नोट: सर्कम्सिषन को खतना, सुन्न्त, लिंगाग्रचर्म-उच्छेदन, परिशुद्ध करण इन नामों से भी जाना जाता है
"फोरस्किन (लिंग की नोक पे ढीली चमड़ी जिसे पीछे खींचा जा सकता है) को पीछे खींचना मेरे लिए हमेशा थोड़ा डरावना होता है, मुझे चिंता रहती है की वह मुझसे ज़्यादा पीछे खिंच जाएगा और उसके लिंग को चोट लग जाएगी। अगर उसने सर्कम्सिषन (खतना) कराया है तो चीज़ें आसान हो जातीं हैं क्योंकि फिर मुझे यह फैसला लेना ही नहीं पड़ेगा!”
"मेरे परिवार और मेरे समुदाय में सब कराते हैं, तो मुझे यह काफी साधारण बात लगती है। जब मैंने पहली बार एक अनसर्कमसाइज़्ड/खतना ना किए हुए लिंग को देखा, तो मैं काफी चौंक गया था।”
"मुझे सर्कमसाइज़्ड लिंग ज़्यादा पसंद है, लेकिन अनसर्कमसाइज़्ड भी दिलचस्प है, क्योंकि यह मेरे लिंग से अलग है।”
हम सबने खतना के बारे में सुना है और जानते हैं कि यह लिंग के साथ की जाने वाली एक प्रक्रिया है। लेकिन अक्सर यह काफी रहस्यमय होती है। ऐसी धारणाएं सुनना असामान्य नहीं हैं कि सर्कम्सिषन/सुन्न्त से लिंग की स्थायी रूप से क्षति हो जाती हैं, कि ये आदमी के लैंगिक सुख पे असर करती है, और यह भी कि इससे आदमी की मर्दानगी में कमी आ जाती है। जिन आदमियों का सर्कम्सिषन/सुन्न्त हुआ है, उनका इस विषय पर बिलकुल अलग नज़रिया है और अक्सर वे अपनी ज़िन्दगियों (या लिंगों) के बारे में किसी और तरह से सोच भी नहीं सकते।
आखिर पुरुष सर्कम्सिषन क्या है, और लोग इसे क्यों कराते हैं?
सर्कम्सिषन का मतलब है उस चमड़ी को निकालना जो लिंग के सर को ढकती है, तब , जब लिंग उत्तेजित ना हो। इस चमड़ी को फोरस्किन कहते हैं। फोरस्किन की लंबाई/चौड़ाई अलग-अलग लोगों में अलग हो सकती है। इस लिए हो सकता है ये उत्तेजित लिंग के सर को यह पूरी तरह से ढके, या फिर किसी और केस में, ऐसा ना करे। जहाँ कुछ लोगों का सर्कम्सिषन/परिशुद्ध करण उनके पैदा होने पर ही हो जाता है, वहीँ कुछ लोग आगे जाकर चिकित्सक कारणों से इसे करते हैं।
अगर बालकों की बात की जाए, तो सर्कम्सिषन/परिशुद्दीकरण अक्सर डॉक्टरों द्वारा सांस्कृतिक कारणों की वजह से किया जाता है। भारत में, मुस्लिम समुदाय में, पुरुष बालकों का सर्कम्सिषन/खतना होना आम बात है। अमेरिका में, ज्यूइश समुदाय में सर्कम्सिषन/खतना उतना ही सामान्य है, और शिशु के जीवन के आठवे दिन पर इस मौके को धूम-धाम से मनाया जाता है।
धार्मिक कारणों के अलावा, डॉक्टर के.एस शिवकुमार, जोकि बैंगलोर में बसे एक एंड्रोलॉजिस्ट और यूरोलॉजिस्ट हैं, कहते हैं कि खतना अक्सर मूत्रमार्ग के छिद्र पर फोरस्किन के अवरोध, या फोरस्किन या मूत्रमार्ग के छिद्र की साइज़ में असामान्यताएं होने पर किया जाता है। वह यह भी कहते हैं कि कुछ केसेज़ में जब फोरस्किन पूरी तरह से पीछे नहीं खींची जा सकती, तो सेक्स और पिशाब करने में दिक्कतें आ सकती हैं, और तब सर्कम्सिषन कराने की सलाह दी जाती है।
वह यह भी कहते हैं कि डायबिटीज का पहला और सबसे आम दुष्प्रभाव होता है ग्लान्स (लिंग का सर) में बार-बार होने वाला इन्फेक्शन/संक्रमण। क्योंकि डायबिटीज एक आजीवन स्थिति है और आप पूरी ज़िन्दगी एंटीबायोटिक्स पे नहीं रह सकते, तो ऐसे केसेज़ में खतना की सलाह दी जाती है।
कुछ लोग यह क्यों कहते हैं कि सर्कम्सिषन व्यक्तिगत स्वास्थ्य-रक्षा के लिए अच्छा है?
डॉक्टर. रमेश राजशेखर, मुंबई में बसे एक जनरल चिकित्सक, सर्कम्सिषन के पक्ष में कहते हैं कि इससे जनरल स्वास्थ्य-रक्षा बढ़ सकती है। फोरस्किन को ना हटाने से स्त्राव और मूत्र-संबंधित मलबे चमड़ी के नीचे जम सकते हैं, और इससे संक्रमण की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। तो पेपिलोमा वायरस (या एच.पी.वी) से होनेवाले इन संक्रमणों से बचने के लिए सर्कम्सिषन की सलाह दी जाती है। और आमतौर पर इस वायरस से बार-बार और अक्सर होने वाले संक्रमणों के केसेज़ में भी इसकी सलाह दी जाती है।
Uncircumcised Penis Anatomy Male Reproductiv E System Anatomy Of The Male Reproductive System - Human Anatomy Diagram
डॉक्टर. राजशेखर कहते हैं कि अगर जीवन में यह प्रक्रिया जल्दी कर दी जाए तो सबसे अच्छा और आसान होता है, लेकिन हर किसी के लिए इसे चिकित्सक रूप से ज़रूरी नहीं माना जाता है। इसके बावजूद, डॉक्टर.शिवकुमार कहते हैं कि एक दिन में (उनके क्लिनिक में), उन्होंने तीन अलग- अलग मरीज़ों को सर्कम्सिषन कराने की सलाह दी: एक छह साल के लड़के को, एक ३० साल के आदमी को और एक ८४ साल के आदमी को। वह कहते हैं कि सर्कम्सिषन दुनिया की सबसे सामान्य चिकित्सक प्रक्रियाओं में से एक है।
क्या इसमें दर्द होता है?
कुछ संस्कृतियों और धर्मों में, पैदा होने के तुरंत बाद, किसी चिकित्सक स्थिति की परवाह ना करते हुए, सर्कम्सिषन कर दिया जाता है। पाकिस्तान के एक पत्रकार, अयाज़, कहते हैं कि सर्कम्सिषन को उनके समुदाय (दिल्ली के उर्दू बोलने वाले मोहाजिर) में खतना के नाम से जाना जाता है। उनके समुदाय में, सर्कम्सिषन बच्चों के पैदा होने के तुरंत बाद किये जाते हैं। अक़ीक़ाह नाम का जश्न होता है, जिसका मतलब है बच्चे के जन्म का जश्न एक बकरे की बलि देकर मनाना, और यह जश्न सर्कम्सिषन/सुन्न्त के समय से मेल खाता है, और परिवार में बहुत खुशी और जश्न का मौका होता है। क्योंकि यह जीवन में इतनी जल्दी कर दिया जाता है, अयाज़ कहते हैं कि आदमियों को इससे जुड़ी ना कोई याद होती है, ना कोई दर्द। निश्चित रूप से उन्होंने कभी सर्कम्सिषन के बाद कोई दर्द अनुभव नहीं किया है।
अयाज़ से थोड़ी अलग कहानी है अविनाश की, जोकि एक बैंगलोर में बसे इंजीनियर हैं, और जिन्हें अपने सर्कम्सिषन से जुड़े वारदात याद हैं। १० साल की उम्र में उन्हें चिकित्सक कारणों की वजह से सर्कम्सिषन करवाना पड़ा। डॉक्टर के पास बार-बार होने वाले संक्रमण और पिशाब करने में होने वाली दिक्कत की वजह से कई बार जाने के बाद उन्हें सलाह दी गयी कि वह भविष्य में इन तकलीफों से बचने के लिए सर्कम्सिषन करवा लें। वह कहते हैं कि ना उनके माता-पिता, ना ही डॉक्टर ने उनपर यह करवाने के लिए किसी तरह का दबाव डाला। उन्होंने सर्कम्सिषन करवाने का फैसला किया और उन्हें याद है कि सर्जरी के पहले वह काफी डरे हुए थे। "मुझे लगा वह मेरे लैंगिक सुख की जगह को आधा कर देंगे!", वह उस घबराहट को याद करते हुए कहते हैं। लेकिन जब वह उस एक-घंटे लंबी प्रक्रिया के बाद उठे, तो उन्होंने देखा कि उनके लिंग को आधा नहीं किया गया था; सिर्फ उनकी फोरस्किन के ऊपरी हिस्से पर ऑपरेशन किया गया था। एक हफ्ते के अंदर दर्द पूरी तरह से ख़तम हो गया।
जिन डॉक्टरों और आदमियों का खतना हुआ है, वह मानते हैं कि इसे करवाने के कोई दीर्घकालिक चिकित्सक दुष्प्रभाव नहीं हैं।
लकिन जो हम असल में जानना चाहते हैं, वह यह है कि, क्या इससे लैंगिक सुख पर असर हो सकता है?
जिन आदमीयों का बचपन में खतना हुआ है, ज़ाहिर है उनके पास इसकी तुलना करने के लिए कोई 'पहले' का संदर्भ नहीं है। अविनाश का खतना १० साल की उम्र में हुआ था, और उन्हें लगता है कि इससे लिंग और संवेदनशील हो जाता है, और यह लैंगिक आनंद में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है। वह यह भी कहते हैं कि उनकी एक्स-गर्लफ्रेंड को उनका सर्कमसाइज़्ड लिंग पसंद था। यह इसलिए हो सकता है क्योंकि सर्कमसाइज़्ड लिंग में सिर्फ लिंग के सर का रंग थोड़ा हल्का होता है, जबकि अनसर्कमसाइज़्ड लिंग का रंग एकरूप होता है।
पुरुषों के साथ सेक्स करने वाले बहुत से आदमीयों और औरतों ने हमें बताया कि उन्हें सर्कमसाइज़्ड लिंग देखने और छूने में ज़्यादा अच्छे लगते हैं। कुछ कहते हैं कि जब लिंग सर्कमसाइज़्ड हो, तो फोरस्किन पहले से ही पीछे खिंची होती है, और उन्हें ज़्यादा सहज लगता है क्योंकि उन्हें यह फैसला नहीं लेना पड़ता कि फोरस्किन को सेक्स के दौरान कितने पीछे खींचना है। काफी लोगों ने यह भी कहा कि सर्कम्सिषन से लिंग और साफ़ लगता है, क्योंकि कोई शिश्नमल (जो स्किन कौशिकाओं, तेल और नमी का संचय होता है) नहीं जमता है। इससे ओरल सेक्स भी ज़्यादा कामुक/आनंदमयी हो जाता है।
हमनें कुछ ऐसे लोगों से भी बात की, जिन्होंने कहा कि सर्कमसाइज़्ड साथी ज़्यादा संवेदनशीलता महसूस करते हैं, जिससे सेक्स अपनेआप ज़्यादा आवेशपूर्ण, और इस वजह से दोनों लोगों के लिए ज़्यादा आनंदमयी हो जाता है। अपने साथी को आनंद लेते हुए देखना - चाहे वह सर्कमसाइज़्ड हो या नहीं - सेक्स को आपके लिए भी ज़्यादा मज़ेदार बना देता है।
लेकिन कभी कभी, जैसा हमने कठिन तरीके से जाना, ज़्यादा संवेदनशीलता होना हमेशा अच्छी चीज़ नहीं होती। रॉबिन एक समाजविज्ञानी हैं जिनके लैंगिक साथी अक्सर पुरुष होते हैं। वह कहते हैं कि कभी-कभी वह सोचते हैं कि काश उनका लिंग इतना संवेदनशील नहीं होता, क्योंकि अगर ऐसा होता, तो हस्तमैथुन करते समय इतनी जल्दी उनका वीर्यपात नहीं होता। वो इस सोच में हैं कि क्या सर्कम्सिषन का इससे कुछ लेना देना हो सकता है। लेकिन दूसरी ओर, दिनेश, जो बैंगलोर से एक क्वीयर इंजीनियर हैं, इससे बिल्कुल उल्टी बात कहते हैं: उन्हें लगता है कि अनसर्कमसाइज़्ड लिंग लैंगिक रूप से ज़्यादा संवेदनशील होती है क्योंकि सर्कमसाइज़्ड लिंगों के मुकाबले वह ज़्यादा ढकी रही होती हैं।
एक मिनिट, तो इस सब का क्या मतलब है? क्या यह सेक्स को बेहतर बनता है यह बदतर या क्या?
खतना लैंगिक सुख पर किस तरह असर करता है यह स्पष्ट शब्दों में बताना मुश्किल है क्योंकि काफी लोगों का खतना उनके लैंगिक रूप से परिपक्व होने के पहले ही हो जाता है। तो फिर यह बताना कठिन हो जाता है कि आपके लैंगिक सुख का पैमाना किसी और के मुकाबले बड़ा है या छोटा, क्योंकि आप सिर्फ यही स्तिथी जानते हैं और आपको सिर्फ यही याद है। वैज्ञानिक भी इस मुद्दे को लेकर उलझन में नज़र आते हैं; एक स्टडी ने कहा है कि सर्कम्सिषन का लैंगिक सुख पर दुष्प्रभाव नहीं होता, जबकि दूसरी स्टडी कहती है कि असर होता है। लेकिन जो आदमी और औरतें उनके साथ सोती हैं, सर्कम्सिषन से होने वाले अनुभव की काफी तारीफें करते हैं।
लेकिन यह अलग और कभी-कभी विवादग्रस्त विचारों से हमें यह मालूम पड़ता है कि सेक्स और लैंगिक सुख की बात करते वक्त एक बात याद रखना ज़रूरी है: कि कोई एक सही जवाब नहीं होता! अलग अलग लोगों के लिए, अलग-अलग वक्त पे, अलग-अलग उम्र में और वातावरण में अलग-अलग चीज़ें काम करती हैं। लैंगिक सुख के मामले में, सबको फिट आने वाली एक साइज़ अस्तित्व में बिलकुल नहीं है.