Agents of Ishq Loading...

भले मैं कैज़ुअल सेक्स क्यों ना करूं, मुझे केअर वाली फीलिंग चाहिये।

जिसमें 'कोई बंधन नहीं", ऐसे कैज़ुअल सेक्स ने मुझे हमेशा असंतुष्ट और अमानवीय ही महसूस कराया। लेकिन जब मैंने देखभाल की अपनी ज़रूरत के बारे में खुलकर बोलना शुरू किया, मेरे लिए जैसे एक नई दुनिया ही खुल गई।

जब मैं ग्रेजुएट स्कूल के बाद दिल्ली वापस आयी, तो मेरा पूरा ध्यान अपनी एडल्ट लाइफ पर था, जो महामारी के दौरान पीछे छूट क्या था। मुझे पता था कि मुझे दो चीज़ों की सख़्त ज़रूरत थी- एक अपना सा लगने वाला घर और एक रंगीन सेक्सुअल लाइफ। अपने नए घर के लिए मेरी उम्मीद तो यही थी कि अगर मैंने अपनी रसोई में कॉफी बनाते, अपनी दीवारों पर प्यार के स्वाभाविक संकेत वाले सूखे फूलों की डिज़ाइन वाला पेंट लगाते, काफी टाइम निकाला है, यानि मेरे घर से अपनेपन की महक आयेगी। बहुत ही ख़ूबसूरती से अपने घर के कोनों को यूनिरोनिक कला से सजाया और लिविंग रूम के लिए एक बड़ा था लाईलेक/बकाइन काउच खरीदा। जिस भी चीज़ से मेरी पर्सनालिटी पता चलती, उस सबने रास्ता बनाकर मेरे उस खाली घर में इकट्ठा हो अपनी जगह बनाई। मेरी ये गर्मजोशी घर तक ही सीमित रही, क्योंकि हिंज एप्प पर प्रोफ़ाइल बनाते समय तो मैंने कोई दिमाग नहीं लगाया।  कुछ गर्लफ्रेंड्स की राय जल्दबाज़ी में ली और बस डेटिंग शुरू कर दी।

आधी रात को सैर होती थी, बाइक की सवारी होती थी। उसके बाद उन लड़कों को आकर्षक नाम दिए जाते थे। जब हम गर्लफ्रेंडस एक दूसरे से बात करते थे, इन खास नामों से ही तो वो झट से पहचान लेते थे किसकी बात हो रही है। एक था दो सेकंड वाला लड़का, छिपकली जैसा लड़का,थका हुआ वकील लड़का, तकिया-से-सेक्स करके भी वैसा ही फील करने वाला लड़का। अपने हिसाब से मैंने ढूंढ-ढूंढ के नाम रखे। लेकिन फिर भी कभी-कभी चूक हो जाती थी।  ये कैज़ुअल डेट्स अक्सर कैज़ुअल सेक्स में तब्दील हो जाते थे। अगली सुबह, मैं ज़्यादातर थके हुए, असंतुष्ट फीलिंग के साथ अपने पार्टनर के घर से निकलती थी। इसकी बड़ी वज़ह सेक्सुअल केमिस्ट्री की कमी नहीं थी। बल्कि मेरे सेक्सुअल पार्टनर की मेरे शरीर को पूरी तरह से ना समझ सकने की वज़ह से। शारीरिक रूप से मौजूद होने के बावजूद, कहीं ना कहीं वो हमेशा भावनात्मक रूप से मौज़ूद नहीं हो या रहे थे।  मेरे अधिकांश पार्टनर रात को वहीं रुकते थे, लेकिन उससे शायद ही कोई फर्क पड़ता था। बल्कि उल्टा ये आसान होता अगर वो आधी रात को ही चले जाते;  कम से कम नज़दीकी के उस पल में कुछ बदलाव आयेगा, वो उम्मीद मेरे नंगे शरीर पर तो नहीं रेंगती रहती।

एक जोड़ी को बिस्तर में दर्शाया गया है। उनके इर्द गिर्द कुछ टेक्स्ट बबल दर्शाए गए हैं जिनसे समझ आता है कि वे एक दूसरे से  बातें कर रहे हैं।

जब उन दोस्तों से बात की, जिन्होंने ने भी ऐसा ही कुछ महसूस किया था, तो लगा कि ऐसे कैज़ुअल डेटिंग से मुझे संतुष्टि नहीं मिलने वाली। दो सेकंड की चुदाई और फिर टाटा बाय-बाय! सेक्सुअल संतुष्टि की शायद ही कभी कोई बात-चीत और फिर घोस्टिंग, यानी फ़ोन या मिलना-जुलना- अचानक सब बंद! ये सब एक ऐसे सौदे का अधूरा अंत था जिसके लिए मैंने कभी हामी ही नहीं भरी थी। तो जल्द ही मैंने खुद को लाइफ के उस पड़ाव पर पाया जहां ना ही मुझे किसी एक पार्टनर के साथ लंबे रिश्ते में बंधना था और ना ही बिना मलतब वाले 'कैज़ुअल सेक्स' में घुसना था। जब भी मैं कैज़ुअल रिश्तों के बारे में सोचती हूं, तो मेरे दिमाग में उसके चारों ओर चल रही सांस्कृतिक बहस घूमने लगती है। इन रिश्तों में ना ही कोई कमिटमेंट होता है और ना ही एक दूसरे के प्रति कोई जिम्मेदारी। वैसे भी अगर कैज़ुअल रिश्तों की परिभाषा देखी जाए तो उसका मतलब है 'कैज़ुअल्नेस" यानी किसी भी तरह का कोई बंधन नहीं। वन-नाइट स्टैंड, फ़क बडीज़, फ्रेंड्स विथ बेनिफिट्स और बूटी कॉल्स-  कैज़ुअल सेक्स की व्यवस्थाएं भी सेक्स की तरह ही रंगीन हैं।  उस वक़्त कैज़ुअल सेक्स आज़ादी का एहसास देता था। मुझे अपनी सेक्सुअल भूख की प्रबलता के साथ प्रयोग करने का मौका दिया था। हालाँकि, जब भी उन रिश्तों में थोड़ा भी केअर मिला, मुझे लगा कि उससे मैं बेचैन सी हो गई।  वो एहसास मुझे लगभग झकझोर देता था, क्योंकि मेरे पिछले सेक्सुअल रिश्तों का केअर से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं था। 

एक दोस्त ने एला डावसन का निबंध शेयर किया, "स्टॉप कॉलिंग इट 'कैज़ुअल सेक्स", जो बिल्कुल सटीक तरीके से मेरी हालत व्यक्त कर रहा था। लेडी डावसन कैज़ुअल सेक्स की बुनियाद पर सवाल उठाती हैं जो इस इरादे से किया जाता है कि "इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।" वो केअर जो कमिटेड रिश्तों   का हिस्सा है, कैज़ुअल रिश्तर में उसकी मांग करना बहुत कुछ मांगने जैसा लगता है। मुझे आश्चर्य हुआ कि बिना कमिटमेंट वाले रिश्ते जैसे कि 'सिटुएशनशिप' और देखभाल की मेरी ज़रूरत, दोनों ही परस्पर अनूठे कांसेप्ट थे।

जब भी मेरे रोमांटिक रिश्तों में कमी आई है, मैंने जवाब के लिए हमेशा अपनी लाइफ की औरत दोस्तों की तरफ रुख किया है। उसकी दोस्ती हमेशा पारंपरिक लेबल से अलग रही है- कामुकता से भरपूर, नज़ाकत वाली रोमांटिक और अक्सर सेक्सुअल। वो केअर, जो मर्दों के साथ बने सेक्सुअल रिश्तों में नदारद रहा है, वो इस दोस्ती की नींव है। औरतों ने जिस तरह मेरी देखभाल की है, किसी संभावित सेक्सुअल पार्टनर से वो सब पाना सपना सा लगता है। मेरे दोस्तों ने हमेशा सुनिश्चित किया कि रात को बाहर निकलने के बाद मैं घर सेफ पहुँच जाऊं। हमेशा मेरा हाल-चाल लिया, खासकर तब जब उनको मैं बदली-बदली लगती थी। जब भी मैं टूटी, उनको पूरा यक़ीन था कि मैं फिर से खुद को समेटकर उठ पड़ूँगी। जबकि मुझे खुदपर वो भरोसा नहीं होता था। उनकी देखभाल से मैंने कोई मापदंड नहीं तय किया है, लेकिन हां उनके व्यवहार से एक मानक तय किया है। और मैं उम्मीद करती हूं कि मेरे पार्टनर मेरे लिए वैसे ही खड़े हों, जैसे मेरी गर्लफ्रेंडस होती हैं। उनकी देखभाल  असली लगती है, ऐसा लगता है कि ये मिल पाना मुमकिन है। इस तरह की केअर की ओट में मुझे भरा-पूरा महसूस होता है।

मैं देखभाल की नार्मल प्रकृति को समझने के लिए अपने रूममेट और उसके पौधों के साथ जो उसका रिश्ता है, उसपर गौर करती हूं। वो उनसे प्यार करती है - उन पर एक गीले कपड़ों से नाजुक और नरम गति से तेल रगड़ती है। पौधों का कोई भी कोना उसकी देखभाल से अछूता नहीं रहता। उसे लगता है कि इससे वो पौधे अनचाहे कीटों से बच जाएंगे।  मैंने तो कई बार उसे उनसे धीमी आवाज़ में बात करते हुए भी देखा है। उसका मानना ​​है कि इससे उनकी उम्र लंबी होगी। अपने केअर के साथ वो कभी कोई समझौता नहीं करती है, भले ही पौधे थोड़े अजीब हों, विरले हों, या वैसा रिज़ल्ट न दें जैसा वो सोच रही हो। उस पल में उसे पूरे दिल से ये यक़ीन रहता है कि उन पौधों को वही चाहिए जो वो दे रही है। ठीक इसी तरह, कैज़ुअल रिश्तों में, केअर वाले व्यवहार से हम एक-दूसरे की ज़रूरतों को पूरा कर सकते हैं। इससे कमिटमेंट में बिना बंधे भी एक भरोसेमंद, सार्थक रिश्ता बनाया जा सकता है।  कैज़ुअल रिश्तों के कोई तय नियम तो हैं नहीं। ऐसे में एक ही पार्टनर वाले रिश्तों के भंवर में ना फंसकर, अपने हिसाब से एक हेल्थी रिश्ता बनाया जा सकता है।   इस तरह के लचीले नियमों के बीच हमें हमारी और हमारे साथी की ज़रूरतों को अपने हिसाब से समझने और पूरा करने का मौका मिलता है। वो ज़रूरतें जो हम में से हर किसी के लिए मूल रूप से बिल्कुल अलग-अलग भी हो सकती हैं। ये हमें सेक्स की ज़रूरत या भावनात्मक नज़दीकियों के बीच चुनने के बज़ाय, कई और हज़ार तरीकों से प्यार करने के मौके देता है।

एक जोड़ी को बिस्तर में कड्डल करते हुए दर्शाया गया है। जो आदमी है, उसके बदन पे रस्सी बंधी हुई है।

कुछ महीने पहले, मैंने और मेरे उस वक़्त के पार्टनर ने शिबरी गाँठ ट्राय किया - वो एक प्राचीन जापानी तकनीक है जिसका मतलब है आप एक बंधन में बंध गए हैं। जैसे ही मेरे पार्टनर ने इस लाल मखमली रस्सी को मेरी जांघों और पिंडलियों के चारों ओर फंसाया, अचानक रुककर, लगभग वैज्ञानिक सी समझ के साथ बोल पड़ा, "तुमको नहीं लगता ये बहुत टाइट है?" मैंने सिर हिलाया।  मेरे दाहिने टखने पर पड़े रस्सी के छोटे से टुकड़े की ओर इशारा करते हुए उसने कहा, "जैसे ही टीम इस ढीले सिरे को खींचोगे, गाँठ खुल जाएगी।"  ये जानकर कि इस रस्सी को खोल पाना मेरे हाथ में था, एक अलग ही किस्म का सुकून मिला। मुझे पता था कि बाहर निकल सकने की आज़ादी का मतलब बी.डी.एस.एम के सेट-उप से भी था। (BDSM- यानि मर्ज़ी के साथ जब कोई  सेक्स में एक ख़ास रोल निभाना चाहता है, या हाथ में सेक्शुअल पावर का रौब लिए, या झुककर मज़े से, जी हुज़ूरी करके)। खुलकर बातचीत करने से और सही शब्दों के इस्तेमाल से, किंकी सेक्स कम्युनिकेशन के उन तरीकों को  प्राथमिकता देता है, जो दूसरे तरह के रिश्तों में होता भी नहीं है।   सिटुएशनशिप, फ्रेंड्स विथ बेनिफिट्स, वन-नाइट स्टैंड और हुक-अप- ये सब मॉडर्न डेटिंग दुनिया के हाशिए पर मौजूद नहीं हैं, बल्कि नार्मल डेटिंग का हिस्सा हैं। हां, भले ये डेटिंग के सबसे कॉमन तरीके नहीं हैं।

अक्सर, अचानक गायब हो जाना, बेईमानी करना या इरादों को साफ-साफ सामने ना रखना, धीरे-धीरे रिश्ता खत्म करना- ऐसी ही संदिग्ध हरकतें लोगों को चोट पहुँचाती हैं, जिससे उनको शरीर से घृणा हो जाती है।

कैज़ुअल सेक्स के अंदर केअर को शामिल करने का मतलब ये नहीं कि उसको एकरूप कर देना है। बल्कि इससे तो सेक्सुअल पार्टनरस को एक दूसरे से बिना किसी हिचकिचाहट के बात करने की हिम्मत मिलेगी। वो जान पाएंगे कि किसको क्या पसंद है क्या नहीं। कैज़ुअल सेक्स और कैज़ुअल रिश्तों के इर्द-गिर्द बातचीत का होना ज़रूरी है। क्योंकि वही हमें सेक्स/फकिंग के लंबे टिकने वाले प्रैक्टिस बनाने में मदद करते हैं। जहाँ बिना किसी शर्त के सेक्स का मतलब ये नहीं कि वो हमें अमानवीय, व्यर्थ  और थका हुआ महसूस कराए।

 इस मामले में बी.डी.एस.एम एक मानक समाज की सीमाओं को लांघकर आगे बढ़ता है और बाकी सभी चीजों के ऊपर मर्ज़ी और दिल खोलकर की गई बातचीत को प्राथमिकता देता है। कैज़ुअल रिश्तों में केअर का एरिया सही और सच्चे कम्युनिकेशन से लेकर दिल को छू जाने वाले इशारों तक रह सकता है  - इसका कोई तय पैमाना नहीं है जो सभी पर फिट बैठे।  मुझे पता है कि मेरे कुछ दोस्त अपने पार्टनर के साथ रात बिताना पसंद करते हैं, कुछ अपने पार्टनर के साथ हॉट सेक्स के अलावा क्वालिटी टाइम बिताना पसंद करते हैं, और कुछ अपने बूटी कॉल के साथ सुबह का नाश्ता भी करते हैं। मैं भी अपनी कैज़ुअल डेट्स के साथ कुछ ऐसी ही स्थितियों में रहती हूँ। मुझे भी उनके साथ टाइम बिताना, उन्हें जानना और कभी-कभी उनके साथ बाहर जाना पसंद है। और इन सबके साथ वो नज़दीकियों से भरा, गर्मजोश, और कभी-कभी किंकी सेक्स भी!

केअर की कमी की एक और विपदा ये है कि ये बड़ी आसानी से सेक्सुअल  अपराध वाले एरिया में दाख़िल हो सकता है। केअर के बिना वाला सेक्स और पसंद ना आने वाला सेक्स- दोनों के बीच एक महीन रेखा होती है। इस बारे में बात करके मैं ये समझाना चाहती हूं कि कोई भी सेक्स जहां परफॉर्मन्स को प्राथमिकता दी जाए, वहां पार्टनर को एक ऑब्जेस्ट/सामान की तरह देखा जाने लगता है। और इस तरह का सेक्स आकर्षक भले हो पर आख़िर में सब खत्म कर देता है। वो सेक्सुअल रिश्ते जहां केअर और मर्ज़ी नदारद हो, वहां अक्सर अमानवीय हरकतें होने का चांस रहता है। कई मायनों में, केअर और मर्ज़ी न केवल एक दूसरे को सहयोग देते हैं, बल्कि केअर में कई बार मर्ज़ी की बात खुद-ब-खुद शामिल हो जाती है। आपका पार्टनर आपकी किंकी ख़्वाइशों को समझे, उनके बारे में बात करे, आपके शरीर से जुड़े रहे ताकि उसे पता चले कि आप उस पल में वहीं हो, और सेक्स के बाद भी आपका ध्यान रखे- इस सबसे ज्यादा सेक्सी क्या ही होगा। केअर किसी भी परिस्थिति में मर्ज़ी की जगह नहीं ले सकती है, लेकिन वो नजदीकी बढ़ाती है और एक सेफ जगह बनाती है, जहां इस तरह की बातचीत आसानी से की जा सकती है।

कैज़ुअल सेक्स में हमारी अंदरूनी इच्छाओं और ज़रूरतों को ज़ाहिर करने से हमारी सोच का पिटारा खुलकर ये ढूंढ सकता है कि कैसे सेक्स एक ही वक़्त पर कैज़ुअल और केयरिंग दोनों हो सके। कैज़ुअल रिश्तों में केअर की कमी की एक वज़ह बंधन से जुड़ी फिक्र भी होती है, क्योंकि इस रिश्ते में एक पैर हमेशा दरवाजे से बाहर रखना जरूरी समझा जाता है। ये सोच तो कैज़ुअल रिश्तों की जानी मानी धारणा के दवाब से निकलती है। केअर दिखाने से लोग ये ना कहें कि इस 'बिन पेंदी के लोटे' वाले रिश्ते में आप कुछ ज्यादा ही घुस गए हो। मैं इस सौदेबाजी में घाटे का सौदा करने को तैयार थी और इस दौरान मुझे बहुत सारे कमाल के लोग मिले। अपने पार्टनर्स के सामने खुलकर मैंने ये शर्त रखी कि मेरे लिए केअर एक ऐसी चीज़ है जिसमें कोई समझौता नहीं।  जितना ज़रूरी मेरे लिए सेक्स है, उतना ही गले लगकर सोन या शायद सुबह साथ नाश्ता बनाना भी। तो इसका मतलब है कि हम एक-दूसरे को पूरे इंसान की तरह देखेंगे और पूरे दिल से एक दूसरे के साथ अच्छा व्यवहार भी करेंगे।

जब भी मैंने अपनी ज़रूरतों को लेकर अपने नेक दिल वाले पार्टनर्स के साथ थोड़ा डर-डर कर बात की है, ज्यादातर ने मेरे खुलेपन को लेकर मेरा शुक्रिया ही अदा किया है। इस एवज़ में मैंने अपने सेक्सुअल दोस्तों को भी अपनी केअर संबंधी चाहतों को खुलकर सामने रखते देखा है। ये एहसास कि कैज़ुअल रिश्ते में भी केअर मेरे लिए जरूरी था, उससे उन लोगों से किनारा करने में मदद मिली जो बस पल भर की चुदाई के अलावा कुछ भी देने को तैयार नहीं थे। मैं और मेरे पार्टनर्स अब उन तरीकों के लिए जगह बना पाते हैं, जिन तरीकों का प्यार या सपोर्ट हम पाना चाहते हैं। चाहे वो मेरे पार्टनर्स का मुझे बार-बार कॉल करना हो, या सेक्स के दौरान प्यार भरा बर्ताव करना हो, केअर के साथ जो एक सुरक्षा की भावना मिलती है, उससे सेक्सुअल कम्फर्ट और दुगुना हो जाता है। जब भी दर्द हो तो उसे सामने रखने, या जब हमारी चाहतें अलग-अलग हों तो उनको समझने, और दोनों की चाहतों के बीच एक ऐसी व्यवस्था सेट करने- जिसमें किसी को ये ना लगे कि उसने ज्यादा किया है- ऐसी बातचीत की जगह बनी। हम ज्यादा ओरल सेक्स मांग सकते थे, या कम भेदक/पैनीट्रेटिव सेक्स या अगर बैडरूम के बाहर ज्यादा टाइम बिताना हो- हर चाहत सामने रख सकते थे। इस तरह की दिल से की गई बातचीत से एक-दूसरे के प्रति जवाबदेही मानने की जगह बनी। कोई गिल्ट नहीं, बल्कि एक आम सी समझ कि हम इंसानों की सेक्सुअल भूख उतनी ही ज़रूरी है जितनी की हमारी केअर की गहरी इच्छा।

शताक्षी अपने नए साल के और ज्यादा लिखने और पढ़ने के संकल्प को पूरा करने में लगी हुई हैं! वो जेंडर और कल्चर से संबंधित सभी चीजों का आलोचनात्मक विश्लेषण करती हैं। वो पहले गुलमोहर क्वार्टरली, जैगरी लिट, अलीपुर पोस्ट और फेमिनिज्म इन इंडिया में प्रकाशित हो चुकी हैं।

Score: 0/
Follow us:

Related posts