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मज़े की राजनीति:AOI के ऐलान नामे के कुछ अंश

क्या सेक्स को लेके पॉज़िटिव रहने वाली बातें, हमारे कई पहलू नज़रंदाज कर देती है?

इस कार्ड पर कई छोटे छोटे दृश्य दर्शाए गए हैं जो कार्ड के बॉर्डर पर हैं। पहले दृश्य में एक व्यक्ति को सपना देखते हुए दर्शाया गया है कि कोई उनका हाथ चूम रहा है। दूसरे में किसी को हाथ फैलाए नाचते हुए दर्शाया गया है। उनके पास में एक छोटा सा घोंघा है। तीसरे दृश्य में एक जोड़ी को हाथ पकड़े हुए दर्शाया गया है। उसके पास के दृश्य में कोई पौधे पे पानी दे रहा है। वहीं पर कुछ मशरूम भी लगे हैं। कुछ और दृश्य भी है, जैसे की एक मसाजर, कुछ कॉन्डम के पैकेट्स, एक पीच फल जिसमे से जूस निकल रहा है, और एक बैनर जिसपे सेक्स शब्द लिखा गया है।

कार्ड पर लिखा है:

कभी कभी लगता है कि सेक्स को लेके पॉज़िटिव रहने वाली बातें, हमारे कई पहलू नज़रंदाज कर देती है?

क्या आनंद की राजनीति उन पहलुओं को जगह दे सकती है?

सेक्स और मज़ा : एक खोज !

कार्ड के ऊपरी हिस्से में कुछ स्पीच बबल है, जिनको देखकर ऐसा लगता है जैसे वे चिल्ला रहे है। पहले के अंदर लिखा है, "हर एक को ओर्गासम मिले!." दूसरे में लिखा है, "सेक्स तो बढ़िया है ।" तीसरे में लिखा है, "हर कोई सेक्स प्रेमी है। " और चौथे में लिखा है, "खूब सारा (सुरक्षित) सेक्स हो!" कार्ड के नीचे के भाग में दो लोगों को दर्शाया गया है। उनमें से एक अपने चेहरे पर एक अस्वीकृत भावना के साथ, अपनी उंगली उठाकर खड़ा है, जैसे कि वो किसी को लेक्चर दे रहा हो। दूसरे व्यक्ति ने अपने चेहरे को अपने हाथों के बीच में पकड़ रखा है, जैसे की उसे कोई सदमा पहुंचा हो।

कार्ड पर लिखा है:

सेक्स पोजिटिविटी क्यूँ शुरू हुई:

क्यूँकि सेक्स को संस्कृति और संस्कारों में तौबा माना जाता है और उसपर चुप्पी साधी जाती है। लेकिन कभी कभी वो सोच उलटी दिशा में चली जाती है

पर आनंद को सेक्स तक सीमित रखना और सेक्स के अंदर के आनंद को ओर्गाजम तक सीमित रखना, आनंद और सेक्स के तजुरबों को इन डेफिनिशन में बाँध लेते हैं।

पर बिना सेक्स को ज़लील किए, इस बातचीत में यौन हिंसा

या एसेक्शुएलिटी की बात कैसे की जाए ?

ऐसे तो नहीं कि मामले को उलटने से, हम वापस दो तरफी सोच पे उतर आए हैं ? यानी वही अच्छे संस्कार बनाम बुरे संस्कार नए सिरे से लाए हैं?

जहाँ...

सेक्स पोजिटिव = प्रगतिशील, राजनैतिक तौर पे, खुले दिमाग के

और सब = दकियानूसी

इस कार्ड पर कई छोटे छोटे दृश्य दर्शाए गए हैं जो कार्ड के बॉर्डर पर हैं। पहले दृश्य मे एक मिर्ची है जो अपने होंठों को सेक्सी तरीके से काट रहा है और आंख मार रहा है। दूसरे में एक टीवी में शाहरुक खान को बाहें फैलाए हुए दर्शाया गया है। टीवी के सामने से कोई उनको अपना दिल दे रहा है। अगले दृश्य में एक व्यक्ति एक फूल लेकर खड़ा है, और गा रहा है, "अब तुम ही हो, मेरी आशिक़ी अब तुम ही हो।" एक और दृश्य में व्यक्ति ने अपने चेहरे को अपने हाथों के बीच में पकड़ रखा है, जैसे की उसे कोई सदमा पहुंचा हो। किरन खेर का एक फोटो भी है, जिसमे वे एक सदमे में पड़ी मां का किरदार निभा रही है। एक किताब को दर्शाया गया है, जिसका शीर्षक है, "भारतीय सभ्यता क्या है?" कुछ और दृश्य भी है, जैसे की एक मसाजर, कुछ कॉन्डम के पैकेट्स, एक होंठ, और एक बैनर जिसपे सेक्स शब्द लिखा गया है।

कार्ड पर लिखा है:

अब अगर आनंद को पोज़िटिव माना जाए, तो हम ये समझने लगते हैं कि किसी भी संस्कृति में, मनाही या पाबंदी के साथ-साथ, कामुकता भी रहती है।

और हर कोई आनंद की अपनी इमारत बना सकता है,

आनंद ( या संस्कृति) का कोई एक रूप थोड़े ही है ।

तो शायद आनंद की राजनीति में और जिगर है (और ये अंग्रेज़ों द्वारा थोपी गयी सोच के खलाफ है) (और सभी पहचानों की गुत्थमगुत्था में पनपती है)

जबकी सेक्स पोजिटिविटी

की सोच में ये ख़तरा है कि वो आपको बताने लगती है कि 'नार्मल' क्या है। (वही निगोड़ी अंग्रेज़ी सोच)

इस कार्ड पर कई छोटे छोटे दृश्य दर्शाए गए हैं। एक दृश्य में खाने का एक कटोरे में कुछ खाना दर्शाया गया है जिसपे कुछ हार्ट शेप्स छिड़के गए हैं। दूसरे दृश्य में एक हार्ट शेप के अंदर, एसेक्सुअल फ्लैग के रंग भरे गए हैं। कुछ और दृश्य भी है, जैसे एक सूचीपत्र और एक पर की बनी कलम; दो हाथ एक दूसरे से लिपटे हुए, जिनपे फ्रेंडशिप ब्रेसलेट हैं, और एक ब्रा और पैंटी। 

कार्ड पर लिखा है:

सेक्स-पोसीटिविटी प्लेशर (आनंद) -पोसीटिविटी का हिस्सा है !

जब हम सेक्स करते हैं, हम अपने गुँथे हुए अलग पहलू और हमपे सामाज के असर को साथ लाते हैं। औरों के लिए आनंद क्या होना चाहिए, इसपे पंचायत बैठाने के बजाए, लोग अपने खुद के आनंद की परिभाषा ढूँढ सकते हैं।

खाना मेरे प्यार की भाषा है

मैं अलैंगिक हूँ, पर बर्फ की सिली नहीं

कविता से मुझे सेक्सी फीलिंज़ आती हैं

एमोशनल रूप से निश्चिन्त होने के लिए, मेरे लिए दोस्ती बहुत ज़रूरी है

हुक अप से मुझे कॉन्फिडेन्स मिलता है

इस कार्ड पर एक व्यक्ति को दो बार दर्शाया गया है। वो एक बाग में है।  यह हमें इस बात से पता चलता है कि उनके इर्द गिर्द कुछ फूल पौधे, कुछ मशरूम, और एक घोंघा है। पहले दृश्य में वो अपनी आंखें मूंदे खड़ा है, अपने छाती पर हाथ रखे। इसका मतलब ये निकलता है कि वो अपने अंदर की दुनिया को महसूस कर रहा है। दूसरे दृश्य में उसका एक आंख खुला है और उसके दिल से उसकी बाहरी दुनिया की तरफ कई तार जुड़ते दिख रहे है। इससे ये पता चलता है की वो अपनी बाहरी दुनिया को महसूस कर रहा है।

कार्ड पर यह लिखा है:

मज़े की राजनीति

एक तरीका है जिससे हम जो खुद पेशक करते हैं, उसे समझ पाएँ

दूसरों के निर्णय और अच्छे-बुरे के दोहरेपन पे अपनी निर्भरता को समझ पाएँ

और अपनी इंद्रियों की जानकारी पर भरोसा करना सीख सकें

एक ऐसा समुदाय बना सकें जो ऐसी जानकारी पे भरोसा रखे खुली बुद्धि से सुनें, उसपे सही गलत का ठप्पा ना लगाएँ ।

पूरा प्लेशर मैनिफेस्टो पड़ने के लिए, लिंक इन बाइओ जाईए !

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