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कैसे करूँ ? किसी और के सामने कपडे उतारूँ और कूल रहूँ

सेक्स करते वक़्त कपडे कैसे उतारे?

  यह सेक्स के बारे में एक बड़ी उलझन है| आप अपने भीतर बन रहे आतुरता के दबाव को महसूस कर रहे होते हैं,  खुद के कपड़े उतारने के लिए, अपने प्रेमी के कपड़े उतारने के  लिए और जितना जल्दी हो सके अंग से अंग मिलाने के लिए लेकिन ! साथ ही, अनिश्चिता,उत्तेजना भी महसूस हो रही होती है और शायद थोड़ा सा डर भी, सिर्फ इस लिए कि नंगा होने का मतलब क्या होगा| होना चाहिए ? नहीं होना चाहिए? खासकर सबसे पहली बार -नग्नावस्था में हमें क्या लगना चाहिए | 21 वर्षीय मधु ने नग्न अवस्था के बारे में सबसे  ज्यादा अपने बचपन के अनुभवों से और स्कूल में लोगों के इर्द गिर्द रहने से सीखा | उसका अपने और औरों  के खुले बदन के बारे में सोचने का तरीका तब बदल गया, जब वह बॉर्डिंग स्कूल गयी| “शुरुआत के कुछ दिन अजीब लगा ,लेकिन फिर आपको आदत हो जाती है क्योंकि सब लोग या तो टॉवेल में या अंडरवियर में घूम रहे होते हैं |आप इतने पास-पास  रह रहे होते हैं कि आपके पास कोई और विकल्प नहीं बचता |ये सब बहुत जल्दी मायने रखना बंद हो जाता है”| मधु का ये सोचना है कि उसके इस अनुभव ने किसी लड़के के सामने उसका  नंगा होना शायद थोड़ा आसान कर दिया| बॉर्डिंग स्कूल ने मुझे मेरी नग्नता को कम गंभीरता से लेने में  मदद की, हालाँकि पहली बार,सच में मैं थोड़ा हँसना चाहती थी| मुझे याद है, मैं ये मानती थी कि नग्नता को  लेकर हमारी सोच एक होगी | ये किसी के लिए बड़ी बात नहीं होती होगी I पर ये सब इस तरह नहीं हुआ I काश ! जब हम नंगे थे, वो मेरे बदन के बारे में इतनी बातें नहीं करता  हालाँकि वे अच्छी बातें कह रहा था| इस सब को इतना महत्व?! मैं आगे बढ़ना चाहती थी |” मधु से अलग, 25 वर्षीय, बिनु की अपने बदन से जुडी बेहद दुखद यादें थीं, खासकर अपने स्कूल के साथियों की तुलना में| एक अभिजात वर्ग के स्कूल में OBC कम्युनिटी का सदस्य होना, उसे ये एहसास कराता कि उसके शरीर का ‘बहुत छोटा’ होना उसकी जाति का प्रतीक है और वह हमेशा छोटा महसूस करता| स्कूल मेडिकल जांच मे जहाँ सभी लड़कों को कपड़े उतार एक लाइन में खड़ा होने को कहा गया, उसे याद है  कि उसे प्रदर्शनी पर होने सा महसूस हुआ|उसके लिए उसके वो बचपन का शरीर और वयस्क राजनीति अलग नहीं है| कई सालों के राजनीतिकरण के बावजूद भी, एक ‘ बचा हुआ संकोच’, उसने अपने साथ रख रखा था,” लेकिन उसने कभी अपनी प्रेमी के साथ संकोचित महसूस नहीं किया I उसका कहना है कि वो प्यार ही था जिसने उसके संकोच को तोड़ा”| नंगा होना कई लोगों के लिए एक अदुभत क्षण होता है |बहुत सारे लोगों को वो अदुभत क्षण एक तीव्र ,आनंदित कर देने वाली मुस्कान के साथ याद आता है, हालाँकि इसका मतलब ये नहीं कि पहले सेक्स का अनुभव बेहद रोमांचित ही रहा होगा  | 27 वर्षीय सुरेखा, रांची में वकील है, अपने प्रेमी के साथ नंगा होने का पहला अनुभव  उन्हें याद है | वे कहती हैं, काफी धीमा था, बेहद सुस्त|वो याद करती हैं,  “उस पहेली बार, कुछ दो घंटे लगे होंगे हमें नंगा होने में | आज कल लोग (मैं भी) सीधे कपड़े  उतारते हैं, ऐसा लगता है अब लोगों से, कुछ क्षण से लंबा चुंबन सहा  ही नहीं जातामैंने पहली बार अपने पूर्व प्रेमी के साथ सेक्स का अनुभव किया था, उसका भी ये पहला अनुभव था| हमने इसे इतना धीमा किया, नंगे होने की सारी प्रक्रिया इतनी खींच ली गई कि अंत में मुझे ये एहसास हुआ  यहाँ तक पहुँचना ही  मेरी सारी उम्र का मकसद था ’| उस क्षण मेरा सारा बदन उत्तेजना से भरा था, किसी किस्म की असुरक्षा आदि का कोई विचार ही न था | मुझे लगता है, वह भी इसी अवस्था में था|उस वक़्त सब कुछ इतना प्राकृतिक और आवश्यक लग रहा था कि  नग्नता पर  ध्यान ही न था ”| हालाँकि नंगा होने का क्षण फूलों भरा नहीं होता,कई लोगों के लिए ये क्षण वह हैं, जब उनकी छिपी हुई असुरक्षाएं केंद्रिय हो जाती हैं  | 25 वर्षीय,मनीषा कहती हैं, मैं  पहली बार अपने बेस्ट फ्रैंड के साथ नंगी हुई थीमैं तब  14 साल की थी, और अपने बदन को बेहद पसंद करती थी|यूँ नहीं कि 'हे -भगवन-मैं-कितनी- दुबली हूँ”,  वह कहती हैं मेरे बदन पे चर्बी थी ही नहीं, इसलिए मैं आश्चर्य जनक रूप से आत्मविश्वास से भरी थी|उस पहली बार, नंगा होना काफी अच्छा अनुभव रहा, ऐसा लगा , ये तो होना ही था| हम दोनों बेस्ट फ्रैंड थे, दोनों नंगे थे, हम दोनों साथ में  चिल्लाये'  वाह! ये बेहद अजीब है,पर बहुत अच्छा है”| मैं उस समय नग्नता की बहुत बड़ी प्रचारक बन गयी थी | इसका मतलब ये नहीं कि सबको हर वक़्त नंगा रहना चाहिए | नहीं,ऐसा कुछ नहीं है, नग्नता इतनी स्वाभाविक लगती थी,  और  सुकून महसूस करवाती थी, मुझे लगता कि अपने बदन को कभी कभी खुला छोड़ने का कोई आंतरिक मूल्य है  |लेकिन अब सब कुछ बदल गया है I अब मुझे सबके सामने कपड़े उतारने  में डर लगता है क्योंकि मेरा वजन कुछ बढ़ गया है”| 34 वर्षीय मालिनी, बैंगलोर में एक मीडिया प्रोफेशनल हैं , वो कहती हैं कि उन्हें ये बाद में समझ आया की उनके वजन को लेकर उनकी असुरक्षा का उनके पहले सेक्सुअल अनुभव पर दुष्प्रभाव रहा था| “मैं अपने बदन को लेकर इतना परेशान थी कि मुझे लगा, जो भाग मुझे ठीक नहीं लगते मैं उन्हें छुपा लूंगी और अपने पेट को इतना अंदर खींच लिया था,ताकि वो कमर पर मोटापे को ठीक से देख ही नहीं पाए | मैं इस सब से इतनी ग्रस्त थी, कि मज़ा ही नहीं ले पाई | मैंने मेरे पेट को इतना अंदर तक खींच लिया था कि  सांस लेना भी मुश्किल हो रहा था, बाकि सब तो भूल ही जाओ”|मालिनी कहती हैं किहालाँकि ये सब काफ़ी  बेहतर हो गया है, वो सारी असुरक्षाएं जो उन्होंने अपने प्रेमी के साथ सेक्स के दौरान  महसूस कीं,  वो सब पति के साथ भी महसूस हुईं , लेकिन वे सब जल्द ही चली  भी गयीं”| वह कहती हैं कि इससे पहले वो कभी इतनी विश्वास से पूर्ण नहीं थीं| आप सिर्फ अपना पेट बहुत देर के लिए अंदर कर सकते हैं,पर कुछ छुपा नही सकते| “मैंने मेरे पति की सारी कमियों को और उन्होंने मेरी सारी कमियों को देख लिया है,  इसलिए मुझे नहीं लगता कि मुझे कुछ छुपाना है, कुछ छुपाना चाहूँ तो भी नहीं छुपा सकती”| ब्रायन  30 वर्षीय समलैंगिक हैं , शिक्षक हैं , वो चाहते  हैं कि वो अपने साथी के साथ इंटिमेसी के चरम स्तर तक पहुँचें | “मेरे मुँहासे हुआ करते थे, अभी भी निशान रह गए हैं इसलिए मैं हमेशा चाहता हूँ कि सेक्सुअल अनुभव के दौरान कमरे में  बहुत  अँधेरा हो ताकि वो मेरे निशान ना देखे|सेक्सुअल अनुभव के दौरान मैं सेक्स को कम महसूस कर रहा था,उससे कई अधिक,मैं मुँहासे के बारे मे सोच रहा था| मैं अभी भी अपनी त्वचा के बारे में सोचता हूँ और लोग मेरे बारे में क्या सोचते हैं ,ये भी |  यह सब नए लोगों के सामने और भी बुरा हो जाता है | मैं थक गया हूँ बार बार एक जैसा महसूस करके,अब मैं चाहता हूँ कि मुझे कोई ऐसा मिल जाए जिस से मैं शादी कर लूँ| ऐसा इंसान जिस पर मुझे पूरा भरोसा हो और सब डर छोड़ मैं उसके साथ रहूँ ”| 24 वर्षीय असीम, कहते है की उन्हें हमेशा शर्म आती है |” मुझे  सेक्स बेहद पसंद है लेकिन नंगा होने पर शर्म आती है ,या कोई नंगा दिख जाए, तब भी |” जब उनसे इस शर्म के बारे मे बारीकी से पुछा गया तो उन्होंने कहा , “पक्के तरीके से नहीं कह सकता  शायद सबको ऐसा ही महसूस होता होगा, हम सब इसी प्रोग्रामिंग के साथ बड़े हुए हैं | मेरी कोशिश रहती है कि या मैं जुर्राबें पहन कर रहूँ या चादर से ढक कर, मैं खुद को पूरी तरह से नंगा न महसूस करूँ |” वह कहते हैं, फिर भी  काफी अच्छा लगने लगता है, जब आप एक बार नंगे हो जाते हैं या होने वाले होते हैं | “तब आपका बदन जैसे सभी चिंताओं से परे होता है,  आप सभी बातों के बारे में भूल जातें है, तब आपके बदन को सिर्फ मजा करने को दिल करता है | मैं चाहता हूँ,सेक्स के दौरान हम एक दूसरे को ज्यादा देखा न करें और बस महसूस करें|  मैं सेक्स को जितना पसंद करता हूँ, मैं चाहता हूँ कि इसमें एक दूसरे को देखना इतना जरुरी ना हो”| असीम जिस प्रोग्रामिंग की बात करते हैं, संभवतः कई जगहों से आई है,  जैसे परिवार, टेलीविज़न संस्कृति, जनप्रिय संस्कृति..| प्रिया 40 वर्षीय, कन्नड़ लेखक हैं |जब वह अपने पहले टाइम के बारे में पीछे जा कर देखती हैं, तो वह इसे अपनी अलग सांस्कृतिक पृष्ठ भूमि के सन्दर्भ में देखती हैं, जिसमें वजन का ज़्यादा या कम होना उतना मायने नहीं रखता था| मैं अपने वजन को लेकर, आज कल की जवान लड़कियाँ सी, सर नहीं खपाती थी| मैं कभी इस बात को लेकर परेशान नहीं हुई कि मैं पतली क्यों नहीं हूँ, कैटवाक करने वाली मॉडल की तरह,मेरे दिमाग में ये सब कभी नहीं आया | हाँ, मुझे यह चिंता थी कि क्या मुझ में नाज़ुकता की कमी है | मैं कमसिन   और नाज़ुक थी ही नहीं | ये सब मुझे याद दिलाता है, जब चालबाज़ फिल्म में, सनी देओल शर्मीली श्रीदेवी समझ कर,  बदमाश श्रीदेवी का हाथ पकड़ लेता है,  तब बदमाश श्रीदेवी कहती हैं ''छोड़ ना" और वो उसका हाथ छोड़ देता है |बदमाश श्रीदेवी आश्चर्यचकित हो कर कहती हैं "छोड़ दिया?!" वैसा ही मुझे लगता था ”| मुझे लगा कि वो मेरे बदन को छू रहा है और ऐसे देख रहा है जैसे जो उसने सिर्फ फिल्मों में देखा था, उसे सीधा प्रसारण देखने का मौका मिला हो |मुझे उसके बदन को लेकर कोई उत्सुकता नहीं थी और उन दिनों तो यह भी लगता था, की निश्चिंत रूप से मेरा बदन उसके बदन से कहीं ज़्यादा  रोचक है| हालातों  के दबाव के चलते लोग नग्नता के बारे में लोगों के विचार बदल जाते हैं | अल्फिया  24 वर्षीय मनोविज्ञान की छात्रा हैं | उनका कहना है कि जो भी कुछ झिझक बची थी, वो माँ बनने के बाद चली गयी| “पहली बार मुझे अपने पति के सामने नंगा होने पर शर्म आई, नंगा होने पर यूँ लगा क्या यह सचमुच में हो रहा है,  धीरे-धीरे आपको इसकी आदत हो जाती है| जब मैं गर्भवती हुई तब मैं डिलीवरी को लेकर काफी चिंतित थी, मैं सोच भी नहीं पा रही थी कि कई सारे अजनबी लोग आपके पैरों के बीच देख रहें होंगे, लेकिन मेरे बारह घंटे के लेबर के बाद इस बात के लिए मेरे दिमाग़ में कोई जगह ना रही | मैं स्तनपान को लेकर भी ऐसा ही महसूस करती थी, लेकिन अब मैं ध्यान नहीं देती कि मैं कहाँ हूँ या मेरे आस पास कौन है | मेरे बच्चे को स्तनपान करवाना मेरी प्राथमिकता है, शर्म और संकोच को लेकर मेरी जवानी के विचार, इनको सीधे खिड़की बाहर किया हैं मैने. | और कई लोगों के लिए ये कोई विकल्प है ही नहीं| किसी के सामने नंगे होने के उसके पहले तजुर्बे के बारे में दीप्ती से पूछा गया,  तो उसने कहा- हे भगवन! ऐसी बेवकूफ हरकतें कौन करता है?!”
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