मानसिक स्वास्थ्य या मेंटल हेल्थ के क्षेत्र में काम करने वाले प्रोफ़ेशनल्ज़ को बोलचाल की भाषा में श्रिंक कहा जाता है। हमारी तनावपूर्ण ज़िंदगी कई बार हमारी भावनाओं पे असर करती है l मेंटल हेल्थ प्रोफ़ेशनल हमें इन चुनौतियों का सामना करने और हमारे मेंटल हेल्थ को बनाए रखने में मदद करते हैं। अलग अलग तरह के मेंटल हेल्थ प्रोफ़ेशनल होते हैं, जैसे:
- साइकीएट्रिस्ट या मनश्चिकित्सक की MBBS और मनश्चिकित्सा में MD की डिग्रियाँ होती हैं। उनकी इन डिग्रियों की मदद से वे यह तय कर सकते हैं कि किसी शख़्स को कौनसी मानसिक बीमारी हुई है। वह उस मानसिक बीमारी के लिए दवाइयाँ लिखकर देते हैं और अक्सर अस्पताल में या ख़ुद की प्राइवेट प्रैक्टिस में काम करते हैं।
- क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट की क्लिनिकल साइकोलॉजी ( clinical psychology) में MPhil की डिग्री होती है। वे किसी की मनोवैज्ञानिक जाँच करवा सकते हैं, ये भी तय कर सकते हैं कि कौनसी मानसिक बीमारी हुई है और थेरपी एक ख़ास तरीके से बातचीत के ज़रिये चिकित्सा भी दे सकते हैं। लेकिन वे दवाइयाँ लिखकर नहीं दे सकते। वे अस्पताल में या ख़ुद की प्राइवेट प्रैक्टिस में काम कर सकते हैं।
- काउंसलिंग (यानी ख़ास तरह से बातचीत के ज़रिये चिकित्सा देने वाले) साइकोलॉजिस्ट की काउंसलिंग साइकोलॉजी ( counselling psychology) में MA की डिग्री होती है या उस विषय में विशेष डिप्लोमा होता है। जो लोग अपनी भावनाओं के साथ जूझते हैं और जिन्हें उनपर क़ाबू नहीं होता, वे काउंसलिंग साइकोलॉजिस्ट की मदद ले सकते हैं। यह भी दवाइयाँ लिखकर नहीं देते। वे या तो किसी मानसिक स्वास्थ्य के संस्था में काम कर सकते हैं या ख़ुद की प्राइवेट प्रैक्टिस चला सकते हैं।
- मेंटल हेल्थ सोशल वर्कर की ‘सोशल वर्क’ या ‘समाज सेवा’ में डिग्री होती है जिसके अंतर्गत वो मेंटल हेल्थ से जुड़े मामलों में विशेषज्ञता पाती/पाता है। ये समुदायों के साथ काम करते हैं और लोगों को ये समझने में मदद करते हैं कि सामाजिक परिस्तिथियों और सांस्कृतिक मुद्दों का किस तरह से एक इंसान पे दिमागी असर हो सकता है । वे लोगों तक मेन्टल हेल्थ सेवाएं पहुंचाने में भी मदद करते हैं ।
- बच्चों के साइकोलॉजिस्ट ख़ास यह सीखते हैं कि बच्चों और टीनेजर की मदद कैसी करनी है ।
- साइकोलॉजिस्ट ख़ास तौर पर कपल और ख़ानदान के सदस्यों को थेरपी कैसे देनी है, इसकी ट्रेनिंग ले सकते हैं।
- ऐसे थेरपिस्ट भी होते हैं जो सीखते हैं, कि कैसे लोगों को संवेदनशील रूप से सदमों में से निकलने की मदद की जाए। सदमे के कारण आने वाली तीव्र भावनाओं से निपटने में भी वे इन लोगों की मदद करते हैं।
- कुछ थेरपिस्ट LGBTQIA+ समुदाय के लोगों के साथ काम करने की शिक्षा पाते हैं। ये थेरपिस्ट इस समुदाय के लोगों की विशिष्ट चिंताएँ और पीड़ाएँ समझते हैं।
- जो लोग चाहते हैं कि बात करने के अलावा भी किसी क़िस्म की थेरपी हो, वो एक्सप्रेसिव आर्टज़ थेरपिस्ट( expressive art therapist) से मिल सकते हैं। ऐसे थेरपिस्ट पेंटिंग, नाच, नाटक या गाने, यानी कला के माध्यम से लोगों को थेरपी दिलाकर उनकी मदद करते हैं।