वह लड़की है कहाँ (जो फिल्मों में हीरो की तारीफें गाती हो)?
हीरो के लिए जाती हुई बॉलीवुड हीरोइन कहाँ ढूंढें ?
लेखन : नेहा यादव, अनुवादक: नेहा
Feb 03, 2021
X सेमिलिए।X जबबीससालकीथीतोउसकेसाथहादसाहोगया!उसेकिसीसेप्यारहोगया!वैसावालाप्यार- रोज़मर्राकेकामकर पानेकेलिएजब अपने मन कोप्रेमी के राग में खो जाने से जबरनरोकनापड़े।वैसावालाप्यार- जहांप्रेमीबसधूपकीकिरणसातेज़नहो,बल्किअच्छाई, दयालुता, सज्जनताऔरकईढेरसारीख़ूबियोंकीप्रतिमाहो।परउसेजाकरबतानेकासवालहीपैदानहींहोताथा।क्योंकिबतानेकामतलबहोता,जोखिमउठाना, अपनीचेतनाकोदबाना, मनकी कायरतापरकाबूपाना, उसके निराशावादीदानवकोमारगिराना।यानी प्रेम जताना वैसा ही होताजैसेबकरेकोहलालकेलिएतैयारकरना।यायूंकहेंकिअपने गले के साथ साथ एक फंदे को भीजल्लादकेरखदेना। (उफ! जबभावनाएंउफानपेहों, तो X ड्रामाक्वीनबनजातीहै।)लेकिनएकऔरसमस्याथी, जिसपे X काध्यानपहलेनहींगयाथा: अपने दिल की बात बयान करने के लिए शब्दकहांथे?X कोकिसीयूरोपियनइंडीफिल्मकीबारीकियोंसेनहीं, बल्किबॉलीवुडकेजोर शोरकेसाथप्यारहुआथा, इसलिएवोकविताऔरलयकीतरफमुड़ी।गीत-संगीत यकीननबॉलीवुडकाउपहार रहा है ।रीनादुबे, जो कि रिसर्चर और अकादमिक हैं,नेहिंदीफिल्मगीतों के एक ख़ास पहलू पे अध्ययन किया है: कि वो कैसे किसी को लुभाने का ज़रिया बनते हैं l वो कहतीहैं,कियेगानेसामूहिकऔरसामाजिकरूपसेकल्पनाकोतोहवादेतेहीहैं, परसाथमेंपर्सनलइच्छाओंकोभीछूजातेहैं।" औरइसतरहहमारीसनकीचाहतोंपरभीउनकारंगचढ़नेलगताहै। X नेऐसाहीकुछमहसूसकियाहै।जैसाकिनार्थइंडियाकेलगभगहरघरमेंहोताहै, X भीएकऐसेघरमेंपली-बढ़ी, जहांउसकेमाता-पिताकीजवानीकेहिंदीगानेबजाकरतेथे।किशोरकुमार, मोहम्मदरफ़ी, जगजीतसिंह, मुकेशऔरऐसेहीकुछदिग्गज! माता पिताशायदअपनेरोज़केकाम-धाममेंव्यस्त, कहींअकेलेबैठखुदकोढूंढते हुए, इन गानों के ज़रिये पुरानेदिनोंकोयादकियाकरतेथे। X भलेहीइनगानोंकोसुनाकरतीथी, पर उसे लगता कि उनशब्दोंमेंछिपे भावनाओंकेभंवरसेउसकाकोईलेना-देनानहींथा।हालांकिउनगानोंमेंबसीलालसा, दर्द, आश्चर्य, इच्छा, आक्रामकता, विनती, खुशामद, औरचाहत, येसब X केमनकेकिसीकोनेमेंदर्जहोते रहे।मनपरपड़ेबाकीसांस्कृतिकप्रभावोंकेसंगवोभीअंधेरेमेंदबे थे। X केजवानहोनेका इंतज़ारकररहे थे।ताकिबाहरआसकें।पर मन के कोने में पनपती इस दुनिया के अनुसार,प्यारमेंपहलाकदमहमेशामर्दउठाताथा।ये पहला कदम उठाने वाले कवी हरजगहथे। TV स्क्रीनपरशिफॉनमेंलिपटीसुंदरियोंकेसाथगीतगाते, स्पीकरकेपीछेसेमीठीनोक-झोंककरते, नानीकेगाँवजातेसमयरास्तेभरगाड़ीमेंबजते! सैकड़ोंगीत! मानो सब के सब प्यार नाम केगुरुकीसेवामेंलगे, एक एक बात जोड़ कर, प्यार के बारे में एक महा काव्य रचते हुए ।प्यारके इसमंदिरकेपुजारी- वहीप्रेमी-कवि थे।जोवर्षोंसे, अलग-अलगरूपोंऔरअलग-अलगस्वरोंमेंअपनेप्रेमगीतगा रहे थे ।यहप्रेमी, जोकिएकमर्दहै, कालीछतरीकेनीचेसेप्यार-हुआ-इकरार-हुआगाताहै।अपनीभावनाओंकोबेधड़कसामनेरखताहै।उसहवाऔरबारिशकीतरह, जिससेहीरोइनखुदकोबचानेकीकोशिशकररहीहोतीहै।वोअपनीदिलरुबासेवादाकरताहैकिउसेपल-पल-दिल-के-पासरखेगा।औरउसेकहताहैकि वोअपनेदिल-के-चैनकेलिएदुआकरे।हरसपनों-की-रानीकोउनकीगुलाबी-आंखोंऔरबदन-पे-सितारेकेलिएसराहागया।औरमैं-शायर-तो-नहींकादावाकर, नईकवितासेउसघायलकरगयीहसीनाकोहासिलकरनेकेपैतरेबने।वोअपनीजाने-जाँ-को-ढूंढता-फिरता, औरउसकेपहलेयाउसकेबादकीज़िंदगीकोबेमानीसमझता।कभी-कभीतोवोसचमुचमानलेताकिउसकीप्रेमिकाज़मीन-पे-उतरा-चाँदहैऔरयकीनरखताकिवोभीइतनीआसानीसेउसकेप्यारकोभुला-ना-पाएगी।नएयुगकेसाथजुमलेभीबदलगए।परमूलभावनाएंतोवहीखिलता-गुलाबकापहला-नशा, औरशायर-का-ख्वाब, औरउजली-किरणवाले बोल सुनकर अब भी दिल फिसलता, सांस रुक जाती।दिलबर के दिल में आरज़ू जगाने के लिए अब भी आशिक गीत चुनता।प्यार-होता-है-दीवाना-सनम, केसाथइस कठोर नियम बनाने वाली दुनिया के सामने करारे तर्क रखे।औरचुनौतीभीदेडालीकिइश्क-किजीये-फिर-समझिए।लाल-इश्कमेंडूबकर, वोउसकीगलियोंमेंभीफिरतारहा।आखिरवो ही तो उसकी दर्द-भी-चैन-भीथी।कभी-कभीवोनिराशभीहोजाताथा, क्योंकिजो-भीकहनाचाहताथा, अल्फ़ाज़उसेखत्मकरदेतेथे।लेकिनशब्दऔरगाने के ज़रिये बयान करना ही बेहतर विकल्प था।वरनाएकतरफाइश्क़, यानी, ऐ-दिल-है-मुशकिलहोजाता।बाकीदुनियाहिंदीसिनेमापेअक्सरइसबातकोलेकरटिप्पणीकसतीहैकिइसमेंलोगबसगाते-बजातेहैंऔरपेड़ोंकेइर्द-गिर्दबिनामतलबकेनाचतेहैं।लेकिन X ने इन गानों को हमेशा सबके लिए लिखी गयी प्रेम कविताओं के रूप में देखा है।नाउससेकमअसरदार, नाहीकममज़ेदार! बल्कियेगानेतोमानोआपकीरीढ़कीहड्डीसेहोतेहुए, आपकेपेटमेंतैरकर,आपकेसपनोंकीउड़ान में भी गूंजते रहेंगे।कविकेप्यारऔरवादोंवालेगीतोंकीपहुँचऔरगहराईउनकोसम्मोहकबनादेतीहै।कईअरसोंतक X नेइसभीनीरोशनीमेंनहायाऔरउससुंदरदुनियाकोसीनेसेलगाकेरखा।लेकिनबादमेंउदार पंथीआर्ट्सकीपढ़ाईनेमुश्किलेंपैदाकरनीशुरूकरदीं।कुछगानेमर्दऔरऔरतोंकेबीचमर्दकोबड़ाबतारहेथे, तोकुछमेंतोसहमतिकोनज़रअंदाजकियाजारहाथा।कुछविषमता (यानी मर्द-औरतकेबीचहीप्यारहोपाना) कोनार्मलसमझतेथे, औरकुछतोजिसेपसंदकरो,उसकापीछाकरनेकोबढ़ावादेरहेथे।लेकिनसचमानोतोयेपढ़ाईभीगानोंकेसाथउसअरसोंसेबंधचुकेबंधनकोतोड़नहींपाए।नुकसानतोहोचुकाथा।और X केदिमागके उस हाल काक्याबयानकरें! जबबरसोंसेसुनतेआरहेयेसेकेंड-हैंडप्रेमगीतउसकी असली ज़िंदगी के इमोशनल बवंडरसेटकरागए।पहलेतो X ने असली ज़िंदगी के इसपागलपन को मानने से इंकार ही कर दिया! लेकिनफिरसबूतोंकी इतनी मौजूदगीमेंएकनिराशाजनकहार माननी ही पडी! X नेमहसूसकियाकिउसकीनईभावनाएंउनपुरानेगीतोंकीतर्ज़परहीलिखीजारहीथी, जिन्हेंवोनाजानेकबसेसुनतीचलीआरहीहै।तड़पजबउठतीथीतोउनगानोंकाजेंडरयाउनकेपीछेकीकहानीनहीं,बल्किसिर्फअपनी भावनाओं को बयान करते हुए वो बोल दिखतेथे।तड़प l शुरू शुरू में यूं लगता कि तड़पना अपने आप में बहुत कुछ है l वोखूनकातेजबहाव, आकाशछूतीनब्ज़, नाचाहतेहुएभीजागतीआंखोंसेसपनेदेखनेकाचक्कर।लेकिनइनजज़्बाती उतार चढ़ाव सेसेमानो, तड़पकीअसलीवजहदबगई।यानी तड़प एक मुखौटा सा था, जिसकी आड़ में ऐसा लगा जैसे आगे कुछ करने की ज़रुरत ही नहीं है l नाउसकेलिएकुछकियागया,नकोईजोखिमउठायागया।यहीवोजगहथीजहांसोचकेसामनेएकदीवारआजातीहै।परदे पर तड़प का ये सफर यहां से अगले पॉइंट तक जाता और प्यार का इज़हार हो जाता।लेकिनमैंकदमकैसेबढ़ाती।परदे पे ये इज़हार करने वाले बड़े कॉंफिडेंट लोग, ज़्यादातर आदमी ही होते थे l उन्हें देख कर लगता था कि उनको पूरा यकीन है कि उनकी बात मान ही ली जाएगी ।जोहरमुश्किलउठाताहै, उनकोजीतआगेबढ़ताहै, वोकवि, वोगायक, वोजोसबकोलुभाजाताहै- मर्दहोताहैना!हाँ, कुछऐसेसुंदर, प्यारे, दिलजीतनेवालेगानेज़रूरहैंजोऔरतोंकीइच्छाकोसामनेरखतेहैं।दिलअपनाअपनापीरपराई (1960) सेअजीबदास्तांहैये, अनपढ़ (1962) सेआपकीनज़रोंनेसमझा, यादोंकीबारात (1973) सेचुरालियाहैतुमनेजोदिलको, साजन (1991) सेबहुतप्यारकरतेहैं, सिर्फतुम (1999) सेदिलबर- दिलबरऔरराम-लीला (2013) सेअंगलगादे- दिमागमेंकुछऐसेउदाहरणआतेहैं।औरदरअसल, सुष्मितासेननेजिसतरहदिलबरदिलबरमेंसंजयकपूरकेसामनेडांसकियाथा, X नेतबशायदपहलीबारसमझाथाकिसेक्सुअलिटीकाएकपूरारेंजहोताहै। ये भी जरूरीनहीं कि वोसिर्फदोलोगोंकेबीचहो। 60 और 70 केदशकमेंफिल्मोंमेंवैम्प (vamp) होतीथीं।वोक्लबोंऔरमेहफिलोंमेंउकसाकेअपनीचाहतोंकोसामनेरखतीथीं।हेलेनउसदौरमेंचर्चितथीं।कभीसोफ़ीबनकरछोटेनवाब (1961) मेंमहमूदकेलिएमतवालीआंखोंवालेगातीथीं।कभीतीसरीमंजिल (1966) मेंशम्मीकपूरकेसाथओहसीनाज़ुल्फ़ोंवालीपेरूबीबनकरथिरकतीथीं।औरकभीतोआंसूबनगएफूल (1969) कीनीलमबनकरमर्दोंसेभरेकमरेमेंओसुनोतोजानीगाकरघूमतीथीं।औरकभीडॉन (1978) कीकामिनीबनकरउभरतीथीं।समीरामेहता, इनफिल्मोंमेंहेलेनकीभूमिकाओंकेबारेमेंलिखतीहैंकि "इननाचनेगानेवालीवैम्पकोअक्सर" तेज़तरार "महिलाकेरूपमें" दिखायाजाताथा।इससेमेनहीरोइनकेचरित्रकोसीमामेंदिखानाआसानहोजाताथा।इस तरीके से दर्शक को सारे सुख मिल जाते और साथ साथ, हीरोइन 'संस्कारी' होनेकेमापदंडपरखरीउतरतीदिखतीथी।यानीसिनेमाकीजोमोरलदुनियाहै, उसमेंअगरकोईऔरत सेक्सुअलतरीकेसेउभरकरआये, हिम्मतदिखाए, तोऐसामानलियाजाए कि वोवैम्पहीहोगी।मेहताकाकहनाहैकिसिनेमामें येवैम्प, अपनीइनआदतोंकीवजहसेयातोमारदीजातीहैं, यासुधारदीजातीहैंयासीधागायबकरदीजातीहैं।विशेषरूपसे, उसेकभीभीमर्द/हीरोनहींमिलताहै।इसलिए, एकरोमांटिकमॉडलकेरूपमें, वो X केलिएकभीफिटनहींबैठी।खैर, धीरे-धीरेहिंदीफिल्मोंमेंबदलावआयाऔरयेनियमढीलेपड़े।फिरहीरोइनकोभी,बिना उसकी निंदा किये, अपनीसेक्सुअलचाहतेंदिखानेकीआज़ादीमिली।औरफिरपूरीसेक्सुअलिटीखुलकरबाहरआई।टिपटिपबरसापानीमेंरवीनाटंडनयाधकधककरनेलगामेंमाधुरीदीक्षितयाअंगलगादेमेंदीपिकापादुकोण! हालांकिइनहीरोइनोंकीसुंदरताकेआगे X थोड़ाडरगई।वोकिसीजन्ममेंइतनीआकर्षकनहींबनसकतीथी।और जो रोमांटिक डुएट वाले गाने थे, उनमें ये कॉन्फिडेंस था कि आग दोनों जगह लगी है, पर असली ज़िंदगी में X ये अंदाज़ा कैसे लगाती ?तोवोभीपहुंचकेबाहरहीथा।मर्दऔरऔरतकोसमानअधिकारदेनेकाजोखिमसहीतरीकेसेकिसीनेनहींउठाया।जोरोमांटिकगानेऔरतेंगातीथींवोयहांवहांदिखतेजरूरथे, परउनकाअसरसीमितथा।मर्दहीएकदूसरेको ऐसे गाने गाने की मशालथमाकरपरंपराआगेबढ़ारहेथे।मर्दोंकेपासप्रेमदिखानेकेकईतरीकेहोतेथे, उनमेंसेवो कोईभीचुनसकतेथे।इसकेअलावामर्दकेजेंडरकोतोहमारीसभ्यतानेवैसेहीकईअधिकारदेरखेथे।तोउनकोकभीशब्दोंकीकमीनहींहुई।वोछतसेचिल्ला-चिल्लाकरअपनेप्यारकाइज़हारकरसकतेहैं।याशोलेकेवीरूतरहपानीकीटंकीसे।याकमसेकमदीवारोंपरलिखकर, यानी ग्राफिटीबनाकरतोजरूरही।तोइनतर्कोंकेआधारपर X इज़हार के मामले में अपनीकायरताकोसहीसाबितकरलेतीथी।X कोखुदपरभीआश्चर्यहोताथा।फेमिनिस्टहोकरभी, जबअपनीभावनाओंपरबातआई, तोवोउन दकियानूसीनियमोंकोकैसे मानरहीथी।औरअगरउसेसचमेंलगताथाकि जेंडर और कुछ नहीं, एक इज़हार करने का तरीका है, तो फिर वो अपने आप को हीरो के मॉडल पर क्यों नहीं ढाल पा रही थी।और अगर वो सत्यवादी/ कुलटा के बिलकुल विपरीत अर्थों में विशवास नहीं करती थी, तोफिर वैम्पकोमॉडलकीतरहक्योंनहींदेखपातीथी। X केहिसाबसेइसकाजवाबहमारेदिलकेअंदरकेगड़बड़घोटालेमेंहै, जोकिसी भी ढाँचे में फिट नहीं बैठता।यानी हमसे हमारेआदर्श भी भुलादेताहै।Xफेमिनिस्टथी।लेकिनजवानीकेदिनोंमेशाहरुखखानकीफिल्मोंकाउसपेखासअसरथा।वोभीचाहतीथीकिकोईसरसोंकेखेतोंमेंउसकादिलजीतजाए।उसकेलिएपूरीकहानीबनाडाले।इनकल्पनाओंसेसामनेवोभीहारजातीथी।उसे ये भी लगता था कि शायद किसी भी हालात में वो अपनी मन की बात का पूरा इज़हार नहीं कर पाएगी lपर अगर फिल्मों और साहित्य में इज़हार करने वाली औरतों की एक लम्बी कतार होती, तो शायद इससे उसके लिए मामला आसान हो जाता।नेहायादवगोवामेंरहतीहैं।वोडॉक्टरेटकीउम्मीदवारहैं।जबवोकिसीरिसर्चयापढ़ाईमेंडूबीनहींहोतीहैंतोशाहरुखकीपुरानीफिल्मेंदेखनेबैठजातीहैं