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क्या पुरुष कामोन्माद/ऑर्गैज़म और स्त्री कामोन्माद एक जैसे हैं/सेम टू सेम हैं? (एक जांच)

हम सब जानते हैं कि सेक्स-एजुकेशन/लैंगिक शिक्षा ना मिलने पे क्या होता है। सही जवाब - आपके दिमाग में गड़बड़ फंडे/विचार घर कर लेते हैं।  

जैसे कि कभी-कभी लोग कहते हैं, "कामोन्माद की कोई लिंग पहचान नहीं होती"। शायद वह कहना चाहते हैं कि दोनों आदमियों और औरतों को सेक्स और कामोन्माद पसंद हैं। जो सही है। लेकिन वह अस्पष्ट रूप से शायद यह भी कह जाते हैं कि पुरुष और स्त्री दोनों कि लैंगिकताएँ हूबहू होती हैं, क्योंकि पुरुषों की लैंगिकता मतलब मानक लैंगिकता। 

तो बात यूं है: कामोन्माद की लिंग पहचान होती है - पुरुष और स्त्री के कामोन्माद के बीच ज़मीन आसमान का अंतर होता है और इसके कारण शारीरिक हैं। और पुरुष और स्त्री कामोन्माद के बीच के इस अंतर से हम समझ सकते हैं कि औरतें और आदमी सेक्स को बहुत अलग तरीकों से अनुभव करते हैं: उन्हें कितने फोरप्ले (संभोग पूर्व क्रीड़ा) की ज़रुरत है  

और कितनी हद तक वह कामोत्तेजित होना चाहते हैं, उन्हें सेक्स के बाद क्या करना हैं, और वह किस किस्म का पॉर्न देखते हैं। कामोन्माद तक पहुँचने के लिए उन्हें अलग-अलग ज़रियों और रास्तों का सहारा लेना पड़ता है। तो इश्क़ के इम्तहान के लिए पेश है एक कामोन्माद की कुंजी: 

पहले तो, कामोन्माद/ऑर्गैज़म क्या है? 

 आप किसी भी प्रकार के उत्तेजन की वजह से ‘पूरे शरीर को उत्साहित करने वाले कामोन्माद के रोमांचक सफर’ पर यात्री बन सकते हैं।उत्तेजन का कारण शायद एक तस्वीर हो सकती है, एक एस.एम.एस, किसी की आवाज़, कोई याद, और ज़ाहिर है छुअन।     

भले ही आप कामोन्माद की तेज़ या धीमी ट्रेन पे सवार हों, लेकिन बुनियादी चीज़ें नहीं बदलतीं। उत्तेजित होने के बाद, (ना पहले और ना इसके बगैर) आपका दिमाग जननेन्द्रिय की तरफ़ खून को बहते हुए रवाना करता है, और आपकी साँस और ह्रदय गति बढ़ जातीं हैं। केंद्रीय स्नायुतंत्र/सेन्ट्रल नर्वस सिस्टम के हज़ारों तंत्रिका सिरे/नर्व एंडिंग्स आपके दिमाग के उस हिस्से को लैंगिक आनंद के संकेत भेजते हैं जो 'इनाम' या 'आनंद' को पहचानने की क्षमता रखता है। फिर आपका शरीर एक धीमी गति से होते हुए विस्फोट या कई सारे विस्फोटों की अनुभूति करता है, जिसका मुख्यालय आपके जननेन्द्रिय में स्थित होता है।  

क्या कामोन्माद की अनुभूति पुरुषों और स्त्रीओं के लिए अलग होती है? 

अगर आप औरतों और आदमियों से पूछेंगे कि कामोन्माद होते समय वह कैसा महसूस करते हैं, तो वह करीब-करीब एक जैसी बातें कहते हैं। 

औरतें कहती हैं: एक निलंबन का एहसास, जो कुछ हद तक तैरने जैसा लगता है, जिसके बाद एक बहुत ही सुखदायक एहसास की लहरें आपके भग-शिश्न से शुरू होते हुए श्रोणि (पेल्विस) की तरफ बढ़तीं हैं - इसका मतलब है खून आपकी योनि और भग-शिश्न की ओर तेज़ी से बढ़ रहा है। उन्हें जननेन्द्रिय में गर्माहट और झुनझुनी महसूस होती है, मांसपेशियों में संकुचन होता है, इसे श्रोणि में स्पंदन भी कह सकते हैं,  और यह योनि और श्रोणि के निछले हिस्से में महसूस होता है। 
आदमी कहते हैं: वह श्रोणि की मांसपेशियों में एक गहरी गर्माहट और छोटे, तेज़ संकुचन महसूस करते हैं, लेकिन कामोन्माद में गुदे के बाहर की मांसपेशियों का, पौरुष ग्रंथि का और लिंग की मांसपेशियों का भी संकुचन होता है, जो आखिर में शुक्राणु और अन्य प्रवाह पदार्थों के वीर्यपात और कामोन्माद के साथ ख़त्म होता है। 

दोनों लिंगों में कामोन्माद डोपामाइन छोड़ता है, वह हॉर्मोन जो आपको अच्छा महसूस करवाता है, और ऑक्सीटोसिन, प्यार का नशा देने वाला हॉर्मोन, जो अपने साथी के प्रति विश्वास और प्रेम की भावनाओं को बढ़ा देता है, लेकिन ऐसा मालूम होता है कि औरतों को ऑक्सीटोसिन अधिक मात्राओं में मिलता है। 

कामोन्माद के समय आखिर औरतों और पुरुषों के शरीर में होता क्या है? 

अध्ययन बतातें हैं कि औरतों के कामोन्माद ज़्यादा जटिल होते हैं। उनके स्तन थोड़े बड़े हो जाते हैं, योनि की दीवारें स्नेहक बनाती हैं, चूची सख्त हो जाती हैं (यदि वह पहले ही फोरप्ले  (संभोग पूर्व क्रीड़ा) के दौरान ना हो गयी हों), भग-शिश्न बड़ा हो जाता है और फिर  कामोन्माद के बिलकुल पहले संकुचित होकर आधा हो जाता है, और उनकी छाती या चेहरे लाल हो सकते हैं। 

स्त्री कामोन्माद गुदे, गर्भाशय, श्रोणि की मांशपेशियों, योनि और बाहरी लेबिया में अनुभव होने वाले तालबद्ध संकुचनों का तारतम्य है। ३-१५ के बीच संकुचन अनुभवित हो सकते हैं, तकरीबन हर सेकंड में एक। 

पुरुषों में वीर्यपात से एक पानी जैसे सफ़ेद तरल पदार्थ का निष्कासन होता है जिसे वीर्य कहा जाता है, लेकिन लोग अक्सर यह नहीं समझते कि कभी-कभी औरतों का भी वीर्यपात होता है - एक पारदर्शी तरल पदार्थ जिसमें पिशाब वाले सारे रसायन होते हैं। 

कामोन्माद के दौरान आदमियों और औरतों के दिमाग में क्या चल रहा होता है? 
 
 
विज्ञान के वास्ते, कुछ लोगों ने स्कैनर की नज़र में कामोन्माद पाने के लिए अपने आप को हाज़िर किया। उनकी वजह से हम आज यह जानते हैं कि उस पल में, जिसे हम शून्य समझते हैं, हमारे दिमाग में आखिर क्या चल रहा होता है। कामोन्माद का, पुरुषों और स्त्रीओं, दोनों के दिमाग पर गहरा असर होता है। और दिमाग में एक के बाद एक कामोत्तेजना से कामोन्माद तक ले जाने वाली वह सारी शारीरिक प्रतिक्रियाएं होती हैं जिससे हम ये सब अनुभव करते हैं:  पैरों की उँगलियों का मुड़ना, और चेहरे पे अजीब अभिव्यक्तियाँ आना, मानों कि हम दर्द में हैं। 

आदमियों में कामोन्माद के दौरान, दिमाग के सेकेंडरी सोमेटोसेंसरी कोर्टेक्स, जो शारीरिक संवेदनाओं का प्रसंस्करण करता है, सक्रियित हो जाता है। इसका मतलब है कि पुरुष जननेन्द्रिय उत्तेजना पर बहुत ध्यान देते हैं। लेकिन औरतें सिर्फ दिमाग के प्राइमरी सोमेटोसेंसरी कोर्टेक्स को रजिस्टर करती हैं, जिसका मतलब है वह जननेद्रिय में अनुभूति रजिस्टर करती हैं, लेकिन उसे आदमियों जितना महत्त्व नहीं देती हैं। 

और औरतों में, कामोन्माद की चरम सीमा के दौरान, दिमाग के कुछ हिस्से बंद हो जाते हैं और मन एक व्यामोह, एक तन्मयावस्था जैसी स्थिति में चला जाता है। यह कैसे काम करता है? औरतों के दिमाग के कुछ हिस्से जो भावनाओं के प्रसंस्करण करते हैं, कामोन्माद के दौरान बंद हो जाते हैं। कहते हैं कि, शरीर के दो हिस्से - जिन्हें अमिग्डाला और हिप्पोकैम्पस कहते हैं - उनके आराम करने से चिंता और सतर्कता दोनों कम हो जाते हैं और फीमेल नर्वस सिस्टम (महिला तंत्रिका तंत्र) दिमाग के दर्द महसूस करने की क्षमता को भी खंडित कर देता है। 

कितने समय तक? 

औरतें कई कामोन्माद एक के बाद एक, बिना किसी रुकावट के, अनुभव कर सकती हैं। 

कुछ सालों पहले, शोधकर्ताओं को औरतों और आदमियों के दिमाग में कामोन्माद के अनुलवन के बारे में काफी सार्थक फर्क नज़र आये। पुरुष दिमाग के कुछ हिस्से कामोन्माद के बाद उत्तेजित करने पर प्रतिक्रिया नहीं करतें हैं, तो इस चुप्पी से उभरने के लिए उन्हें एक 'रिफ्रैक्टरी पीरियड'(आग रोक की अवधि) की ज़रुरत होती है (इसमें कुछ मिनिटों से लेकर कुछ घंटे लग सकते हैं, और बिना वीर्यपात के 'ड्राई' कामोन्माद की क्षमता रखने के बावजूद, ऐसा होता बहुत कम है)। 

दूसरी ओर औरतों को अपने जननेद्रिय से संकेत मिलते रहते हैं, और वह काफी बार कामोन्माद की चरम सीमा तक पहुँच सकती हैं। इस वजह से वह काफी समय तक संभोग कर पाती हैं, और आदमियों के एक कामोन्माद के बाद भी उनके उसी मूड में रहने की संभावना है।  

सुना है कि औरतों में सबसे ज़्यादा कामोन्माद का रिकॉर्ड है १३४, और उनकी तुलना आदमियों में सिर्फ १६ का रिकॉर्ड है। 

कितने समय तक? 

औरत का कामोन्माद अक्सर ज़्यादा लंबा टिकता है - २० सेकंड या उससे कहीं ज़्यादा - जबकि आदमियों का कामोन्माद ३ से १० सेकंड तक टिकता है।   

क्या औरतों के अलग-अलग तरह के कामोन्माद होते हैं? 

जहाँ लिंग के पास दिमाग तक संवेदनाओं को पहुंचाने का सिर्फ एक ही ज़रिया  है, वहीं औरतों के जननेद्रिय के पास कम से कम तीन हैं। 

औरतें भग-शिश्न को, अंदरूनी योनि के होठों को, और गर्भाशय के पास वाले क्षेत्र को उत्तेजित करके कामोन्माद पा सकती हैं, लेकिन सबसे आम कामोन्माद भग-शिश्न को उत्तेजित करने से होता है। 

कई दशकों तक, 'जी-स्पॉट' के तगड़े कामोन्माद के विचार को लेकर काफी बहसें चलीं। इस कामोन्माद को पाने के लिए जी-स्पॉट को कामोत्तेजित करना ज़रूरी था, जोकि योनि के कुछ सेंटीमीटर अंदर एक खंखरा ऊतक का क्षेत्र है। लेकिन आजकल, वैज्ञानिक नहीं जानते कि अगर यह स्पॉट वास्तविक रूप में है भी या नहीं, ओर क्या सारी औरतें इस स्पॉट को उत्तेजित करवाना पसंद करेंगी। 

बहुत सारी औरतें प्रवेश या संभोग के मुकाबले  ओरल सेक्स ( लैंगिक क्रिया जिसमें कामोत्तेजित करने के लिए जननेंद्रिय मुंह का इस्तेमाल किया जाता है)  या हस्तमैथुन के ज़रिये कामोन्माद अनुभवित करती हैं, (सर्वेक्षणों ने कहा है कि सिर्फ २५ फ़ीसदी औरतें प्रवेश करने वाले सेक्स में कामोन्माद पाती हैं, और १० फ़ीसदी कभी कामोन्माद नहीं पाती) और यौनिक कामोन्माद बहुत दुर्लभ हैं। 

कामोन्माद पाने में कितना समय लगता है? 

कहा गया है कि हस्तमैथुन में दोनों पुरुष और स्त्री औसत रूप से ४ मिनिट लेते हैं। औरतों को प्रवेशक संभोग के दौरान कामोन्माद पाने में २० मिनिट से एक घंटा लग सकता है, और आदमी एक मिनिट से १० मिनिट तक टिक पाते हैं, जबकि ज़्यादा देर तक टिक पाना, ७ से १३ मिनिट के लिए, आदमियों के बीच चिंता और डींगे मारने का एक प्रमुख स्रोत बन सकता है। 

क्या औरतों के लिए कामोन्माद पाना ज़्यादा मुश्किल है? 

सेक्स चिकित्सक कहते हैं कि औरतें कामोन्माद तक ज़्यादा नहीं पहुँचती क्योंकि उन्हें फोरप्ले (संभोग पूर्व क्रीड़ा) के दौरान पर्याप्त रूप से उत्तेजित नहीं किया जाता है। ढंग से उत्तेजित होने के लिए औरतों को पर्याप्त फोरप्ले की ज़रुरत है। इससे यह विचार पैदा हुआ है कि भग-शिश्न तुनुकमिजाज़ी है और गरम होने के लिए इसे सदियाँ  लग जाती हैं। लेकिन वास्तव में, औरतों को कामोन्माद पाने के लिए, कुछ मिनिटों से लेकर एक घंटा लग सकता है। सब निर्भर करता है। 
 

वैसे हमें कामोन्माद क्यों होते हैं? 

पुरुष कामोन्माद से अक्सर (पर हमेशा नहीं) वीर्यपात होता है। शुक्राणुओं का वीर्यपात द्वारा यह निष्कासन प्रजनन के लिए अनिवार्य है। 

वैज्ञानिकों ने सालों बिताएं हैं सोचते हुए कि जब औरतों को प्रजनन के लिए कामोन्माद की ज़रुरत नहीं है, तो फिर उन्हें कामोन्माद क्यों होते हैं। लेकिन पिछले साल वह इस 'विकासवादी रहस्य' को सुलझाने के थोड़ा करीब आये, जब जीवविज्ञानियों ने प्लेसेंटल मैमल्स (अपरा स्तनधारियों)  में स्त्री कामोन्माद की बारीकी से जांच की, और संकेत किया कि स्त्री कामोन्माद शायद १५० मिलियन साल पहले शुरू हुए, उस समय से जब कामोन्माद ने ओवुलेशन (डिंबक्षरण) में सहायता की (शायद पहले औरतों के शरीर से बिना संभोग के अंडे निष्कासित होते थे) और इस तरह से अण्डों का निष्कासित और फलयुक्त होने की संभावना बढ़ा दी। 

अब तक बड़े सारे मत हैं इस पर: एक थ्योरी स्त्री कामोन्माद को पुरुष और स्त्री के रिश्ता बनाने और युगल बनने का तरीका मानती है और वर्णित करती है, जबकि दूसरी ज़्यादा कार्यात्मक है, और संकेत देती है कि गर्भाशय के कामोन्मादिक संकुचन शुक्राणु को योनि से खींचने के लिए बनाये गए हैं। 

हमारी (गैर-वैज्ञानिक) थ्योरी है कि प्रकृति माँ ने फैसला किया कि सम्भोग के दौरान सबको मज़ा लेने में बराबरी का मौका मिलना चाहिए।   
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