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जब बच्चादानी जाती रही : बच्चादानी निकालने पर आपको क्या होता है ?

Let's talk about the hysterectomy - what happens before, during and after!

अमेरिका के मुकाबले भारत में बच्चेदानी निकलवाने का ऑपरेशन दोगुना अधिक लोग करवाते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में बच्चेदानी के पैटर्न का अध्ययन करने वाली 30-34 साल की 3% भारतीय औरतें और 45 साल से ऊपर की 11% औरतों ने बच्चेदानी निकलवाया है। दुनिया भर में औरतें जो-जो ऑपरेशन कराती हैं, उसमें बच्चेदानी निकलना नम्बर २ पे है, पर हम इसके बारे में कितना जानते हैं? बच्चेदानी निकलवाने के ऑपरेशन को लेकर हमारे कुछ सवाल थे, तो हमने थोड़ा रिसर्च किया। बच्चेदानी या उससे जुड़े हिस्से जैसे सर्विक्स (गर्भाशय ग्रीवा) या ओवरी (अंडाशय)  निकलवाने के ऑपरेशन को hysterectomy/ हिस्टरेक्टोमी कहते हैं। ये दो तरह के होते हैं: पूरी तरह से बच्चेदानी निकलवाना यानि पूरा यूटरस और सर्विक्स निकलवाना आंशिक तरह से बच्चेदानी निकलवाना यानि यूटरस के कुछ हिस्से निकलवाना, या केवल सर्विक्स (गर्भाशय ग्रीवा) या ओवरी (अंडाशय) निकलवाना l बच्चेदानी निकलवाने का ऑपरेशन क्यों करवाते हैं? इसके सबसे खास कारण हैं: फाइब्रॉयड्स- अर्बुद या ट्यूमर जिनसे कैंसर न हो,  जो बच्चादानी में होते हैं, और जिनकी वजह से बहुत खून बहता है l एंडोमेट्रियोसिस - एक ऐसी समस्या जिसमें यूटरस के अंदर की जो परत होती है, वो बच्चादानी के बाहर भी बढ़ने लगती है, जिससे पेल्विक हिस्से में दर्द होता है और खून आता है l यूटरिन प्रोलैप्स - जब यूटरस अपनी सामान्य जगह से खिसककर, योनीमार्ग में आ जाए l यूटरस, सर्विक्स या ओवरी का कैंसर एडिनॉमयोसिस - एक ऐसी समस्या जिसमें यूटरस के अंदर की परत, बच्चादानी की मांसपेशियों में बढ़ जाती है और इससे बच्चादानी मोटी हो जाती है l बच्चेदानी निकलवाने के ऑपरेशन के साइड इफेक्ट्स… बदन पे बच्चादानी निकालने के बाद ये चीजें महसूस हो सकती हैं:
  • हॉट फ़्लैश/अचानक से गर्मी का दौरा सा पड़ना और रात में पसीना आना
  • नींद ना आने की समस्या
  • वजन बढ़ना
  • त्वचा का सूखना
  • बालों का झड़ना
  • दिल की धड़कन का बहुत तेज़ होना
  • ब्लड प्रेशर का बढ़ना
  • याददाश्त का कम होना
बच्चेदानी के ऑपरेशन में अगर ओवरी निकाली जाए, तो आर्थराइटिस (जोड़ों का दर्द) या ओस्टियोपोरोसिस (हड्डियों का कमज़ोर होना) हो सकता है। ऐसा एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी से होता है। एस्ट्रोजन हड्डियों में कैल्शियम सोखने में मदद करता है , जो उनकी ताकत बढ़ाता है। जिन औरतों की माहवारी रूक गई है, यानी जिनका मेनोपॉज हो चुका है, बच्चादानी निकलवाने के बाद, उन्हें मधुमेह/ डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। सेक्स लाइफ पे बच्चेदानी के ऑपरेशन से सेक्स लाइफ पर कोई खास असर नहीं होता। टिटनी के जादुई मटर को मजा देने से, चरमसुख (ऑर्गेज्म) अभी भी हो सकता है। एस्ट्रोजन की कमी से वजाइना का खुद का लुब्रिकेशन/तेल की परत होना – जिससे लचीलापन बढ़ता है – कम हो सकता है,  जिससे उसमें सूखापन आ सकता है… लेकिन ल्युब लगाओ, और मजे से लग जाओ! मेनोपॉज/ माहवारी रुकना पे अगर ऑपरेशन करके ओवरी/अंडाशय निकलवा दी जाए, तो तुरंत मेनोपॉज हो जाएगा। इसे सर्जिकल मेनोपॉज कहते हैं। अगर ओवरी/अंडाशय नहीं निकलवाए गए, तो कुछ समय के लिए, हॉट फ़्लैश जैसे, मेनोपॉज जैसे लक्षण हो सकते हैं। ये ओवरी में खून की सप्लाई में गड़बड़ी से होता है। ठीक होने पर, लक्षण कम हो जाते हैं। जब तक मेनोपॉज का सही समय नहीं आता, तबतक ओवरी में हार्मोन और अंडे बनते रहेंगे। ध्यान दें: बिना ओवरी हटवाए बच्चेदानी हटवाने से, मेनोपॉज थोड़ा पहले हो सकता है। मानसिक स्वास्थ्य पे बच्चादानी हटवाने के कारण, या ज़िंदगी के जिस पड़ाव पर हटवाया गया है उससे, मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है। जैसे मान लो किसी को बच्चा करना हो, लेकिन किसी मेडिकल कारण से बच्चेदानी निकलवानी पड़े तो उसे बहुत मानसिक धक्का लग सकता है। उसे थेरेपी या काउंसलिंग की जरूरत पड़ सकती है। दूसरी ओर, किसी को अगर ज़्यादा खून आ रहा हो, या उसे यूटरिन प्रोलैप्स हो, तो बच्चादानी निकलवाने से उसे बहुत राहत मिलेगी।  बच्चेदानी के ऑपरेशन के अलावा कोई और भी तरीका है क्या? अगर मामला बहुत गंभीर नहीं है, तो ऑपरेशन के अलावा दूसरे भी रास्ते हैं। ज्यादा खून बहता हो, तो दवा हो सकती है या मिरेना/ Mirena (एक आई.यू. डी./ IUD) लगाया जा सकता है जो मासिक के तेज बहाव को रोकने में कारगर है।  एक अकेले फाइब्रॉयड के लिए, फाइब्रोइडेक्टमी करवाया जा सकता है। एंडोमेट्रियोसिस के मामले में, लेज़र सर्जरी या एंडोस्कोपी (एक ऐसी प्रक्रिया जिसमें मुंह से ट्यूब डाला जाता है) करके, बच्चादानी के केवल बीमार हिस्से निकाले जा सकते हैं । हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी क्या होती है? हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी या एच.आर.टी./ HRT उन हार्मोन को बदलने की प्रक्रिया है, जो पेरीमेनोपॉज/ मेनोपॉज से पहले या पोस्ट मेनोपॉज/मेनोपॉज के बाद हुई हार्मोन की कमी को पूरा करने के लिए किया जाता है। एच.आर.टी. शुरू -शुरू में, ओस्टियोपोरोसिस का इलाज करने के लिए शुरू हुआ था, जो एस्ट्रोजन की कमी से होता है। फिलहाल एच.आर.टी. में दो हार्मोन का इस्तेमाल होता है - एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन, क्योंकि केवल एस्ट्रोजन का इस्तेमाल कर एच.आर.टी. करने से यूटरिन कैंसर का खतरा हो सकता है अगर यूटरस ना हटाया गया हो।  कुछ शोधों से पता चला है कि एच.आर.टी से दिल की समस्याएं हो सकती हैं। बच्चेदानी निकलवाना या एच.आर.टी माहवारी की समस्याओं का इकलौता इलाज नहीं है। इनपर कई दूसरी चीज़ों का भी असर होता है जैसे पहले क्या बीमारी रही है, जीवनशैली कैसी है, उम्र क्या है, ज़िंदगी और मानसिक स्वास्थ्य कैसा है। कुछ भी करने से पहले गायनेकोलॉजिस्ट (स्त्री रोग विशेषज्ञ) की राय लेना जरूरी है। डॉ. सुचित्रा दलवी गयनेकोलॉजिस्ट (स्त्री रोग विशेषज्ञ) की सलाह के साथ उल्लेख: The Hindu Business Line, NFHS-4 Report, LASI Report संदर्भ: द हिंदू बिज़नेस लाइन, एन.एफ.एच.एस. -4 रिपोर्ट, एल.ए.एस.आई. रिपोर्ट)  
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