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वो पल जब कामलिप्सा की लाइट ऑन हो गयी

सिनेमा कामुक भावनाओं और संवेदनाओं की दुनिया के राज़ खोलती हुई, हमारी अकेली खिड़की थी

“ संभव है कि दीवार  में परवीन बाबी और अमिताभ बच्चन का वो नज़ारा था, संभोग के बाद सिगरेट सुलगाते हुए, या राम तेरी गंगा मैली में झरने के नीचे मंदाकिनी का... सच तो यही है कि भारत की कई पीड़ीयों के लिए, सिनेमा कामुक भावनाओं और संवेदनाओं की दुनिया के राज़ खोलती हुई,  हमारी अकेली खिड़की थी|फिल्मों ने उत्तेजना से हमारा  पहला परिचय कराया, तब जब हम इसे उत्तेजना का नाम देने के भी काबिल नहीं थे| कुछ लोगों के लिए ये संवेदना एक मज़ेदार खोज जैसी रही, कुछ औरों के के लिए ( ज़्यादातर वो, जो अपने को सिनिमा में अपने माता पिता के साथ क़ैद पाते) ये एक अस्तव्यस्त सा पल था, जिसे वो आज बड़े मज़े लेकर याद करते हैं| पर वो कौन सी फिल्में थीं जिन्होंने हमारी कामलिप्सा के बल्ब ऑन कर डाले? क्या वो फिल्में बदल गयी हैं जिनसे लोगों की कामुकता जाग उठती है? क्या कुछ फिल्में बस कुछ ही लोगों को उद्दीप्त करती हैं? ये रहे फ़िल्मी सेक्सीनेस के विभिन्न प्ररूप जिनके बारे में हमें पता चला| सबका एक साथ उत्थान कुछ जानी मानी ऐसी पिक्चरें थीं जिन्होंने हर किसी का भला किया| अगरतला से लेकर बंबई तक, पीड़ी दर पीड़ी, भारतीय आदमियों और औरतों को याद है, कि इन पिक्चरों ने उनकी आग को भभकाया| ये फिल्में यूँ  सुलगीं जैसे दीवार में संभोग के बाद की वो सिगरेट| कमलाहसन की पीठ: "मेरे लिए तो नायगन का वो प्रेम क्रीड़ा वाला सीन, मेरे लिए ही नहीं, तामिल औरतों की एक पूरी पीड़ी के लिए" तीस-कुछ साल की ललिता, जो एक RJ हैं, का कहना है. " उस सीन में कुछ ख़ास था, कुछ अप्रत्याशित. कमलहासन की पीठ ही ज़्यादा दिखती है... मैं करीब छः साल की थी, और मुझे वो कुछ कोमल कुछ पसीना दिलाने वाले भाव याद हैं |” मज़ेदार तथ्य: क्या आपको पता है कि टाईम मगज़ीन ने अपने 2005 की समय दर समय की सबसे बहतर फिल्मों की तालिका में इस फ़िल्म का भी ज़िक्र किया था? शॅरन स्टोन का गायब अधोवस्त्र : अभिषेक, जो एक टेक प्रबंधक हैं, कुछ तीस एक साल की उम्र के, कहते हैं कि फिल्म बेसिक इन्स्टिंक्ट (मूलभूत प्रवृत्ति) ने उनकी- मूलभूत प्रवृत्ति को जगाया था! "पिक्चर में एक सीन है जहाँ पॉलीस स्टेशन में लड़की की पूछ ताछ होती है| वो अधोवस्त्र नहीं पहने होती है और कुछ पाँव फैला से देती है- बस- मेरे लिए तो वो ही सीन था"| देबोलीना , बंगलोर में स्तिथ एक क्वियर स्त्री, जिनकी उम्र तीस के आस पास है, कहती हैं " मैं छठी में थी जब मैंने बेसिक इन्स्टिंक्ट देखी और मैं तब से शॅरन स्टोन पर फ़िदा हूँ|” जॉन और बिपाशा के बदन पर रेत: अतुल जो एक यातायात कंपनी में प्रबंधक हैं, एक और फिल्म याद करते हैं, जो कईयों के लिए इस मामले में सफल रही: "जिस्म का वो सीन जब समुद्र किनारे वो दो बदन रेत पर लोटते हैं! मैं जबड़ा खोले देख रहा था, और जल्द ही मुझे पता लगा कि कुछ तो हो रहा है, क्योंकि मेरी योनी तर-ब-तर थी. “ ख़ास उल्लेख: टाइटॅनिक में नग्न चित्र का बनाना| ओरिजिनल सिन में संभोग का सीन, स्ट्रिपटीज़ में डेमी मूर मेरा अपना एक राज़ कुछ लोगों को वो फ़िल्में याद रहती हैं जिससे उनकी पूरी पीड़ी अपने को जोड़ती है, और और हैं जो अपनी कामलिप्सा के जाग उठने के पहले कंपन  को उन फिल्मों से याद करते हैं जिनका नाम सिर्फ़ उन्होंने सुना होता है| लड़कियों की आपस की : 28 वर्षीय मीडिया व्यवसायी, याना के लिए, वो फ़िल्म मिद्दाक ऐली थी| “दस साल की उम्र में, मैं चॅनेल बदल रही थी, और मैंने इसे MGM पर चलते हुए देखा| निराशात्मक फ़िल्म है, मध्य वरगी मेक्सिकन समाज के बारे में, देखो तो बड़ा यथार्थ सा लगता है| कुछ अटपटा, शर्मनाक सा लगा, ऐसा जैसे मैं और लोगों की निजी ज़िंदगी में झाँक रही हूँ| वो अंश जिसपर मैं कुछ गर्म और परेशान सी हो गयी, उसमें वो औरत दूसरी लड़की को बता रही है कि कैसे, वो अब भी कुमारी है, फिर उसकी दोस्त उसे चिड़ाती है और कहती है, कि अगर वो 16 की उम्र में कुमारी होती, उसे शर्म आती.. . और जब वे दोनों बातें करती होती हैं, एक आदमी उन्हें देख रहा होता है| बड़े सारे शब्द बोले गये और उस बातचीत का माहौल कुछ ऐसा था कि मेरे मन में बड़े सारे ख़याल आए| " थियेटर में खलबली:  श्याम, कलाकार, तीस के करीब की उम्र, कहता है, "मैं किशोरावस्था में था, और द डायरी ऑफ लेडी एम देख रहा था| मुझे याद है, एक सीन मैंने आखें फाड़ के देखा था: हेरोयिन नगनावस्था में थी पर आभूषण पहन कर हीरो को रिझा रही थी, और वो सोफे पर, पूरी तरह से कपड़े पहन कर बैठा था और वाईन पी रहा था| मुझे ज़्यादा याद नहीं| मैं बस उसके नंगे बदन को देख रहा था और मेरे पूरे शरीर में अंतःस्राव-हारमोन- भयानक शोर मचा रहे थे| औरों को कुछ ऐसी ही ग़ूढ फिल्में याद हैं, जैसे चाइना मून, जिन्होंने उन्हें कामलिप्सा का पहला स्वाद दिया| वो फिल्में जो हमारा पीछा करती रहीं| कुछ फिल्में लोगों की यादाश्त में रह रह कर लौटती हैं, बस इसलिए नहीं कि वो इतनी बढ़िया या लोकप्रिय थीं, पर क्योंकि भारतीय दर्शक उनसे दूर रह ही ना सके| तुम्हें वो समय याद है, जब भारतीय टी. वी. पर सीमित प्रोग्राम आते थे, और मूवी चैनल अक्सर वही फिल्में बार बार दिखाते थे? पॅटरिक स्वेज़ी की कमाल की कुम्हारी: "मुझे याद है, जब मैंने पहली बार घोस्ट का वो कुम्हार वाला सीन देखा, मेरी उम्र कुछ 7 / 8 साल की रही होगी 24 साल की आहाना कहती है, जो डेटा विश्लेषक है| "अजीब अहसास था, जैसे गले के पिछले हिस्से में कोई गर्मी है, मेरी छाती और हंसलियों से उठती हुई| पहले कभी यूँ ना लगा था, मैं समझ गयी ये सबसे अलग कुछ है |". फलों का रस: "ब्लू लेगून देखना जैसे मेरा सबसे प्रिय अपराध बोध था| मैंने बचपन में कितनी बार देखा है| मुझे याद है, दस या ग्यारह की उम्र में मैंने पहली बार इसे टी. वी. पर देखा था" मीना, 23 वर्षीय छात्रा का ये कहना है| "मेरी माँ ने झट से चॅनेल बदल दिया और मुझे पता था कि मैं चॅनेल बदलना नहीं चाहती थी, मुझे याद है कि मैंने अपने इस भाव पर उस समय ध्यान दिया| वो सीन जिसमें वो पहली बार संभोग करते हैं, उस सीन ने तो मेरी लाइफ बना दी, मुझे याद है, वो उसपर से किसी फल का रस चाट्ता है " वो कहती है| क्र्यूज़ का कंट्रोल: अनुसूया, कुछ तीस वर्षीय क्वियर महीला, कहती हैं, "मेरे लिए वो विल्म इंटरव्यू विथ द वेमपाइर थी, मैंने करीब दस की उम्र में स्टार मूवीज़ पर देखी थी| शयन कक्ष में एक सीन था, जिसमें टॉम क्र्यूज़ पर ये सारी अधोवस्त्र पहनी हुई डायनें कामुक रूप से वार कर रही थीं| वो सीन के रहते मैं अपनी उलझी हुई टाँगों को खोल ही नहीं पाई |" जब औरत फिल्म बनाती है आंजलीना का पूरा बदन: "मुझे आंजालीना के बदन से आकर्षण था, पर साथ साथ इस बात का भान भी ना था!" 23 वर्षीय वकील, पुनीत, 10-12 साल की उम्र में ओरिजिनल सिन देखने के तजुर्बे को याद करते हुए कहता है. "फ़िल्म में क्या हो रहा था, ये तो मुझे कुछ समझ ना आया, पर मुझे वो पूरी फिल्म देखना याद है, बस उसके स्तनों के सम्मोहन में| कुछ सालों बाद मैंने मिस्टर आंड मिसस स्मिथ देखी, उसमें  तंग लिबास में उसके बदन को देखकर फिर वैसा ही लगा| मेरे लिए तो वो ही थी |" शाहरुख ख़ान का कंठ: 35 वर्षीय विधी के लिए, सब कुछ शाहरुख ख़ान से था| “जब मैंने फ़ौजी(1998 की टी. वी. की एक शृंखला) में शाहरुख ख़ान के टेंटुए को ऊपर नीचे फुदकते हुए देखा था, तब मैं दूसरी कक्षा में थी| वो तो मुझे कुछ साल बाद समझ में आया कि मुझे उसकी चाहत थी|"  मनीषा कोइराला का हवा को काटना: कलाकार प्रवीण, याद करते हैं, कि कैसे कामुकता की उनकी पहली चेतना मनीषा कोइराला से जुड़ी है| ये गुप्त फिल्म के दौरान हुआ, पर इसका संबंध ना फिल्म से था, ना सीन से| सिर्फ़ मनीषा कोईराला से| वो बॉब्बी देओल को सोते देखती है, और झूठ मूठ का हवा में उसे काटती है| ये इतना सेक्सी था! मुझे एक बिल्कुल अलग सा अहसास याद है- सिरहन सी- और मैं खुश था, पर कुछ गुप्त सा, साज़िश जैसा कुछ था, जिसे महसूस कर के मुझे लगा कि जो मुझे लग रहा था, वो एक 'वयस्क' भाव था| एक सनसनी सी थी, आने वाले कल में अपनी कल्पना करना, ऐसे लंबे जंगली बालों वाली औरतों के साथ, जो ऐसे स्टाईलिश अजीब-ओ-ग़रीब कपड़े पहनी हैं, ऐसे कपड़े जो मेरे इर्द-गिर्द कोई नहीं पहनता| और फिर अपने आगामी प्ररूप की कल्पना करना, अपने दोस्तों की भी, और ये सोचना कि ये कैसा होगा| वो फिल्में जिन्होंने मुझे दिखाया कि मैं कौन हूँ कई समलैंगिक लोग, ख़ासकर पुनरावलोकन करते हुए, फिल्मों को श्रेय देते हैं, उनके विषमलैंगिक नहीं होने की पहली चेतना के लिए| हालाँकि उस वक्त वो इस बात को शायद पूरी तरह से समझ ना पाए हों | किरदार निभाना: मीना कहती है: “जब मैंने पहली बार ब्लू लेगून के सेक्स के सीन देखे, ख़ासकर वो, जिसमें वो उसके ऊपर है, मुझे याद है मेरा मन किया था कि मैं वो लड़का होती| उस समय तो मैंने इसपर गौर नहीं किया, पर अब मेरी वो इच्छा मुझे और समझ में आती है| " लैंगिक घूम फेर : ललिता मानती हैं कि आमिर ख़ान से उन्हें वो पहली भनक मिली कि वो वास्तव में लड़कियों की ओर आकर्षित हैं. "मैं करीब छः साल की थी जब मैंने कयामत से कयामत  तक में आमिर ख़ान को देखा. पिक्चर देखने की मेरी पहली यादों में से ये एक है| उन जंगल वाले सीन में, और चुंबन वाले सीन में एक रहस्यमय सा भान हुआ था| उस फ़िल्म में उसके चहरे पर एक लड़कीपन है जो मुझे बहुत रास आया था| मुझे तब ही समझ जाना चाहिए था कि मैं आगे चलकर उभयलिंगी होऊँगी|" कैंची सी संगत: अश्नी, 25 वर्षीय, पेशे से रंगभूमि की आर्टिस्ट, की चमकीली सी याद है, कि किस तरह ब्लू इस द वॉर्मेस्ट कलर देखने पर उन्हें कुछ अनपेक्षित सी भावनाओं का भान हुआ था| “ कुछ पंद्रह मिनट का सीन थाफिल्म में, जब दोनों संभोग करते हैं | बड़ा अपक्व, जैविक, रत्यात्मक आभास था! ख़ासकर कैंची नुमा पाँव चलाते हुए, उनकी जांघें कैसे लचाती हैं, वास्तविक ज़िंदगी में मैं ऐसा कर पाने की कल्पना भी नहीं कर सकती हूँ, सो इसलिए भी वो मेरे लिए मेरे बड़ा लुभावना और कामुक था" | विशेष उल्लेख: वाइल्ड थिंग्स, अमेरिकन ब्यूटी, और डाइमंड्स आर फॉरेवर में पियर्स ब्रोसनन का स्विम सूट में दर्शन | देसी म्यूज़िक वीडियो हर कोई जानता है कि संगीत कितना सेक्सी हो सकता है, और कई लोगों के लिए, म्यूज़िक वीडियो ने सबसे पहले कामुक  भावों से उनका परिचय कराया|90 के दशक के कई बच्चों के लिए, म्यूज़िक वीडियो का नया माध्यम, टीवी मात्र के लिए बनाए गये ख़ास आइटम नंबर, ने सेक्स से उनका पहले परिचय दिलाकर, फिल्मों को इस काम में दरकिनारे किया| उदाहरणस्वरूप, परदेसीया में राखी सावंत. नज़दीकियों से: 23 वर्षीय कलाकार, निधी, ब्योरा देती हैं, डी.ज़े. अक़ील के 'कह दूँ तुम्हें'  के रीमिक्स के एक सीन का" मैं छः साल की थी और मैंने वो हिस्सा देखा जब वो उसे बिस्तर पर दे फेंकता है| उसमें सेक्स-वेक्स भी नहीं दिखाते, पर यही सोच कर कि किसी और का बदन मेरे बदन के इतने पास है, बदन में एक सनसनाहट सी होने लगी थी| बारिश में गाना:  सरिता एक पत्रकार हैं, उनकी उम्र 30 के आस पास है| वो तामिल हिट फ़िल्म रोजा का एक गीत याद करती हैं| पुद्धू वेलाई मज़ाई ने मुझे ये रास्ता दिखाया था!  उन दिनों तो ये कामुकता की हद थी.| फ़िल्म 25 साल पहले आई थी, जब मैं छः साल की थी, पर कुछ साल बाद, मैंने टी. वी. पर भी देखी| मुझे याद है देखते देखते मैं स्वतः ही अपने दोनों पाँव को साथ मल रही थी, और ये भी समझ रही थी कि ऐसा करना अच्छा लग रहा था| विशेष उल्लेख: भीगे होंठ तेरे, तू चीज़ बड़ी मस्त, टिप बरसा पानी | अँग्रेज़ी के हिट कुछ जवान लोगों ने पूस्सी कॅट डॉल्स का उल्लेख किया है, अपनी कामुक भावनाओं के पहले आभास के सन्दर्भ में, विशेषकर एक गीत- बट्टंस- का| मिसचा, जो औरतों को डेट करती है, को ब्रिटनी स्पीयर की लाल रंग की भड़कीली बिल्ली नुमा पोशाक याद आती है, और ये कि उसे देख कर वो गरम और परेशान सी हो गयी थी, बिना ये समझे कि ऐसा क्यों हो रहा है...रेचल, बैकस्ट्रीट बाय्स के केविन का ज़िक्र करती है, इसलिए भी कि उनसे उसकी कामुक भावनाएँ जागीं, और इसलिए भी कि उन्हें देख कर उसे ये समझ में आया कि उसे लंबे बालों वाले लड़के भाते हैं| और भी अनेक रहे जो इस लिस्ट तक नहीं पहुँच पाए, ऐसी फिल्मी शैलियों का एक विस्तार है, जिनसे लोगों की कामुकता जागी| कुछ लोगों के लिए, आनिमेशन फिल्म, जैसे अल्लादीन, ब्यूटी आंड द बीस्ट आदी, और द मास्क, ये काम कर गयीं| औरों का कहना था कि छोटी उम्र में बलात्कार के सीन देखने का और उसकी वजह से उलझन में पड़ने का, आगे चलकर निजी ज़िंदगी में सेक्स और कामुक सुख को लेकर उनके नज़रिए पर असर रहा| जैसे जैसे हम हर पीढ़ी की यादों को छानते हैं, हम ये भी देखते हैं कि कैसे बड़ी उम्र के लोगों के लिए, फिल्मों का एक गुट कामुकता के मामले का चिनहात्मक प्रारूप- आईकॉनिक- माना जाता है, जबकि और जवान लोगों का, संभवतः, मीडीया एक्सपोशर (पॉर्न एक्स्पोजर भी) ज़्यादा रहा| जबसे सिनेमा और टी. वी. ( और अब इंटरनेट) रहे हैं, माँ-बाप घबराते रहे हैं, कि उनके बच्चे सेक्स के बारे में, मीडिया से जान जाएँगे| लोगों के कमाल के विभिन्न जवाबों से कोई एक बात पता चलती है, तो वो ये है कि लोगों के लिए बड़ी सारी चीज़ें संदीपन का काम कर जाती हैं, लाल स्पॅंड्क्स से लेकर शाहरुख ख़ान के हिचकोले खाते टेंटुए तक... ऐसी चीज़ें जिनका पूर्वानुमान कोई माँ- बाप या सेंसर नहीं लगा सकता था| शायद इसलिए कि फिल्में स्वाभाविक रूप से सेक्सी ही होती हैं |   क्या आपको वो पहली फिल्म याद है जिसे देख कर आप उत्तेजित हुए थे? क्या किसी फिल्म ने आपको सिखाया था कि कामोत्तेजित कैसे होते हैं? हमें इस बारे में बताइए|  
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