-
इज़हार- ए- इश्क़ : उर्दू ग़ज़लों से आती समलैंगिक आवाज़ें
उर्दू ग़ज़ले अक्सर उन्हें आदमी लिखते थे और प्रेमी के लिंग को हमेशा साफ – साफ नहीं दर्शाया जाता। यह तो हमारी ही आदत है कि हम समझ लेते हैं कि जिस प्रेमी का उत्सव वे मना रहे हैं या जिसके लिए वे पीड़ा (विरह की) में हैं, वह एक महिला है।
Read the full article...June 21st, 2018 0 comments.