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ख्वाहिशें  - एक कविता

अभिषेक अनिक्का द्वारा 

ऑल्ट टेक्स्ट : दृश्य में एक तरफ एक व्हीलचेयर है। दूसरी तरफ एक छड़ी है। इर्द गिर्द कुछ कपड़े फैले हुए हैं, जैसे की एक मोजा, और एक ब्रा। कुछ पेड़ की डालियां, जिसपे कुछ पत्ते हैं, उनको भी दर्शाया गया है। दृश्य पर कविता की लाइनें भी है जो नीचे लिखी गयी हैं:

एक रात ऐसी आए

बिस्तर के छोर सिमट जाएं

एक तरफ मेरी छड़ी पड़ी हो

दूसरी तरफ तुम्हारा व्हीलचेयर

उसके इर्द गिर्द हमारे कपड़े

ऑल्ट टेक्स्ट : दृश्य में एक हाथ - एक पैर को सहला रहा है। मूंदी हुई आंखें हैं। एक पेड़ की डाली है, लेकिन उसपर पत्तियों की जगह होंठ और जीभ दर्शाए गए हैं।दृश्य पर कविता की लाइनें भी है जो नीचे लिखी गयी हैं:

एक रात ऐसी आए

मेरे बदन को पता हो तुम्हारे बदन का स्वाद

पसीने की बूंद समेटते हुए मेरे जीभ रुके नहीं

तुम लेटे रहो अपनी आंखे मींचे

ऑल्ट टेक्स्ट: दृश्य में बिस्तर के इर्द-गिर्द एक छड़ी (क्रच) है और एक व्हीलचेयर है। बिस्तर पर तकिये की ड्राइंग बनाई गयी। दृश्य पर कविता की लाइनें भी है जो नीचे लिखी गयी हैं:

एक रात ऐसी आए

जब हम एक दूसरे में समा जाएं

काल्पनिक नज़रों से बहुत दूर फैलते जाएं

एक बंद कमरे में

एक मीठी रोमानी खुशबू बनकर

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