Agents of Ishq Loading...

मेरे बदन के डावांडोल होते हिस्से और मैं, अक्सर यह बातें करते है

‘तुम तो 50 की उम्र के हिसाब से काफी फिट हो’

अभी हाल ही में, मेरी योगा क्लास की एक मिलेनियल (यानी वो लोग जो कंप्यूटर और इंटरनेट के साथ बड़े हुए हैं ) ने मुझसे कहा 'मुझे उन औरतों से बड़ी जलन होती होती है , जिन्होंने बच्चे पैदा किये है।  योगा करते वक़्त मेरे कूल्हे वैसे नहीं खुलते,जैसे आपके खुलते है'।  इस लड़की का सुडोल बदन और पीठ की लचक मुझे बहुत पसंद है। मैं उसको बताना चाहती हूँ  कि मेरी बच्चादानी ने जो झेला, वो किसी युद्ध से कम नहीं है। इतना कुछ सहने के बाद, एक शूरवीर वाले योगा आसन पर मेरा हक़ तो है ही।   मैं उसको अपने शूरवीर आसन के अंदर छुपे हुए अपने पेल्विस के आस पास लटकी हुई चमड़ी के बारे में बताना चाहती हूँ।   मैं उसको अपने डावांडोल  होते हिस्सों के बारे में बताना चाहती हूँ।  लेकिन मैंने उसको कुछ नहीं कहा।  इसकी वजह यह थी, कि बहुत दिनों बाद, किसी ने मेरी ढंग से तारीफ की थी। वरना लोग तो मुझे बस कहते थे 'तुम तो 50 की उम्र के हिसाब से काफी फिट हो' l इसमें मुझे तारीफ कम, और तरस ज़्यादा दिखता। 40 के दशक में, मेरे बच्चे दानी ने अपनी सबसे शानदार पारी खेली । ढाई दशक तक लगातार खून के थक्के निकालने के बाद,  उसमें एक स्वस्थ बच्चा पनपा, जो वहां 9 महीनें टिका रहा और C - सेक्शन से पैदा हुआ (जिसकी वजह से पेल्विस के आस पास की चमड़ी लटक गयी) । और फिर मैं भी उन औरतों में गिनी जाने लगी जिनको देख के सब दंग हैं, कि यह कैसे 41 की उम्र में माँ बन गयी !  इस उम्र में बच्चा पैदा करने का नतीजा यह रहा, कि मैं अपने जैसी बहुत कम माँओं को जानती हूँ , जो 50 के पार हैं, और अपने बच्चे को स्कूल छोड़ती और ले जाती हैं | और बच्चो की स्कूल की छुट्टी के हिसाब से ही ,अपनी छुट्टी प्लान करती हैं।  वरना मेरे उम्र के मेरे दोस्त तो अपने खाली घर में बैठ के, तीसरा घर खरीदने की प्लानिंग करते हैं । और एक मैं हूँ , जो अपने 12 साल के बच्चे को अकेले ही पाल रही हूँ और रोज़ रोज़ अपने शरीर के नए हिस्सों से मिल रही हूँ। अभी हाल में ही मैंने देखा, कि मेरी ढुड्डी के नीचे एक और ठुड्डी निकल आयी है। और मेरे जांघें जेली की तरह हो गयी हैं, और उनमें डिंपल भी बनने लगे है। मेरे ख्याल से, इस सब की तैयारी तो तभी हो गयी थी, जब मैं अपनी शादी तोड़ के, अपने चार साल के बच्चे के साथ ,अलग हो गयी थी।  दुखी होने या रोने का तो मेरे पास टाइम ही नहीं था, क्यूंकि मेरा सारा समय तो यही सोचने में चला जाता था कि 8 रुपये प्रति शब्द के हिसाब से हर महीने कितने आर्टिकल लिखने होंगे, जिससे मेरा खर्चा और बच्चे की फीस दोनों निकल जाएया अपने बच्चे के पिता से आर्थिक सहयोग पाने के लिए मुझे वकील को कितनी फीस देनी होगी। या 6 % या 8 % रॉयल्टी के रेट पे मेरी किताब की कितनी लाख कॉपीज़ की बिक्री होनी चाहिए, जिससे मेरे बच्चे की कम से कम एक साल की स्कूल फीस तो निकल जाए मैं अपने आप से यही कहती  हूँ कि उस सब से मुझे बच्चा तो मिला। एक फ्रीलांसर की ज़िन्दगी तो कठिन थी ही, उसपे मेरे यूटेरस/बच्चादानी की अलग कहानी शुरू हो गयी।  10 साल के अंदर -अंदर मेरे बच्चा भी हुआ था और मेनोपॉज़ भी  मेरी माँ के माँ बनने और मेनोपोज़ में 25 साल का अन्तर था। चलो अब 'सीरियस नौकरी' चाहने के ढोंग  की ज़रुरत तो नहीं रही मेरी एक दोस्त का भी डाइवोर्स उसी टाइम हो रहा था,  जब मेरा हो रहा था। उससे यह अकेले रहना वाला प्रेशर झेला नहीं जा रहा था।  उसने मुझसे कहा कि मैं तोसब कुछ बहुत अच्छे से संभाल रही हूँ”।  शायद वो सही थी।  मैं खुद को ज़िंदा रखने के उस उतार चढ़ाव में इतनी व्यस्त थी, कि मुझे किसी प्रेमी के बारे में सोचने की ज़रुरत ही नहीं पड़ी।  चाहे वो परमानेंट प्रेमी हो या कभी- कभार वाला।  मेरा बदननवीकरण के लिए बंद था”।   कम से कम सेक्स के लिए हाज़िर तो नहीं होना पड़ा।   बिस्तर पे बढ़िया काम करने के दवाब से तो मुझे मुक्ति मिल गयी, लेकिन अकेले माँ का रोल अच्छे से निभाने के लिए, जिस तरह की स्थिरता और संतुलन की ज़रुरत थी, उसके मुकाबले डेटिंग और करियर संभालना तो कुछ भी नहीं लग रहा था।   बच्चा पैदा करने के बाद, मेरा बदन मुझे अलग अलग तरीकों से मुझे निराश कर रहा था।  जिसकी मैंने तो कभी कल्पना भी नहीं की थी।  मेरी पीठ ठीक से झुक नहीं पा रही थी। काफी समय दूध पिलाने के बाद, मेरे स्तन काफी थक से गए थे। ब्रा पहनने की आदत तो इस कदर छूटी थी, कि जब पहना तो लगा के मानो किसी ने  हथकड़ी लगा दी हो। मेरे बाएं स्तन में एक गाँठ भी बनने लगी थी , लेकिन बाद में पता चला के बस एक फोड़ा है।  नारीवादी आंदोलन टाइप, मेरे पास भी, ब्रा  को जला  के फेक देने  के कई कारण थे मेरा झुकाव उन कपड़ो की तरफ होने लगा, जिनके नीचे मुझे ब्रा पहनने की ज़रुरत ही पड़े।  टी -शर्ट और पारदर्शी कपड़े तो मैंने पहनना ही छोड़ दिए।  योगा क्लास में जब टी शर्ट पहनती तो उसके नीचे स्पेग्हटी टॉप या आधे मन से स्पोर्ट्स ब्रा पहन लेती।  मैंने साड़ी को गले लगा लिया।  साड़ी हमारे जेली जैसे हिस्सों के लिए वरदान से कम है क्या।  साड़ी की प्लीट, आपका पेट छुपा लेती है। पेटिकोट से आपके पेट की चर्बी बराबर हिस्सों में बंट जाती है, और इसके लिए आपको किसी महंगे अंडरवियर की भी ज़रुरत नहीं।  ही अपने अंडरवियर से निकलते एक्स्ट्रा चर्बी छुपाने की टेंशन।  कुल मिला के बस उतनी ही चर्बी दिखाओ, जितना मन करे। या उतनी सेक्स अपील दिखाओ, जितना मन करे। सही जगह पे चर्बी को, सेक्स अपील ही तो कहा जाता है।   मैं अकसर यह सोचती हूँ, हम अपने बदन को ले के भूत काल में कब से बात करने लगे।  'मेरे बाल बड़े अच्छे थे , ' एक ज़माने में मेरा पेट बिलकुल अंदर था ' या ' मेरी टाँगे एकदम शेप में थी ' , मुझे ऐसा लगता है, कि हम सभी कहीं कहीं अपनी पुरानी बॉडी का शोक मना रहे हैं।   कम से कम मेरे बदन का हर अंग काम तो कर रहा है। मैं कितना भी योगा कर लूँ  या कितना भी टहल लूँ , मेरे यह  बाहर निकले हिस्से कहीं नहीं जाने वाले।  मुझे हाल ही में यह बात पता चली, कि मेरी जाँघों के बीच में कोई फासला नहीं रहा।  इसलिए जब मैं चलती हूँ ,तो मेरी जाँघे आपस में रगड़ खाती है।  जब किसी मॉइस्चराइजर , क्रीम, पाउडर से कोई फर्क नहीं दिखा, तो मैंने लड़को वाले शॉर्ट्स पहनने शुरू कर दिए।  लेकिन तब तक मेरी चाल एक दम गुंडों जैसी हो ही गयी थी।  मतलब मैं जब चलती थी, मेरी टांगो के बीच एक फुट का अंतर होता था, ताकि मेरी जांघें आपस में रगड़ खाएं।  मैं  वैसे भी लाज शर्म सब छोड़ के, बुढ़ापे की ओर बढ़ रही थी तो मेरे लिए ऐसे चलना कोई बड़ी बात नहीं थी।   कम से कम मुझे प्यार और सेक्स के लिए डेटिंग एप्प पे राइट स्वाइप नहीं करना पड़ेगा. मेरी एक दोस्त ने मुझसे कहा ( अच्छे के लिए ही कहा होगा ) , बेब, तुम अपने लुक्स से कहीं बढ़ के हो।  थोड़ी देर के लिए तो अपने तेज़ दिमाग पर काफी गर्व हुआ फिर लगा, अगर मैं अपने दिमाग की जगह लुक्स के लिए जानी जाऊं तो ? क्या मैं उस डिपार्टमेंट में हमेशा पीछे ही रहूंगी ? क्या ज़िन्दगी भर दिमाग के भरोसे ही रहना पड़ेगा ? यह तो बड़ी ज़्यादती हो गयी बेचारे दिमाग के साथ। अभी हाल ही में मैंने अपनी अलमारी से क्रिसमस पार्टी में पहनने के लिए एक पुरानी ड्रेस निकाली ( भली सी ड्रेस है, इसलिए अभी भी फिट हो रही थी ) l लेकिन फिर मैंने देखा के मेरी क्लीवेज (cleavage: स्तन का अधखुला, माधुर्य वाला ऊपरी हिस्सा) पे झुर्रियां पड़ गयीं है।  वो मेरे पुराने क्लीवेज की तरह तो बिलकुल भी नहीं लग रही थी।  बेशक वो ड्रेस मैंने आखिरी बार 9 साल पहले अपने पहले बुक लांच में पहनी थी। और मैं यह भी मानती हूँ, कि मेरी उम्र बढ़ी है , लेकिन मैंने यह कभी नहीं सोचा था के मेरे स्तन पर भी उम्र का प्रभाव पड़ेगा।  शायद वो भी भार सहते सहते, थक गए होंगे। मैंने वो ड्रेस वापिस अंदर अलमारी में रख के, कुछ और पहन लिया।    उस दिन के बाद से, जब भी मैं कोई झुकने वाला योगा आसन करती हूँ, खुद को अपनी क्लीवेज को घूरता पाती हूँ और इस सोच में पड़ जाती हूँ कि और कितने और नए, डावांडोल होते हुए हिस्सों से मिलना बाकी है। सालों पहले, मेरी माँ के दिल के वाल्व को बदलने के लिए दो बार सर्जरी हुई थी।  हर सर्जरी के बाद, मैं उनका सीना देखती, और यह सोचती कि उन्हें अब अपने छाती पे बनीं उन टेढ़ी मेढ़ी रेखाओं के साथ ज़िन्दगी भर जीना पड़ेगा। अपने स्तनों पर पड़ती झुर्रियों के बारे में इतना परेशान होना मुझे पसंद नहीं, ऐसा लगता है कि ये बड़ी छिछोरी सोच है।  तब लगा के अपनी झुर्रियों के बारे में सोचने से अच्छा है , मैं यह सोचूँ, के मेरे बदन की रूपरेखा में क्या सही है, ना कि ये कि क्या सही नहीं है। और उस पल मैं अपनी माँ बन गयी।   चार साल पहले, TISS में मैंने डांस मूवमेंट थेरेपी ( डांस द्वारा अपने दिमाग और अपने बदन को लगे सदमे को समझने की तकनीक ) ज्वाइन की थी।  हमने अपने बदन और मन से जैसे बातें कीं, उसको हुए सदमों को बहुत अच्छे से समझा। तब लगा के मैं अपने बदन से वापिस से मिली हूँ।  जैसे मेरा बदन मुझ से कह रहा था, कि वो मेरे प्यार के लिए तरस रहा है। मुझे यूं लगा कि ये बदन तो मेरी ज़िन्दगी की हर लड़ाई में मेरे साथ उलझा, और इसने हमेशा मेरे साथ ही दिया।  मेरे साथ साथ मेरे बदन ने भी बहुत कुछ झेला, और हमेशा से मेरा रक्षक रहा। पता नहीं क्यों इस बात को समझने में मैंने इतनी देर लगा दी , लेकिन अब भी देर नहीं हुई थी। मैं अब अपने डावांडोल होते हिस्सों से अक्सर मिलती हूँ , वो मेरे ही बदन के हिस्से हैं , उतने ही एहम, जितने वो हिस्से हैं, जिन्हें मैं दुनिया को दिखाती हूँ । और इस तरह मैंने अपने बदन को पा लिया।     ललिता ऐय्यर एक पत्रकार और कॉउंसलर है।  उनको तरह तरह के ब्रेड बनाना सीखने का शौक है।  और वो बड़े लोगों और छोटे लोगों , दोनों के लिए ही किताबें लिखतीं है।  इंस्टाग्राम पे वो @partcat के नाम से है 
Score: 0/
Follow us: