जवानी की दहलीज़ पर आते ही हमारा दिमाग गुप्तांगों को सिग्नल देने लगता है | कहता है कि, समय आ गया है ‘बढ़े होने का |’ तुम्हारे बदन के सेक्स सम्बन्धी अंग, मैच्यौर होने लगे हैं | ज़्यादातर, योनि मालिकों में ये सब, दस से चौदह साल के बीच शुरू हो जाता है | और बाकियों के लिए यह जवानी का बीज, बारह से अट्ठारह साल के बीच फूटता है और बस! फ़िर शुरू होती है आपके शरीर के अन्दर हार्मोन की ‘कहानी घर घर की |’ जिसमें एक्शन, रोमांस, रोमांच और लड़ाई.. ज़िन्दगी के सारे मसाले मिलेंगे, और वो ज़िन्दगी भर आपके साथ रहेंगे | साइंटिफिक भाषा में बोलें, तो तुम्हारा हाइपोथैलेमस (दिमाग के आगे के भाग में मौजूद), गोनाडोट्रोफ़िन छोड़ने हॉर्मोन- GnRH- Gonadotrophine releasing hormone - बनाना शुरू कर देता है | ये हॉर्मोन आपकी पिट्यूटरी ग्रंथियों को ईशारा करता है कि चलो आगे बढ़ो, और FSH /फॉलिकल स्टीमुलेटिंग हॉर्मोन/ Follicle stimulating hormone और ल्यूटिनाइजिंग होर्मोन्स / luteinizing hormone को बॉडी के अन्दर छोड़ो! इससे तुम्हारे अंडाशय और टेस्टीज़ विकसित होने लगते हैं | एस्ट्रोजेन एंड टेस्ट्सटरोन भी बनना शुरु हो जाते हैं | तुम्हारा रंग रूप और तुम्हारा शरीर किस तरह विकसित होगा, यह इन दो होर्मोन्स की मिली भगत पर पे डिपेंड करता है | जैसे कि – तुम्हारे जननांगों और हाथ के बगलों/ आर्मपिट में बाल आने शुरू हो जायेंगे | और टेस्ट्सटरोन मालिकों के चेहरों पर भी; तुम्हारी आवाज़ ‘फ़टने’ लगेगी और जूही चावला वाली आवाज़ एकदम से अमिताभ बच्चन जैसी दमदार बन जायेगी | क़द और वज़न के साथ, तुम्हारे सेक्सुअल अंग और स्तन, लिंग और अण्डकोश भी विकसित होने लगेंगे | और जब शरीर के अन्दर बाहर इतनी सारी चीज़ें होंगी, तो, शरीर को पहले से ज़्यादा थकावट महसूस होगी | और आपको पहले से ज़्यादा चिड़चिड़ाहट भी होगी | तुम्हारी चड्डी में लगने वाला पतला, सफ़ेद या पारदर्शी पदार्थ, तुम्हारी योनि से ही निकला होता है | प्यूबर्टी की शुरुआत में ऐसा होना बहुत नार्मल चीज़ है | तुम्हारा शरीर एस्ट्रोजेन बना रहा होता है | जो तुम्हारी योनि में मौजूद ग्रंथियों को आर्डर देता है कि चलो, सफ़ेद बलगम जैसा पदार्थ बनाओ | जो पहले से ज़्यादा गहरा होता है | तुम्हारी ओवरी/अंडा शय अंडे बनाना शुरू करती है | जिसका मतलब यह है, कि तुम्हारा महीना जल्द ही शुरू होने वाला है | लेकिन अगर इस गीलेपन से बदबू आये या पीलापन दिखे, तो तुरंत अपने गार्डियन या डॉक्टर को बतलाओ | यह इन्फेक्शन भी हो सकता है | प्यूबर्टी के समय शरीर में कई बदलाव होते हैं | उनमें से एक बदलाव ये भी होता है, कि हमारे आर्मपिट यानि बगलों में बाल उगने लगते हैं | और वैसे भी प्यूबर्टी के समय, तुम्हारी पसीने की ग्रंथियाँ ओवरटाइम काम करती हैं | तुम्हारे पसीने में केमिकल्स पैदा होते रहते हैं, जो नए बालों की फ़सल में जम जाते है | और तो और, तुम्हारे स्किन और बाल, दोनों ही अक्सर ऑयली होने लगते हैं | जिसकी वजह से तुम्हें अपना बदन पहले से बदबूदार लगने लगता है | एक अच्छे परफ्यूम या डीयोड्रेंट को साथ में रखने के अलावा तुम और कुछ नहीं कर सकते | रहा, हेयर रिमूवल का तरीका? क्या कहें, इससे वो जगह साफ़ लगेगी | पर इन बालों का पसीने और उसकी बदबू से कोई ताल्लुक नहीं होता है | वैज्ञानिकों मानते हैं कि जनानगों के बालों का एक ख़ास काम था | फेरोमोंस को फँसाना| अगर हम गुर्रिलों की तरह नंग-धडंग घुमते, तो हमारे जननांगों से निकलती बढ़िया, तेज़ सी बू, और इंसानों को हमारी ओर आकर्षित करने का काम करती | और जननांगों के घुंघराले बाल इस गंध को बनाए रखने में हमारी मदद करते | यानी आदिकाल का एक्स डीयोड्रेंट ! प्युबिक हेयर, ज़्यादा से ज़्यादा, एक-डेढ़ इंच तक बढ़ते हैं | उसके बाद यह घुंघराले हो जाते हैं | पर सबके जनांग के बाल घुंघराले नहीं होते, कुछ के स्ट्रेट हेयर भी होते हैं| और कभी कभी इनका रंग शरीर के बाकी बालों के रंग से अलग सकता है (कहा जाता है कि इसका रंग आपके भौं के बाल के रंग से मेल खाता है) | शरीर के बाकी बालों के मुकाबले प्युबिक हेयर ज़्यादा घने और खुरदुरे होते हैं| इस वजह से वो आपके जनांगों और अंडकोष की सुरक्षा कर पाते हैं- ज़्यादा घर्षण, गीलापन, बाहरी बैक्टीरिया और अनजानी चीज़ों के अन्दर जाने से बचाते हैं |आपके गुप्तांगों के चुस्त सिक्योरिटी गार्ड की तरह | अगर आप अपने प्युबिक हेयर को कंट्रोल में रखना चाहते हैं, तो समय समय पर ट्रिम करते रहें | और अच्छे नेचुरल साबुन का इस्तेमाल करें | आपके प्युबिक हेयर वाली त्वचा, नाज़ुक होती है | इसलिए लगातार शेव नहीं करना चाहिए | क्योंकि इससे जब बाल वापस उगते हैं, तो आपको खुजली हो सकती है| जिससे इन्फेक्शन और स्किन पर स्पॉट्स/चकत्ते हो सकते हैं | बिल्कुल नहीं, प्युबर्टी आपको बच्चे से बड़ा बनने में मदद करती है| इसका आपके जेंडर से कोई मतलब नहीं होता है | आपका आदमी, औरत या कोई और जेंडर होना, बायोलॉजी पर निर्भर नहीं है | आपका सेक्स/ शरीर की रचना इस बात पे असर करते हैं, कि आपका शरीर प्यूबर्टी के दौरान हॉर्मोन कैसे छोड़ेगा | पर जेंडर इससे अलग चीज़ है- जेंडर आपकी फीलिंग्स पे आधारित है l आपकी जेंडर पहचान आदमी औरत तक ही सीमित नहीं| आप खुद को ट्रांसजेंडर भी मान सकते हैं, या नॉन-बाइनरी(स्त्री पुरुष की पहचान से परे) या जेंडर अग्नोस्टिक(किसी भी जेंडर में विशवास ना होना) भी| जो आपको ठीक लगे| आप जिस नज़र से दुनिया को देखते हैं, प्यूबर्टी के आने पे, होर्मोनेस उसपे असर करते हैं | ये समय, अपने को समझने और पहचानने का टाइम हो सकता है - कि आपको क्या आकर्षित करता है, आपको क्या नेचुरल लगता है | आपको अन्दर से क्या करना नॉर्मल या सही लगता है | याद रखो, यहाँ कोई नियम नहीं है | अपने को वो करने दो जो आपको अंदर से सही लगे | आपके बदन में होने वाले बदलाव, प्यूबर्टी के साथ शायद रुक जाएँ | पर आप बदन और/ या अपने जेंडरबदलने का डिसिशन ले सकते हैं | अगर आप अपनी फीलिंग्स को लेकर कंफ्यूज हैं, तो किसी काउंसेलर या थेरेपिस्ट से मिलें | चलो, शुरु से शुरू करते हैं | आपका पीनिस तब खड़ा हो कर सलामी देता है, जब वहाँ खून का बहाव स्पीड से पहुँचता है | जब भी आपको वो गुदगुदाने वाले, सुरूर देने वाले ख़याल आते हैं, तब भी ( पर हमेशा नहीं )वो खड़ा हो जाता है | और यह मत समझिये कि यह केवल आपकी परेशानी है| इरेक्शन होना नार्मल है | हर लिंग मालिक का यह हाल है | यह दिन के किसी भी समय, किसी भी जगह सलामी देता है | यह जब भी बिना बताये सलामी ठोकता है तो आपके आस-पास मौजूद लोग भी ऊपर नीचे दायें बायें देखने लगते हैं | आप भी, वो भी, झेंप जाते हैं | पर टेंशन नहीं लेने का मामू | समय के साथ, आप चलते समय इसे एडजस्ट करना सीख जाओगे| ताकि आपको बहुत ज़्यादा अजीब न लगे | इरेक्शन सोते समय भी हो सकता है, और आपके जागने पे (जिसे ‘मोर्निंग वुड’) भी कहते हैं | कभी कभी आपको स्वप्न दोष भी हो सकता है | जिसमें सोते समय, आपके लिंग से वीर्य निकलता है और बिस्तर गीला कर देता है (ये बचपन में बिस्तर गीला करने से अलग है)| इस सब का मतलब है, आपके अन्दर टेस्ट्सटेरोन बनना शुरू हो चुका है | यानी आपकी बॉडी सेक्सुअली मैच्योर होने लगी है | बोले तो, तू बड़ा हो रहा है मामू | किसने कहा कि केवल लिंग मालिक ही सरका कूटते हैं | ऐसा लगता है कि मुट्ठ मारने से, उनको बार बार होने वाले इरेक्शन की दिक्कत से आराम मिलता है | इसीलिए वो अपनी ख़ुशी अपने हाथ में, बहुत पहले से ले लेते हैं | हमारे कल्चर में औरतों को खुद की सेक्सुअलिटी के बारे में अभी भी खुलकर बात करने की उतनी आज़ादी नहीं है, जैसे केवल लिंग मालिक ही सेक्स कर सकते हैं | शायद इस वजह से आपने केवल लड़कों के मुट्ठ मारने की बात सुनी होगी | पर यार, हर कोई हस्तमैथुन के मज़े लेता है | हस्तमैथुन या मुट्ठ मारने से आपके शरीर में हैप्पी हार्मोन्स पैदा होते हैं | इससे आपको यह भी पता चलता है, कि आपको क्या अच्छा लगता है | अपनी बॉडी को छुओ, अलग अलग पार्ट्स को छुओ | और जानो कि वो क्या है, जो तुम्हारे बदन में करंट पैदा करता है | ब्रेस्ट्स और जननांग सबसे ज़्यादा संवेंद्नशील होते हैं | छूने पर यह सबसे जल्द रियेक्ट करते हैं | याद रखें, कि हस्तमैथुन करने से आपको दर्द नहीं होना चाहिए | सबका अपना अपना स्टाइल और अपनी पसंद नापसंद होती है| किसी को ऊँगल से मज़ा मिलता है तो किसी को हेयर ब्रश से | आपको अपने बदन की सुननी चाहिए | हमारे हस्तमैथुन लाइब्रेरी में आपको कई उपयोगी जानकारी मिल सकती है | टैम्पोंस या मेंसट्रूल कप्स से डरने की ज़रुरत नहीं है| आपकी योनि में घुसकर इनका पहुँच के बाहर हो जाने का कोई चांस नहीं | ये हो सकता है कि अगर आप ने इन्हें ठीक से अंदर न घुसाया तो ये बाहर गिर सकते हैं | आपके योनि के मसल्स टैम्पोंस को पकड़ कर रखते हैं | यही काम मेंसट्रूल कप्स सक्शन के ज़रिये करते हैं | इनको लगाते या निकालते वक्त, दर्द नहीं होना चाहिए| अगर यह ठीक से फ़िट हों, तो आपको इनके होने का एहसास भी नहीं होना चाहिए | और अगर आपको डर है, कि इन मेंसट्रूल प्रोडक्ट्स से आपका हाईमेन या झिल्ली टूट जायेगी, तो यह दुविधा भी दूर किये देते हैं | आपका हाईमेन डांस या एक्सरसाइज करते वक्त भी टूट सकता है | हमारे समाज और कल्चर में हाईमेन को आपके कुंवारेपन की निशानी मानकर उसका हऊआ बना दिया है | पर असल में आपकी वर्जिनिटी या कुंवारेपन का हाईमेन के टूटने से कोई सम्बन्ध नहीं होता है | यह एक झिल्ली है जो बहुत आसानी से टूट सकती है | ज़्यादातर मामलों में तो आपको पता भी नहीं चलता कि यह कब टूट चुकी होती है | सेनेटरी पैड्स, मेंसट्रूल कप्स, पीरियड पैंटीज़ जैसे कई मेंसट्रूल प्रोडक्ट्स हैं जो आप इस्तेमाल कर सकते हैं | यह याद रखना ज़रूरी है, कि सबकी बॉडी अलग होती है और हर प्रोडक्ट के अपने फ़ायदे और नुक्सान होते हैं | किसी भी प्रोडक्ट को लेने से पहले, उसके बारे में ऑनलाइन चेक करें | या जिसने भी उसका इस्तेमाल किया है, उससे बात करें | यह जानने की कोशिश करें, कि वो आपकी ज़रूरतों को पूरा कर सकता है या नहीं | टैम्पोंस या मेंसट्रूल कप्स आपको घूमने की पूरी आज़ादी देते हैं | और स्विमिंग करने के लिए भी सेफ़ आप्शन हैं | मेंसट्रूल कप्स का इस्तेमाल करने की सोच रहे हैं, तो ध्यान रखें कि आपके आस पास बाथरूम का होना ज़रूरी है | ताकि जब भी ज़रुरत हो, आप उसे निकाल के कप को धो सकें और फिर इस्तेमाल कर सकें | कुछ भी प्रोडक्ट इस्तेमाल करने से पहले, उससे जुड़े निर्देश ज़रूर पढ़ें | पीरियड्स मिस करने से भयंकर हॉरर स्टोरी की फीलिंग आती है, है न | क्योंकि हमारी फ़िल्मों, सीरियल्स के अनुसार, तो अगर आपने पीरियड्स मिस किया, तो आप प्रेग्नेंट हैं | असल में, आपके पीरियड्स के शुरुआती सालों में ,अनियमित पीरियड्स होना नार्मल बात है| अनियमित पीरियड्स के कई रूप होते हैं - जैसे पीरियड्स मिस होना या पीरियड्स के दौरान बहाव का कम -ज़्यादा होना | और कभी कभी तो, बिना बताये, असमय ही पीरियड्स चालू हो जाते हैं | जब आपके पीरियड्स थोड़ा सेटल होने लगते हैं, तब आपकी पीरियड साइकिल चौबीस और अट्ठाईस दिन लम्बी होती है | जो तीन से सात दिन तक चल सकती है | एक्सरसाइज, तनाव और आपके शरीर के न्यूट्रीशनल लेवेल्स, भी आपके पीरियड्स के अनियमित होने का कारण हो सकते हैं | पर अगर यह उतार चढ़ाव कम हैं तो दिक्कत की कोई बात नहीं | कभी कभी आपके पीरियड्स हद से ज़्यादा ही अनियमित होते हैं | और दो तीन साल बाद भी एक रूटीन में नहीं बैठ पाते हैं | कभी कभी इससे दर्द अचानक से शुरू हो जाता है | ऐसे में अपने बड़ों को इसके बारे में बतायें और डॉक्टर से मशवरा लें | अपने पीरियड की डिटेल्स नोट करने की कोशिश करें जैसे- तारीख, अवधि, उसके शुरू और दौरान होने वाले लक्षण) या फ़िर आप फ़्लो या मायट्रैकर नामक एप्स का भी इस्तेमाल कर सकते हैं | जब आपके यूटरस या गर्भाशय की दीवार सिकुड़ती है, तब आपके पेल्विक/पेड़ू का एरिया, पीठ और पेट, सब ऐंठने लगते हैं | जिसके कारण आपके बाकी शरीर के हिस्सों में दर्द होता है | एक कम्फ़र्टेबल पोज़िशन जैसे तकिये को गले लगाकर सोने से इस दर्द से थोड़ा आराम मिल सकता है| हॉट वाटर पैक्स, गर्म पानी वाला शावर लेने से या एक्सरसाइज करने से भी, आपको आराम मिल सकता है | अगर दर्द बहुत ज़्यादा हो, तो आप सूजन से आराम देनी वाली दवा भी ले सकते हैं | पर बिना डॉक्टर के सुझाव के, कोई भी दवा ना लें| अगर आप हद से ज़्यादा ही दर्द और परेशानी झेल रहे हैं तो यह पी.सी.ओ.डी. (पॉलिसिस्टिक ओवरी डिजीज- जिसमें कई कारणों से, ओवरी में छोटी-छोटी गांठ हो जाती हैं) या अडोलेसेंट डीसमेनोरहिया/ adolescent dysmenorrhea (किशोर लड़कियों में पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द) | बहुत ज़्यादा ऐंठन से जब सर चकराना, बेहोशी, थकान, उलटी, पेट और पाँव में दर्द होना, इन बीमारियों की निशानी हो सकती है | बेहतर है, कि आप किसी डॉक्टर से मिलें | जवानी की दहलीज़ से आगे बढ़कर, आपके शारीरिक बदलाव कौन से हों,गे और कितने देर तक होंगे, यह आपके सेक्स पर निर्भर करता है | कद: यह आपके जेनेटिक्स और हार्मोन्स पर डिपेंड है| योनी मालिकों में इसकी शुरुआत थोड़े जल्दी होती है,और 17-18 की उम्र में रुक जाती है | और सेक्स वाले लोगों में ये सब थोड़ी देर से शुरू होता है | कुछ लिंग वाले लोगों में, ये कद, बीस साल के होने के बाद भी बढ़ता रहता है | सही खानपान और एक्टिव रहने से आपकी लम्बाई को बढ़ाने में मदद मिलती है | बूब्स/स्तन/मम्मे: एक बार जब यह बढ़ने लगते हैं, तो पाँच साल तक तेज़ी से विकसित होते हैं | और माना जाता है कि जब यह दूध बनाना शुरू कर देते हैं, तब यह पूरी तरह से विकसित हो चुके होते हैं | इनके साइज़ का कम ज़्यादा होना आपके होर्मोन्स और आपके वज़न के बढ़ने और घटने पर डिपेंड करता है | अगर आपको इनमें दर्द महसूस हो या ज़्यादा सॉफ्ट लगें तो इनके साइज़ में बदलाव आने वाला है | और नहीं ओ आपके पीरियड्स शुरू होने वाले हैं | याद रखें, कि ब्रेस्ट्स का कोई एक आदर्श साइज़ नहीं होता है | प्युबर्टी के समय फैट युक्त खाना जैसे नट्स, दूध, पपीता, सोया खाने से आपके बूब्स के साइज़ के बढ़ने में मदद होती है | क्योंकि बूब्स ज़्यादातर फैट से ही बना होता है | लिंग: एक और शरीर का भाग जहाँ साइज़ का कोई मतलब नहीं होता है | लिंग की लम्बाई कुछ भी हो सकती है | अगर आप मुट्ठ मार सकते हैं, पानी निकाल सकते हैं और (जब आप तैयार हों ), अपने पार्टनर के साथ सेक्स का मज़ा ले सकते हैं – तो बस, इतना काफ़ी है| एक सामान्य लिंग की लम्बाई सख्त होने पर पाँच इंच से थोड़ी ज़्यादा होती है और जब सख्त नहीं होता तब 3.5 इंच होती है | टिप पर एक्स्ट्रा स्किन होने के कारण कभी कभी आपका लिंग छोटा दिख सकता है | कुछ लोगों को माइक्रो पेनिस नामक कंडीशन होती है | जहाँ हार्मोनल और जेनेटिक कारणों से, उनके लिंग एवरेज से कम साइज़ के होते हैं | पर एक रेगुलर साइज़ लिंग जैसा ही सारा काम करते हैं | टीवी, फ़िल्मों या पोर्न में आप कुछ भी देखें | सबसे ज़रूरी बात ध्यान रखें, कि हर शरीर अलग होता है और आपके शरीर की सुन्दरता सिर्फ़ आपके लिंग के साइज़ पर डिपेंड नहीं होती है | तो अपने भड़कते, भड़काते हुए हार्मोन्स का दिल खोल कर, मुस्कराते हुए स्वागत करिए| क्योंकि प्युबर्टी बदलाव का समय होता है | और समय के साथ यह बदलाव आपको नए नए अनुभव कराता है |
ओये हार्मोनों ! हमारे अन्दर डांडिया डांस कर रहे हो?! चढ़ती जवानी की 11 परेशानी !
जवानी की दहलीज़ पर आते हुए ही होर्मोनेस आपके शरीर में क्या करते है?
रिसर्च और लेखन : वर्षा रामचंद्रन, नंदिनी शर्मा
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