शाहरुख़ खान मुझे पसंद थे। लेकिन पैनडेमिक के पहले कुछ महीनों में, मेरा प्यार परवान चढ़ा।
मैं उस वक़्त चौदह की हुई ही थी और शाहरुख़ की फिल्म देखे एक अरसा हो गया था। हां, बचपन से ही वो और उनकी कुछ फिल्में जैसे कि कभी खुशी कभी गम और मैं हूं ना काफी पसन्द थीं। बाद में उसकी हैप्पी न्यू ईयर और जीरो जैसी फिल्में थिएटर में भी देखीं। लेकिन फिर... 2020 आ गया।
उन शुरुआती मनहूसियत से भरे दिनों में सब बिखर सा गया था। हम खाने का समान स्टॉक कर रहे थे। मुझे ये एहसास हो गया था कि स्कूल काफी दिनों तक नहीं खुलने वाला था। और मैं कई हफ्तों तक अपने दोस्तों से नहीं मिलने वाली थी। उसी दौरान, धीरे-धीरे, मैं बॉलीवुड की जगमग उम्मीदों से भरी दुनिया में खोने लगी। खासकर 2000 के शुरुआत में बनी फिल्मों के। और उन्हीं दिनों मुझे शाहरुख़ खान से प्यार हो गया ।
मुझे लगता है शाहरुख़ खान से प्यार होने की पहली और सबसे बड़ी वजह ये है कि, उन्होंने जो फिल्में कीं, उनको देख के लगता था कि उस समय बड़ी सॉफ्ट सी फिल्में बनती थीं, सॉफ्ट फीलिंग्स से भरी हुईं । ऐसी फिल्में जिसमें प्यार ही मकसद था और प्यार ही ईनाम भी । उसमें हीरोइन हीरो के खुद की खोज़ में निकलने का सिर्फ एक ज़रिया नहीं होती थी । ना ही सफ़र में निकले हीरो का सामान होती थी। इन फिल्मों में एक मासूम, लेकिन उग्र और सच्चा प्यार था। इसमें शाहरुख़ की दुनिया उनकी हीरोइन के इर्द-गिर्द घूमती थी। वो उनके लिए जान भी देते थे, भले ही वो लड़की उनको वापस प्यार भी ना दे या उसे उनकी जान जाने का कोई गम भी ना हो!
तो शाहरुख़ के पास वापस जाने की मेरी एक वजह तो यही थी, कि उनकी ये फिल्में कितनी उम्मीद से भरी हुई थीं । 2020 के उन मुश्किल दिनों में इनको देखने का और भी मन करता था। मैं भी तो ऐसे ही हीरो की तालाश में थी । जो कितनी हिम्मत रखता था, दिल में उतर जाने वाला करिश्मा था और इमोशंस को बारीकी से समझता था । शाहरुख़ में वो सब था जो मैं सोच सकती थी। लेकिन इस सबके ऊपर भी कुछ था जिसने मुझे उनसे बांधे रखा था। वो थी उनकी ईमानदारी, उनका नाज़ुक सा स्वभाव और उनकी चंचलता। जो उनके हर क़िरदार में बख़ूबी नज़र आता है।
ये खूबियां, जो शाहरुख़ खान को बॉलीवुड का बादशाह और रोमांस का किंग बनाती हैं - वो मेरी पसंद के कुछ म्यूजिक वीडियो में अच्छी तरह दिखतीं हैं। जैसे कि छइयां छइयां, ये लड़का हाय अल्लाह, मितवा, कोई मिल गया, तुमसे मिल के दिल का है जो हाल, माही वे और दीवानगी दीवानगी। जिस तरह से उनके गानों को फ़िल्माया जाता है, उनसे प्यार किये बिना कोई रह ही नहीं सकता। कभी-कभी तो ऐसा लगता है कि पूरी फ़िल्म से ज्यादा, उन गानों में शाहरुख़ ज़्यादा खुलकर सामने आते हैं। ये म्यूजिक वीडियो एकदम रंगीन होते हैं, भरपूर रोमांटिक, जोश से भरे और सबसे बड़ी बात, मज़ेदार। उनके गाने मुझे अपने से लगते हैं, उनकी धुन, वो डांस, सब कुछ! उनको देख के एक अलग सी खुशी मिलती है, मानो पुराने दिन याद आ जाते हैं। फिर चाहे वो मलाइका अरोड़ा के साथ ट्रेन की छत पर डांस कर रहे हों, या काजोल की बेस्ट फ्रेंड की शादी में उसके साथ रोमांस कर रहे हों, मेरी नज़र शाहरुख़ से हटती ही नहीं। ऐसा लगता है जैसे शाहरुख़ की सारी जादूगरी चार मिनट के उन गानों और डांस में सिमट के, सारी की सारी मौजूद रहती है। शाहरुख़ के करिश्मे का उबलता सैलाब, जिससे आप चाहकर भी बच नहीं सकते।
अप्रैल 2017, वैंकूवर में एक टेड टॉक के दौरान शाहरुख़ खान ने कहा था , "मैं सपने बेचता हूं और मैं इंडिया के उन लाखों लोगों को प्यार भेजता हूं, जो ये मानते हैं कि मैं दुनिया का सबसे अच्छा लवर हूं।" मैं शाहरुख खान को उनकी ईमानदारी और उनके प्यार की उसकी सच्ची भावनाओं लिए प्यार करती हूँ। वो जो अपनी हीरोइनों से प्यार करते हैं, मुझे उसपर कभी कोई शक नहीं रहा है। क्योंकि जिस तरह वो उन्हें देखते हैं...। चाहे वो राज या राहुल, वीर या राम, अमन या ओम के रोल में हों- वो नज़र कभी नहीं बदलती। उनकी फिल्म के कई ऐसे कई सीन हैं, गाने हैं जो मैं सिर्फ उनकी उस नज़र को देखने के लिए, बार-बार देखती हूँ। वो नज़र जो कहती है कि वो अपनी अंजलि, अपनी सिमरन, अपनी ज़ारा के लिए मर जाएगा। फिर आप उन पर भरोसा करने लगते हो, और उनके प्यार पर भी। उस पल में, आप उनकी अंजलि, उनकी सिमरन और उनकी ज़ारा के साथ-साथ उनपर फ़िदा हो जाते हो। और फिर पीछे मुड़कर देखते भी नहीं। मतलब ऐसा करना आपके बस में ही नहीं रह जाता है। जैसा कि रानी मुखर्जी कहती हैं- शाहरुख़ खान जैसा प्यार कोई नहीं कर सकता!
मैं शाहरुख़ खान से प्यार क्यों करती हूं, इसका जवाब आसान नहीं है। आज तक कोई सही शब्द मिला नहीं जिससे बता सकूं कि वो और उनके स्क्रीन वाले क़िरदार मेरे लिए क्या मायने रखते हैं। और क्यों वो मुझे वापस खींचते रहते हैं। अजीब तो है! मेरे दिल में उनके लिए इतना प्यार है कि क्या बताऊँ। कुछ अलग ही जादू है उनमें, जिसे बयान नहीं किया जा सकता। ऐसा कुछ जिसे दिखाना, बता पाना, पकड़ पाना मुश्किल है। वो जिससे उनके सारे फैन उनसे जुड़े हैं।
और मैं भी बिल्कुल वही हूँ- एक फैन।
मेरे लिए किसी का फैन होना थोड़ा अजीब है। शुरू-शुरू में तो खुद को किसी का फैन बोलने में भी शर्मिंदगी महसूस होती थी, क्योंकि उसका मतलब था कि आपको उस इंसान की बहुत परवाह है। तो एक ऐसे सुपरस्टार की इतनी शिद्दत से परवाह करना, जिसे मेरे इस दुनिया में होने का भी पता न हो, बेवकूफ़ी जैसा लगता है। बॉम्बे में रहने वाली लड़की के लिये तो बॉलीवुड सितारों की चमक-दमक, उनका ग्लैमर, सब एक आम बात होनी चाहिए, है न। बंबई में रहने वाली टीनेजर को एकदम कूल होना चाहिए, ऐसी बातों से दूर ! यही तो माना जाता है। तो उनकी ज़बरदस्त फैन होने के बावज़ूद, मैंने खुलेआम उस टाइटल को नहीं अपनाया। मुझे किसी को दिखाना नहीं कि मुझे शाहरुख़ से कितना प्यार है । फैन का लेबल लगाना कोई ज़रूरी नहीं है।
शाहरुख़ का फैन होने का मतलब है कि आप उस नैशनल क्लब का हिस्सा बन जाते हैं, जिसमें लोग शाहरुख़ को बेपनाह मोहब्बत करते हैं, दिल का हाल ज़ाहिर करते हैं । खुद को एसआरकेईन्स (SRKians) बुलाते हैं। जो उनके ग्राफ़िक एडिट करते हैं, उनका फैन पेज बनाते हैं। जो शाहरुख़ के बर्थडे पर मन्नत जाते हैं और बाहर खड़े होकर फोटो लेते हैं। (मैंने भी एक बार कोशिश की थी, लेकिन दोस्तों के इस बात पर हो हल्ला मचाने के डर से सड़क के उस पार से एक फ़ोटो ली थी। पीछे मन्नत की एक झलक थी। आप अगर एरियाना ग्रांडे या टेलर स्विफ्ट के फैन हो तो चलेगा! भले ही सबके काम एक जैसे हो, पर साहब वो इंग्लिश में में फुल टाइम बात करते हैं। तो उनका फैन होना लाजमी है ?!
लेकिन शाहरुख़ का फैन - यानी एक SRKian - होने का मतलब ये भी है कि आप कभी अकेले नहीं होंगे। दुनिया में ऐसे लाखों लोग हैं, जो मेरे जैसा ही महसूस करते हैं। जो खुद को, अपने सपनों और अपनी उम्मीदों को उस दुनिया में पाते हैं, जो शाहरुख़ ने बनाई होती है। हम एक ही म्यूजिक वीडियो को, एक ही इंटरव्यू को पांच सौ बार देखते हैं। हम अपने कमरों में उनकी पोस्टर टांगते हैं। उनके म्यूजिक वीडियो पर डांस सीखते है। हम अपने परिवारों और दोस्तों को भी उनका फैन बनाने की कोशिश करते हैं। हम चाहे- अनचाहे हमेशा शाहरुख़, और उनके लिये अपने प्यार की वक़ालत करते फिरते हैं।
हालाँकि, देखने वाली बात ये है कि भले ही मेरे दोस्त मेरे फैन वाले व्यवहार से नाराज़ हों, पर अगर मैं शाहरुख़ का कोई म्यूजिक वीडियो देख रही हूँ, तो सब साथ बैठकर देखेंगे। लगातार, एक के बाद एक। और फिर उसपे बात भी करेंगे कि शाहरुख़ काजोल को किस तरह से देखते हैं या कि वो शेरवानी में कितने हैंडसम लगते हैं। पर अगर मैं ये कहूँ कि मेरे 15th बर्थडे का थीम शाहरुख़ हो, तो वो पूरे दिल से उसमें हिस्सा लेते हैं और शाहरुख़ के अलग-अलग क़िरदार बनकर पार्टी में आते हैं। माही वे पे डांस तक सीखते हैं।
तो... मैं शाहरुख़ खान से प्यार क्यों करती हूँ? मैं शाहरुख़ खान से प्यार इसलिए करती हूं क्योंकि मैं उनकी फैन हूं। फैन होना अज़ीब तो है, लेकिन इसमें मज़ा है, आज़ादी का एहसास है। हममें से काफियों को इसे आज़माना चाहिए। इससे आप बार-बार ये नहीं सोचेंगे कि ऐसा करने से मैं बेवकूफ तो नहीं दिखूंगी या ये कूल तो है ना! आप बस आप रहोगे। आपको जिससे प्यार है, बस है। और यही तो शाहरुख़ सिखाते हैं, है ना?
तो बस, ऐसा ही जादू है शाहरुख़ खान का। अगर आप उनको प्यार करते हैं, तो आप उनको उसी तरह प्यार करेंगे जैसे वो अपनी हीरोइन को करते हैं। बेवजह ही, पूरी शिद्दत से और हमेशा के लिए। मुझे लगता है कुछ चीजें बयान ना ही हो तो अच्छा है। जैसा कि राहुल खन्ना ने एक बार कहा था: कुछ कुछ होता है अंजलि… तुम नहीं समझोगी!
(हैप्पी बर्थडे शाहरुख़ खान! आपने हमें इतना प्यार दिया और उसके बदले हमको भी आपसे प्यार करने दिया, उसके लिए थैंक यू।)
तारा भट्टाचार्य गुप्ता पंद्रह साल की है। वो बम्बई में रहती है, यहीं पढ़ाई करती है। उसे गाने सुनना, फिल्में देखना और झुमके इकट्ठा करना पसंद है। और वो एक समय ये सोचती थी कि उसके पापा शाहरुख़ खान की तरह दिखते हैं।
मैं शाहरुख़ से मोहब्बत क्यों करती हूँ
If you love him, you love him the way he loves his heroines – unabashedly, inexplicably, and forever.
लेखन: तारा भट्टाचार्य गुप्ता
चित्र: शिखा श्रीनिवास
अनुवादक: नेहा
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