६८वी जुदाई
कन्दासामी और लथा के लिए,
ये उनकी ६८वी जुदाई है।
पहले दो बार
उन दोनों ने अलग अलग
यही सोचा था
कि वो ख़ुदकुशी करेंगे।
अगले आठ बार
उन दोनों ने बड़ी हँसी ख़ुशी
एक दूसरे को अलविदा कहा।
एक बार, कन्दासामी की नज़रों के सामने,
लथा ने ब्लेड के साथ अपनी हथेली काटी।
एक बार कन्दासामी ने टी वी को
तब फोड़ डाला जब उस पर वो गाना
बजने लगा जो उनकी निजी बातों की जुबां बन गया था।
एक बार लथा ने उनकी जुदाई का क़ीमती निशान:
आँसुओं से गीला अपना चश्मा,
पोंछा नहीं।
एक बार कन्दासामी ने अपनी वो शर्ट जलाकर राख कर दी
जिससे लथा चिपट गई थी,
उनके पहले किस के दौरान।
उनके लंबे दूरी के रिश्ते के दौरान लथा (चार बार)
और कन्दासामी (एक बार) जब
फूट फूटकर रोए थे,
उनके लैपटॉप भीगकर ख़राब हो गए थे।
कन्दासामी उसे मिलने के बजाए
सिर्फ़ ई-मेल करता था - ये थी आधी जुदाई।
लथा उसे देखते हुए भी अनदेखा कर देती - ये दूसरी अधाई ।
वो दोनों एक दूसरे से जुदा हुए थे, आपसी प्यार को लेकर
दूसरे की वफ़ादारी पर शक करके:
लथा तीन बार और कन्दासामी तीन बार।
(इनमें शामिल हैं वो एक बार जब अनुष्का उसके ख़्वाबों में अधनंगी आई,
जो क़िस्सा लथा ने पूरा का पूरा देखा था)।
चूँकि लथा ने अपना शक अपने दिल में दबाए रखे बिना
उसे शब्दों में बयान किया,
कन्दासामी को जुदा होने का एक मौक़ा मिला।
चूँकि कन्दासामी ने उसे उस तरह छोड़ा था,
लथा को झगड़ा शुरू करने का एक मौक़ा मिला।
जब वे दोनों साथ थे तब भी,
कन्दासामी उससे सात बार
दूर रहा था।
लथा आख़िर इतनी बुरी भी ना थी।
एक बार किसी दूसरे आदमी ने उससे प्रेम जताया, तो
आदर्श गुणों की वो नारी दो बार कन्दासामी को छोड़ कर चली गयी,
सज़ा के तौर पे ।
दिल से भी वो जुदा हुए -
एक बार चूँकि लथा ने कविता लिखी
और आठ बार चूँकि कन्दासामी ने
वो कविताएँ पढ़ी नहीं।
एक दिन, हमेशा के लिए उसकी झंझट से मुक्ति पाने के लिए,
कन्दासामी ने भगवान से शिकायत की।
ठीक उसी रात, जोशीला नाच नाचकर,
लथा ने फिर उसका दिल जीत लिया।
जब उनका रिश्ता बड़ी चीज़ों से लेकर
छोटी चीज़ों को मायने देने लगा,
कन्दासामी ने अपना याहू! अकाउंट
(जो उसने ख़ास लथा के लिए खोला था) सात बार बंद किया।
इसके टक्कर में, लथा ने छ: बार उसे अपनी लिस्ट से निकालकर
दफा कर दिया।
और जुदाइयाँ हैं
जो उन्हें भी याद नहीं।
“६८ जुदाइयाँ शुभ मानी जाती हैं” -
एक ज्योतिष, जो ग्रहों के स्थिति से
शुभ मणि चुन निकालने के लिए प्रसिद्ध है,
कन्दासामी उसके कहे इन शब्दों की गाँठ बांधना चाह रहा है।
इस बार तो लथा एक कीड़ा या मकोड़ा तक नहीं ढूंढ रही
अपना दूत बना कर कुछ कह भेजने के लिए।
६९वी, ७७वी और ८८वी
जुदाइयाँ उनकी सब्र से राह देखती हैं।
आशा है कि मौत,
जो उनकी ९०वी जुदाई के लिए तय हुई है,
लाइन तोड़कर आगे भागने
की जल्दी में नहीं है।
हिंदी अनुवाद: मिहीर सासवडकर
स्क्रीनसेवर (Screensaver)
मैंने एक जबाकुसुम (हिबिसकस) रखा है
बतौर स्क्रीनसेवर
अपने फ़ोन पे।
कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि दिन हो या रात,
ये फूल खिला ही रहता है;
माना ये ख़ास नहीं है ।
पर हम खेल-खेल में
उसके पीछे के
नीले आकाश की चमक को
घटा या बढ़ा सकते हैं ।
आसमान के इस रंग तक को
बदल सकते हैं ।
स्क्रीनसेवर के इस जबाकुसुम में
चमकता अंदाज़ और
करीबी का ज़्यादा अहसास है
हमारे घर के पिछवाड़े में
उस पुराने गुड़हल (हिबिसकस) की अपेक्षा
जिसकी उड़ी हुई लाली पर
चींटियों की रेंगती भीड़ है l
और इसका आकाश
बिलकुल सही बैठता है मेरी हथेली में।
हिंदी अनुवाद - रोहित शुक्ला
पल ये पल
उड़ जाने वाले वो पल
हमेशा अनंतकाल में
छिपे रहते हैं
फिर भी उस अनंतकाल को हम
पल दो पलों के उस संग्रह से ना पहचानें
जब हम ख़ज़ाने को पा गए;
हमें एक्सीडेंट की खबर मिली;
या
हमने पहले चुम्बन के राल को चखा l
एक हाथ उठा कर जहां
ज़िंदगी हमें
आयु का
आशीर्वाद देती है,
वहीं
दूसरे हाथ की रूखाई से
आगे की ओर धकेलती
भी है , पहले
खुशियों के जश्न में
हमें खो देती है, फिर
बीमार अनचाहे लोगों
या देश, वर्ग या लिंग पहचान
से भागते
शरणार्थी के रूप में
हमें फिर से
अपनाती है l
लो फिर, समय की मासूम टुकड़ी सो गयी l
ऐसा जब भी होता है तो गिलगमेश समान,
जिसने अमर होने का वरदान ढूँढ़ते हुए
उसे रोके न रुकती गहरी नींद
में खो डाला था, हम भी
सब कुछ खो देते हैं l
पर अनंतकाल, उसकी पलक नहीं झपकती l
सोते गिलगमेश के पैरों पे
रोज़ डबलरोटी के टुकड़ों के चढ़ावे
के रूप में वो हमारे हर कदम
का हिसाब रखता है l
समय की ये छोटी बिंदु कोशिश करती है
किसी नोकीली जानलेवा धार के साथ
या क्रूरता, उदारता, धोखे या प्यार
की धार जिससे कि
हम अपने को अपने ही अंदर समेटें l
अनंतता के साथ लड़ाई तो
हम पैदा होते ही
हार गए ll
हिंदी अनुवाद : हंसा थपलियाल
तीन सुन्दर और सेक्सी कविताएँ तमिल कवियित्री पेरुन्देवी द्वारा
मन की अछि सेहत के लिए कविताएं
चित्रण : राजसी राय लेडीज़ फिंगर को. से
अनुवाद: 'कालम िक्कालम' के ऐन कल्याण रमन के अंग्रेज़ी अनुवाद से अनुवादित
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