अनुवाद: मिहीर सासवडकर
हर गर्मी के मौसम में आम खाते समय, गर्मी के बारे में शिकायत करते समय और दोपहर में सोते समय, फैन की खड़ खड़ के नीचे अक्सर प्यार भरे विचार अलसाते हुए हमारे मन में आते हैं। लेकिन, ज़रा ठहरो, कहीं आपके कामुक विचारों की यह ट्रेन गर्मी के कारण किसी लज्जाजनक घटना की वजह से पटरी से न उतर जाए!
गर्मी के दिनों सभी लोगों को हमेशा से ज़्यादा पसीना आता है, ख़ासकर शरीर के निजी भागों में। शर्माओ मत। और अगर आप उस चिड़चिड़ी गर्म और नम संवेदना की ओर ध्यान नहीं दोगे, तो आपको इनफ़ेक्शन हो सकता है। तो, इस गर्मी के मौसम में यह रहे कुछ मशवरे जिनसे आपके गुप्तांग और थोड़ा आराम फ़रमा सकते हैं। (इनमें से कुछ मशवरे महीनों बाद भी काम आ सकते हैं, जब गर्मी का मौसम महज़ एक याददाश्त रह जाएगा।)
तो इस बार की गर्मी में, अटपटी जगहों में होने वाली उन सब खुजलियों और खिच खिचों से छुटकारा पाओ, और इसके बदले साफ़ रहने के लिए हमारे मशवरों का इस्तेमाल करो।
सब लोगों के लिए साधारण नियम (सभी लिंगों के लिए)
१. हर रोज़ नहाओ।
क्यों? क्योंकि हमारे शरीर पर रोगाणु लगातार जमा होते रहते हैं! हमारी त्वचा से उसके ख़ुद का पसीना और अनेक क़ुदरती तेल निकलते रहते हैं, और यह सब कीटाणु के साथ मिलकर शरीर की बदबू या त्वचा की इनफ़ेक्शन की वज़ह भी हो सकते हैं, अगर उन्हें बढ़ने दिया जाए तो।
अब जो हम यह बात कर ही रहें हैं तो अपने जीवन की सबसे बड़ी नैतिक असमंजसों में से एक का हल भी निकाल लेते हैं: स्नान सुबह किया जाए या रात को? देखो, यह तो इस पर निर्भर है कि आपके लिए क्या चलेगा। अगर आपकी त्वचा चिकनी है या आप सुबह कसरत करते हो, तो फिर मेरा सुझाव है कि सुबह स्नान करो। अगर आपकी त्वचा रूखी है या आप दोपहर या शाम को कसरत करते हो, तो फ़िर रात को स्नान करना आपके लिए बेहतर हो सकता है।
२. जब आप स्नान करते हो, तब अपने गुप्तांग थोड़े और समय के लिए साफ़ करो।
क्यों? हम सब के लिए, गुप्तांग एक ऐसा शारीरिक भाग है जिसके कई सारे छोटे से मोड़ और सूराख होते हैं। इन जगहों में रोगाणुओं और शरीर से निकलने वाले स्त्रावों की मात्रा बहुत आसानी से बढ़ सकती है। इसलिए, इन तकलीफ़देह जगहों को बिना भूले धोना बहुत महत्त्वपूर्ण है।
३. सूती जैसे प्राकृतिक कपड़े से बनी ढीली अंडरवैर पहनो।
क्यों? इससे निजी भागों में पसीना रोकने में मदद मिलती है, जो कीटाणु और बदबू दोनों के दृष्टिकोण से आपके लिए अच्छा है।
महिलाओं के लिए गुप्तांग का स्वास्थ्य
१. साबुन से अपने योनिमुख का भाग धोना एक अच्छी बात है, लेकिन साबुन का रोज़ प्रयोग करना ज़रूरी नहीं, सिर्फ़ गर्म पानी से भी बात बनेगी। लेकिन अगर आपको साबुन इस्तेमाल करना ही है, तो एक ग्लिसरीन वाला साबुन इस्तेमाल करना, जो साधा और कोमल हो। यह आपके लिए बेहतर है, और यह नारियल से सुगन्धित बॉडी वाश, जो माइक्रो बीड का वादा करते हैं, से कम कीमती भी है।
क्यों? आपकी योनिमुख के pH का स्तर बहुत निर्धारित होता है (३.५ से लेकर ४.५ तक), जिसके कारण उसका अम्लीय स्तर संतुलित रहता है। इससे अच्छे कीटाणु पनपते हैं, हानिकारक कीटाणु नष्ट होते हैं और आपका योनिमार्ग साफ़ रहता है। तेज़ साबुन इस्तेमाल करने से वह नाज़ुक संतुलन बिगड़ सकता है।
२. अपनी योनी को साबुन से मत धोना।
क्यों? आपका योनिमार्ग ख़ुद को साफ़ करता है। उसके अंदर अच्छे कीटाणु हैं जो ख़ुद सफ़ाई करते हैं, और आप यह नहीं चाहोगे कि साबुन के इस्तेमाल से आप उन्हें धो निकालें। साबुन से अच्छे कीटाणु तो मरेंगे ही (ऐसे कीटाणु जो आपको यीस्ट इनफ़ेक्शन और कीटाणु संबंधी वेजिनोसिस से सुरक्षित रखते हैं), लेकिन वह उस नाज़ुक अम्लीय pH के स्तर को भी बदल देता है। और हाँ, उस निर्धारित pH के स्तर की वजह से आपकी अंडरवैर के अंदर कभी कभार धब्बे आ सकते हैं।
३. खंगालना और ‘फेमिनिन स्प्रे’ जैसी चीज़ों से दूर रहें।
क्यों? मेरी आशा है कि आपने ऐसी बेवक़ूफ़ बातों की ओर ध्यान नहीं दिया होगा। खंगालना उसे कहते है जब लोग अपनी योनिमार्ग को पानी या किसी रासायनिक घोल से अंदर से धोते हैं। जब ऐसा आप कोई चिकित्सीय कारणों के लिए या डॉक्टर के कहने पर करते हो, तो यह ठीक हैं। लेकिन इन कारणों के आलावा, इनसे दूर ही रहना। इनसे दूर रहने की वजह वही है जो साबुन न इस्तेमाल करने की है। अक्सर ऐसी चीज़ों में बहुत कठोर किस्म के रसायन होते हैं, और हमें यह नहीं चाहिए कि यह रसायन हमारी त्वचा या हमारे अच्छे कीटाणुओं को हानि पहुंचाए।
४. आपकी ब्रा हफ़्ते में कम से कम एक बार बदलो, लेकिन बेहतर होगा कि आप उसे हर तीन दिन बाद बदलो। अगर आपको पसीना आ रहा हो, जो गर्मी के दिनों हम में से अधिकतर लोगों को बहुत आता है - तो रोज़ बदलो।
क्यों? कोई परिधान आपके शरीर के जितना ज़्यादा नज़दीक होता है उतना ही ज़्यादा उसमें पसीना, रोगाणु और मैल जमा होंगे, और ब्रा तो आपके शरीर के बहुत नज़दीक होती है।
५. संभोग करते समय, जब आप मुख मैथुन/गुदा मैथुन करके योनी मैथुन करने लगते हो तब कंडोम बदलो।
क्यों? मलद्वार और मुँह दोनों में अलग किस्म के कीटाणु होते हैं और इन्हें योनी की ओर ले जाना अच्छा नहीं होगा। मलद्वार में मल पदार्थ के भी निशान हो सकते हैं, जिन्हें किसी भी हालत में आपके योनी के अंदर नहीं होना चाहिए।
६. अगर आप सेक्स टॉय का इस्तेमाल करते हो, तो संभोग के बाद उन्हें धो लेना।
क्यों? चूँकि इन पर शरीर के द्रव और कीटाणु जमा होते हैं, इन्हें बिना धोए वापस रख देना गंदा भी है और इससे आपको इन पर जमा फंगस या दूसरे कीटाणुओं से इनफ़ेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है।
७. संभोग करने के कुछ देर बाद पेशाब करने की कोशिश करो। यह ज़रूरी नहीं कि आप संभोग होते ही बाथरूम चले जाओ (हाँ अगर पेशाब लगी है तो ज़रूर एकदम जाओ), लेकिन कुछ देर बाद पेशाब करना अच्छी बात है, या कम से कम पेशाब को रोको मत।
क्यों? ऐसा करने से आपको मूत्रमार्ग के इनफ़ेक्शन होने की संभावना कम होगी, जो बहुत ज़्यादा दर्दनाक हो सकते हैं। संभोग के दौरान, मूत्रमार्ग में गुप्तांग और मुँह के कीटाणु आ जाते हैं, और इससे अपने शरीर के अंदर कीटाणुओं का प्रवेश हो सकता है। तुरंत पेशाब करने से ऐसे इनफ़ेक्शन होने की संभावना कम हो जाती है, लेकिन इसका पक्का कारण अब तक पता नहीं चला है।
८. संभोग के थोड़ी देर बाद आपके गुप्तांग को धो लेना। हम यह नहीं कह रहे कि चरमोत्कर्ष की स्थिति में ही आप बाथरूम चले जाओ। लेकिन देर होने के पहले ज़रूर धो लेना।
क्यों? संभोग करते समय, शरीर के बहुत सारे अलग द्रव आपके गुप्तांग के संपर्क में आते हैं, ख़ासकर तब जब आपको बहुत मज़ा आ रहा हो। संभोग के समय के स्रवण और पसीने को आपको धो डालना चाहिए ताकि आपको अज़ीब कीटाणुओं के जमा होने की वजह से होने वाले इनफ़ेक्शन न हो।
९. अगर आप टॉयलेट पेपर इस्तेमाल करते हो, तो सामने से पोंछना शुरू करना और पीछे तक पेपर को ले जाना। जैसे कि बच्चों को सिखाया जाता है, सु सु की ओर से पॉटी की ओर तक।
क्यों? ऐसा करने से मलद्वार से मल पदार्थ या अन्य रोगाणु योनिमुख को दूषित नहीं करते। याद रहे, योनिमुख काफ़ी संवेदनशील है और उसमें उसके ख़ुद के कीटाणु स्थित होते हैं, और इसलिए उस जगह में नए कीटाणु भेजना अच्छा नहीं होगा।
१०. आपका सैनिटरी नैपकिन हर तीन से चार घंटों बाद बदलो, और रुई का फाहा (टैम्पॉन) हर चार से आठ घंटों बाद। अगर आप रजोधर्म कप इस्तेमाल करते हो, तो उसे दिन में कम से कम दो बार खाली करो।
क्यों? आपका सैनिटरी नैपकिन नित्य बदलने से जमे हुए ख़ून में कीटाणु बढ़ते नहीं हैं। रुई के फाहे नित्य बदलने से टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम होने से आप बच जाते हो।
११. याद रखना कि आपके गुप्तांग से एक विशिष्ट बू आना बिलकुल स्वाभाविक बात है।
क्यों? बहुत लोग अपने शरीर से आने वाली बू को लेकर चिंतित या असुरक्षित महसूस करते हैं। उन्हें यूँ बिलकुल भी लगना नहीं चाहिए, चूँकि बू आना पूरी तरह से स्वाभाविक है। और दुर्भाग्यवश हमारी चिंताएं बढ़ जाती हैं चूँकि हमें इस बू की किसी और के साथ तुलना करने का या उसके बारे में बात करने का बहुत कम मौका मिलता है। जब तक आपको वहाँ से मछली जैसी बू नहीं आती - चूँकि ऐसी बू यीस्ट इनफ़ेक्शन की निशानी हो सकती है - आपको कोई चिंता नहीं करनी चाहिए! आपके योनिमार्ग से महीने भर थोड़ी मात्रा में रस का निकलना भी साधारण बात है, और जब तक उस रस की बू या गाढ़ापन अचानक से नहीं बदलता, चिंता करने की कोई ज़रुरत नहीं।
१२. आप चाहो तो अपने गुप्तांग के भाग में मोम लगाकर या उस्तरे से बाल निकाल सकते हो, लेकिन उससे आप और साफ़ नहीं हो जाओगे।
कुछ लोग सौंदर्य के लिए गुप्तांग के भाग के बाल निकाल देते हैं, या शायद चूँकि उन्हें लगता है कि बालों में बदबू अटकती है, लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि वास्तव में इससे आप और साफ़ हो जाते।
क्यों? अगर आप मोम का लेपन करना चाहते हो, तो साफ़ सुथरे पार्लर में जाकर करवाओ। अगर आप मोम लेपन घर पर री-यूज़ेबल (जो दोबारा इस्तेमाल की जा सकती हैं) पट्टियों के साथ कर रहे हो तो मोम लेपन के बाद पट्टी को अच्छे से धो लो, या फिर डिस्पोज़ेबल पट्टियां इस्तेमाल करो। मोम लेपन करने के बाद कुछ दिनों तक कसी हुई अंडरवैर मत पहनो।
अगर आप उस्तरे से बाल मूँड़ना चाहते हो, तो ऐसा ध्यानपूर्वक करो और शुरू करने के पहले अच्छे से शेविंग क्रीम का झाग बनाओ ताकि कोई बाल चमड़ी के अंदर की ओर न उगे । अच्छी धार वाला, नया उस्तरा इस्तेमाल करो - कभी भी बिना धार वाला उस्तरा इस्तेमाल मत करो - चूँकि आप ख़ुद को काट सकते हो, और उससे आपको बहुत दर्द हो सकता है और आपके चोट पर इनफ़ेक्शन भी हो सकता है। जैसे आपने मोम लेपन में किया था, शेविंग करने के बाद कुछ दिनों तक कसी हुई अंडरवैर मत पहनो, ताकि कोई बाल चमड़ी के अंदर की ओर न उगे।
पुरुषों के लिए गुप्तांग का स्वास्थ्य
१. गुप्तांग की जगह हरदम सूखी होनी चाहिए। शौचालय के इस्तेमाल के बाद, या स्नान के बाद या तैरने के बाद, अपने गुप्तांग को धोकर, सुखाकर, एक तौलिए के साथ साफ़ पोंछना मत भूलना।
क्यों? कीटाणु और कवक (फ़ंगाय) उन जगहों में पनपते हैं जहाँ अँधेरा या नमी होती है। गुप्तांग की जगह को सूखा रखने से जॉक इच जैसे खुजलीदार दाद (रिंग वर्म) का इनफ़ेक्शन होने में बाधा आती है।
२. पेशाब के बाद पुरुषों को बिना भूले अपना शिश्न हलके से हिलाना चाहिए। इससे मूत की कोई बची हुई बूँद या कोई नमी शिश्न से गिर जाती हैं। पेशाब के बाद, शिश्न को सुखाना भी चाहिए।
क्यों? इसका कारण ऊपर दिया है। इनफ़ेक्शन से बचे रहने के लिए शिश्न को सूखा रखना ज़रूरी है।
३. प्रौढ़ पुरुषों को स्नान करते समय शिश्न के ऊपर की चमड़ी (शिश्नग्रच्छद) पीछे खींचकर शिश्न के आगे का भाग धोने की आदत डालनी चाहिए। यह करने के बाद, उसी चमड़ी को फिर से अपनी जगह पर ले जाना मत भूलना ।
क्यों? इससे इकट्ठा हुआ स्मेग्मा निकल जाता है। स्मेग्मा एक तेलपूर्ण, सफ़ेद-सा पदार्थ है जो त्वचा के मरे हुए कोशिकाओं, त्वचा के तेलों का और नमी का मिश्रण है, और यह शिश्नग्रच्छद के नीचे जमा होते रहता है। इसकी बू ख़राब भी हो सकती है, और इसलिए यह ज़रूरी है कि इसकी मात्रा बढ़ने न दी जाए।
४. नौजवान लड़के जिनके शिश्नग्रच्छद अब तक आसानी से पीछे नहीं खींचे जा सकते, उनको तीसरा कदम नहीं उठाना चाहिए।
क्यों? चूँकि ऐसी हालत में ज़ोर लगाकर शिश्नग्रच्छद पीछे खींचना जब वह आसानी से और ख़ुद ब ख़ुद पीछे की और आगे खींचा नहीं जा रहा, आपको हानि और दर्द पहुंचा सकता है।
५. मलद्वार को आखिर में बहुत सारे पानी और कोमल साबुन के साथ साफ़ करो, और फिर उसे थपकी देकर सुखाओ।
क्यों? अपने गुप्तांग के भाग को साफ़ करते समय, मलद्वार को आख़िर में साफ़ करने से मल पदार्थ का शिश्न और मूत्रमार्ग से संपर्क नहीं होता।