे में बात भी की। मैं एक बैंक में घंटों काम करती थी और वो स्टूडेंट था जो पैसा कमाने के लिए मसाज/ मालिश किया करता था। काम के दौरान उससे कई लोग सेक्स के लिए पूछते भी थे। हम जवान तो थे ही , ऐसे में मुझे उसको अपने साथ सेक्शुअल रिश्ते में बाँध के रखना ठीक नहीं लगता था। अपने मसाज वाले काम की जगह पे उसने किसी को भाव नहीं दिया , यह सोच के कि अगर उसने ऐसा कुछ किया, तो मैं बर्दाश्त नहीं कर पाऊँगी। वह हमारा रिश्ता जोखिम में नहीं डालना चाहता था।
जब हम एक दूसरे से दूर रहने लगे और हमारा रिश्ता लॉन्ग डिस्टेंस में बदल गया , तब मुझे अपने इस बँधे हुए रिश्ते से दिक्कत होने लगी। मैं काफी मज़ेदार लोगो से मज़ेदार जगहों में मिल रही थी और मुझे बात आगे ले जानी थी। मैंने आखिरकार उसको धोखा दे ही दिया, पर मुझे हमारे इस रिश्ते के नियम को तोड़ के, काफी बुरा भी लगा। लेकिन फिर भी मैंने जो किया , वो मुझे बुरा या ग़लत नहीं लगा था । जो भी किया, वो एक प्यार भरे जज़्बात से पनपा था। वो गलत कैसे हो सकता था ?
परंपरागत रिश्तों के बारे में तो बस यही ज्ञान मिलता है कि अगर मैं उससे सच्चा प्यार करती हूँ तो उसको कभी धोखा नहीं दूँगी। लेकिन मैं यहाँ उसको धोखा दे रही थी, और फिर भी मुझे यकीन था कि उससे सच्चा और गहरा प्यार करती थी। तो क्या परंपरागत रिश्ते के बारे में जो भी सलाह दी जाती है, वो गलत होती है ?
वो रिश्ता ख़तम हो गया , लेकिन मुझे कुछ ऐसा एहसास हुआ जिसे मैं अब देख के अनदेखा नहीं कर सकती थी । मैं ये समझी, कि जो मैंने आस पास अपने रिश्तों में देख रही थी , वो पूरी तरह से सच नहीं था। जो लोग साथ में रह रहे थे , वो लोग अक्सर एक दूसरे से और खुद से झूठ बोलते थे , अपनी खुद की भावनाओं को झुठलाते थे और फिर भी ऐसा माना जाता था कि उनका रिश्ता बड़ा कामयाब है। मुझे इस तरह का कामयाब रिश्ता नहीं चाहिए था। मुझे चाहिए थी सच मुच की नज़दीकियां , असली गहराइयाँ और पूरी तरह से ईमानदारी।
मेरे लिए पॉलीआमोरी का मतलब है, मेरा खुद से मिलने का अधिकार। प्यार और ज़िन्दगी दोनों में, अपनी इंसानी क्षमताओं को पूरी तरह से टटोलने का अधिकार । पॉलीआमोरी ने सिखाया है कि न कभी खुद को हलके में लेना है, न ही अपने पार्टनर्स को। मैंने कभी भी अपने रिश्तों में मेहनत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। पॉलीआमोरी में मेहनत के फल के रूप में मिलते है ऐसे कई रिश्ते, जो मज़बूत होते है , ईमानदार होते है , और प्यार से भरे होते है, जिनपे अपने परिवार की तरह, पूरा भरोसा किया जा सकता है । इसमें हम खुद की, और जो भी हम करते है , दोनों की पूरी ज़िम्मेदारी लेते है।
मैं अपने आप को खुशनसीब मानती हूँ कि मुझे ऐसे पार्टनर्स मिले जो मेरे जैसा सोचते हैं और उसी तरह का प्यार और जीवन जीने की उम्मीद करते है। मुझे बहुत अच्छा लगता है, जब मेरे पार्टनर्स एक दूसरे की कम्पनी के मज़े लेते हैं। यह बात मुझे पॉलीआमोरी में सबसे ज़्यादा पसंद आती है.... दो लोग जिनसे मैं अपना प्यार बाँट रही हूँ , उनको करीब आता देखना ।
मेरे मोनोगामी रिश्ते रखने वाले दोस्तों को यह समझ नहीं आता। वो मुझसे पूछ्ते रहते है : तुम यह कैसे कर लेती हो ? तुम दो पार्टनर्स और एक एक्स के साथ छुट्टियां कैसे मनाती हो ? तुम अपनी पार्टी में मेहमान नवाज़ी कैसे कर लेती हो ,जहाँ तुम्हारे तीन पार्टनर एक दूसरे के साथ हँसी मज़ाक कर रहे हैं ? घर पे डेट की रात कैसे एन्जॉय करती हो, जब तुम्हरा लिव -इन पार्टनर तुम लोगो के साथ ड्रिंक के लिए आ पहुँचता है।
मेरे पार्टनर लोगों को भी इसमें बराबर का श्रेय जाता है , जिन्होनें रिश्तों को बनाने और मज़बूत करने में मेरा साथ दिया। मुश्किल समय में बात चीत से समस्या का हल निकला और हम सबने इस बात में यकीन रखा कि यह रिश्ते, रखने लायक हैं।
पॉलीआमोरी ने मुझे दोनों पहलू सिखाए: मुझे मेरा असली व्यक्तित्व भी दिखाया और मुझे बहतर सहयोगी भी बनाया। मज़े की बात यह है, कि मैं अपने पार्टनर लोगों पे कम निर्भर हूँ। दूसरों पे इलज़ाम नहीं थोपती, और ज़िद्दी नहीं हूँ। और नाज़कीयों को ले के, मेरे खुले विचार हैं। जो बात मैंने सीखी है, वो यह है कि पॉलीआमोरी आसान नहीं है। यह आलसी लोगो या उन लोगों के लिए नहीं है, जिनको बदलाव से घृणा है ।
कभी कभी स्थिति डाँवाडोल भी हो सकती है। इसका कोई कारण नहीं होता और कभी कभी ये जायज़ भी नहीं लगती। लेकिन अगर आपने इन रिश्तों पे मेहनत अच्छे से की है और अपना समय दिया है तो बदले में जो मिलता है,काफी अद्भुत ही होता है।
मैं खुद को एक उदारवादी बाईसेक्शुअल औरत के रूप में पहचानती हूँ।