आदित्य को मैं इंस्टाग्राम के ज़रिये जानती हूँ। ये नाम एक बार पहले भी सुना था। वो ऐसे कि कुमार चाचा के पोते का नाम भी आदित्य है। उसने क्राइस्ट यूनिवर्सटी (मान्यता प्राप्त) से पढ़ाई की थी और अब गोल्डमैन सैक्स में काम करता है। कुमार चाचा का पोता बड़ा ही प्यारा है। जब भी हम अपने परिवारों के साथ डिनर और ड्रिंक पे मिलते हैं, वो S को और मुझे भी, कसकर गले लगा लेता है। मानो हम हमेशा से दोस्त रहे हैं और आगे भी हमेशा दोस्त रहेंगे। उस गले लगने-लगाने की फॉर्मेलिटी के दौरान, मैं सोचती हूँ कि अगर मेरी माँ उसके साथ मेरी ये नजदीकीयां देख ले, तो जरूर सोचेगी कि हमारे बीच कुछ चल रहा है। तो बस, मैं उसे थोड़ी देर और पकड़े रखती हूं, ताकि लगे कि सचमुच हमारे बीच कुछ चल रहा है। जैसे हम छुप-छुप कर डेटिंग कर रहे हैं। हमारे परिवार भी काफी हद तक एक दूसरे के लिए सही हैं। अगर हमारा अफेयर हो भी जाता, तो कुछ गलत न होता। लेकिन कुमार चाचा के पोते आदित्य के पास - एक परफेक्ट चेहरा है, और उससे भी ज्यादा परफेक्ट शरीर। उसके इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप पे लगी फ़ोटो में मैंने उसके एब्स देखे हैं, टैंक टॉप के पीछे से झांकते हुए। मेरा बेडौल और उसका सजीला शरीर मेल न खा पाते; हमारा रिश्ता अगर बन भी जाता, तो ज्यादा दिन नहीं चलता !
कुमार चाचा का आदित्य और इंस्टाग्राम वाला आदित्य एक ही हैं - लेकिन फिर भी एक दूसरे से अलग, यानी उसका ऑनलाइन और ऑफलाइन रूप मेल नहीं खाता । पोते आदित्य ने एक बार मुझसे पूछा था कि मैं किसी को डेट क्यों नहीं कर रही हूँ। मैंने लापरवाही से जवाब दे दिया, "अरे यार, टाइम कहां है?" वो थोड़ा सरप्राइज़ हो गया। उसका एक्सप्रेशन देख, मैंने खुद हिसाब लगाना शुरू किया, कि पूरे दिन में मैं लड़कों के बारे में कितना सोचती हूँ। इंस्टा वाला आदित्य इस तरह की बातें कभी नहीं करेगा। क्योंकि वो वाला आदित्य काफी हद तक मेरे टाइप का है। दरअसल P ने हमें इंस्टाग्राम पर सेट किया। उसे लगता है हम एक-दूसरे के लिए परफेक्ट होंगे। उसके घुंघराले बाल, उसकी हल्की रंग की आँखों और उससे भी हल्की रंग की त्वचा पर बिखरे रहते हैं। उसकी दाढ़ी काफी घनी है। और जब वो कविताएँ लिखता है, और उन्हें पढ़ता है, तो ऐसे मुस्कुराता है जैसे उसे सब पता हो। (पूरी मुस्कान नहीं, एक आधी सी मज़ेदार मुस्कान)।
ये बातें मैं यकीन से तो नहीं कह सकती, पर इंस्टाग्राम से तो यही लगता है। या यूं कहूँ कि आदित्य चाहता है कि इंस्टाग्राम पर उसे देखने वाले उसके बारे में ऐसे ही सोचें । मैंने इंस्टा वाले आदित्य से तीन हफ्तों तक चैट किया। हम एक दूसरे को लंबे-लंबे चैट मैसेज भेजते थे, जिसमें ग़ालिब और शेरो-शायरी की बातें हुआ करती थीं। एक दिन, उसने मुझे एक फ्रस्ट्रेटेड (निराशा से भरा) मैसेज भेजा। उसने उरी (Uri) मूवी देखी थी
और उसके बाद काफी परेशान सा था। मुझे पता था कि वो जम्मू से है, और मूवी में काफी कुछ ऐसा हो सकता है, जिससे वो बेचैन हो उठा हो। अपने मैसेज में वो काफी भावुक था, और उसे अचानक ऐसा देख, मैं डर गई। मैसेज से ये पता चल रहा था कि उस दिन वो दुखी था। और वो मुझे ये सब इसलिए बात रहा था ताकि मैं उसकी मदद करूं, उससे बात करूं, उसे और उसकी भावनाओं को समझने की कोशिश करूं। दरअसल ये वो पल था जिसमें कहानी लव स्टोरी बन सकती है। लेकिन मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं इसका हिस्सा बनूं तो आखिर कैसे बनूं ।
इसलिए मैंने अगले दिन तक उसके मैसेज का कुछ जवाब ही नहीं दिया। और तब तक तो मूवी वाले इमोशन हवा हो चुके थे।
आखिर में जब उसने मेरे मैसेज का जवाब देना बंद कर दिया, तो मैं उस जाने पहचाने रिजेक्शन वाली फीलिंग के इंतज़ार मैं बैठ गयी । वो मेरे मैसेज पढ़ता तो था, उसके बाद इंस्टा स्टोरीज भी अपलोड करता था। मैं अपना मन ये सोचकर बहलाती थी कि बिजी होगा, सोच रहा होगा कि क्या जवाब दूं, या शायद किसी बात पे अपसेट होगा। पर अंदर ही अंदर मुझे पता था, कि ऐसी कोई बात नहीं है, और ये मैसेज भेजना और जवाब का इंतज़ार करना बेमतलब है। जब मैंने P को बताया कि उसने मैसेज करना बंद कर दिया है, तो उसने दुखी शक्ल बनाई। बस कहानी खत्म। फिर सबकुछ ठीक हो गया।
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एक दिन T से बातचीत के दौरान, उसने पूछा- कभी किसी लड़के के साथ कोई रिश्ता रहा है? अब मैं तो दो दारू वाले लम्बे कॉकटेल पीने के बाद, वैसे ही होश में नहीं थी। उसी हालत में उसे नवतेज के बारे में बता दिया। नवतेज, जो कि हर तरह से परफेक्ट था। वो गाजियाबाद में पढ़ रहा था (लेकिन अक्सर दिल्ली आया करता था)। हिन्ज (Hinge) पे उसके फ़ोटो देखकर ये पता चलता था कि उसके बहुत सारे दोस्त थे। ऐसे दोस्त, जिनके घर पर पीने के बाद, आप वहीं बेहोश पड़े रह सकते हो, ऐसे दोस्त जिनके साथ बिना किसी प्लानिंग के कभी भी पार्टी हो सकती है, जो हमेशा आपके साथ रहेंगे।
वो अक्सर मुझे मैसेज किया करता था। हिन्ज( Hinge) अक्सर सही से चलता नहीं था। कभी-कभी उसके सुबह के भेजे मैसेज मुझे शाम को मिला करते थे। वो हमेशा मेरा दिन कैसा रहा, पूछता । फिर अपने दिन के बारे में बताया करता । उसके क्लासेज काफी हेक्टिक होते थे। उसे अक्सर ट्रैवेल भी करना पड़ता था। एक बार उसने ऐसे ही पूछा कि मैं आजकल कौन सी किताब पढ़ रही हूँ। और जब मैंने बताया- यशपाल की बुक 'झूठा सच', तो झट से बोल पड़ा, "अरे! तुमको मेरे पापा से मिलना चाहिए। वो तुम्हें जरूर पसंद करेंगे।" मैं धीरे से हँसी। महसूस हुआ कि यहां से कुछ लव जैसा शुरू होने वाला है। फिर कुछ हफ्ते बाद हम चंपा गली की छोटी सी कॉफ़ी शॉप के कार्नर में पहली बार मिले। और वो बोलता गया, बस बोलता गया। मुस्कुराता बहुत था वो। और जब भी मैं कोई ऐसा सवाल पूछती, जिससे लगे कि मुझे उसकी फिक्र है, नीचे देखने लगता था, शरमा जाता था। मैं आंक रही थी कि - बड़े करीने से प्रेस की हुई शर्ट और फॉर्मल पैंट में मेरे सामने खड़ा हुआ - वो कितना चार्मिंग है । अलविदा से पहले उसने मुझे जोर की झप्पी दी और कहा कि हमें जल्द ही फिर से मिलना चाहिए। और इस बार उसके फेवरेट चाय पॉइंट पर। मुझे पता था कि इसे ही रोमांटिक कहते हैं। और मैं इन्तज़ार कर रही थी कि मुझे ऐसा कुछ महसूस हो।
उसके बाद वो हमेशा मुझे अपने पोस्ट-वर्कआउट और प्री-डिनर सेल्फीज़ भेजता था। मुझे लगा कि अगर ये रिश्ता बनने वाला होता, तो ये सही शुरुआत थी ।
खैर, आखिरी बार जब हमने बात की, तब तक मैं उसे कई हफ़्तों से इग्नोर कर चुकी थी। उसने मुझसे पूछा कि मैं उसे क्यों इग्नोर कर रही थी। और जब मैंने उसे बताया कि मैं अपने मास्टर (इंग्लिश में) थीसिस में बिजी हूँ, तो उसने मदद करने का ऑफर भी दिया। हालांकि वो पहले से ही अपने एम.बी.ए. में बिजी था। उसका मैसेज छोटा ही था, "अरे! मेरा लिटरेचर लिट्टी सा शानदार है ।" (हँसी आई?)
लेकिन मैं उसके मैसेज का जवाब देना भूल गई और तब से हमने बात नहीं की है।
और अब महीनों बाद, शराब के नशे में, मैंने C को बता दिया कि कैसे मैंने एक बार नवतेज को गलती से पूरी तरह ghost कर दिया था ( ऑनलाइन की भाषा में, ghost करना: किसी को इग्नोर कर के ऐसा बर्ताव किया था, जैसे वो है ही नहीं )। और उसके मैसेज तक का जवाब नहीं दिया। वो हँस पड़ी, जैसा वो आम तौर पर करती है। तभी अचानक मुझे नवतेज की बताई एक बात याद आई, और मैंने C से पूछा, “अरे, नवतेज तुम्हें जानता है। टिंडर पर उसके साथ तुम्हारा प्रोफाइल मैच हुआ था। लेकिन तुमने कभी उसको जवाब नहीं दिया। ”
C को वो बात याद नहीं थी, पर इसपे उसे विशाल की याद आ गई। विशाल के साथ उसकी काफी बातचीत हुआ करती थी। वो अपने सीरियल डेटिंग वाले दिनों में उससे ऑनलाइन मिली थी। C ने बताया था कि विशाल बहुत ही प्यारा और रहमदिल था। मुझे इस बारे में ज्यादा पता नहीं है, क्योंकि विशाल और मैंने बस सेक्सटिंग की है। और वो भी हैरी पॉटर वाले डायलॉग्स में। इसके अलावा मुझे उसके बारे में कुछ भी नहीं पता है। कभी-कभी ऐसा लगता था कि हमारे बीच बात करने के लिए कुछ है ही नहीं, और कभी-कभी जैसे बातें खत्म ही नहीं होती थीं। जब उसने पहली बार सलयथेरीन (Slytherin- हैरी पॉटर में दिखाया गया घर) के बारे में कुछ सेक्सी कहा, तो मैं भी गरीफइंडोर (Gryffindor- हैरी पॉटर में एक मैजिक इंस्टीटूट की बिल्डिंग) के बारे में कुछ सेक्सी सोचने की कोशिश करने लगी। फिर उसपे और खुदपे, दोनों पे खूब हँसी। हम सुबह-शाम बात किया करते थे। सुबह इस सोच में, कि हैरी पॉटर में आगे क्या होगा और शाम को जो हुआ, उसके ऊपर हमारे कमेंट। (ऑक्सीओ का मैजिक क्या होता है? स्पॉइलर अलर्ट: काफी हद तक उन्माद जैसा- makes you come!, हा हा)!
क्या हमारी इस बातचीत से एक परफेक्ट लव स्टोरी की शुरुआत हो सकती थी? वो बातचीत, जो शुरू तो हैरी पॉटर की मजेदार भाषा में हुई थी पर शायद बाद में उबाऊ, वास्तविक जिंदगी की भाषा में प्यार का रूप ले लेती? मुझे ये पता नहीं चल पाया, क्योंकि विशाल ने कभी हैरी पॉटर वाली भाषा में बोलना बंद ही नहीं किया। खैर एक दिन मैं उसे भी जवाब देना भूल गई और फिर इक्कीस दिनों के बाद हिंज ने उसकी चैट हाईड कर दी।
जब मैंने C को हमारे हैरी पॉटर वाले मैजिकल तरीके से बात करने के बारे में बताया, तो उसने उससे चैट करना बंद कर दिया। उसे ये सब बहुत ही बचकाना और पागलों जैसा लगा।
आदित्य, नवतेज और विशाल से पहले था- सिद्धांत। आपको बता दूं कि मेरे पापा का नाम भी सिद्धांत है। खैर, ये वो सिद्धांत था जिसके साथ मैंने प्यार में पड़ने का प्रैंक (prank: किसी के साथ एक बचकाना मज़ाक करना) किया था। और बाद में महसूस हुआ कि मुझे उससे सच में प्यार था।
प्रतीक! एक दिन अचानक स्कूल में मिला। मैं 7 वीं में थी। अपने नए-नए सोनी एरिक्सन मोबाइल में लीन। उसने मुझे एक कोने में खींचा और फुसफुसाया, "मेरे पास प्रैंक का एक आईडिया है।" दिन खत्म होने के साथ-साथ, मेरी बायोलॉजी नोटबुक के लास्ट पेज पर उसके बेस्ट फ्रेंड सिद्धांत का नंबर आ चुका था। ये प्रैंक मुझे दो महीनों तक चलाना था, यानी उसके आने वाले बर्थडे तक।
मैंने सिद्धान्त से एक सीक्रेट क्रश बनकर बातचीत शुरू की। एक ऐसी लड़की जो अपनी भावनाओं को खुलकर दिखाने से डरती हो। (नहीं नहीं, मैं खुद की भूमिका नहीं निभा रही थी)। पहले तो वो उखड़ा-उखड़ा रहा, पर मैं लगातार कोशिश करती रही। प्रतीक और मैं स्कूल में रोज़ मिलते थे और कहानी कहां तक पहुंची, उसके बारे में अकेले में बात करते थे। कभी-कभी हम फोन पर भी बात करते थे। सिद्धांत को फंसाना था। और वो जल्द ही पिघल गया। मुझे याद है उन दिनों मुझे घर पहुंचने की कितनी जल्दी रहती थी। माँ हमेशा घर के रास्ते में नीलगिरी पर रुक जाया करती थी और मैं बेचैन हो उठती थी।आखिरकार घर पहुंचकर जब फोन हाथ में लेती, तो उसके दो मैसेज होते थे। एक में वो अपने पूरे दिन के बारे में बताता, और दूसरे में मुझसे मेरे बारे में पूछता था। इस तरह, हम बातें करते चले जाते थे।
जब उसका बर्थडे आया, तो प्रतीक और मैंने उसे बता दिया कि वो सीक्रेट क्रश कोई और नहीं बल्कि मैं थी। उसने कोई ख़ास रिएक्शन नहीं दिया, मुझे तो ऐसा कुछ नहीं याद है। सालों बाद, जब हम फेसबुक पर शिफ्ट हुए, तो उसका ध्यान खुद तक रखना मुश्किल हो गया था। और फिर मेरा ध्यान भी उसपर से हटने लगा। उसी दौरान वो अनन्या से बात करने लगा। अनन्या शेट्टी, जो मिताली की सबसे अच्छी दोस्त थी, बहुत अच्छा गाना गाती थी, जिसके बाल तो लम्बे थे ही, जिसकी टाँगे भी लम्बी लम्बी थीं। लंच के टाइम, सिद्धांत ने हमारे साथ बैठना बंद कर दिया। वो अनन्या और उसके दोस्तों के साथ बैठने लगा। उन दिनों के फेसबुक वॉल पोस्ट देखकर, ये समझना आसान था कि वो उसे क्यों पसंद थी। उसकी परफेक्ट वोकेबुलरी, परफेक्ट तरीके से लिखी बातें, मुझे चुप कराने के लिए काफी थीं। उस अकेलेपन और खालीपन के दिनों में मैं बस उस जैसा बनना चाहती थी। उसके जैसे गाना, हँसना, बोलना, सब कुछ।
इसलिए जब मैथ ट्यूशन के दौरान मिताली और मेरी नजदीकियां बढ़ी, तो मैंने उसे अनन्या के बारे में पूछा। मिताली भी अनन्या को बहुत प्यार करती थी। इसलिए जब भी उसकी बात करती थी, उसके ब्रेस वाले दांत उसकी लंबी मुस्कान से झांक उठते थे। उसने कहा, “हम पिछले हफ्ते ही मिले थे। फिर लॉस्ट हीरो की बात हुई। मुझे तो उसमें जेसन बहुत ही पसन्द आया, लेकिन उसे लियो पसन्द है। किसी को जेसन से प्यार ना हो, ऐसा कैसे हो सकता है?" आगे जाकर जब मैंने पर्सी जैक्सन को पढ़ा, तो मुझे भी लियो से प्यार हो गया। लेकिन जेसन के बारे में जो मिताली ने कहा, वो भी गलत नहीं था।
मिताली और मैं हर दिन ट्यूशन पे मिलते थे, और ट्रिग्नोमेट्री और ट्राइंगल के साथ घंटों बिताते थे। नम्बर और उनसे जुड़े x और y से वो बहुत चिढ़ती थी। उसका उखड़ा मूड देख, मैं भी परेशान हो जाती थी। फिर उसे खुश करने में लगी रहती थी। अब तो कई बार मैं उससे अनन्या के बारे में पूछना भी भूल जाती थी। और अगर वो खुद उसका जिक्र करे, तो मुझे बड़ी जलन होती थी । उस समय तक मैं अपने पापा के नाम वाले उस सिद्धांत को भूल चुकी थी। अब मुझे सिर्फ मिताली याद थी। मेरी दोस्त मिताली, जो अक्सर मुझे मैसेज भेजा करती थी। जिसके बारे में मुझे काफी दिनों बाद समझ में आया, कि मैं उससे प्यार करती थी।
बोर्ड एग्जाम के खत्म होते ही उसने मुझसे बात करना बंद कर दिया। मैं उदास थी और फोन की चुप्पी को समझ नहीं पा रही थी। फिर भी फेसबुक पर उसे पूछ डाला, कि कुछ गड़बड़ हुआ है क्या । वो तब तक ‘ना’ कहती रही जब तक कि उस शब्द का मतलब ही खत्म हो गया। बस, फिर मैंने उसे हर जगह से ब्लॉक कर दिया और बहादुरी के पल में उसका नंबर भी डिलीट कर दिया। वो महीनों का दुःख और तड़प अब तो बस धुंधली याद बनकर रह गए हैं। इसलिए आज अगर आप पूछो तो मैं मुस्कुरा कर कह दूंगी, "मिताली, मिताली कौन है?"
मां कहती हैं कि मैं दुखी हूं। उनको इस बात का यकीन है, क्योंकि पिछली बार जब मैंने उनके सामने किसी लड़के को क्यूट कहा था, वो तब था जब सालों पहले हम कॉफी डे में बैठे थे और वेटर और मैं, एक दूसरे को देख मुस्कुराए थे। जब मैंने कहा कि ओह वो कितना प्यारा है, तो माँ ने चिढ़कर मुझे देखा और कहा, "वो तुम्हें किस नज़र से प्यारा लग रहा है।"
कभी-कभी, वो मुझसे पूछती है कि मुझे कोई पसंद तो नहीं है। एक पल के लिए मैं सोचने लगती हूँ। मेरी जिंदगी में आए, मुट्ठी भर लड़कों के बारे में। फिर मैं ऐसी कल्पनायें करने लग जाती हूँ, कि अगर मैंने उन सबको सही समय पर जवाब दे दिया होता तो! उस कल्पना में मुझे फ़्लर्ट करना भी आ जाता था और उन लड़कों की मोहनी सूरत भी दिख जाती थी।
अगर मैं अच्छे मूड में हूं, तो मुझे ऐसा भी लगता है कि मुझे उनसे उनका टाइम बर्बाद करने के लिए माफी मांगनी चाहिए। लेकिन ये सारे ख्याल बस दो पल के ख़याल हैं। दरअसल माँ को पता नहीं है कि असल में मैं बहुत खुश हूं। क्योंकि हर बार जब N, k-pop आर्टिस्ट हवासा का वीडियो चलाती है, मेरा दिल उसी धुन (lub-dub-lub-dub) की रफ्तार से धड़कने लगता है। और मैं आपको इतना तो बता ही सकती हूं कि वो सचमुच बहुत ही लुभावनी है। खासकर जब मेरे फोन की स्क्रीन से मुझे देखती है - अपने हरे बालों के साथ मुस्कुराती हुई। और अपने गानों को दानिश सैट की बढ़िया नकल कर ''आह थू" की धुन में गाती हुई।
*सारे नाम बदल दिए गए हैं।
वेरोनिका ओबेरॉय एक टीचर हैं, जो कि दोहरी जिंदगी जी रही हैं। वो अक्सर बातचीत का हिस्सा होती हैं, जहां सब पर हंसती हैं, अपने पर भी। दूसरे रोल में भी वो ऐसा ही करती है लेकिन क्वीयर किरदारों के बारे में खूब फैन फिक्शन पढ़ पढ़ कर ।
उन सभी लड़कों के लिए जिनसे मैं कभी प्यार नहीं कर पाई।
क्या होता है जब कई दिलचस्प लड़को से कनेक्शन जुड़ने के बावजूद दिल की तार नहीं जुड़ती ?
वेरोनिका ओबेरॉय द्वारा
रिया नागेन्द्र द्वारा चित्रित
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