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प्यार x सेक्स x जाति: एक लिस्ट

Will you read about love with us?

क्या तुम हमारे साथ मिलकर, मोहब्बत के बारे में पढ़ना चाहोगे? ऐसा इश्क जो दुनिया जीत लेता है, दिल चुरा लेता है, उसके टुकड़े टुकड़े भी कर देता है|  इन्टरनेट के ज़माने वाला प्यारा, जिसमें प्रेमी टेक्स्टिंग करते हैं| ऐसा प्यार जो सवाल पूछता है, शर्मसार भी है और बेहिचक भी | दर्द भरा इश्क|

1.अखिल कांग| आंबेडकर हेल्पेड मी एम्ब्रेस द 'इमोशनल वीथिन द राशिनल'

(यानी:अम्बेडकर की मदद से मैं अपने होश, और भावनाओं के जोश,  दोनों को अपना सका |) पन्ने : 2 भाषा: अंग्रेजी किस उम्र के पढ़ने लायक: १८ वर्ष और ऊपर अक्सर, अपनी चाहतों या अपनी पहचान के बारे में बात करते वक़्त, हम एक लिमिट में रह कर बात करते हैं| ना ज़्यादा जोर से, ना ज़्यादा डायरेक्ट | कि कहीं सुनने वालों को तकलीफ ना हो | पर कोई बताये कि आखिर हमें गुस्सा होने का, थकने का  और टूटे दिल से दुखी होने का अधिकार है, कि नहीं? अखिल कांग दलित होने के साथ समलैंगिक भी हैं| ऐसे में जब वो अपने अनुभव को टटोलते हुए लिखते हैं, तो  बाबा साहेब अम्बेडकर के लेखों पर जैसे एक नयी रौशनी पड़ती है| उनको फिर से नए सिरे से पढ़ने का मन करता है| अपने जिन विचारों को हम सुलझा हुआ समझने लगे हैं, उन पर फिर सवाल उठने लगते हैं | हम में हर एक की, एक नहीं, कई पहचान होती हैं| उन अलग अलग पहचानों के बीच जो दायरे हैं, उनपर सवाल उठाने को वापस जी चाहता है |  

2.अखिल कांग:फ* मी, आई एम दलित (यानी: मैं दलित हूँ, लो मार लो मेरी )

पन्ने: 2 भाषा: अंग्रेजी किस उम्र के पढ़ने लायक: १८ वर्ष और ऊपर एक दूसरे लेख में दलित राजनीति और क्वीर समाज में बराबरी के नाम पर होने वाले दिखावे पे अखिल ने अपनी बात रखी है| वो पूछते हैं कि प्यार करने का क्या मतलब होता है ?अत्याचार से भरे रिश्ते में रहने का क्या मतलब होता है? हम प्यार के बारे में क्या मान के चलते हैं ? जब हम प्यार करते हैं तो कभी कभी ऐसी बातों पर राज़ी जो जाते हैं,  जिनपे हम आम तौर पर कभी नहीं राज़ी होते | वो कौन सी बातें हैं?    

3. एमी काज्मीं. लव एंड डिसहॉनर इन इंडिया/ यानी: भारत में प्यार और अपमान)| 

पन्ने: 10 भाषा: अंग्रेजी किस उम्र के पढ़ने लायक: १८ वर्ष और ऊपर तुम्हें याद है तुमने सबसे पहला कौन सा सपना देखा था? तुम्हें याद है हम कैसे मिले थे? याद है तुमने मुझे पहली बार कब देखा था? याद है वो कैसा अजीब सा पल था? याद है  जब हम पहली बार साथ सोये थे? हमारे संग देखे सपने याद हैं? “मैंने उसको बोला , मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगा| आखिरी दम तक तुम्हारे लिए लडूंगा| “ जैसे जैसे हम आगे पढ़ते जाते हैं, ये साफ़ होता जाता है कि शादी की जो रीत है, वो जातिवाद को ज्यों का त्यों बनाये रखती है, बल्कि उसे बढ़ावा भी देती है| इसका मतलब है, औरतों के शरीर के साथ साथ, प्यार और लोगों की कामुकता को कंट्रोल में रखना | यानी हिंसा | जाति और पितृसत्ता के तहत होने वाले ज़ुल्मों का पुराना रिश्ता है | जैसा उमा चक्रवर्ती ने ‘जेंडरिंग कास्ट’ ( यानी जाति के मामले में जेंडर को पहचानना ) में लिखा है, “अगर दो घटनायें एक दूसरे के करीब घटें तो वो एक दूसरे से किसी तरह से जुडी हुई हैं l और ये जोड़ मामूली नहीं, गहरा जोड़ है, खुद व्यवस्था इन जोड़ों को बनाये हुए है l “

4. क्रिस्टीना धनराज. स्वाइप मी लेफ्ट, आई ऍम दलित (यानी, दलित हूँ, लेफ्ट स्वाइप ही करोगे )

पन्ने: 5 भाषा: अंग्रेजी किस उम्र के पढ़ने लायक:  20 वर्ष और ऊपर हम  किस आधार पर किसी की ओर आकर्षित होते हैं ?  (अगर तुमको लगता है कि जेनेटिक्स और बायोलॉजी ही हैं, जिसकी मदद से तुम अपना मनचाहा पार्टनर ढूँढ निकालते हो तो तुमको नए सिरे से सोचना पडेगा l  और अगर तुम नए सिरे से सोचने को बिलकुल तैयार नहीं हो, तो इसी वक्त इस चैट को छोड़ना बेहतर होगा) l क्रिस्टीना लिखती हैं, “हम जहाँ रहते हैं, हम जिस जाति, क्लास, धर्म और सोसाइटी के वर्ग से आते हैं, उन सब से तय होता है कि हम किसके प्रति आकर्षित होते हैं|” एक दलित महिला होते हुए, उन्होंने जान कर अपनी डेटिंग के तजुर्बे का यहां बयान दिया है l वो चाहती हैं कि इसको पढ़कर हम सवाल पूछना सीखेंl और रोमांस और सेक्स को लेकर आज की प्रचलित बातों को नए सिरे से देख सकें l  

5.धरमवीर भारती. सूरज का सांतवा घोड़ा

पन्ने: 101 भाषा: हिंदी(अंग्रेजी अनुवाद भी उपलब्ध है) प्रकाशक/लिंक: भारतीय ज्ञानपीठ किस उम्र के पढ़ने लायक:  १८ वर्ष और ऊपर आप जिस तरह से प्यार करते हैं,  वैसा प्यार करना कहाँ सीखा? १९५२ में पहली बार प्रकाशित, सूरज का सांतवा घोड़ा या द संस सेवेंथ हॉर्स तीन बिल्कुल अलग महिलाओं(जमुना, लिली और सती),  जो अलग बैकग्राउंड से आती है, उनके द्वारा भारत में प्यार की मॉडर्न स्थिति जानने की अद्भुत यात्रा है| इसके सूत्रधार कहानी के नायक मानिक मुल्ला हैं| इसी नावेल के आधार पर और इसी नाम से, श्याम बेनेगल ने एक शानदार फिल्म भी बनाई है |      

6.ध्रुबो ज्योति. कास्ट ब्रोक आर हार्ट एंड नाउ लव केननॉट पुट इट टुगेदर

(यानी जाति ने हमारा दिलों को तोड़ा और प्यार उनको जोड़ ना पायेगा )

पन्ने: 3  भाषा: अंग्रेजी किस उम्र के पढ़ने लायक:  20 वर्ष और ऊपर “एक तरह से, मुझे क्या पसंद आएगा, इसपर मेरी ट्रेनिंग हो रखी थी :  अच्छा दिखना किसे कहते हैं(ब्राह्ण), किस किस्म का क्वीयर होना सही है (वो क्वीयर, जो अंग्रेज़ी बोले), और आकर्षक बैकग्राउंड क्या होता है (शहरी, अमीर)|” ध्रुबो ज्योति ने बेहद खूबसूरती से हमारी इस दुनिया के बारे में लिखा है, जहाँ इंसान को हताश कर देने वाले सवालों का सामना करना पड़ता है| जैसे कि :  हर कोई ऐसे में आज़ाद कैसे हो सकता है  जब आज़ादी की हमारी परिभाषा में ही छल है?  कोई अपना विरोध कहाँ व्यक्त करे? अपना प्यार कहाँ लेकर जाए? अपने घाव को कहाँ शरण दे?

7.धीरेन बोरिसा और ध्रुबो ज्योति #आइलवयू

  पन्ने: 2 भाषा: अंग्रेजी किस उम्र के पढ़ने लायक:   20 वर्ष और ऊपर “अगर हमारी ज़िन्दगी कहानियाँ हैं, और हमारी प्रेम कहानियाँ झूठीं.. फिर तो हमें ये खोज करनी चाहिए कि ये झूठी कहानियाँ किसने बनायीं और हमें किसने सुनाईं|” टिंडर, ग्राइंडर, बम्बल| धीरेन और ध्रुबो आपस में ऑनलाइन और ऑफलाइन की दुनिया के बारे में बात करते हैं| कैसे ऑनलाइन और ऑफलाइन, दोनों के लिए हमारे जीवन में जगह है | ये दोनों साथ साथ चलते हैं l एक दुनिया में हो रही हिंसा बड़ी आसानी  से दूसरी दुनिया में उथल पुथल मचा देती है|       

8.इस्मत चुगताई. लिहाफ (अंग्रेज़ी में, द क्विल्ट)

पन्ने: 6  भाषा: उर्दू में सबसे पहले प्रकाशित हुई थी(नीचे दिए गए लिंक पर जा कर अंग्रेजी अनुवाद पढ़ा जा सकता है) किस उम्र के पढ़ने लायक: 18 वर्ष और ऊपर गुनाह और शर्म में ढकी हुई ज़िंदगी| अकेलेपन से भरी| कमजोरियों से भरी| फिर यह लिहाफ अलग अलग रूप ले लेता है| १९४२ में उर्दू में प्रकाशित, यह बेहतरीन ,छोटी सी कहानी आपके दिमाग को झकझोरती है| जब ये छपी, तो हल्ला ही मच गया था, क्यूंकि इस किताब ने सेक्सुअलिटी के विषय को बड़े मज़े से टटोला था | चुगतई को लाहौर के कोर्ट में अपनी सफाई देनी पडी थी अपनी इस कहानी का बचाव करना पड़ा था|  
 

9.जेम्स एम. फ्रीमैन. अनटचेबल: ऐन इंडियन लाइफ हिस्ट्री (यानी, अछूत: एक भारतीय की जीवनी)

पन्ने: 440 भाषा: अंग्रेजी प्रकाशक/लिंक: स्तान्फोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस  किस उम्र के पढ़ने लायक: 22 वर्ष और ऊपर  हर कोई प्यार की तलाश में है, पर किसी को नहीं पता कि वो कहाँ मिलेगा| मुली, कपिलेश्वर (उड़ीसा) का अछूत बौरी जाति का आदमी है | वो जेम्स एम. फ्रीमैन के ज़रिये अपनी ज़िन्दगी की कहानी बताता है| ये हर दिन उत्पीड़न सहते हुए, उसकी और उसके बिखरे हुए समुदाय की कहानी है| यह कहानी उसकी पत्नी किया, उनके बच्चे, उसके पिता, उसकी मौसी और ट्रांस लोग की कहानी है | बौरी औरतों के यौन शोषण की,  और उन पर अत्याचार करने वाले संस्थानों की कहानी है|    

10. ज्योत्स्ना सिद्धार्थ. एनेकडोट्स टू, रोमांसिंग(विथ/द) कास्ट (यानी, जाति से जुड़ी प्रेम कहानियाँ)

पन्ने: 4 भाषा: अंग्रेजी किस उम्र के पढ़ने लायक: 20 वर्ष और ऊपर एक दिलचस्प लेख में ज्योत्स्ना पूछती हैं कि कोई उनसे प्यार क्यों करता है? अपने अनुभवों का उदाहरण देते हुए, वो इस बात पर गौर करती हैं कि अपने प्रेमी या सेक्सुअल पार्टनर से जाती के बारे में बात करने में एक अजीब झिझक होती है| और फिर बात छेड़ी, तो अपनी कहानी सुना कर, अपने उत्पीड़न को जैसे हर बार  दोहराना पड़ता है | लेख के अंत में वो उस दुनिया के बारे में बताती हैं जिसके लिए वो लड़ना चाहती हैं| और जिसमें वो रहना चाहती हैं|    

11. कविता पिल्लई. लव कौन्कर्स कास्ट फॉर थिस कपल, बट

( जातिवाद पर इनका प्यार विजयी रहा, पर भारतीय शादी रीति रिवाज़ अमेरिका में भी जारी रहे |

पन्ने: 6 भाषा: अंग्रेजी किस उम्र के पढ़ने लायक: 20 वर्ष और ऊपर इंटरनेशनल लेवल पर जातिवाद की कठोर रेखाएं थोड़ी धुंधली दिखने लगती हैं|  पर समाज जिन ढांचों के ज़रिये अत्याचार को कायम रखता है, वो ढाँचे मजबूत रहते हैं| अपने माता-पिता, मैच मेकिंग वेबसाइट्स और सिंगल नायर लोगों के लिए आयोजित होने वाले कुछ अजीब से नायर सम्मलेन के बारे में बात करते हुए कविता हमें दिखाती है कि अमरीका में जातीवाद और अछूतपन कौन से रूप लेता है |      

12.ललिता सुहानी. स्माल टॉक: स्पीकिंग ऑफ़ कास्ट (यानी, गुफ्तगू: जाति पे बात करना)

पन्ने: 1 भाषा: अंग्रेजी किस उम्र के पढ़ने लायक: 20 वर्ष और ऊपर बहुत कम जगह हैं जहाँ हम दलित लोग अपने रिलेशनशिप के बारे में बात कर सकें| कोई हमें जज ना करे, इसका डर हमेशा सर पर मंडराता रहता है|” बाकी इम्पोर्टेन्ट चीज़ों के साथ ज्योत्सना सिद्धार्थ दलित समाज के अन्दर उन जगहों का होना ज़रूरी बताती हैं, जहाँ नए लोगों से मिला जा सके| जहां उनकी बातें सुनने वाला कोई हो|      

13.मिनाक्षी रेड्डी माधवन, नादिका नाडिया और ध्रुबो ज्योति. एलेवेन वेज़ टू लव: एस्सेज़ (यानी, प्यार करने के ग्यारह तरीकों पर लेख)

पन्ने: 288 भाषा: अंग्रेजी  प्रकाशक/लिंक: पेंगुइन रैंडम हाउस किस उम्र के पढ़ने लायक: १८ वर्ष और ऊपर  जब हम इतने सारे हैं, तो केवल एक किस्म का प्यार कैसे हो सकता है? क्या प्यार करने का केवल एक ही तरीका होता है? नहीं | और यह शानदार संग्रह और इसके ग्यारह लेख इस बात का सबूत हैं | निबंधों के नाम इस प्रकार हैं:        अ लैटर टू माय लवर(स) – मेरे प्रेमियों के नाम एक पैगाम, द शेड्स ऑफ़ यू – तुम्हारा हर अंदाज़,  अ क्रॉस-सेक्शन ऑफ़ माय बैड बॉयफ्रेंड्स- मेरे सभी बुरे बॉयफ्रेंड्स का एक संकलन  व्हेन न्यूयॉर्क वाज़ कोल्ड एंड आई वाज़ लोनली – सर्द न्यू यॉर्क और अकेली मैं द अरिस्त्रोप्रैट्स- अपने बाप दादा / कुल के नाम पे शेखी बघारने वाले द वन बट नॉट द ओनली- ख़ास एक, पर बस वो ही नहीं  वेयर आर माय लेस्बियंस? कहाँ हैं मेरी लेस्बियन  द अदर साइड ऑफ़ लोनलीनेस – अकेलेपन का अनदेखा हिस्सा आई एम् ब्लाइंड सो इज़ लव! मैं अंधा हूँ तो क्या, प्यार भी तो अँधा होता है एंड द स्मार्टफोन फ्रीड मी: डेटिंग एज़ अ ट्रांस वुमन| - स्मार्टफोन ने मुझे आज़ाद किया, एक समलैंगिक महिला की डेटिंग की कहानी|  

14.प्रेम चौधरी| रीडीमिंग’ ऑनर’ थ्रू वायलेंस: ... ( यानी, हिंसा की मदद से अपने सम्मान को बचाने की सोच और इस सोच का किस तरह इस्तेमाल किया जाता है)

पन्ने: 23 भाषा: अंग्रेजी किस उम्र के पढ़ने लायक: 22 वर्ष और ऊपर अपने मान सम्मान को बचाने के लिए- इस नाम पर दुनिया के कोने कोने में अपराध होते हैं| पर हॉनर या मान सम्मान का मतलब क्या होता है? भारत में जाती के अंदर और जाति से बाहर शादी, और उससे जुड़े हॉनर के बारे में चौधरी ने डिटेल में शोध किया है| वो बदलते राजनैतिक अर्थव्यवस्था के असर और संवैधानिक हक देने के असर पर भी प्रकाश डालते हैं| लोग क्यों पुराने शादी के रीति रिवाजों को चुनौती दे रहे हैं ? ऐसा करने पर जो हिंसा होती है, वो उसपर प्रकाश डालते हैं | इसपर भी, कि किस तरह, जाती/ समुदाय को नियंत्रण के लिए इस्तेमाल किया जाता है |     

15.रूथ वनिता| सेम सेक्स वेड्डिंग्स, हिन्दू ट्रडिशन्स एंड मॉडर्न इंडिया

(यानी समलैंगिक शादियाँ, हिन्दू रीति रिवाज़ और मॉडर्न इंडिया )

पन्ने: 13 भाषा: अंग्रेजी प्रकाशक/लिंक: फेमिनिस्ट रिव्यु किस उम्र के पढ़ने लायक: 22 वर्ष और ऊपर रुढ़िवादी हिंदु संगठनों का मानना है कि समलैंगिकता और लव मैरिज जैसी चीज़े इस देश में पश्चिम सभ्यता के प्रभाव के कारण पनप रही हैं| ऐसी सोच गलत क्यों है ? समाज के पुरुष प्रधान ढाँचे की इस किस्म की सोच और ऐसे उत्पीड़न की शुरुआत कहाँ से हुई| और अलग अलग औरतों की ज़िन्दगी पर इसका क्या असर होता है? वनिता इस बात पर भी ज़ोर देतीं हैं  कि आम तौर पर लव मैरिज़ के खिलाफ जो विरोध होता है वो ही समलैंगिक शादियों के खिलाफ भी होता हैं| वो किस बात से डरते हैं?क्या हमारी चाहतें हदें पार कर जाती हैं ?

16.सुधीर ककर| इन्डियन लव स्टोरीज ( भारतीय प्रेम कहानियाँ)

प्यार क्या है? क्या एक सपना है? इस बात का जवाब आज की दस बेहतरीन, अनुवादित कहानियाँ देती हैं| इनमें से कुछ कहानियाँ अमृता प्रीतम और कमला दास जैसी प्रसिद्ध लेखक द्वारा लिखी गयी हैं| ये ऐसी कहानियां हैं जो आपके दिल को छू लेंगी|                

17.तारकुइन हॉल.  द केस ऑफ़ द लव कमांडोज़ ( मोहब्बत के सिपाही का किस्सा)

पन्ने: 320 भाषा: अंग्रेज़ी  प्रकाशक/लिंक: साइमन और शुस्टर किस उम्र के पढ़ने लायक : 20 वर्ष और ऊपर एक रोमांचक किताब जो आपको सोचने पर मजबूर कर देगी | भारत का सबसे खुफिया जासूस, भारत के लव कमांडोज़ की मदद लेकर अपने ख़ास मिशन कर है | लव कमांडोज़ एक स्वयं सेवी ग्रुप है, जिसके सदस्य अंतर जातीय प्रेमियों की ख़ास मदद करते हैं | तो भारत का सबसे खुफिया जासूस इनकी मदद लेकर, बिछड़े प्रेमी तुलसी और राम को मिलाने की कोशिश में है|  तुलसी का ऊंची जाती का परिवार इस रिश्ते का सख्त विरोध कर रहा है |     
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