17 मई होमोफोबिया (homophobia- समलैंगिक लोगों से खौफ, उनके प्रति विमुखता), ट्रांसफोबिया (transphobia- विपरीतलिंगी लोगों के प्रति आशंकाएं) और बाईफोबिया (biphobia- उभयलिंगी लोगों से भय की भावना) के विरुद्ध एक अंतर्राष्ट्रीय दिवस है। और पता है एजेंट्स, हम आपकी तरफ से कहीं ज़्यादा प्यार, एकजुटता, स्वीकृति, सौहार्द और ढ़ेर सारा इश्क का परदर्शन चाहते हैं!
और हम इस दिन का जश्न अपने निजी तरीके से मनाना चाहते हैं। हम इसकी शुरुआत उन छवियों की खूबसूरत श्रृंखला से करते हैं, जो समलैंगिक व्यक्तियों को वैसा ही दर्शाता है, जैसे वो वास्तव में हैं: कभी प्रतिभाशाली, कभी मेहनती, कभी परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताते हुए, कभी समुद्र तट पे घूमते हुए , कभी टीवी देखते हुए, कभी आराम फरमाते, तो कभी मज़े लूटते हुए।
हालांकि भारत में अंग्रेज़ी मीडिया LGBTQ (समलैंगिक, द्विलैंगिक, ट्रांसजेंडर और क्वीर लोगों का संयुक्त समूह) मुद्दों के प्रति संवेदनशील है, लेकिन LGBTQ से जुड़े व्यक्तियों की नुमाइंदगी बस कुछ गौरव मार्च या कुछ कार्यक्रमों तक ही सिमित रह गयी है। LGBTQ समुदाय के बारे में लिखते समय मीडियाकर्मियों के लिए उनके व्यक्तित्व को सही ढंग से चित्रित करना काफ़ी मुश्किल हो जाता है।
इस श्रृंखला के लिए, एजेंट ऑफ इश्क, यारियां' और 'हमसफ़र' ट्रस्ट के साथ मिलकर, LGBTQ समुदाय की विभिन्न एवं सूक्ष्म और कोमल छवियाँ बना रही है। ये छवियाँ सार्वजनिक डोमेन (domain) का हिस्सा होंगी और कोई भी व्यक्ति या मीडिया स्वंतत्र रूप से इनका इस्तेमाल कर पायेगा। आपको बस इतना करना है कि इसका श्रेय हमें देना है।
यहाँ प्रस्तुत सारे फोटो रेशमा प्रीतम सिंह द्वारा लिए गए हैं, जिन्होंने दिल्ली और मुंबई में कुछ गर्मजोश, स्नेही, अनोखे लोगों से मुलाकात की। और इन अनोखे लोगों ने इस परियोजना को सफल बनाने के लिए ना केवल अपना समय और अपनी कहानियां दी बल्कि खाना भी खिलाया (सच)! मेरे प्यारे एजेंट्स, छवियों की श्रृंखला का बहुत ही प्यार से बनाया गया यह पहला भाग है। आगे और भी बाकी हैं, आप बस देखते जाइए।
एक कदम बराबरी की ओर!
तज़वीरे रेशमा प्रीतम सिंह द्वारा
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