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एक नार्मल मासिक धर्म/ पीरियड क्या है?

Let’s talk about periods beyond the menstruation shame business.

एक नार्मल मासिक धर्म/ पीरियड क्या है? तुम्हें याद होगा अपने पीरियड को प्यार से किसी और नाम से बुलाना- मैं डाउन हो गयी, डेट आ गयी है, महीना आ गया है, लो, मेरी मासी फिरसे मिलने आ गयी- हम ऐसा क्यों करते हैं? क्यूंकि पीरियड/ मासिक धर्म का नाम खुल कर नहीं लिया जाता, शर्म आती है! और जब पेट कस के ऐंठने लगता है, खून ज़्यादा बहने लगता है, यूं लगता है कि उल्टी हो जाएगी, तो तुम बस यही कहते हो कि " नहीं यार, तबियत ठीक नहीं है " क्यूंकि - ये सब होना तो नार्मल होता है, है न?  लड़कियों को पीरियड होता है, दर्द भी होता ही है- आखिर ज़िंदगी है, कोई साफ़ सुथरा सेनेटरी पेड का विज्ञापन तो नहीं इसमें डिसकस करने की क्या बात है? पीरियड तब तक नार्मल ही कहलायेगा जब तक वो आएगा नहीं- नहीं आया तो डिस्कशन लाजमी है सच है न ? नहीं यार, इतना सिंपल भी नहीं है. तो चलो पीरियड्स की बात ये- पीरियड और शर्म- से आगे बढ़ाते हैं कहने का मतलब?? कि नार्मल पीरियड जैसा कुछ है ही नहीं? आखिर नार्मल पीरियड किसे कहेंगे? हर एक को एक सा पीरियड तो होता नहीं हाँ, ये कह सकते हैं कि अलग अलग मापों से हम एक ऐसा टेबल बना सकते हैं जिससे नार्मल पीरियड की एक विस्तृत परिभाषा मिल सके
  • टाइम/ अवधि : आम तौर पर पीरियड   हर 25- 30 दिन के बीच लौट आते हैं. पर ये दो तीन दिन पहले या बाद में भी आ सकते हैं, ये कोई टेंशन की बात नहीं पीरियड्स अक्सर ४-७ दिनों तक रहते हैं। पीरियड से पहले दिन से ले के अगले पीरियड के पहले दिन तक के समय को मासिक चक्र बोलते है।  ये  चक्र कितने दिन चलेगा, ये हर किसी की अलग अलग होता है।  किसी के लिए  21 दिन का छोटा चक्र तो किसी के लिए 35 दिन जितना बड़ा ।  पीरियड 2 -3 पहले भी आ सकता है या 2 -3 दिन बाद भी, तो टेंशन लेने की ज़रुरत नहीं है।  ज़्यादातर पीरियड्स 2 से 7 दिन तक रहते है , लेकिन यह भी अलग अलग लोगों के लिए अलग हो सकता है । पीरियड्स शुरू होने के कुछ साल तक लम्बे पीरियड्स यानी ज़्यादा दिन तक पीरियड्स चलना, आम बात है।  लेकिन उम्र के साथ -साथ यह चक्र छोटा और नियमित होने लगता है।  तनाव , खान पान ,  रहन  सहन के तरीके में बदलाव की वजह से भी कभी कभी पीरियड्स देर  से आते हैं, या कभी कभी गायब ही हो जाते है।  यह आम बात है और कुछ टाइम बाद, खुद से ही ठीक हो जाना चाहिए।  
  • बहाव : ये टिप टिपाहट से शुरू हो सकता है, यानी छोटे भूरे रंग के धब्बे जो एलान के तौर पर आते हैंइसके बाद बहाव भारी होने लगता है हर शरीर का हलके- भारी  का अपना हिसाब होता हैऔर भारी बहाव के बाद, वापस वही टिपटिपाहट लौट आती है ( और हाँ,  गर पता न हो, तो बता दूँ- तुम्हारे शरीर से जो बाहर बहता है, वो केवल खून नहीं होता, इसमें टिश्यू ( ऊतक) शामिल होता है, म्यूकस (श्लेम) , खून के थक्के (क्लॉट) भी शामिल होते हैं. ये थक्के टिश्यू के छोटे टुकड़ों सामान लगते हैं
  • भावनाएं : कुछ लोगों के लिए पीरियड्स का आना, जाना, रेडियो में बजते हुए  एक गाने सामान होता है  उस गाने की तरह ही, पीरियड्स आते हैं, जाते हैं, सरलता के साथकुछ लोगों  पर पी.एम.एस .( प्री मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम- पीरियड के आने के ठीक पहले या दौरान, मन और बदन पर उसका प्रभाव होता है - इसे पी.एम.एस. कहते हैं) ख़याल गायकी के सामान छा जाता है, शुरू होते ही बढ़ता ही जाता है, और धीरे धीरे वापस सम पर आता है पीरियड जब आने वाला होता है, किसी को फुंसियां हो सकती हैं, किसी के पेट में ऐंठन हो सकती है, या पीठ का निचला भाग दुःख सकता है, भावनाओं का उतार चढ़ाव हो सकता है, छातियाँ दुःख सकती हैं, थकान, चिड़चिड़ाहट, निराशा हो सकती है, मूड बार बार बदल सकता है
बोनस : कुछ लोगों का कहना है, की पीरियड के ख़त्म होने पर उन्हें सब कुछ नया नया लगता है- हो सकता है, ये राहत का असर हो? अगर पीरियड की लाइफ साइकिल का चित्रण हो, कुछ मज़ाकिया ढंग से, वो कुछ यूं होगा वी. आई. पी .- बड़ा ख़ास मुद्दा . आम तौर पर पीरियड के दौरान कितना खून बहता है, ये कहना मुश्किल है कह सकते हैं की आम तौर पर औरतें पीरियड के दौरान खून के ६-८ चम्मच खून बहाती हैं वी. वी. आई. पी.-यानी और भी ख़ास मुद्दा सबसे ज़रूरी बात है, अपने पीरियड को ध्यान से देखो, अपने शरीर के तौर तरीकों को समझो, ताकि उनमें कोइ फरक हो, तो तुम  डाक्टर के पास जाकर ये पता लगा सको कि ऐसा क्यों हो रहा है। 

आपके पीरियड्स सामान्य हैं या नहीं, यह जानने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि अपने चक्र पे नज़र रखें।  इससे आपको पता चलेगा आपके शारीर के लिए क्या 'सामान्य ' है, और फिर कोई बदलाव आएगा तो वो भी पता चलेगा।  अपने पीरियड्स पे इस तरह से नज़र रखें ।

 - कैलेंडर पे पीरियड के पहले दिन का निशान लगाएं।  यह पहला दिन है 
- जितने दिन तक पीरियड हो रहा है , उतने दिन तक निशान लगाते रहें ।  जब पीरियड बंद हो जाए, तो निशान लगाना बंद कर दें।  
- जब पीरियड फिर से शुरू हों, तो  फिर से कैलेंडर पे निशान लगाना शुरू कर दें।  
- जब आप यह सब, कम से कम दो पीरियड तक कर लें , तब आप दो पीरियड्स के पहले दिन के बीच कितने दिन हैं, इसका पता लगा सकते हैं ।  और यह आपके पीरियड के चक्र की लम्बाई है।  पीरियड के दौरान आपने कितने दिन तक निशान लगाया , यह भी देखें, और यह आपके पीरियड्स की अमूनन लम्बाई है।  आपके मासिक चक्र पे नज़र रखने के लिए तरह- तरह के ऐप्स भी हैं ।

  कितने दिन, कितना बहाव-  नार्मल की हद क्या है? जिसके बाहर पीरियड नार्मल नहीं कहलायेगा?   खून का भारी बहाव पीरियड्स जो सात दिन से ज़्यादा दिन तक चलें , या आपके आम तौर पे जितने दिन तक चलते हैं, उससे कहीं ज़्यादा दिन तक चलें। - ऐसा पीरियड जिसमें रक्त का बहाव इतना भारी है, तुम्हारे आम पीरियड से दो या तीन गुना ज़्यादा. (तकनीकी शब्दों मैं, ८० एम्. ऐल.  या १६ चमच्च से ज़्यादा ) - खून के बड़े बड़े थकी- क्लॉट्स का निकलना, जो ढाई सेंटीमीटर से बड़े हों - इतना खून बहना कि तुम्हारे बाहर के कपड़ों पर अक्सर खून के दाग लग जाएँ, और तुम्हें पैड हर २ घंटों में बदलना पड़े, ४ घंटों के बजाये. - आपके पीरियड्स के बीच में, अनियमित  रूप से खून निकलने लगे।

पीरियड के दौरान बहुत दर्द 
थोड़ी बहुत पेट की ऐंठन या असुविधा तो कोई सह भी ले, एक पेनकिलर भी ले ले, पर अगर भयंकर दर्द, जो सहा न जाए, बार बार आये, जिससे हालत खराब हो जाए..इसे नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए. औरतों से अक्सर कहा जाता है, "मुकसकुरा के झेल जाओ" क्यूंकि इसी का नाम ज़िंदगी है पीरियड के दौरान दर्द को भी यूं ही देखा जाता है. पर बार बार होता, लगातार होता दर्द जो असहनीय लगे, उसे डॉक्टर को दिखाना चाहिए, ना कि सहना। अगर आपके पीरियड्स में दर्द की वजह से रोज़मर्रा के काम करने में तकलीफ हो, तो  अच्छा होगा अगर आप जांच करवा लें। हाँ, अगर टैम्पॉन अंदर बैठाने से भी दर्द और तकलीफ होती है, तो इसकी वजह कोई और अंदरूनी दिक़्क़त हो सकती है । 

अनियमित पीरियड 
तुम्हारा पीरियड कई वजहों से और कई तरीकों से भी अनियमित हो सकता है ज़्यादातर ये सब होना, कोई ख़ास चिंता की वजह नहीं है,  और यह सब अपने आप ही ठीक हो जाता है।  
  - पेट से होना. अगर पीरियड एक हफ्ता या उस से भी ज़्यादा लेट है, तो हो सकता है कि तुम प्रेग्नेंट हो. प्रेगनैंसी किट से पता लगा सकती हो, या डॉक्टर के पास जा सकती हो, या दोनों तरीके आज़मा सकती हो - वजन का बड़े जल्दी घटना या  बढ़ना एक वजह हो सकती है -तनाव/स्ट्रेस ये भावुक/ मानसिक/ शारीरिक हो सकता है, जैसे लंबा सफर, जेट लैग , जो शरीर पर असर करता है लम्बे समय तक अत्यंत एक्सरसाइज करना -कुछ किस्म के गर्भ निरोधकों का इस्तेमाल बर्थ कण्ट्रोल पिल की कुछ किस्में, शरीर में बैठाये गए कुछ गर्भ निरोधक, और गर्भ निरोधक इंजेक्शन का इस्तेमाल,  पीरियड कब आता और कब जाता है, उस पर असर कर सकता है
  • मेनोपॉज ( औरतों के शरीर में जब प्रजनन की सम्भावना रुक जाती है ) का करीब आना- जो कि अक्सर चालीस की उम्र के बाद कभी भी हो सकता है
हॉर्मोन में असंतुलन, रोग, बीमारी (इस पर अभी और चर्चा होगी)   

मूड में बहुत उतार चढ़ाव अगर पीरियड के साथ साथ भयानक डिप्रेशन, चिंता या मूड का बहुत उतार चढ़ाव होता है, तो इसे नार्मल नहीं मानना चाहिए उक्त किसी भी वजह से डॉक्टर के पास जाना सही माना जाएगा. इन सब परिस्तिथियों को सीरियसली लेना बेहतर है, क्यूंकि ये किसी और गहरी समस्या के सूचक हो सकते हैं अय्यो!! कैसी प्रॉब्लम प्रॉब्लम कई प्रकार की हो सकती हैं. और रिलैक्स हो जाओ, अक्सर प्रोब्लेम्स का निदान भी होता है तो यूं ही परेशान न हो, क्यूंकि परेशान होने से परेशानी और बढ़ेगी. डाक्टर के पास जाओ!   1) पी.एम.एस. ( प्री मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम ) : लगभग ७५% औरतों में इसके  आसार नज़र आते हैं. ये तुम्हारे पीरियड के आने के कुछ दिन पहले शुरू होते हैं, अक्सर आसार भी हलके फुल्के होते हैं, ऐसे, जो तुम्हारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी की रेल को पटरी से उतर नहीं देते.. तुम अपना काम धाम बखूबी कर पाते हो. अगर ये हलके फूलके नहीं हैं, तब इलाज की ज़रुरत पड़ सकती है पी. एम्. ऐस. के आसार  - हल्का फुल्का पी. एम्. ऐस. : थकान, छातियों को छुवो तो हल्का दर्द, ऐंठन, फुंसियां, पेट का या कस जाना या फिर दस्त लगना, पीरियड के कुछ दिन पहले भावनाओं का विस्फोट सा होना - भारी पी.एम्. इस : डिप्रेशन, मूड का पागलों सा उतार चढ़ाव, चिंता, कस के दर्द और ऐंठन जो २-४ दिनों का आराम मांगे   2)  प्री मेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर (पीरियड के होने के पहले भारी असंतोष )- ये पी एम् एस का कभी कभी घटने वाला पर कष्टमय रूप है जो ३-८ % औरतों को होता है प्री मेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर के आसार डिप्रेशन, खौफ के दौरे, आत्महत्या के ख़याल, रात को नींद ना आना, बार बार रोना आना, पीरियड आने के कुछ १० दिन पहले चिंता की लहर   3)  एनीमिया/ अरक्तता - यानी खून में हीमोग्लोबिन प्रोटीन की कमी, जो आयरन/ लौह के आभाव से होती है एनीमिया के आसार  थकान, ज़र्द त्वचा, चक्कर आना, सांस का रुकना, दिल का असाधारण रूप से तेज़ धड़कना, खासकर एक्सरसाइज के बाद, खून का भारी बहाव, बालों का झड़ना  गंभीर रूप से एनीमिया ( ख़ून का विकार जिसमें लाल कोशिकायों की कमी या हीमोग्लोबिन की कमी होती है  ) के शिकार लोगों को, बर्फ खाने की तलब लग सकती है।  हालांकि वैज्ञानिक अभी बर्फ की तलब और एनीमिया के बीच क्या सम्बन्ध है , इस बात का पता नहीं लगा पाएं है।  यह आम तौर पे  आयरन की कमी से भी हो सकता है , और ज़रूरी नहीं कि इसका मतलब हो कि आपको एनीमिया हो।  
  4)  पोली सिस्टिक ओवेरियन डिसीस (पी सी ओ डी) : इसे पोली सिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम भी कहते हैं ये एक आम हार्मोन सम्बंधित गड़बड़ी है, जिससे अंडाशय फूलसकते हैं, और साथ में  कई छोटे पुटुक (सिस्ट्स) बन जाते हैं पी सी ओ डी के आसार अनियमीत पीरियड, बहुत दर्द होना, मुंहासे होना, शरीर के बालों का बहुत बढ  जाना, खासकर चेहरे के बालों का, सर के बालों का गिरना, वजन बढ जाना   5)  एंडोमेट्रिओसिस ये काफी दर्दनाक परिस्तिथि हो सकती है और अक्सर इस रोग को ठीक से पहचाना ही नहीं जाता इसमें होता क्या है कि जो ऊतक तुम्हारे गर्भाशय के  अंदर की एक परत है, वो गर्भाशय के बाहर बढ़ने लगता है- या अंडकोष में, या फैलोपियन ट्यूब में या कोख- पेल्विस-  के अंदर जो ऊतक की परत है, उसपर एंडोमेट्रिओसिस  के आसार पीरियड्स में दर्द होना, निष्फलता/ इनफर्टिलिटी, भारी मात्रा में खून बहना, संभोग करने पर दर्द होना   6)  फ़िब्रोइड- तंतुमय गर्भाशय में या मटर के साइज के या संतरे के साइज के ट्यूमर हो जाते हैं. अक्सर ये कैंसर के कारण नहीं होते और अक्सर इनका पता ही नहीं चलता फ़िब्रोइड के आसार खून का भारी बहाव, लम्बे पीरियड, एक पीरियड से दुसरे पीरियड के बीच असाधारण खून का बहना, पेल्विस/ कोख/ पेडू में दर्द, कमर के निचले भाग में दर्द   7)  पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज़  : (पी आई डी) पेल्विस- पेडू- का सूज जाना ये बीमारी एक बैक्टीरिया- जीवाणु से होती है इसकी शुरुआत अक्सर योनी में होती हैऔर फिर ये कोख के सारे ऑर्गन में फैलती है अगर ये खून तक फैल गयी तो ये खतरनाक हो सकती है, जान तक को ख़तरा हो सकता है पी आई डी के आसार पेट के ऊपरी या निचले भाग में दर्द, बुखार, उल्टी, सेक्स या पेशाब करते वक्त दर्द, खून का अनियमित रूप से बहना, योनी से बदबूदार बहाव   8) टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम (टी इस इस) एक कभी कभी होने वाला पर खतरनाक संक्रमण ये तब होता है, जब जीवाणु खाल पर घाव या कहीं टूटी चमड़ी के रस्ते खून में आ जाते हैं अक्सर पीरियड के दौरान बहुत सोख लेने वाले  टेमपौन ( टेमपौन यानी फाहा जिसे पीरियड के दौरान खून सोखने के लिए योनी में बैठाया जाता है) टी. एस. एस. से शरीर के अंग का काम करना रुक सकता है, इस से मौत भी हो सकती है टी इस इस के आसार अचानक तेज़ बुखार, ब्लड प्रेशर - रक्त चाप( ब्लड प्रेशर) का गिर जाना , सर दर्द, झटके, मसल्स- मॉस पेशियों में दर्द, सकपकाहट, हथेलियों और पाँव के तलबों में लाल चक्के   जल्दी जल्दी इलाज बताओ! इन सब के लिए भिन्न इलाज हैं. अगर हर आसार के हिसाब इलाज किया  जाए, तो डिप्रेशन के लिए गोलियां हैं, दर्द के लिए पेन किलर्स हैं, पी एम एस , पी सी ओ डी  और एंडोमेट्रिओसिस के लिए हॉर्मोन थेरेपी/ उपचार है पी आई डी और टी ऐस ऐस के लिए शायद एंटीबायोटिक की ज़रुरत पड़े, एनएमईआ के लिए आयरन की गोलियां, ( और हालत बहुत खराब है तो रक्त- आधान/ ब्लड ट्रांसफ्यूशन) कुछ हालातों में फ़िब्रोइड के लिए ऑपरेशन की ज़रुरत पड़ सकती है प्लीज़ इलाज के लिए इंटरनेट पर निर्भर मत होना, स्त्री रोग विशेषज्ञ से मिलना, उसे डिसाइड करने देना कि तुम्हें आखिर क्या चाहिए   बचाओ!! मुझे बीमारी का इलाज नहीं , उसे रोकने का तरीका चाहिए! यूं घबराने की ज़रुरत नहींमूल रूप से स्वास्थ्य और महावार रोज़ मर्रा की स्वस्थ आदतों पर निर्भर है पौष्टिक खाना खाना और नियमित रूप से व्यायाम करना तुम्हें स्वस्थ रखेगा, और इस से पीरियड भी समय पर आएंगे पर अगर तुम्हें लगे कि तुम्हारे पीरियड वैसे नहीं हैं जैसे होने चाहियें, तो इंतज़ार मत करो! डाक्टर के पास जाओ जब आराम से रह सकते हो तो परेशानी में क्यों रहो?
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