रजोनिवृत्ति /मेनोपॉज़/Menopause (बदन का एक कुदरती बदलाव, पीरियड्स के चक्र का रुक जाना), एक मज़ाक सा बनकर रह गया है। औरतों के ऊपर कसे जाने वाले जोक्स में से एक ! कोई लाइफ के इस एपिसोड को गंभीरता से लेता ही नहीं। पीरियड्स से संबंधित हेल्थ और औरतों के प्रति भेदभाव के बारे में जब भी बात होती है, उसमें रजोनिवृत्ति को शामिल ही नहीं किया जाता है। ठीक वैसे ही, जैसे मेनोपॉज़ शुरू होते ही पीरियड्स गायब हो जाते हैं (रगड़ रगड़ के)।
देखा जाए तो औरतों और उनके शरीर के प्रति ये दोहरा भेदभाव है ना। क्या जेंडर के आधार पे भेदभाव काफी नहीं था, जो अब ये उम्र के आधार पे भी भेदभाव उसमें शामिल हो गया।
अक्सर लोग इसको लाइफ का एक 'चेंज'/बदलाव बोल के निकल लेते हैं । लेकिन ये क्या कोई फोन का अपडेट है कि डाउनलोड किया और हो गया ! मेनोपॉज़ तो एक पैराबोला/ परवलय (Parabola- गणित में एक किस्म के वक्र को कहते हैं, एक कर्व, जिसके बीच की बिंदु से अगर दो भाग किये जाएँ, तो एक भाग, दूसरे के प्रतिबिम्ब सा दिखेगा ) जैसा है। अपनी ज़िंदगी के इस कर्व पे जब हम सफर करते हैं, तो शुरुआत पेरिमेनोपॉज़ (रजोनिवृत्ति की तरफ ले जाते आखिरी दिन) से होती है, फिर रजोनिवृत्ति के साथ ये सफर चरम सीमा पर पहुँचता है और फिर धीरे धीरे, बहुत धीरे धीरे, ये सफर, थोड़ा शांत होने लगता है । उफ्फ! अब समय का ये चक्र किसके लिए, कितने दिन चलेगा, ये कहा नहीं जा सकता। किसी के लिए महीनों, तो किसी के लिए सालों तक !
सीधे सिंपल तरीके से बोले तो, रजोनिवृत्ति शरीर में चल रहे हार्मोनल परिवर्तनों के एक्सपीरियंस के बारे में है। और ये आपके अंदर वैसा ही उथल-पुथल मचा सकती है, जो आपने जवानी के शुरू शुरू के दिनों में, यानी पीरियड्स शुरू होने पर, महसूस किया होगा।
ये सारे, रजोनिवृत्ति के आम लक्षण हैं -
- हॉट फ्लैशेस - अचानक बर्दाश्त के बाहर वाली गर्मी महसूस करना। ये इसलिए होता है क्योंकि शरीर का एस्ट्रोजन (जिसे औरतों का हॉर्मोन भी कहते हैं) कम हो जाता है। और उसकी वज़ह से हाइपोथैलेमस (hypothalamus), यानि शरीर का थर्मोस्टेट (तापमान कंट्रोल), ज्यादा संवेदनशील हो जाता है। थोड़ी सी बेचैनी हुई, और शरीर का तापमान इतना बढ़ जाता है कि पसीने आने लगते हैं।
- नाईट स्वेट- रात को सोते समय भी अचानक से पसीने से भीग जाना या हॉट फ्लाशेस महसूस करना। बाहर के तापमान में थोड़ी फेर-बदल हुई नहीं कि मानो गर्मी की लहर का पूरे शरीर में फैल जाना। पसीने आना, स्किन का लाल होना, दिल की धड़कन तेज हो जाना! कई बार रात को पसीने में भीगने के बाद, ठण्ड वाली ठिठुरन महसूस करना।
- अनियमित पीरियड्स- यानि कभी उसका टाइम पे होना, तो कभी ना होना। यानी छुटकारा तो मिलेगा ,पर धीरे-धीरे। कभी खून का तेज़ बहाव! कभी पीरियड्स के बीच लंबा अंतराल।
- ब्रेस्ट में दर्द- पेरिमेनोपॉज़ (मेनोपॉज़ के पहले का स्टेज) के दौरान ब्रेस्ट में एक तेज़, छूरा घोंपने जैसी चुभन। या लगातार उठता दर्द! आमतौर पर, रजोनिवृत्ति के साथ ये दर्द खत्म हो जाता है।
- वैजाईना का सूख जाना, ड्राई हो जाना! ऐसा वैजाईनल एट्रॉफी (vaginal atrophy- योनि की दीवारों का पतला हो जाना) की वजह से होता है। प्राकृतिक चिकनाई कम हो जाती है। (लेकिन आप चिकनाई के लिए लुब्रिकेंट्स का इस्तेमाल कर सकते हो)।
- गड़बड़ मिज़ाज और चिड़चिड़ापन! वो इसलिए क्योंकि एस्ट्रोजन, सेरोटोनिन और नोरेपाईंफ्रिन (जिसे 'हैप्पी हार्मोन' भी कहा जाता है) को प्रभावित करता है। इससे मूड ऊपर-नीचे हो सकता है। साथ ही साथ फिज़िकल परिवर्तन का असर भी, मूड पे पड़ता है।
- थकान और डिज़्ज़ी स्पेल्स (समय समय पर चक्कर आना), इन्सुलिन बनाने में उतार चढ़ाव के कारण, शरीर को ब्लड शुगर लेवल में स्थिरता लाने में मुश्किल होती है।
- माइग्रेन्स (बार बार सर में एक तरफ होने वाला सर दर्द), नेशनल माइग्रेन सेंटर के अनुसार, माइग्रेन को पच्चास प्रतिशत से ज़्यादा, योनि धारकों में पीरियड्स से जोड़ा गया है। जैसे जैसे आप मेनोपॉज़ की तरफ़ बढ़ते हैं, पीरियड्स अनियमित होने लगते हैं| जिससे माहवारी वाले माइग्रेन का और खराब असर होता है।
- मुँह में जलन या स्वाद का बदलना, मुँह के अंदर या उसके चारों ओर सूजन, गर्माहट, सुन्न होना या जलन का अनुभव होना। इनके अलावा मुँह में धातु का स्वाद, सूखापन, दर्द और जीभ पर झुनझुनाहट के एहसास भी पाए गए हैं।
- पेट का फूलना या अपच, यानि कि आपके पेट में बदलाव होना। जिसका कारण एस्ट्रोजन की मात्रा में गिरावट होना है। मानसिक तनाव भी इसका एक कारण हो सकता है।
- बालों का झड़ना और नाखूनों का टूटना, जिसका कारण, एस्ट्रोजन में गिरावट है। कम एस्ट्रोजन की वजह से एण्ड्रोजन बढ़ने लगते हैं, जिनमें एक टेस्टेस्टेरोन है, जिसके कारण गंजापन हो सकता है या चेहरे पर बाल आ सकते हैं।
- खुजलाहट, एस्ट्रोजन (जो कि त्वचा में गीलापन और खिंचाव कायम रखता है) में गिरावट के कारण त्वचा सूखी हो जाती है|
- झुनझुनाहट, हार्मोन्स में उतार चढ़ाव के कारण सेंट्रल नर्वस सिस्टम पर असर पड़ता है। जिससे हाथों, पैरों, टांगो और हथेलियों में झुनझुनाहट होती है।
- बिजली के झटके जैसा एहसास होना, इसका संबंध परेशानी और हार्मोनल उतार चढ़ाव से है, जो नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है।
- स्ट्रेस इंकॉन्टीनेंस या यूरिनरी इंकॉन्टीनेंस, यानि पेशाब के ऊपर कंट्रोल ना होना l क्योंकि यूरिनरी ब्लैडर को सपोर्ट करने वाले पेल्विक एरिया की माँसपेशियाँ कमज़ोर हो जाती हैं।
- शरीर की दुर्गन्ध: हॉट फ्लैशेस के कारण पसीना होता है जिससे शरीर से बदबू आती है।
- ब्रेन फॉग (विचारों पर फ़ोकस न होना) के साथ भुलक्कड़पन, एकाग्रता में कमी, बार बार भूल जाना, और ध्यान ना लगा पाना भी पेरीमेनोपॉज़ के दौरान महसूस किए जा सकते हैं। इसकी वजह से नींद भी सही तरीके से पूरी नहीं हो पाती है । जिसका कारण, शरीर में होने वाले हॉर्मोनल बदलाव हैं।