(*जिन्हें दिक्कत नहीं, जिन्हें विकलाँगताएँ नहीं, उनके पक्ष में होना - इसे अंग्रेज़ी में एबलिज़्म/ableism कहते हैं )
अगर आपको बार-बार साफ शब्दों में बोला जाए कि- आप किसी की चाहत, किसी के प्यार के काबिल नहीं हो, तो आप क्या करोगे? फर्क कैसे पता करोगे: क्या कोई सचमुच आपको पसंद करता है, या फिर आप पर तरस खाके आपसे बात कर रहा है? पूरी जिंदगी आपको यही कहा जाए कि जो मिले उसी में खुश रहो, इससे ज़्यादा की उम्मीद ना करो- तो गलत रिश्तों की पहचान कैसे करोगे? तो जान लो कि आप कोई फर्क समझ नहीं पाओगे। हर एक पे भरोसा करने लगोगे। उनकी सोच को अपना लोगे। भई, मैंने पूरी जिंदगी यही किया है। हां, मैं विकलांग हूँ। इसका असर ये रहा है कि मेरे मन में कमी ने घर बना लिया है। ऐसे में, मेरे लिए ये मानना मुश्किल है कि मैं भी अपने लिए डेटिंग का कोई स्टैंडर्ड तय कर सकती हूँ। मैं अपनी ज़िंदगी के दायरे कैसे बढ़ाऊं? क्यूंकि जब कोई मुझे डेट करता है, मुझे ये उसका अहसान लगता है! ऐसे में अपने को कैसे मनाऊं कि किसी की बदतमीज़ी, गुस्से और ज़हरीले व्यवहार को झेलने की कोई ज़रुरत नहीं। कि मुझे भी ख्वाईशें रखने का हक़ है। शरुआत में मैंने कई गलतियां की। लेकिन फिर धीरे-धीरे, अपने डर से बाहर निकली। शोषित होने का डर, मज़ाक उड़ाए जाने का डर, मुझसे झूठ बोले जाने का डर! और प्यार के लायक ना समझे जाने का डर! सब किनारे कर, मैंने डेटिंग की दुनिया में खुद को एक और मौका देने का फैसला किया। पता नहीं क्यों! तो बस, मैं अपने नए डेटिंग प्रोफाइल के साथ तैयार हो गई। मैंने अपनी फ़ोटो भी डाली, जिसमें मैं एक खूबसूरत लहंगे में, अपनी व्हीलचेयर पर बैठी, मुस्कुरा रही थी। फ़ोटो नैचुरल लगे, इसलिए मैं कैमरे के कहीं आगे अपनी नज़र टिकाई थी। झूठ नहीं बोलूंगी, मैं उस फ़ोटो में हॉट लग रही थी। फिर मैंने स्वाइप करना शुरू किया! अब अपने से मिलती पसन्द-नापसन्द रखने वाले लोग मिलना उतना आसान तो है नहीं, जैसा विज्ञापन में दिखाते हैं। पर मेरा प्रोफाइल कुछ लोगों के साथ मैच हुआ। मैंने उनको 'हाय' लिखकर भेजा और सो गई। अगली सुबह, कई घटिया किस्म के मैसेज मेरा इंतज़ार कर रहे थे। मुझे लगा था कि शायद ऐसा होगा, ऐसे मैसेज आएंगे। लेकिन मुझे लगा था कि उन सब में कम से कम एक तो कोई ऐसा होगा, जो सच में मुझे पसंद करेगा, मुझसे फ्लर्ट करेगा! पर चैट कुछ ऐसा था- "हैलो! क्या ये व्हीलचेयर असली है? वैसे अगर है भी, तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है!” वो ये देख ही नहीं पाया कि मैं लहंगे में किस कदर सुन्दर दिख रही थी - तो वो ही नुक्सान में रहा, है न। फिर भी, मुझे उसका मैसेज अच्छा नहीं लगा। बेवकूफों की तरह पूछता है - "क्या ये व्हीलचेयर असली है?" उसे क्या लगा, वहां व्हीलचेयर क्यों थी ? सामने से दिख तो रहा था। मैंने कभी भी अपनी कमी छुपाने की कोशिश नहीं की। कभी भी नहीं। और अगर मैं बिना व्हीलचेयर के फ़ोटो डालती, या सिर्फ सेल्फी डालती, तो बाद में इस किस्म के लोग ही उल्टा समझते। बोलते कि अपंगता की बात छिपा कर मैंने उनको फंसाया है। पर जब खुलकर सब सच बता देती हूं, तो मेरे में उनकी दिलचस्पी खत्म हो जाती है। अजीब है ना! जानती हूँ। क्यूंकि हमेशा ऐसा ही हुआ है। हालाँकि, जो बात सबसे ज्यादा चुभी, वो ये थी- "वैसे अगर है भी, तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है!” मैं फ़्लर्टिंग की ऐक्सपर्ट तो नहीं हूँ, पर इतना जरूर कह सकती हूँ कि इस बात में थोड़ी सी भी इश्कबाज़ी नहीं, सुई भर भी नहीं। इतना काफी न था। एक दूसरे महोदय ने तो सीधे-सीधे पूछ लिया- "क्या तुम मेरे साथ मूवी डेट पर चलोगी?" मैंने कुछ यूं जवाब दिया,- "आज तो हम पहली बार ही बात कर रहे हैं, इसलिए मुझे नहीं लगता इतनी जल्दी मैं ऐसा कोई प्लान बना सकती हूँ। और वैसे भी, मेरे लिए मूवी थिएटर जाना आसान नहीं होगा। इसलिए ...!" "ओह ... लेकिन मैं तुमको उठाकर तो ले जा सकता हूँ ना?" "...तुमने ये कैसे सोचा कि मैं तुमको मुझे उठाने दूंगी। मैं तो तुमको जानती तक नहीं। मैं बिल्कुल नहीं चाहूंगी कि तुम मुझे उठाओ!" "हाहा, फिर तुम्हें डेट करने का फायदा ही क्या?" उसके बाद उसने मेरे प्रोफाइल के साथ अपनी मैचिंग खत्म कर दी। बस ऐसे ही, चला गया। उस समय तो मैं उसके अतरंगी मैसेज पे अपने दोस्तों के साथ बहुत हंसी। पर रात को उन्हीं अतरंगी मैसेज पर रोती रही। सच कहूँ, कभी-कभी इस घटियापन पे विश्वास ही नहीं होता था। इतने प्रतिष्ठित कॉलेजों में पढ़ने वाले मेरी उम्र के स्टूडेंट, जिस तरह मुझे किसी (सेक्स का) समान समझ के बात कर रहे थे। ये वो लोग थे जो उन कॉलेज में पढ़ने से, 'वोक टॉक' (woke talk - यानी सोसिअल जागरूकता संबंधी बातें) में चपल होंगे ! खैर बहुत हुआ! मैंने अपना अकाउंट डिलीट कर दिया। ऐसे दिखाया मानो मैंने अपना प्रोफाइल कभी बनाया ही नहीं था। काश जिस तरह वो प्रोफाइल गायब हुआ, मेरा दर्द भी वैसे ही ‘छूss’ हो जाता। जिन आदमियों से मेरा पाला पड़ा है, उनमें कुछ को छोड़कर, ज़्यादातर मुझसे बात करने या मेरे साथ फ़्लर्ट करने में झिझकते रहे हैं । जैसे वो ऐसी किसी भी लड़की के साथ झिझकते, जिसे वो पसंद करते हों। ओह, और उनको कैसे भूल सकती हूँ, जो आखिरकार पास आते थे। पर सिर्फ मेरी स्थिति से 'प्रेरित' होने के लिए। हाँ, मैं समझ सकती हूं कि ज़्यादातर लोग इस 'प्रेरणा वाले पोर्न' के बारे में नहीं जानते होंगे ('प्रेरणा वाला पोर्न': यानी मुझे या मेरी विकलांगता को बस एक ही नज़र से देखना, जिससे वो प्रेरित हो सकें- ये भी एक किस्म का पोर्न ही हुआ न )। अरे! एक डेटिंग एप्प पर वो मुझसे ये सब सीखना चाहते हैं। बताओ! मुझे भी तो बुरा लग सकता है। अगर ये बात दिल को नहीं दुखाती, तो मैं इस पे खूब हंसती, ये बात हंसी के लायक है। ये सब आसान तो नहीं है ना, कि आप बार-बार उम्मीद करें कि इस बार ऐसा नहीं होगा, और हर बार वही होए । ऐसे में डेटिंग के ख्याल से नफ़रत होने लगती है। अगर नफ़रत ना भी हो, तो डर बैठ जाता है। क्या मैं सचमुच इतनी भयानक हूँ कि कोई मेरे साथ डेट पे नहीं जाना चाहता? मुझसे फ़्लर्ट नहीं करना चाहता ? मुझे छूना, किस करना, गले नहीं लगाना चाहता? मुझे डेटिंग प्लेटफॉर्म पर देखकर इन सबको इतना आश्चर्य क्यों होता है? वो मुझे 'सेक्स का सामान' की तरह देखें तो ठीक है। लेकिन मैं कोई चाहत रखूं, तो गलत है? ऐसा सब क्यों किया जा रहा है जिससे मुझे डेटिंग के ख्याल से ही नफरत हो जाये। जिससे प्यार करने या पाने का ख्याल भी मुझे डराए। मैंने शुरू में ‘एबलिज़्म/ableism’ शब्द का ज़िक्र किया था न- उनकी वैसी ही सोच है। वो उनका पक्षपात करते हैं जिसे दिक्कत नहीं। मेरी विकलाँगता को लेकर उनकी सोच की वजह से क्या मैं प्यार के काबिल ही नहीं मानी जाऊंगी? इस तरह अपमानित हो-हो के, मैं थक गई हूं। दुनिया के इस गलत पक्षपात की वजह से, मैंने हमेशा सामने वाले को ज़्यादा ही दिया। मैं खुद दुनिया के इस नज़रिये से इतना प्रभावित हुई कि मुझे लगा कि मुझे दूसरों को खुश रखने की लगातार कोशिश करनी चाहिए। हमेशा अंदर से आवाज़ आयी कि मुझे अपने दायरे बढ़ाने चाहिए। क्योंकि अगर मैंने ऐसा नहीं किया तो मैं बस एक बोझ बनकर रह जाऊंगी। मुझे किसी लायक नहीं समझा जाएगा। मेरे आकर्षक व्यक्तित्व, मेरी मौज-मस्ती वाले स्वभाव पर किसी का ध्यान नहीं जाएगा। प्यार को इतना मुश्किल नहीं होना चाहिए ना! डेटिंग इतनी पेचीदा नहीं होनी चाहिए। तो मैं आपसे दोबारा पूछती हूं: अगर आपको बार-बार, साफ शब्दों में बोला जाए, कि आप किसी की चाहत, किसी के प्यार के काबिल नहीं हो, तो आप क्या करोगे? 21 साल की सृष्टि दिल्ली में रहने वाली एक स्टूडेंट है। जब भी काम के भार से फुर्सत मिलती है, वो या तो लिखती है या मिट्टी के प्यारी आकृतियां बनाती है।
अगर आपको बार-बार साफ शब्दों में बोला जाए कि- आप किसी की चाहत, किसी के प्यार के काबिल नहीं हो, तो आप क्या करोगे? फर्क कैसे पता करोगे: क्या कोई सचमुच आपको पसंद करता है, या फिर आप पर तरस खाके आपसे बात कर रहा है? पूरी जिंदगी आपको यही कहा जाए कि जो मिले उसी में खुश रहो, इससे ज़्यादा की उम्मीद ना करो- तो गलत रिश्तों की पहचान कैसे करोगे? तो जान लो कि आप कोई फर्क समझ नहीं पाओगे। हर एक पे भरोसा करने लगोगे। उनकी सोच को अपना लोगे। भई, मैंने पूरी जिंदगी यही किया है। हां, मैं विकलांग हूँ। इसका असर ये रहा है कि मेरे मन में कमी ने घर बना लिया है। ऐसे में, मेरे लिए ये मानना मुश्किल है कि मैं भी अपने लिए डेटिंग का कोई स्टैंडर्ड तय कर सकती हूँ। मैं अपनी ज़िंदगी के दायरे कैसे बढ़ाऊं? क्यूंकि जब कोई मुझे डेट करता है, मुझे ये उसका अहसान लगता है! ऐसे में अपने को कैसे मनाऊं कि किसी की बदतमीज़ी, गुस्से और ज़हरीले व्यवहार को झेलने की कोई ज़रुरत नहीं। कि मुझे भी ख्वाईशें रखने का हक़ है। शरुआत में मैंने कई गलतियां की। लेकिन फिर धीरे-धीरे, अपने डर से बाहर निकली। शोषित होने का डर, मज़ाक उड़ाए जाने का डर, मुझसे झूठ बोले जाने का डर! और प्यार के लायक ना समझे जाने का डर! सब किनारे कर, मैंने डेटिंग की दुनिया में खुद को एक और मौका देने का फैसला किया। पता नहीं क्यों! तो बस, मैं अपने नए डेटिंग प्रोफाइल के साथ तैयार हो गई। मैंने अपनी फ़ोटो भी डाली, जिसमें मैं एक खूबसूरत लहंगे में, अपनी व्हीलचेयर पर बैठी, मुस्कुरा रही थी। फ़ोटो नैचुरल लगे, इसलिए मैं कैमरे के कहीं आगे अपनी नज़र टिकाई थी। झूठ नहीं बोलूंगी, मैं उस फ़ोटो में हॉट लग रही थी। फिर मैंने स्वाइप करना शुरू किया! अब अपने से मिलती पसन्द-नापसन्द रखने वाले लोग मिलना उतना आसान तो है नहीं, जैसा विज्ञापन में दिखाते हैं। पर मेरा प्रोफाइल कुछ लोगों के साथ मैच हुआ। मैंने उनको 'हाय' लिखकर भेजा और सो गई। अगली सुबह, कई घटिया किस्म के मैसेज मेरा इंतज़ार कर रहे थे। मुझे लगा था कि शायद ऐसा होगा, ऐसे मैसेज आएंगे। लेकिन मुझे लगा था कि उन सब में कम से कम एक तो कोई ऐसा होगा, जो सच में मुझे पसंद करेगा, मुझसे फ्लर्ट करेगा! पर चैट कुछ ऐसा था- "हैलो! क्या ये व्हीलचेयर असली है? वैसे अगर है भी, तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है!” वो ये देख ही नहीं पाया कि मैं लहंगे में किस कदर सुन्दर दिख रही थी - तो वो ही नुक्सान में रहा, है न। फिर भी, मुझे उसका मैसेज अच्छा नहीं लगा। बेवकूफों की तरह पूछता है - "क्या ये व्हीलचेयर असली है?" उसे क्या लगा, वहां व्हीलचेयर क्यों थी ? सामने से दिख तो रहा था। मैंने कभी भी अपनी कमी छुपाने की कोशिश नहीं की। कभी भी नहीं। और अगर मैं बिना व्हीलचेयर के फ़ोटो डालती, या सिर्फ सेल्फी डालती, तो बाद में इस किस्म के लोग ही उल्टा समझते। बोलते कि अपंगता की बात छिपा कर मैंने उनको फंसाया है। पर जब खुलकर सब सच बता देती हूं, तो मेरे में उनकी दिलचस्पी खत्म हो जाती है। अजीब है ना! जानती हूँ। क्यूंकि हमेशा ऐसा ही हुआ है। हालाँकि, जो बात सबसे ज्यादा चुभी, वो ये थी- "वैसे अगर है भी, तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है!” मैं फ़्लर्टिंग की ऐक्सपर्ट तो नहीं हूँ, पर इतना जरूर कह सकती हूँ कि इस बात में थोड़ी सी भी इश्कबाज़ी नहीं, सुई भर भी नहीं। इतना काफी न था। एक दूसरे महोदय ने तो सीधे-सीधे पूछ लिया- "क्या तुम मेरे साथ मूवी डेट पर चलोगी?" मैंने कुछ यूं जवाब दिया,- "आज तो हम पहली बार ही बात कर रहे हैं, इसलिए मुझे नहीं लगता इतनी जल्दी मैं ऐसा कोई प्लान बना सकती हूँ। और वैसे भी, मेरे लिए मूवी थिएटर जाना आसान नहीं होगा। इसलिए ...!" "ओह ... लेकिन मैं तुमको उठाकर तो ले जा सकता हूँ ना?" "...तुमने ये कैसे सोचा कि मैं तुमको मुझे उठाने दूंगी। मैं तो तुमको जानती तक नहीं। मैं बिल्कुल नहीं चाहूंगी कि तुम मुझे उठाओ!" "हाहा, फिर तुम्हें डेट करने का फायदा ही क्या?" उसके बाद उसने मेरे प्रोफाइल के साथ अपनी मैचिंग खत्म कर दी। बस ऐसे ही, चला गया। उस समय तो मैं उसके अतरंगी मैसेज पे अपने दोस्तों के साथ बहुत हंसी। पर रात को उन्हीं अतरंगी मैसेज पर रोती रही। सच कहूँ, कभी-कभी इस घटियापन पे विश्वास ही नहीं होता था। इतने प्रतिष्ठित कॉलेजों में पढ़ने वाले मेरी उम्र के स्टूडेंट, जिस तरह मुझे किसी (सेक्स का) समान समझ के बात कर रहे थे। ये वो लोग थे जो उन कॉलेज में पढ़ने से, 'वोक टॉक' (woke talk - यानी सोसिअल जागरूकता संबंधी बातें) में चपल होंगे ! खैर बहुत हुआ! मैंने अपना अकाउंट डिलीट कर दिया। ऐसे दिखाया मानो मैंने अपना प्रोफाइल कभी बनाया ही नहीं था। काश जिस तरह वो प्रोफाइल गायब हुआ, मेरा दर्द भी वैसे ही ‘छूss’ हो जाता। जिन आदमियों से मेरा पाला पड़ा है, उनमें कुछ को छोड़कर, ज़्यादातर मुझसे बात करने या मेरे साथ फ़्लर्ट करने में झिझकते रहे हैं । जैसे वो ऐसी किसी भी लड़की के साथ झिझकते, जिसे वो पसंद करते हों। ओह, और उनको कैसे भूल सकती हूँ, जो आखिरकार पास आते थे। पर सिर्फ मेरी स्थिति से 'प्रेरित' होने के लिए। हाँ, मैं समझ सकती हूं कि ज़्यादातर लोग इस 'प्रेरणा वाले पोर्न' के बारे में नहीं जानते होंगे ('प्रेरणा वाला पोर्न': यानी मुझे या मेरी विकलांगता को बस एक ही नज़र से देखना, जिससे वो प्रेरित हो सकें- ये भी एक किस्म का पोर्न ही हुआ न )। अरे! एक डेटिंग एप्प पर वो मुझसे ये सब सीखना चाहते हैं। बताओ! मुझे भी तो बुरा लग सकता है। अगर ये बात दिल को नहीं दुखाती, तो मैं इस पे खूब हंसती, ये बात हंसी के लायक है। ये सब आसान तो नहीं है ना, कि आप बार-बार उम्मीद करें कि इस बार ऐसा नहीं होगा, और हर बार वही होए । ऐसे में डेटिंग के ख्याल से नफ़रत होने लगती है। अगर नफ़रत ना भी हो, तो डर बैठ जाता है। क्या मैं सचमुच इतनी भयानक हूँ कि कोई मेरे साथ डेट पे नहीं जाना चाहता? मुझसे फ़्लर्ट नहीं करना चाहता ? मुझे छूना, किस करना, गले नहीं लगाना चाहता? मुझे डेटिंग प्लेटफॉर्म पर देखकर इन सबको इतना आश्चर्य क्यों होता है? वो मुझे 'सेक्स का सामान' की तरह देखें तो ठीक है। लेकिन मैं कोई चाहत रखूं, तो गलत है? ऐसा सब क्यों किया जा रहा है जिससे मुझे डेटिंग के ख्याल से ही नफरत हो जाये। जिससे प्यार करने या पाने का ख्याल भी मुझे डराए। मैंने शुरू में ‘एबलिज़्म/ableism’ शब्द का ज़िक्र किया था न- उनकी वैसी ही सोच है। वो उनका पक्षपात करते हैं जिसे दिक्कत नहीं। मेरी विकलाँगता को लेकर उनकी सोच की वजह से क्या मैं प्यार के काबिल ही नहीं मानी जाऊंगी? इस तरह अपमानित हो-हो के, मैं थक गई हूं। दुनिया के इस गलत पक्षपात की वजह से, मैंने हमेशा सामने वाले को ज़्यादा ही दिया। मैं खुद दुनिया के इस नज़रिये से इतना प्रभावित हुई कि मुझे लगा कि मुझे दूसरों को खुश रखने की लगातार कोशिश करनी चाहिए। हमेशा अंदर से आवाज़ आयी कि मुझे अपने दायरे बढ़ाने चाहिए। क्योंकि अगर मैंने ऐसा नहीं किया तो मैं बस एक बोझ बनकर रह जाऊंगी। मुझे किसी लायक नहीं समझा जाएगा। मेरे आकर्षक व्यक्तित्व, मेरी मौज-मस्ती वाले स्वभाव पर किसी का ध्यान नहीं जाएगा। प्यार को इतना मुश्किल नहीं होना चाहिए ना! डेटिंग इतनी पेचीदा नहीं होनी चाहिए। तो मैं आपसे दोबारा पूछती हूं: अगर आपको बार-बार, साफ शब्दों में बोला जाए, कि आप किसी की चाहत, किसी के प्यार के काबिल नहीं हो, तो आप क्या करोगे? 21 साल की सृष्टि दिल्ली में रहने वाली एक स्टूडेंट है। जब भी काम के भार से फुर्सत मिलती है, वो या तो लिखती है या मिट्टी के प्यारी आकृतियां बनाती है।