हमें औरतों और शारीरिक तापमान के बारे में क्या पता है?क्या सेक्स आपको ज़्यादा गरम कर देता है, जैसा कि मॅगज़ीन्स हमें अक्सर बताती रहती हैं? 'हॉट फ्लश' (अचानक शरीर में गर्मी की लहर सी महसूस करना) का मतलब क्या है ? क्या आपका शारीरिक तापमान आपको सेक्स करने का उचित समय बता सकता है? और बच्चा बनाने का सही समय? शर्म से लाल होने/ ब्लश करने पर यह गर्मी क्यों महसूस होती है? उफ़्फ़, इतने सारे सवाल हैं!
२०१२ में, स्कॉटलैंड के सेंट.एंडरूज़ महाविद्यालय ने एक परीक्षण किया जिसमें उन्होंने पाया कि औरतों को उनके चेहरों या छातियों (इन्हें अत्यधिक अंतरंग माना जाता है) पे छूने से उनके शारीरिक तापमान में ०.१ डिग्री सेल्सियस का बदलाव हो रहा था। जब तक यह वैज्ञानिक जांच का नतीजा मीडिया तकपहुंचा, उसमें एक अजीब तबदीली आ गयी थी। औरतों के शारीरिक तापमान की वृद्धी के लिए महज़ 'आदमियों से मुलाक़ात' को काफी माना जा रहा था - 'एक आदमी से मिलना, औरत को अपनी कॉलर के नीचे बहुत गरम महसूस करवा सकता है'। इन भ्रमित करने वाली रिपोर्ट् के मुताबिक़, विज्ञान ने आखिर साबित कर दिया था कि औरतों के शरीर "फायर अलार्म" की तरह थे, जो ज़ोर से बजकर यह संकेत कर रहे थे, "बाप रे! यहाँ एक आदमी है!”।
शारीरिक तापमान की बात से याद आया, क्या आपको मालूम है कि औरतों के हाथ का तापमान अक्सर आदमियों से २.८ डिग्री सेल्सियस कम होता है? एक डच अध्ययन भी है जो बताता है कि कैसे वातानुकूलित दफ्तरों में औरतों को आदमियों से जल्दी ठंड लगने लगती है, क्योंकि औरतों की मेटाबोलिक रेट् (चयापचय दर) मर्दों से धीमी गति पे चलती है। इस सब से मालूम होता है कि हम अपने शारीरिक तापमान को तब तक तवज्जो नहीं देते, जब तक हमें बुखार नहीं हो जाता। हम सबने ऐसे पल नोटिस किये होंगे जब हमें गर्मी लगती है, बिना ये जाने कि इसकी वजह क्या है। हमारे लिए यह जानना उपयोगी है कि हमारे शरीर में आखिर चल क्या रहा है, भले ही वह तापमान में एक हल्की वृद्धि क्यों ना हो। खासकर औरतों में, तापमान का बढ़ना और गिरना उन्हें विविध कारणों की इत्तिला दे सकता है, जिसमें मेनोपॉज़ (रजोनिवृत्ति/मासिक धर्म का बन्द होना) और गर्भावस्था दोनों शामिल हैं।
तो शुरुआत करते हैं, कुछ ऐसे फंडों से, जो बताते हैं कि कब और क्यों एक औरत का शरीर बिना इत्तिला किये थोड़ी गर्मी-थोड़ी ठंडक महसूस करने लगता है।
क्या: कामोत्तेजना
कब: सेक्स के दौरान या उसकी अपेक्षा में
कहाँ: जननेन्द्रिय (जेनिटल्स)
एक औरत में कामोत्तेजना का संकेत ज़्यादातर जननेन्द्रिय गीलेपन या योनि की चिकनाई से मिलता है, जिस दौरान, शारीरिक तापमान में धीरे-धीरे वृद्धी होती है, जैसे-जैसे कामोत्तेजना बढ़ती जाती है - या अपेक्षा में या सेक्स के दौरान। कामोत्तेजना या लैंगिक उत्साह, ज़्यादातर सेक्स का पहला पड़ाव होता है, और सेक्स फ्लश की शुरुआत का कारण बन सकता है - अजीब गुलाबी स्पॉट्स (धब्बे) जो औरत के शरीर पे विकसित होते हैं। उसकी भगशेफ और योनि कामोन्माद पाने तक सूज जाते हैं, क्योंकि जेनिटल्स में धीरे-धीरे रक्त चाप का बिल्ड-अप होता है।
क्यों: रक्त चाप के धीरे-धीरे बढ़ने से तापमान में वृद्धि आती है, वैसे ही जैसा कसरत करते समय होता है। आपका दिल खून को जल्दी पंप करता है, जिससे आपको गरमाहट महसूस होती है, और कभी-कभी यह प्रक्रिया आपको लाल कर देती है। कभी-कभी कामोत्तेजित होते समय आपका पसीना भी छूटने लगता है, जो आपके शरीर की क्रियाविधि है, वापस ठंडा होने के लिए।
क्या: सेक्स फ्लश
कब: कामोन्माद के दौरान
कहाँ: औरतों में स्तन, शरीर, चेहरा, हाथ और पैर। आदमियों में पेट, छाती, गर्दन, चेहरा और बाहें।
कामोन्माद के बाद, क्या आपने कभी अपने स्तन के नीचे कुछ अजीब गुलाबी स्पॉट्स को विकसित होते देखा है, जो धीरे-धीरे आपके शरीर, चेहरे, हाथ और पाँव तक फ़ैल जाते हैं? इसे सेक्स फ्लश कहा जाता है।
क्यों: 'सेक्स फ्लश', जिसका तकनीकी नाम 'वैसोकंजेशन' है, त्वचा की तरफ वर्धित रक्त बहाव की वजह से होता है, जो आपको गरमाहट का एहसास देता है।
अगर आपने इसपर गौर नहीं किया है, तो शायद वह इसलिए कि कभी-कभी यह स्पॉट्स कामोन्माद के बाद बहुत जल्दी प्रकट होते हैं और गायब हो जाते हैं। लेकिन कभी-कभी, वह गायब होने में दो घंटे तक ले सकते हैं। या शायद आपने इन्हें इसलिए नहीं देखा है क्योंकि आप एक बहुत ठंडे वातावरण/आबहवा में रहते हैं, जहाँ सेक्स फ्लश बहुत कम होते हैं।
मज़ेदार बात ये है, कि सिर्फ २५ प्रतिशत मर्द सेक्स फ्लश और उनसे जुड़े तापमान की वृद्धी का अनुभव करते हैं। मर्दों में, त्वचा के रंग का बदलना (अगर ऐसा होता है), पेट से शुरू होकर, छाती पर फैलता है, फिर गर्दन और चेहरे तक पहुँचता है, और कभी-कभी कन्धों और बाहों तक जाता है।
क्या: शारीरिक तापमान का साधारण ९८.६ डिग्री फहरेनहाइट (३७ डिग्री सेल्सियस) से बढ़ना
कब: आपके मासिक/पीरियड के बिलकुल पहले, और गर्भावस्था के दौरान
कहाँ: आपका पूरा शरीर, खासकर गाल
अगर आप पीरियड आने के आस-पास, कभी अपनी नींद से उठे हैं, बहुत गरम महसूस करते हुए, तो शायद यह आपके शरीर के हॉर्मोन लेवल्स/स्तर में होने वाले सभी बदलावों की वजह से है।
क्यों: बुनियादी दैहिक तापमान जिसे अंग्रेजी में बेसल बॉडी टेम्परेचर (बी.बी.टी) कहते हैं, आपके शरीर का तापमान कहलाता है, तब, जब आप उठते हैं। यह आपका बी.बी.टी अक्सर, अंडे के अंडाशय से निकलने पर, यानी अण्डोत्सर्ग/ ओव्यूलेशन के बाद बढ़ जाता है, प्रोजेस्टेरोन के निकलने की वृद्धि के कारण, जोकि एक गर्मी छोड़ने वाला हॉर्मोन है।
इस उठे-समय तापमान की वृद्धि अपने साथ गालों में हलकी लाली लाती है, जो ज़्यादातर लोग कभी नोटिस नहीं करते। २०१५ में कुछ वैज्ञानिकों को इसके बारे में पता चला जब उन्होंने २२ औरतों की एक महीने के लिए दिन में एक बार तस्वीरें लीं। उन्होंने इन तस्वीरों का विश्लेषण किया और पाया कि ओव्यूलेशन के ठीक पहले औरतों के गाल थोड़े ज़्यादा लाल हो गए थे।
ज़्यादातर तापमान में यह वृद्धि ओव्यूलेशन का संकेत होता है। अगर आप अपने बी.बी.टी का लेखा रखते हैं, तो आप इस बदलाव को नोटिस कर पाएंगे। लेकिन ध्यान रखिये, ऐसी भी रिपोर्ट्स हैं जो कहती हैं कि अगर आप सेक्स बच्चा पैदा करने के लिए (या गर्भधारण से बचना चाह रहे हैं) कर रहे हैं बी.बी.टी का लेखा रखना एक असरदार निशानी नहीं है ।
क्या: हॉट फ़्लैश/हॉट फ्लश (अचानक शरीर में गर्मी की लहर सी महसूस करना)
कब: मेनोपौसल हॉट फ़्लैश ( मेनोपॉज के दौरान अचानक से शरीर में गर्मी महसूस करना)
कहाँ: चेहरा, गर्दन और बाहें
हम सब ने मेनोपॉज़ के दौरान औरतों के हॉट फ़्लैश अनुभवों के बारे में सुना है, ज़्यादातर ४९ और ५२ की उम्र के बीच, जब उनके पीरियड पूरी तरह से बंद हो जाते हैं। यह अफवाएं नहीं हैं, सच है। हॉट फ़्लैश गर्मी और पसीने, दोनों का तूफ़ान है जो दिन के दौरान बार-बार होता रहता है। कभी-कभी यह औरतों की रातों की नींद भी चुरा लेता है।
हॉट फ़्लैश तब होते हैं जब त्वचा के पास की रक्त वाहिकाएं, गर्मी कम करने के लिए चौड़ी हो जाती हैं, और आपके शरीर में एस्ट्रोजन लेवल गिर जाते हैं। ज़्यादातर इसका अनुभव एक तीव्र गर्मी और तेज़ धड़कनों के एहसास के साथ होता है, अक्सर चेहरे या छाती से शुरू होते हुए और पूरे शरीर में फैलते हुए। कभी-कभी लगता है कि आप बेहोश होने वाले हैं। आपका चेहरा छूने पे गरम मालूम होता है और लाल भी हो सकता है। हॉट फ़्लैश का कम तीव्र वर्ज़न है एक "ऐम्बर फ़्लैश", जो हॉट फ़्लैश ख़त्म होने के बाद कई सालों तक हो सकता है।
क्यों: वैज्ञानिकों के पास कोई मज़बूत जवाब नहीं है कि हॉट फ़्लैश क्यों होते हैं। कोई यह भी नहीं समझा सकता कि क्यों कुछ औरतों को मेनोपॉज़ के दौरान यह होते हैं और दूसरों को नहीं - इसके बावजूद कि उनके एस्ट्रोजन लेवल एक सामान होते हैं।
हमने एक औरत से बात की, जिसने कहा कि उसे सालों तक हॉट फ़्लैश हुए थे, और वर्णित किया एक एपिसोड जहां शादी के शोर शराबे में उसका अचानक मन हुआ कि वह उस ही वक्त भरे हॉल के बीचों-बीच अपनी साड़ी निकाल फेंके। उसने कहा इसका कारण सिर्फ मैंगलोर की तीव्र गर्मी नहीं थी। अगर आपने 'हाउस ऑफ़ कार्ड्स' नामक टीवी शो देखा है, तो शायद आपको वह पल याद होगा जब क्लेयर अंडरवुड, अपने रूखे स्वभाव के लिए कुख्यात, अपने घर में हो रही पार्टी को छोड़ के खुले हुए फ्रिज के सामने जा खड़ी होती है, एक बहुत ही कष्टदायी हॉट फ्लश के तूफानी हमले की वजह से) । या सेक्स एंड थे सिटी २ की समेंथा, जिसे अरबी बाज़ार के बीच में एक हॉट फ़्लैश होता है।
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जैसा कि ऊपर दर्शाया गया है, औरतों में शारीरिक तापमान की वृद्धि के कई कारण हो सकते हैं। लेकिन यह भी सच है कि सिर्फ नाराज़गी या शर्मिंदगी महसूस करने से, या झूठ भी बोलने से भी आपके शारीरिक तापमान में वृद्धि हो सकती है। यह कारण जेंडर से नहीं जुड़े हैं, लेकिन इनका ज़िक्र हमारे लिए इसलिए ज़रूरी है ताकि हम समझ सकें कि यह साधारण शारीरिक प्रतिक्रियाएं हैं।
क्या: शर्माना/ब्लशिंग (लाल होना) और फ्लशिंग
कब: शर्मिंदगी महसूस करते समय, नाराज़गी महसूस करते वक्त, या रोमानी परिस्थितियों में
कहाँ: चेहरा
प्रकृतिवादी चार्ल्स डार्विन ने एक बार ब्लशिंग /शरमाने को "सबसे अजीब और सारी मानवीय अभिव्यक्तियों में सबसे मानवीय करार किया था । शायद वह सही थे। याद है कितना भयानक था जब स्कूल में सब आपके पसंदीदा किसी का नाम लेकर चिढ़ाते थे, और आप एकदम लाल, गरम हो जाते थे और चिढ़ जाते थे? और अगर यह व्यक्ति आपके लिए मायने रखता था, तो आपकी नाक, गर्दन और ऊपरी छाती भी लाल हो जाती थी? और आपको यूं लगता था कि आपके आस-पास सभी लोग आपसे निकलती हुई इस भभकती गर्मी को महसूस कर पा रहे थे?
लोग सबसे आमतौर पर तब ब्लश करते हैं जब वह शर्मिंदा होते हैं, गुस्सा होते हैं, या कभी-कभी जब वह परेशान होते हैं - जैसे कि अगर आप उस व्यक्ति के साथ फ़्लर्ट कर रहे हैं या उससे तारीफें पा रहे हैं जिसे आप पसंद करते हैं/जिसकी तरफ आप आकर्षित हैं। अगर आप सामजिक चिंता के शिकार हैं, तो अत्यंत ब्लशिंग साधारण और अनिवार्य है (आपको और बुरा महसूस करवाते हुए)। जब यह ज़्यादा तीव्र हो जाती है, इसे फ्लशिंग कहा जाता है, और आपके चेहरे पे गहरी लाली दिखाई देती है। एक व्यक्ति के चेहरे को तब फ्लश्ड बुलाया जा सकता है, जब उन्हें बुखार हो, जब वह सेक्स कर रहे हों या जब वह गुस्सा या शर्मिंदगी जैसी भावनाओं का अनुभव कर रहे हों।
क्यों: जब लोग लाल हो जाते हैं / ब्लश करते हैं, उनकी रक्त वाहिकाएं चौड़ी हो जाती हैं (हम अब भी इसका कारण नहीं जान पाए हैं), और इसलिए चेहरा लाल हो जाता है। चेहरे की त्वचा पे बाकी जगहों से ज़्यादा कोशिकाएँ हैं, और चेहरे की रक्त वाहिकाएं आमतौर पर सतह के ज़्यादा करीब और ज़्यादा चौड़ी होती हैं, तो जब वह चौड़ी होती हैं, वह ज़्यादा दिखाई देती हैं।
अक्सर, ब्लशिंग को (इस टिप्पणी से ख़ास सहायता तो नहीं मिलती ) 'फाइट या फ्लाइट' इंस्टिंक्ट (सामना करो या भागो प्रतिक्रिया) की दिखाई देने वाली अभिव्यक्ति माना जाता है, जो आपको डटे रहने या सामान बांधकर भागने को कह रही है।
क्या: एक साधारण तापमान वृद्धि
कब: झूठ बोलते समय, क्रोधित होते समय, और तीखा/मसालेदार खाना खाते हुए
कहाँ: चेहरा, गर्दन, नाक और आँखों के आस-पास
झूठ बोलना: इस बात का सबूत है कि झूठ बोलते समय आपकी नाक गरम हो जाती है। यहां पिनोंकिओ की कहानी दोहराई जा सकती है (कि "झूठ बोलने का मतलब नाक का लंबा होना? वाली कहानी जिससे आपके माता-पिता ने आपको बचपन में डराने की कोशिश की थी)।
स्पेन में ग्रानाडा महाविद्यालय (यूनिवर्सिटी ऑफ़ ग्रानाडा) के शोधकर्ताओं ने २०१२ में इस तथ्य की खोज की, और बताते हैं कि झूठ बोलने से ना सिर्फ आपकी नाक के आस-पास लेकिन आँखों के पास भी गरमाहट महसूस होती है। उन्होंने इसे पिनोंकिओ इफ़ेक्ट का नाम दिया।
क्यों: आपकी नाक चिंता और झूठ बोलने के लिए बड़े हुए मानसिक प्रयास की वजह से गर्म हो जाती है। ज़्यादातर, एक छोटे झूठ का मतलब है कम गर्मी और बड़े झूठ का मतलब है ज़्यादा गर्मी। लेकिन सोचने वाली बात है कि क्या ऐसा मंझे हुए झूठे लोगों के साथ भी होता है?
क्रोध: एक सुझाव कॉलम में, एक औरत ने पूछा कि क्या भयंकर ठंड में किसी चीज़ के बारे में बहुत ध्यान से सोचने से उसे गर्मी महसूस करने में सहायता होगी? इस काफी आशावादी विचार को परे रखते हुए, यह बात तो सच है कि गुस्सा होने से आपका शारीरिक तापमान बढ़ जाता है।
क्यों: फिर से, एक वर्धित हृदय गति और रक्त चाप ही आपकी नाक को लाल कर देते हैं। शायद इसलिए लोग कहते हैं कि उनका खून खौल रहा है।
तीखा/मसालेदार खाना खाना: आप जानते हैं कैसे आप गर्मी के मौसम में हमेशा आइस-क्रीम खाने के लिए तड़पते रहते हैं? क्या आपने कभी सोचा है कि तीखा खाना खाने से - ज़ुखाम के वक्त काली मिर्च वाले रसम पीने के मुकाबले - शायद आपको गर्मी में ठंडक देगा? या जैसे कहा जाता है, उष्णं उश्नेना शांति।
क्यों: मसालेदार/तीखा खाना भी आपके शारीरिक तापमान को बढ़ा देता है और इस वजह से आपका पसीना छूटने लगता है। जब आपका पसीना भाप बन जाता है, आपको अपने आप ठंडा लगने लगता है।
कौन सी भावनाएं या परिस्थितियां आपको गरम महसूस करवाती हैं, कॉलर के नीचे गरम कर देती हैं या आपका खून खौलाती हैं? ट्विटर पे हमें @agentsofishq पे बताइये।
औरतें गर्म क्यों हो जाती हैं? जवाब आपको चौंका सकते हैं।
चित्र: तेजश्री इंगवले
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