नारीवादी और क्वीयर कार्यकर्ता, जया शर्मा, लगभग तीन दशकों से महिला आंदोलन का हिस्सा रहे हैं। वो 'किंकी कलेक्टिव' नाम की संस्था की को-फाउंडर भी हैं। ये संस्था बिना अनुदान के काम करती है और ये लोगों को बी.डी.एस.एम के बारे में जागरूक करते हैं।
ये बी.डी.एस.एम क्या है? (BDSM/Bondage and Discipline, Dominance and Submission, Sadochism and Masochism) ये एकसेक्शुअल रोल प्ले होता है। जहां दो लोग अपनी मर्ज़ी से अपना रोल चुनते हैं, अपनी सेक्सी कल्पनाओं को असलियत का रूप देते हैं l ये रोल कई तरह के हो सकते हैं l हो सकता है कि एक हुक़्म चलाता है और दूसरा झुककर मानता है। इसके अंदर कभी बाँडेज- पार्टनर के हाथ पैर बांध कर, या अपने बंधवा के, सेक्शुअल खेल खेलना, या डिसिप्लिन- आर्डर फॉलो करना होता है। तो कभी डोमिनांस- अधिकार जमाना- या फिर गर्दन झुकाकर आर्डर मानना। या सैडोचिसम- दर्द लेने में मज़ा पाना या मैसोचिसम- सामने वाले को दर्द देकर मज़ा पाना)।
'किंकी कलेक्टिव' संस्था, किंक (सेक्स में कोई तिगड़म या मसालेदार सेक्स में दिलचस्पी रखने वाले) के बारे में लोगों को जानकारी देती है । जया शर्मा ने खुद के किंकी, क्वीयर, नारीवादी रूप को खुलके सामने रखा है और इस सफ़र में अपने अनुभव पे अपनी सोच को वर्व मैगज़ीन और कोहल जर्नल के साथ शेयर किए।
उन्होंने AOI के साथ भी अपने बी.डी.एस.एम. के सफ़र की कहानी बांटी। उन्होंने ये भी बताया कि किस तरह कल्पनाएं हमें न सिर्फ खुद को, बल्कि अपने आस पास की दुनिया और उसकी राजनीति को भी, गहराई से देखने में मदद करती है।
फैंटेसी, नारीवाद, कामुकता और राजनीति: जया शर्मा के साथ एक इंटरव्यू
जया शर्मा के साथ बी.डी.एस.एम पे इंटरव्यू!
अनुवाद: नेहा, धर्मेश चौबे
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